Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 11 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसूत्रे
यथा सर्वानुभूतेरनगारस्य यावत् वक्तव्यता बोध्या, तथा च स खलु सुनक्षत्रो देवस्तस्मात् अच्युतात् देवलोकात् आयुःक्षयेण, भगक्षयेण स्थितिक्षयेण अनन्तरंच्युत्वा महाविदेहे वर्षे - क्षेत्रे सेत्स्यति, भोत्स्यते, मोक्ष्यते, परिनिर्वास्यति, सर्वदुःखानाम् अन्तं करिष्यतीति भावः || सू० २० ॥
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मूलम् - "एवं खलु देवाणुपियाणं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नामं मंखलिपुत्ते से णं भंते! गोसाले मंखलिपुत्ते कालमासे कालं किच्चा कहिंगए, कहिं उववन्ने ? एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नामं मंखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्थे चैव कालमासे कालं किच्चा उड्डुं चंदिम जाव अच्चुए कप्पे देवतयाए उववन्ने, तत्थ णं अस्थेगइयाणं देवाणं बावीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता, तत्थ णं गोसालस्स वि देवस्स बावीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता, से णं भंते! गोसाले देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिईक्खएणं जाव कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहेवासे विंझगिरिपायमूले पुंडेसु जणवएसु सयदुवारे नयरे समुइस्स रनो भद्दा भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिह, से णं की स्थिति हुई है। बाकी का और सब इसके आगे का कथन सर्वानुभूति अनगार की वक्तव्यता के अनुसार जानना चाहिये तथा च वे सुनक्षत्र देव उस अच्युत देवलोक से आयुक्षय, भवक्षय और स्थितिक्षय हो जाने के कारण वहां से चव कर के महाविदेर क्षेत्र में सिद्ध होंगे, बुद्ध होंगे, मुक्त होंगे, परिनिर्वात होंगे' और समस्त दुःखों का अन्त करेंगे ॥ मु० २० ॥ બાકીનુ' સમસ્ત કથન સર્વાનુભૂતિ અણુગારના પૂર્વાંકત કથન અનુસાર જ સમજવું એટલે કે તે સુનક્ષત્ર દેવ તે અચ્યુત દેવલાકના આયુને, ભવના અને સ્થિતિને ક્ષય થવાને કારણે ત્યાંથી ચ્યવીને મહાવિદેહ ક્ષેત્રમાં મનુષ્ય રૂપે ઉત્પન્ન થઈને સિદ્ધ, બુદ્ધ, મુકત, પરિનિર્વાંત અને સમસ્ત દુઃ ખેાથી रहित थशे. ॥सू०२०॥
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૧