Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीस्तो पृच्छति-'सचित्ता भंते ! भोगा, अचित्ता भोगा ? ' हे भदन्त ! भोगाः किं सचित्ताः भवन्ति ? किंवा अचित्ताः भोगा भवन्ति ? भगवानाह-गोयमा ! सचित्ता वि भोगा, अचित्ता वि भोगा,' हे गौतम ! भोगाः गन्धादिप्रधानजीवशरीराणां कतिपयानां सज्ञित्वात् सचित्ता अपि भवन्ति, अथ च कतिपयानां गन्धादिप्रधानजीवशरीराणाम् असज्ञित्वात् भोगा अचित्ता अपि भवन्ति । गौतमः पृच्छति-'जीवा णं भंते ! भोगा ? पुच्छा?' हे भदन्त ! भोगाः किं जीवाः खलु भवन्ति ? किंवा भोगाः अजीवा भवन्ति ? भगवानाह-'गोयमा ! जीवा वि भोगा, अजीवा वि भोगा' हे गौतम ! भोगाः जीवशरीराणां गन्धादिअब गौतमस्वामी प्रभुसे पूछते हैं कि 'सचित्ता भंते ! भोगा, अचित्ता भोगा' हे भदन्त ! भोग सचित्त हैं या भोग अचित्त हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं कि 'गोयमा' हे गौतम ! सचित्ता वि भोगा, अचित्ता विभोगा' भोग सचित्त भी हैं और भोग अचित्त भी हैं। गन्ध
आदि हैं प्रधान जिनमें ऐसे कितनेक जीवशरीर संज्ञी होते हैं इसलिये भोग सचित्त भी होते हैं तथा कितने गंधादिप्रधान वाले जीव शरीर असंज्ञी होते हैं इसलिये भोग अचित्त भी होते हैं । अब गौतम पूछते हैं 'जीवाणं भंते भोगा पुच्छा' हे भदन्त ! भोग क्या जीवस्वरूप होते हैं या भोग अजीव स्वरूप होते हैं ? भगवान् इसके उत्तर में कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! 'जीवा वि भोगा, अजीवा वि भोगा' जीवोंके शरीर गंधादिसे युक्त होते हैं इसलिये
वे गौतम २वामी ला विषे भान प्रश्न पूछे छे 'सचित्ता भंते ! भोगा, अचित्ता भोगा ! महन्त ॥ सायत्त छ, मथित्त छ ?
उत्तर - ' गोयमा सचिता वि भोगा, अचित्ता वि भोगा? गौतम ભેગ સચિત્ત પણ છે. અને ભેગ અચિત્ત પણ છે. જેમનામાં ગંધ આદિ પ્રધાન હોય છે એવાં કેટલાંક જીવ-શરીર સંજ્ઞી હોય છે, તેથી ભેગ અચિત્ત પણ હોય છે તથા કેટલાંક ગંધાદિપ્રધાન અસંસી હોય છે, તેથી ભેગ સચિત્ત પણ હોય છે. દા. ત. ગંધયુક્ત ફૂલ સચિત્ત છે, અત્તર અચિત્ત છે.
नागने विष गौतम २वामी बीन्ने प्रश्न पूछे छ, ' जीवा णं भंते ! भोगा प्रच्छा मत ! शुं माय ७५ २१३५ सय छ मा म २१३५ हाय छ ? उत्तर - ' गोयमा जीवा वि भोगा, अजीवा वि भोगा । गौतम ! लोग જીવસ્વરૂપ પણ હોય છે, અજીવ સ્વરૂપ પણ હોય છે. જીવોનાં શરીરે ગંધાદિથી યુક્ત
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૫