Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 11 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
८८०
भगवतीसूत्रे इट्ठा कंता जाव अणुपया' सा खलु तप-मः, भार्या भविष्यति, सा कीदृशी. त्याह-इष्टा-मनोऽभिलषिता, कान्ता-कमनीया, यावत्-मिया, मनोऽमा, अनु. मता-पाज्ञाकारिणी 'भंडकरंडगसमाणा तेल्ल केलाइव सुसंगोविया, चेलपेडा इव सुसंपरिग्गहिया रयणकरंड भोविव सुसारक्खिया, सुसंगोविया' भाण्डकरण्डकसमाना, तैल केलाइव सुसंगोपिता, भाण्डकरण्डकसमाना-आभूषणमषा. समाना नेल केलाइव-तैलाश्रयो भाजनविशेषो देशविशेषे प्रक्षिद्धः, सा च सुष्ठु संगोपनीया भवतीत्यतः सुसंगोपिता-सुरक्षिता, 'चेल पेडा इव सुसंपरिग्गहिया रयणकरंडओ विव सुसारक्खिया सुसंगोरिया' चैलपेटिका इव-वस्त्रमजूषेव सुसंपरिगृहीता, रत्नकरण्डकमिव सुसंरक्षिता सुसंगोपिता 'माणं सीयं, माणं उण्हं से प्रदान करेंगे। 'साणं तस्स भारिया भविस्सइ, इट्ठा, कंता, जाव अणु मया' इस प्रकार से प्रदान की गई वह उसकी भार्या होगी-वह उसे अपने पति के लिये मनोऽभिलषित होगी। कान्ता-बडी प्यारी होगी, यावत् प्रिय-बडी सुहावनी मनभाविनी होगी। मनोऽम-मन में सदा स्थान करनेवाली होगी । एवं अनुमता-पति की आज्ञाकारिणी होगी। 'भंडकरंडगसमाणा तेल्ल केला इव प्लुसंगोविया, चेलपेडा इव सुसंप रिग्गहिया, रयणकरंडमओ विव सुसारक्खिधा, सुसंगोविया' अतः वह भाण्डकरण्ड के समान-आभूषणों की पेटी के जैसी-घरवालों के द्वारा संभालने योग्य होगी। एवं तेल की डिब्धी के जैसी बहुत ही सावधानी के साथ रखने योग्य होगी। एवं जैसे वस्त्रों की मंजूषा विशेष आदर के साथ संभाल कर रखी जाती है, उसी प्रकार से यह भी बहुत ही सुरक्षावस्था में रखी जावेगी । रत्नों का पिटारा ४२११२, " सा णं तस्त्र भारिया भविस्सइ, इट्ठा, कंता, जाव अणुमया" । પ્રકારે ભાર્યા રૂપે પ્રદાન કરાયેલી તે કન્યા તેના પતિને ઈષ્ટ થઈ પડશે. કાન્ત-મજ પ્યારી, પ્રિય, અને મનેમ (મનમાં સ્થાન જમાવનારી) થઈ ५४ अन त तिनी माज्ञान पासन ४२. “भंडकरंडगसमाणा तेल्ल के लाइव सुसंगोविया, चेलपेडा इव सुसंपरिगहिया, रयणकरंडओविव सुसार क्खिया, सुसंगोविया" तथा ५२ना मायुसे। माभूषणनी पटीनी २ तनी સંભાળ રાખશે, તેલના સીસા અથવા કળાની જેમ ખૂબ જ સાવધાનીપૂર્વક તેને સાચવવા ગ્ય ગણશે, જેવી રીતે વસ્ત્રોના ટૂંકને વિશેષ આદરની સાથે સંભાળીને રાખવામાં આવે છે, એજ પ્રમાણે તેને પણ એટલે કે આ કન્યાને ५५ भूम ४ सभा सुरक्षित स्थानमा रामपामा भावशे. "माण' सीयं माणं
શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૧