Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला प्रधान संपादक - पुरातत्त्वाचार्य जिनविजय मुनि [समान्य सचालक, राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जयपुर] ग्रन्थाङ्क २१ [ राजस्थानी-हिन्दी साहित्य-श्रेणी ] बाँकीदासरी ख्यात प्रकाशक राजस्थान राज्य सस्थापित राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर RAJASTHAN ORIENTAL RESEARCH INSTITUTE, JAIPUR जयपुर ( राजस्थान ) Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला [ राजस्थानी हिन्दी साहित्य-श्र ेणी ] - प्रकाशित ग्रन्थ ( १ ) कान्हड़दे प्रबन्ध - महाकवि पद्मनाम । ( २ ) क्यामखां रासा - नवाव अलफखां (कविवर जान) । (३) लावा रासा - चारण कविया गोपालदान । ( ४ ) राजस्थानी साहित्य-संग्रह, भाग १ | (५) बांकीदासरी ख्यात - महाकवि वांकीदास | प्रेस में ( १ ) उक्तिरत्नाकर - पं० साधुसुन्दर गणि । (२) बसन्त विलास - अज्ञात कर्तृक । (३) गोरा बादल पदमिणी चऊपई - कवि हेमरतन । (४) मुहता नेणसीरी ख्यात - मुंहता नैणसी । ( ५ ) राजस्थान में संस्कृत साहित्य की खोज - एस आर भंडारकर | ( ६ ) सुजान सवत् - कवि उदयराम | (७) चन्द्रवंशावली - मोतीराम । (८) जुगल विलास - कवि पीथल । (६) वीरवांग - ढाढी चादर | (१०) राजस्थानी दूहा - संग्रह | (११) कविन्द्र कल्पलतिका - कवीन्द्राचार्य । Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बाँकीदासरी ख्यात संपादन-कर्ता प० नरोत्तमदासजी स्वामी एम् ए. अध्यक्ष हिन्दी-विभाग, महाराणा भूपाल कॉलेज, उदयपुर प्रकाशन - कर्ता संचालक, राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर जयपुर (राजस्थान) [प्रथमावृत्ति, प्रति स० ७५० ] विक्रमाब्द २०१३} मूल्य ४) 60 * { विस्ताब्द १८५६ ६) २०५० मुद्रक-राजस्थान टाइम्स प्रेस लि. अजमेर और जयपुर प्रिंटर्स, जयपुर । Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय-सूचि विषय प्रधान सम्पादकीय वक्तव्य प्रस्तावना १-८६ ८७-१०८ १०६-१२३ १२३-१३० १. राजपूतांरी वातां २. राठौड़ारी वातां ३. गहलोतांरी वाता ४. यादवांरीवातां ५. कछवाहारी वानां ६ पड़िहारां आदिरी वाता ७. चौहाणारी वातां ८. प्रकीर्णक राजपूत वश, मराठां, सिख, जोगी, ओसवाळ, चारण, मुसळमान, फिरंगी आदिरी वातां ." ६. धार्मिक, भौगोलिक नै फुटकर वातां १३०-१४१ १४१-१६६ १६७-१६८ १६४-२१८ Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रधान सम्पादकीय वक्तव्य चारण-कवियो का हमारे इतिहास में विशेष महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन कवियो ने अपनी प्रोजमई वाणी से सदा ही हमारा मार्ग-प्रदर्शन किया है। चारणो में हजारो कुशल साहित्यकार हो गये है. जिन्होने भिन्न-भिन्न विषयो पर रचना की है। चारणो का प्रसार मुख्यत राजस्थान, मध्यभारत और गुजरात में हुआ है और इन्ही देशो में