Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 11 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 754
________________ भगवती सूत्रे तिक्खुतो आयाहिणपयाहिणं करेइ, करिता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी - संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किमागमणप्पओयणं ? तए णं से सीहे अणगारे रेवई गाहावइणिं एवं वयासी - एवं खलु तुमे देवाणुप्पिए! समणस्स भगओ महावीरस्स अट्ठाइ दुवे कवोयसरीरा उवक्खडिया तेहिं नो अट्ठे, अस्थि ते अन्ने पारियासिए मजारकडए कुक्कुडमंसए, एयमाहराहि, तेणं अट्ठो । तए णं रेवई गाहावइणी सीहं अणगारं एवं वयासी - केस णं सीहा ? से णाणी वा, तवस्सी वा, जेणं तव एस अड्डे मम ताव रहस्सकडे हव्वमक्खाए, जओ पां तुमं जाणासि ? एवं जहा खंदए जाव जओ णं अहं जाणामि, तप णं सा रेवई गाहावइणी सीहस्स अणगारस्स अंतियं एयमहं सोच्चा निसम्म हटुतुट्टा जेणेव भत्तघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पत्तगं मोएइ, मोइत्ता जेणेव सीहे अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता, सीहस्स अणगारस्स पडिग्गहगंसि तं सव्वं संमं निस्सिरइ । तए णं तीए रेवईए गाहावइणीए तेणं दव्वसुद्धेणं जाव दाणेणं सीहे अणगारे पडिलाभिए समाणे देवाउए निबद्धे जहा विजयस्स जाव जम्मजीवियफले रेवईए गाहावइणीए, रेवइए गाहावइणीए । तए णं से सीहे अणगारे रेवईए गाहावइणीए गिहाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता मेंढियगामं नयरं मज्झं मज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जहा गोयमसामी जाव भत्तपाणं पडिदंसेइ, पडि ७४० શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૧

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