Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 727
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ७ उ. ९ सू. ४ रथमुसलसंग्रामनिरूपणम् ७०९ ___ छाया-ज्ञातमेतत् अर्हता, विज्ञातमेतत् अर्हता-रथमुसलः संग्रामः । रथमुसले खल्लु भदन्त ! संग्रामे वर्तमाने केऽजयन् के पराजयन्तः ? गौतम ! वज्री, विदेहपुत्रः, चमरः असुरेन्द्रः •असुरकुमारराजश्च एते अजयन, नवमल्लकिनः, नवलेच्छकिनः पराजयन्तः ततः खलु स कूणिको राजा रथमुसलं संग्रामम् उपस्थितम्, शेषं यथा महाशिलाकण्टके संग्रामे, नवरं भूतानन्दो रथमुसलसंग्रामवक्तव्या'णायमेयं अरहया' इत्यादि । सूत्रार्थ--(णायमेयं अरहया, विनायमेयं अरहया, रहमुसले संगामे) हे भदन्त ! अरहन्त भगवान ने यह अच्छी तरहसे जाना है, यह अच्छी तरहसे माना है कि रथमुसल इस नामका संग्राम है । सो (रहमुसले णं भंते ! संगामे वट्टमाणे के जइत्था के पराजइत्था ?) हे भदन्त ! इस रथमुसल संग्राममें जब कि यह हो रहा था कौन२ जीते और कौनर हारे हैं ?(गोयमा) हे गौतम ! (वजी विदेहपुत्ते, चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया जइत्था, नवमल्लई, नवलेच्छई पराजइत्था) वजी-इन्द्र और विदेहपुत्र कूणिक तथा असुरकुमारेन्द्र असुरराज चमर ये सब इस रथमुसल संग्राममें जीते हैं, नौ मल्लकी और नौ लेच्छकी ये १८ गणराज हारे हैं (तए णं से कणिए राया रहमुसलं संगाम उवडियं-सेसं जहा રથમુસલ સંગ્રામની વકતવ્યતા'णायमेयं अरहया' त्याह सूत्रार्थ-(णायमेयं अरहया, विनायमेयं अरहया, रहमुसले संगामे) હે ભદન્ત! અહંત ભગવાને તે સમ્યફ રીતે જાણ્યું છે, તે સમ્યફ રીતે માન્યું છે કે २थभुसस नामनी संपाम पानी छे. त। (रहमुसले णं भंते ! संगामे वट्टमाणे के जइत्था, के पराजडत्था ?) मत! २थभुसत सयाम थयो, त्यारे ते सश्रममा ने। अनी विनय थयो भने सानो ५२०४५ था ? (गोयमा !) 3 गीतम! ( वज्जी विदेहपुत्ते, चमरे अमुरिंदे असुरकुमारराया जइस्था, नवमलई, नवलेच्छई पराजडत्था) १०ी (), विपुत्र (४) तथा मसु२. કુમારેન્દ્ર, અસુરરાય ચમરને તે સંગ્રામમાં વિજય થયું, નવ મહેલ ગણ રાજાઓ અને નવ લિચ્છવી ગણરાજાઓ, એમ કુલ ૧૮ ગણરાજાઓને તે યુદ્ધમાં પરાજય થયો હતે. वे सूत्रा२ मा सामर्नु पूर्व वृत्तांत मापे - 'तएणं से कणिए राया रहमुसलं संगामं उवट्ठियं-सेस जेहा महासिलाकंटए' 3.द्र द्वारा २५भुसस શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૫

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