चारण-साहित्य भी विशेष उपलब्ध होता है। अपनी काव्य-प्रतिभा और उज्ज्वल चरित्र से चारण हमारी जनता में आदरणीय रहे हैं और समय-समय पर देश-सेवा में भी अद्भुत् उदाहरण प्रस्तुत करते रहे है । महाकवि दुरसा आढा, ईसरदास बारहठ, वाकीदास, मुरारीदान, महाकवि सूर्यमल, कविराजा श्यामलदास और केसरीसिंह बारहठ आदि हमारे देश के प्रमुख चारण साहित्यकार माने जाते है। बाकीदास हमारे देश के एक महान कवि और इतिहासकार हो गये है। अपनी काव्य-प्रतिभा से ही उन्होने एक निर्धन चारण-कुल में जन्म लेकर जोधपुर के राज्य-दरबार में सर्वोच्च सम्माननीय आसन प्राप्त किया था। महाकवि बाकीदास की काव्यात्मक रचनाएँ बाकीदास-प्रन्थावली के नाम से तीन भागो में काशी नागरी प्रचारिणी सभा से प्रकाशित हो चुकी हैं और इनके देखने पर कवि के काव्य-कौशल की सराहना करनी पडती है । राजस्थान के निष्प्राण नरेशो ने ईस्ट इन्डिया कम्पनी की अधीनता बिना ही युद्ध के स्वीकार कर ली थी। बाकीदास एक राष्ट्रीय विचारो के कवि थे और इसलिये उन्होने अपनी रचनाओ में राजस्थानी नरेशो को अग्रेजी शासन स्वीकार करने के कारण प्रताडित किया था। "आयो अगरेज मुलकरे ऊपर" शीर्पक महाकवि का गीत राजस्थान में बहुत प्रसिद्ध हो गया है और हाल ही में हुई खोज द्वारा महाकवि वाकीदास की अन्य राष्ट्रीय रचनाओ की जानकारी भी मिली है। कवि होने के साथ ही बाकीदास एक इतिहासकार भी थे। प्राचीन काल में काव्यलेखन इतिहास-लेखन से भिन्न नही समझा जाता था। यही कारण है कि प्राचीन काल के कई कवि इतिहासकार भी माने जाते है और कई इतिहास-ग्रन्थ पद्य में ही मिलते है। महाकवि सूर्यमल रचित "वशभास्कर" नामक ऐतिहासिक काव्य-ग्रन्थ इस कथन का एक अच्छा उदाहरण है। ___महाकवि बाकीदास की इतिहास-विषयक कृति "वाकीदासरी ख्यात" राजस्थानी गद्य में लिखी गई है । राजस्थान का पूर्ण क्रमिक इतिहास तैयार करने में यह रचना एक आधार-ग्रन्थ के रूप में महायक हो सकती है । महाकवि बाकीदास को इतिहास का अच्छा ज्ञान था और समय-समय पर वे अपनी जानकारी को सक्षिप्त विवरण के रूप में लिपिवद्ध करते रहे थे। राजस्थान के सुप्रसिद्ध विद्वान श्रीयुत् प० नरोत्तमदासजी स्वामी ने "वाकीदासरी Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त्यात" के विवरणो को क्रमबद्ध किया है । राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर (Rajasthan Oriental Research Institute) के उद्देश्यो में एक प्रधान उद्देश्य राजस्थान के प्राचीन साहित्य को प्रकाश में लाने का है। तदनुसार “राजस्थान पुरातन अन्यमाला" के अन्तर्गत इस ग्रन्य को प्रकाशित किया जा रहा है। विद्वज्जनो के सम्मुख इस ग्रन्थरत्न को प्रस्तुत करते हुए हमें विशेप प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर, जयपुर, । दीपावली पर्व, २०१३ वि० প্রাণ পিপাসু समान्य