Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 11 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 865
________________ प्रमैयचन्द्रिका टीका श० १५ उ० १ सू० २२ गोशालकगतिवर्णनम् ८५१ तत्थ वि सत्थवज्झे तहेव जाव किच्चा दोच्चंपि चउत्थीए पंक जाव उव्वट्टित्ता दोच्चंपि सीहेसु उववन्जिहिइ, जाव दोच्चाए बालुयप्पभाए उक्कोसकाल जाव उव्वट्टित्ता पक्खीसु उववन्जिहिइ, तत्थ वि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा दोच्चंपि तच्चाए वालुय जाव उव्वट्टित्ता दोच्चपि पक्खीसु उववजिहिड, जाव किच्चा दोच्चाए सकरप्पभाए जाव उवाहित्ता सिरीसवेसु उववजिजहिइ, तत्थ वि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा दोच्चपि दोच्चाए सकरप्पभाए जाव उध्वहित्ता दोचंपि सिरीसवेसु उववज्जिहिइ, जाव किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उकोसकालहिइयसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववन्जिहिइ, जाव उव्वट्टित्ता सण्णीसु उववन्जिहिइ, तत्थ वि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा असन्नीसु उववज्जिहिइ, तत्थ विणं सत्थवज्झे जाव किच्चा दोच्चंपि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पलिओवमस्स असंखेज्जइभागदिइयंसि णरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिइ, सेणं तओ जाव उव्वट्टित्ता जाई इमाइं खहयरविहाणाई भवंति, तं जहा-चम्मपक्खीणं, लोमपक्खीणं, समुग्गपक्खीणं, विययपक्खीणं, तेसु अणेगसयसहस्स खुत्तो उद्दाइत्ता उद्दाइत्ता तत्थेव भुज्जो भुज्जो पच्चायाहिइ, सव्वस्थ वि णं सस्थवज्झे दाहवकंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाइं भुयपरिसप्प विहाणाई भवंति, तं जहा-गोहाणं, नउलाणं, जहा पन्नवणापए जाव जाहगाणं, तेसु अणेगसयसहस्स खुत्तो सेसं जहा શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૧

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