Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 11 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 864
________________ भगवतीस्त्रे मूळम् - "विमलवाहणेणं भंते! राया सुमंगलेणं अणगारेणं सहए जाव भासरासीकए समाणे कहिं गच्छिहिइ ? कहिं उववजिहि ? गोयमा ! विमलवाहणेणं राया सुमंगलेणं अणगारे सहए जाव भासरासीकए समाणे अहे सत्तमाए पुढवीए उक्कोसका लट्ठियंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववजिहिइ, से णं तओ अनंतरं उठवट्टित्ता मच्छेसु उववजिहिइ, सेणं तत्थ सत्थवझे दाहवती कालमासे कालं किच्चा दोच्चंपि अहे सत्तमाए पुढवीए उक्कोसकालठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिइ, सेणं तओनंतरं उन्वहित्ता दोच्चपि मच्छेसु उववज्जिहिइ, तत्थ वि णं सत्यवज्झे जाव किच्चा छट्टीए तमाए पुढवीए उको कालठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिइ, सेणं तओहिंतो जाव उव्वाट्टत्ता इत्थियासु उववज्जिहिइ, तत्थ विणं सत्यवज्झे दाह जाव दोच्चंपि छट्ठीए तमाए पुढवए उक्कोसकाल जाव उव्वहित्ता दोच्चंपि इत्थियासु उववज्जिहिइ, तत्थ विणं सत्यवज्झे जाव किच्चा पंचमाए धूमप्पभाए पुढवए उक्कोसकाल जाव उव्वहित्ता उरपसु उववज्जिहिइ, तत्थ विणं सत्यवझे जाव किच्चा दोच्चंपि पंचमाए जाव उव्वहित्ता दोपि उरपसु उववज्जिहिइ, जाव किच्चा चउत्थीए पुढवीए उक्कोसकालठिइयंसि जाव उत्बहित्ता सीहेसु उववज्जिहिइ, समय में चव कर महाविदेह क्षेत्र में सिद्ध होंगे। यावत्-बुद्ध होंगे, मुक्त होंगे, परिनिर्वात होंगे, और समस्त दुःखों का अन्तकरेंगे || सू० २१ ॥ ઉત્પન્ન થઈને સિદ્ધ થશે, યુદ્ધ થશે મુકત થશે, પરિનિર્વાત થશે અને સમસ્ત દુ:ખાના અન્ત કરશે. સૂ૦૨૧૫ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૧

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