सचालक Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्तावना राजस्थानी भाषा का ऐतिहासिक गद्य-साहित्य और ख्यात राजस्थानी में प्राचीन गद्य प्रभूत मात्रा में पाया जाता है। ऐतिहासिक गद्य उसका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अंग है। प्राचीन ऐतिहासिक गद्य की ऐसी प्रचुरता असमिया को छोड कर भारतवर्ष की किसी आर्य-भापा में नहीं मिलती। असमिया भारत की प्राच्यतम भापा है तो राजस्थानी पाश्चात्य-तम । राजस्थानी के ऐतिहासिक गद्य के अनेक रूप है, जैसे ख्यात, वात, वसावळी, पीढियावळी, पट्टावळी, विगत, हकीगत, हाल, याद, वचनिका, दवावैत आदि । ख्यात इतिहास को कहते है। वात में किसी व्यक्ति या जाति या घटना या प्रसग का सक्षिप्त इतिहास होता है। ख्यात बडी होती है और वात छोटी। वसावळी और पीढियावळी में पीढिया दी जाती है, जिनके साथ में व्यक्तियो का सक्षिप्त या विस्तृत परिचय भी प्राय रहता है। पट्टावळी में जागीरदारो के पट्टे अर्थात् जागीरो का विवरण रहता है। जैनो की पट्टावलियो में विविध गच्छो के पट्टधर आचार्यों की पीढिया और उनका सक्षिप्त परिचय होता है। विगत का अर्थ विवरण है। हकीगत और हाल में किसी घटना या प्रसग का विस्तृत वर्णन होता है। याद याददाश्त को कहते है। वचनिका और दवावत ऐतिहासिक काव्य होते है। इनमें गद्य-वाक्यो के युग्म होते है जिनकी तुर्के मिलती जाती है। वचनिका में साथ में पद्य भी मिश्रित होता है । सबसे प्राचीन वचनिका चारण शिवदास की बनाई हुई 'अचळदास खीचीरी वचनिका' है, जिसकी रचना स० १४६० के लगभग हुई थी। दूसरी महत्त्वपूर्ण वचनिका खिडिया शाखा के चारण जग्गा की बनाई हुई 'राव रतन महेसदासौतरी वचनिका' है, जिसका रचनाकाल स० १७१५ के लगभग है। विविध जातियो की वशावळिया भाट, मथेरण आदि लिखते रहे है। जैन वशावळियो के १०-१५ बडे-बडे पोथे श्री अगरचन्द नाहटा के सग्रह में है। वच्छावत वशावळी आदि कई वशावळिया तो इतिहास के लिये बड़ी महत्त्वपूर्ण है । जैन श्रीपूज्य लोगो के 'दफ्तर' अर्थात् पत्र-सग्रह ( Records) भी महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक गद्य की कृतिया है। विविध राज्यो की पीढियावळिया प्राचीनकाल से लिखी जाती रही है, पर उनमें से अधिकांश अब उपलब्ध नही। ऐसी कुछ कृतिया बीकानेर के अनूप सस्कृत पुस्तकालय जैसे कईएक सग्रहो में विद्यमान है। ___ सत्रहवी शताब्दी में सम्राट् अकवर हुआ। उसे इतिहास से बहा प्रेम था। उसके शासन में इतिहास-लेखन को बहुत प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। राजपूत राजाओ को भी उसने प्रेरित . किया और तब से राज्यो की ओर से नियमित ख्यातें लिखी जाने लगी। इस समय उपलब्ध ख्यातें सत्रहवी शताब्दी से ही प्रारम्भ होती है । राजकीय ख्यातो के लेखक राजकीय कर्मचारी, पचोळी आदि लोग थे। पर कई व्यक्तियो ने स्वतन्त्र रूप से भी ख्यातें लिखी। इनमें नैणसी, दयालदास और वाकीदास के नाम Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विशेष महत्त्वपूर्ण है। इनकी त्यातो का महत्त्व ऐतिहासिक ही नही, किन्तु साहित्यिक भी है। तीनो ही कृतिया प्राचीन राजस्थानी गद्य की अत्यन्त प्रौढ और उत्कृष्ट रचनाएँ कही जा सकती है। 