Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 11 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसूत्रे पूर्वोक्तरीत्यैव यावत् शस्त्रवध्यः सन् दाहव्युत्क्रान्त्या कालमासे कालं कृत्वा द्वितीयमपि वारम् चतुर्याम् पङ्कपभायां यावत्-पृथिव्याम् उत्कृष्टकालस्थितिके नरके नैरयिकतया उत्पत्स्यते, ततोऽनन्तरम् स खलु उदृत्त्य द्वितीयमपि वारम् सिंहेषु उत्पत्स्यते, 'जाव किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए उकोसकाल जाव उध्वट्टित्ता पक्खीसु उववज्जिहिइ' यावत्-स खलु तत्र-सिंहमवे शस्त्रवध्यः सन् दाहव्यु. स्क्रान्त्याः कालमासे कालं कृत्वा तृतीयस्यां चालुकापभायां पृथिव्याम् उत्कृष्टकालस्थिति के नरके नैरयिकतया उत्पत्स्यते, स खलु ततोऽनन्तरम् उद्धृत्य पक्षिषु उत्पत्स्यते 'तत्थ विणं सत्थवज्झे जाव किच्चा दोच्चंपि तचाए वालुय जाव उव्यट्टित्ता दोचंपि पक्खीसु वालुय जाव उववज्जिहिइ' तत्रापि खलु-पक्षि'तस्थ वि सत्यवझे तहेव जाव किच्चा दोच्चापि सीहेसु चउत्थीए पंक जाव उच्चट्टित्ता दोच्चपि उववन्जिहिइ' उस सिंहभव में भी वह शस्त्रवधार्ह होकर दाह की व्युत्क्रान्ति से कोलमास में कालकर के द्वितीय बोर भी वह चतुर्थ पङ्कप्रभा पृथिवी यावत् उत्कृष्ट काल की स्थितिवाले नरकावास में नारक की पर्याय से उत्पन्न होगा। फिर वहां से निकल कर वह अनन्तर समय में तुरत ही पुनः सिंहों में उत्पन्न होगा। 'जाव किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए उक्कोस. काल जाव उध्वहित्ता पक्खीसु उववजिहिइ' वहां पर भी वह शस्त्र से वध होता हुआ दाह की व्युत्क्रान्ति से कालमास में काल करके तृतीय वालुकाप्रभापृथिवी में उत्कृष्ट काल की स्थितिवाले नरकावास में नैरयिक की पर्याय से उत्पन्न होगा। वहां से निकल कर फिर वह अनन्तरसमय में पक्षियों में उत्पन्न होगा। 'तस्थ वि णं सस्थवज्झे जाव किच्चा दोच्चापि तच्चाए वालुय जाव उव्वट्टित्ता दोच्चपि पक्खीसु वालुय जाव उववन्जिहिह' वहां पर भी वह शस्त्रवध्य होता हुआ यावत् दाह की ज्जिहिह" तसिसमा ५ ते शस्त्रधार ४२ हनी थी। सोमवता થકે કાળના અવસરે કાળ કરીને ફરીથી ચેથી પંકપ્રભા નરકમાં ઉત્કૃષ્ટકાળસ્થિતિવાળા નરકાવાસમાં નારક રૂપે ઉત્પન્ન થશે. ત્યાંની આયુસ્થિતિને ક્ષય उशतेश सि ३ अत्पन्न थशे. "जाव किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए उकोसकाल जाव उठवद्वित्ता पक्खीसु उववजिजहिह" त्यां ५५ तन शसथा વધ થશે અને દાહની પીડાથી તે કાળ કરીને ત્રીજી વાલુકાપ્રભા પૃથ્વીમાં ઉકષ્ટકાળસ્થિતિવાળા નરકાવાસમાં નારક રૂપે ઉત્પન્ન થશે. ત્યાંથી નીકળીને તે मनन्तर समयमा पक्षीमामा उत्पन्न थशे. " तत्थ वि ण सत्थवज्झे जाव किच्चा दोच्चपि तच्चाए वालुय जाव उध्वट्टित्ता दोच्चंपि पक्खीसु वालुय जाव उववन्जिहि" त्या ५ तना श प १५ थरी भने हानी पायी युत
શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૧