Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 753
________________ ममेयचन्द्रिका टीका श.७ उ.९ सू.५ वरुणनागनप्तृकवर्णनम् ७३५ नागनप्तकस्य रथमुसल संग्रामं संग्रामयमाणस्य एकः पुरुषः सदृशः सदृशत्वक, सदृशचयाः, सदृशभाण्डमात्रोपकरणः, रथेन प्रतिरथं शीघ्रम् आगतः । ततः खलु स पुरुषः वरुणं नागनप्तृकम् एवम् अवादीत्-प्रजहि भो वरुण ? नागनतृक ? । ततः खलु स वरुणः नागनप्तृकः तं पुरुषम् एवम् अवादीतनो खलु मे कल्पते देवानुपिय ! पूर्वम् अन्नतः प्रहन्तुम्, त्वमेव खलु पूर्व प्रजहि । ततः खलु स पुरुषः वरुणेन नागनप्तकेण एवमुक्तः सन् बार नहीं करूंगा' इस प्रकार अभिग्रह उसने धारण किया (अभिगेण्हित्ता रहमुसल संगामं संगामेइ) इस नियमको धारण करके उस वरुण नागपौत्रने रथमुसल संग्राम करना प्रारंभकर दिया (तएणं तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स रहमुसलं संगामं संगामेमाणस्स एगे पुरिसे सरिसए, सरित्तए, सरिसव्वए, सरिसभंडमत्तोवगरणे रहेणं पडिरहं हव्वं आगए) इस प्रकारके नियमसे बद्ध होकर संग्राम करते हुए इस वरुण नागपौत्रके रथके सामने उसके जैसी उमरवाला, उसके जैसी चमडीवाला एक पुरुष एकसी अस्त्र शस्त्र आदि सामग्री से युक्त होकर रथमें बैठकर शीघ्र आया (तएणं से पुरिसे वरुणं णागनत्तुयं एवं वयासी पहण भो वरुणा ! णागणत्तुया ! ) आते ही उस पुरुषने नागके नाती वरुणसे ऐसा कहा कि हे नागके नाती वरुण ! तुम पहिले मेरे ऊपर अपना बार करो । (तएणं से वरुणे णागनत्तुए त पुरिसं एवं वयासी णो खलु मे कप्पा देवाणुप्पिया! पुवि अहयस्स पहणित्तए तुमंचेव गं पुचि पहणाहि) तब वरुण धारण ४शन तर २यभुशल सयाममा वडवान। प्रा श सीधी. (तएणं तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स रहमुसलं संगाम संगामेमाणस्स एगे पुरिसे सरिसत्तए, सरिसए, सरिसबए, सरिसभंडमत्तोवगरणे रहेणं पडिरहं हव्य आगए) આ પ્રકારને અભિગ્રહ ધારણ કરીને સંગ્રામ ખેલતા તે નાગપૌત્ર વરુણના રથની સામે તેના જેટલી જ ઉમરવાળે, તેના જેવા જ વર્ણવાળે, એક પુરુષ તેના જેવાં જ અસ્ત્રશસ્ત્રોને ધારણ કરીને, રથમાં બેસીને તેની સામે અતિવેગ પૂર્વક આવી પહોંચ્યો. (तएणं से पुरिसे वरुणं णागनत्तुयं एवं वयासी-पहण भो वरुणा! णागणतुया) આવતાં જ તેણે નાગપૌત્ર વરુણને આ પ્રમાણે પડકાર ફેંક- “હે નાગપૌત્ર વરુણ! तु पडदा भा॥ ५२ ॥२॥ शस्खथी वा२ (घ२) ४२' (तएणं से वरुणे णागणतुए तं पुरिस एवं वयासी-णो खलु मे कप्पइ देवाणुप्पिया ! पुचि अहयस्स पहमित्तए-तुमचेव पहणाहि) त्यारे नागपुत्र वरुणे ते मागुत: पुरुषने भा प्रमाणे શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૫

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