Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 11 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयवन्द्रिका टोका श० १४ उ० ८ सू० १ अन्तरनिरूपणम् ३६५ भदन्त ! अनुत्तरविमानानाम् ईषत्माग्भारायाश्च पृथिव्याः सिद्धशिलायाः परस्परम् कियद् अबाधया अन्तरं-व्यवधानं प्रज्ञप्तम् ? इति पृच्छा, भगवानाह-'गोयमा! दुवालसजोयणे अबाहाए अंतरे पण्णत्ते' हे गौतम ! अनुत्तरविमानानाम् ईषत् प्रायभारायाश्च पृथिव्याः परस्परम् द्वादशयोजनानि अबाधया, अन्तरम्-व्यवधानम् प्रज्ञप्तम् । गौतमः पृच्छति-ईसिंपन्माराए णं भंते ! पुढवीए अलोगस्स य केवइए अबाहाए पुच्छा' हे मदन्त ! ईषत्माग्मारायाः खलु पृथिव्याः सिद्धशिलायाः अलोकस्य च परस्परं कियद् अबाधया अन्तरं-व्यवधानं प्रज्ञप्तम् ? भगवानाह* गोयमा ! देमूणं जोयणं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ' हे गौतम ! ईपरमारभारायाः अलोकस्य च परस्परं देशोनं योजनम् अबाधया अन्तरं-व्यवधानं प्रज्ञप्तम् ॥ सू. १॥ इए पुच्छा' हे भदन्त ! अनुत्तर विमानों का और ईषत्माग्भारा पृथिवी का-सिद्धशिला का-परस्पर में कितना अन्तर अबाधा को लेकर कहा गया है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा! दुवालसजोयणे अथाहाए अंतरे पण्णत्त' हे गौतम ! अनुत्तर विमानों का और ईषत्प्राग्भारापृथिवी का परस्पर में अबाधा को लेकर अन्तर १२ योजन का कहा गया है । अब गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं-ईसिंपन्भाराए गंभते! पुढवीए अलोगस्स य केवइए अवाहाए पुच्छा' हे भदन्त ! ईषत्प्रारभारा. पृविधी-सिद्धशिलाका और अलोक का परस्पर में अबाधा को लेकर कितना अन्तर कहा गया है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा ! देसूर्ण जोय गं अपाहाए अंतरे पण्णत्ते' हे गौतम ! ईषत्प्रारभारापृथिवी का
और अलोक का अन्तर अयाधा को लेकर कुछ कम एक योजन का कहा गया है । सू०१॥
___ महावीर प्रभुने। उत्तर-" गोयमा ! दुवालसजोयणे आबाहाए अंतरे पण्णत्ते " 3 गीतम! अनुत्तर विमानाथी पत्प्रामा२। पृथ्वी १२ योन દૂર આવેલી છે.
गौतम स्वाभाना प्रश्न- ईसिंपन्भाराए णं भंते ! पुढबीए अलोगस्स य केवइए आबाहाए पुच्छा ?” मापन ! ४५त्प्रामा२। पृथ्वी-सिद्धशिलानु અને અલેકનું પરસ્પરની વચ્ચેનું અંતર કેટલું કહ્યું છે?
महावीर प्रभुन। उत्तर-" गोयमा ! देसूर्ण जोयणं आबाहाए अतरे पण्णते” 8 गौतम ! पत्५.२॥२॥ पृथ्वीथी Aad भत२ मे योग નથી પણ સહેજ ઓછું કહ્યું છે સૂ૦૧
શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૧