'ख्यात' के दो प्रकार किये जा सकते है(१) जिसमे सळग या लगातार इतिहास हो, जैसे दयालदाम की ख्यात । (१) जिसमें अलग-अलग 'वातो' का संग्रह हो, जैसे नएसी की ख्यात । वाकीदास की स्यात दूसरे प्रकार में अन्तर्भूत होती है, पर नैणसी की त्यात से वह भिन्न प्रकार की है। नरसी की त्यात की 'वातें' बडी-बडी है जो कई पृष्ठो तक चलती है। उनको क्रम से लगा देने से सळग इतिहास बन जाता है। पर वाकीदास की 'दातें'- छोटे-छोटे फुटकर नोटो के रूप में है। लेखक को जब जो वात नोट करने योग्य मिली, उसने तभी उसे नोट कर लिया। उनमें कोई क्रम नही है। क्रम से लगाने पर भी उससे शृङ्खलावद्ध और सळग इतिहास नहीं बनता। अधिकाश बातें दो-दो अथवा तीन-तीन पक्तियो की ही है। पूरे पृष्ठ तक चलने वाली वातें कोई विरली ही है । बांकीदास बाकीदास आसिया शाखा के चारण थे । चारणो के दो भेद काछेला (कच्छ के) और मारू (मारवाड के) है। आसिया मारू चारणो की एक शाखा है, जिसका प्रारम्भ आसा नामक व्यक्ति से हुआ। राजस्थान में बहुत पहले नाग जाति का राज्य था, जिसके स्मारक के रूप में नागौर, नागदा, नागादरी, नाग तालाव आदि नाम अभी तक चले आये है। आसिया चारए नागो के पोळ-पात (याचक) थे। नागो के बाद मारवाड में प्रतिहारो (पड़िहारो) का राज्य हुआ। आसिया पडिहारो के पोळपात भी रहे। पडिहारो के बाद राठोड मारवाड के स्वामी हुये। मारवाड के राव जोवा ने आसिया पूजा को खाटावास गाव सासरण मे दिया। उसके कनिष्ठ पुत्र माला को सिवाणा के स्वामी राठोड देवीदास ने भाडियावास गाव दिया। माला की नवी पीढी में बाकीदास हये। १ पूजो, २. मालो, ३. वैरसल, ४. भीमो, ५. खेतमी, ६ नाथो, ७ सूजो, ८ सगतीदान, ६ फतसिंघ, १० वांकीदास, ११ भारतदान, १२ मुरारिदान (जसवन्त जसोभूषण के कर्ता)। . कविराजा बाकीदास का जन्म भाडियावास गाव में स० १८३८ में हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा पिता की देखरेख में हुई। सोलह वर्ष की अवस्था होने पर आगे शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से वे रामपुर के ठाकुर ऊदावत अर्जुनसिंह के पास गये। अर्जुनसिंह ने जोधपुर में उनकी गिक्षा का प्रवन्च कर दिया । वचपन में किये हुये अर्जुनसिंह के इस उपकार को वे कभी नहीं भूले !* * एक दिन कविराजाजी महाराज मानसिंह के साथ हाथी पर चढे हुए जा रहे थे। मार्ग में अर्जुनसिंहजी मिले और उन्होने पुरानी वातो की याद दिलाई। उस समय वांकीदास ने यह दोहा कहा - माळी ग्रीवम माय, पोख मुजळ द्रुम पाळियो । जिण-रो जस किम जाय, अत घण वठा ही. अजा ॥ Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३) संवत् १८६० में वाकीदास जोधपुर-नरेश महाराजा मानसिंह के गुरू नाथपथी आयस देवनाथ के सपर्क में आये। उन्होने बाकीदास को महाराजा के सामने उपस्थित किया। महाराजा उनकी विद्या और कवित्व-शक्ति को देखकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्हे लाखपसाव पुरुस्कार दिया, जिसमें उन्हे दो गाव भी मिले। आगे चलकर महाराज ने उन्हे अपना 'भाषा-गुरु' बनाया। महाराज उनका बडा आदर करते थे। राजस्थान के अन्यान्य दरवारो में भी उनका अच्छा सम्मान था। महाराजा के व्यवहार से प्रसन्न होकर वाकीदास ने 'अ-जाची' व्रत, अर्थात् महाराजा को छोडकर और किसी से न मागने का व्रत, ग्रहण कर लिया। एक बार उदयपुर के गुणग्राही महाराणा भीमसिंह ने उनको पुरुस्कृत करने के लिये अपने सरदारो को भेज कर बुलवाया पर उन्होने क्षमा-प्रार्थना करली। सवत् १८७० में जयपुर नरेश जगतसिंह के साथ आये हुए कविवर पद्माकर का वाकीदास के साथ शास्त्रार्थ हुआ, जिसमे बाकीदास जयी हुए। वाकीदास का देहान्त स० १८६० में सावण सुदी ३ को जोधपुर में हुआ। मातमपुर्सी के लिए महाराजा मानसिंह कविराजा के स्थान पर पधारे और उनके विषय मे ये मरसिये कहे मद्-विद्या बहु साज, वाकी थी वाका वसू । कर सूची कवराज, प्राज कठी गो, आसिया। विद्या कुळ विख्यात, राज-काज हर रहस-री । वाका | तो विरण वात, किण आगळ मन-री कहा ? ( अनेक साजो वाली सुन्दर विद्या वाकीदास के कारण 'वाकी' थी। हे आसिया । हे कविराज । उसे 'सीधी (अपनी बकिमा से हीन) करके तू कहा चला गया ? कुल-विस्यात विद्या की, राजकार्य की, लालसा की और आनद की मन की बातें, हे वाकीदास | आज तेरे बिना किसके आगे कहे ? ) वाकीदास बडी स्वतन्त्र प्रकृति के और स्पष्ट वक्ता पुरुप थे। राजपूताने के राजाओ का विना युद्ध के अग्रेजो की अधीनता स्वीकार कर लेना उनको बहुत प्रखरा और इसके लिये उनको उन्होने बुरी तरह फटकारा । इस सवध में उनका यह गीत बहुत प्रसिद्ध है - आयो अगरेज मुलक रै ऊपर, प्राहम लीचा खैच उरा। धणिया मरे न दीधी धरती, धणिया ऊभा गई धरा ।। फौजा देख न कीधी फौजा, दोयण किया न खळा-डळा। खवा खाच चूड खावद-रै उणहि-ज चूडै गयी यळा ॥ छत्रपतिया लागी नहँ छारणत, गढपतिया घर परी गुमी। वळ नहँ कियो बापडा बोता, जोता-जोता गई जमी ॥ दुय चत्र मास वादियो दिखणी, भोम गई सो लिखत भवेस । पूगो नही चाकरी पकडी, दीधो नही मडैठो देस । वजियो भलो भरतपुर-वाळो, गाजै गजर घजर नभ-गोम । पैला सिर साहब-रो पडियो, भड ऊभ नह दीधी भोम ।। Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महि जाता, चीचाता महळां, श्रे दुय मरण-तणा अवसाण । राखो रे कीहिक रजपूती, मरद हिंदू की मस्सळमान ।। पुर जोधाण, उदैपुर, जैपुर, पहु थारा खूटा परियारण । आर्क गयी आवसी प्रांक, वाकै प्रासल किया वखाण ॥ [अग्रेज देश पर चढकर आया । उसने (सवके) पराक्रमो को खीच लिया 1 पृथ्वी के स्वामियो ने मरकर पृथ्वी को नही दिया । पृथ्वी तो उनके खडे-खडे ही, उनके जीते-जी ही (अग्रेज के अधिकार में) चली गई । अग्रेज की फौजो को देखकर किसी ने फौजें नहीं सजायी। शत्रुओ को टूक-टूक नही किया। विधवा स्त्री पूर्वपति के चुडे को फोडकर दूसरे के घर जाती है, पर यह पृथ्वी, पूर्व-पतियो के जो पूरे चूडे पहने हुए थी, उन्ही चूडो के साथ अग्रेज के घर गई। राजानो को इसका दुख नही लगा। गढपतियो की पृथ्वी गुम हो गई। सस्या में वहुत होते हुए भी ये वेचारे बने रहे, जरा भी वल नही दिखाया। उनके देखते-देखते पृथ्वी चली गई। मराठा दो-चार मास लडा तो सही। उसकी ममि भी चली गई। पर यह तो भावी का लेख था । पर उसने दासता तो नही स्वीकार की और न अपने हाथो अपना मराठा देश अग्रेजो को सौंपा। भरतपुर का राजा भी अच्छा लडा। तोपो की गर्जना हुई जिसकी धूम आकाश और पृथ्वी में छा गई। पहले अग्रेज का सिर कटकर गिरा फिर उसका कटा। वीर ने खडे-खडे, जीते-जी, अपनी भूमि नही दी। भूमि जा रही हो या कोई स्त्री सकट में चिल्ला रही हो- मरने के लिये ये दो अवसर है । अरे हिन्दू अथवा मुसलमान कोई तो मर्द बनो और राजपूती की रक्षा करो। हे जोवपुर, उदयपुर और जयपुर के स्वामियो । तुम्हारा वश समाप्त हुआ । भाग्य के अंको (लेख) से गई हुई यह भूमि अब भाग्य के अको से ही वापिस आवेगी (तुम्हारे बल पर नही) । आसिया वाकीदास ने यह ठीक बात कही है । ] वाकीदास आशुकवि होने के साथ साथ अनेक भापायो के ज्ञाता भी थे। राजस्थानी, ब्रजभाषा, संस्कृत और फारसी के वे अच्छे विद्वान थे । इतिहास में उनको बडी रुचि थी । वे इतिहास-सम्बन्धी विपयो का निरन्तर सग्रह करते रहते थे। 'वाकीदास-री ख्यात' उनके इसी इतिहास-प्रेम का फल है। ___ एक वार ईरान का एक शाही सरदार भारतवर्ष की सैर करता हुआ जोधपुर पहुंचा। उसके साय भारत सरकार का एक मुशी भी था। उस सरदार ने जोधपुर नरेश से अर्ज परवाई कि आपके यहा इतिहास का अच्छा विद्वान हो तो मैं उससे मिलना चाहता हूँ। महाराजा ने वाकीदान को उनके पास भेजा। सरदार उनमे बातचीत करके वडा प्रसन्न हुआ। उसने महाराजा को कहलवाया कि इतिहास का ऐसा विद्वान मेरी दृष्टि में दूसरा नही पाया; ईरान मेरो जन्मभूमि है, परन्तु ईरान के इतिहास का ज्ञान इनको मुझसे भी अधिक है। Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाकीदास की जीवनी से सम्बन्ध रखनेवाली अनेक कहानिया है, जिनमें से कई-एक का 'संग्रह नागरी-प्रचारिणी सभा, काशी, द्वारा प्रकाशित बाकीदास ग्रथावली, भाग १-३, की प्रस्तावनामों में किया गया है। . वाकीदास की कृतियो के नाम इस प्रकार है १ सूर-छतीसी, २ सीह-छतीसी, ३ सुपह-छतीसी, ४ सुजस-छतीसी, ५ सिधराव-छतीसी, ६ हमरीट छतीसी, ७ कुकवि-बतीसी, ८ विदुर-बतीसी, ६ धवलपचीसी, १० वचन-विवेक-पचीसी, ११ कृपण-पचीसी, १२ दातार-बावनी, १३ सतोप-वावनी, १४ कायर-बावनी, १५ वीर-विनोद, १६ भुरजाळ-भूपण, १७ जेहळ-जस-जडाव, १८ मोह-मर्दन, १६ नीतिमजरी, २० चुगल-मुखचपेटिका, २१ कृपए दर्पण, २२ बैसक-वार्ता, २३ वैस वार्ता २४ मावडिया-मिजाज, २५ झमाल-नखसिख और २६ नंगालहरी । ये २६ कृतिया वाकीदास प्रथावली के तीन भागो में प्रका शित हो चुकी है । इनके अतिरिक्त इनकी निम्नलिखित अप्रकाशित रचनाये बताई जाती है- १ कृष्णचद्रिका, २ विरहचद्रिका, ३ चमत्कारचद्रिका, ४ चद्र-दूषण-दर्पण, ५ मानयशो-मडन, ६ वैशाख-वार्ता-सग्रह, (ऋतु वर्णन), ७ महाभारत का अनुवाद, ८ प्रकीर्णक गीत, ६ रस और अलकार का एक नथ, १० वृत्तरत्नाकर भाषा (छदग्रय) । पर इनका सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रथ ख्यात है, जो अब प्रकाशित हो रहा है । बांकीदास-री ख्यात ख्यात में लगभग २००० वातो का सग्रह है। ये बातें छोटे-छोटे फुटकर नोटो के रूप में है। लेखक को जो कोई बात महत्त्वपूर्ण लगी, उसे उसने नोट कर लिया। अधिकाश बातें 'दो तीन अथवा चार पक्तियो की है । दो-तीन पृष्ठो तक जाने वाली बातें कोई बिरली ही है। ख्यात के सम्बन्ध में स्वर्गीय श्री ओझाजी लिखते है "पुस्तक बडे महत्व की है । "ग्रथ क्या है इतिहास का खजाना है। राजपूताना के तमाम राज्यो के इतिहास-सम्बन्धी अनेक रत्न उसमें भरे पडे है ।""उसमें राजपूताना के बहुधा प्रत्येक राज्य के राजानो, सरदारो, मुत्सद्दियो आदि के सम्बन्ध की अनेक ऐसी बातें लिखी है जिनका अन्यत्र मिलना कठिन है । उसमें मुसलमानो, जैनो आदि के सम्बन्ध की भी बहुत सी बातें है। अनेक राज्यो और सरदारो के ठिकानो की वशावलिया, सरदारो के वीरता के काम, राजाओ के ननिहाल, कु वरो के ननिहाल आदि का बहुत कुछ परिचय है । कौन-कौन से राजा कहा-कहा काम आये, यह भी विस्तार से लिखा है । अनेक राजापो के जन्म और मृत्यु के सवत, मास, पक्ष, तिथि आदि दिये है।" [ पुरोहित हरिनारायणजी के नाम प्रोमाजी का पत्र, बाकीदासग्रथावली, भाग ३, की प्रस्तावना में प्रकाशित, पृष्ठ, ६-७ ] इस प्रकार ख्यात-साहित्य में बाकीदास की ख्यात का स्थान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। प्रामाणिकता की दष्टि से वह राजस्थान की अन्यान्य सभी ख्यातो की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय है। Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्तुत संस्करण नणसी, दयालदास और वाकीदास की ख्याते राजस्थानी भाषा की प्रथम कोटि की गद्य-रचनायें है। इतिहास की दृष्टि से भी वे अन्यान्य ख्यातो की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण है। मेरी बहुत दिनो मे इच्छा थी कि इन तीनो के सुसपादित सस्करण प्रकाशित किये जाय । इस सम्बन्ध में कार्य का प्रारम्भ भी मैने कर दिया था, पर वह पूरा नही हो सका। अव वांकीदास की त्यात का यह सस्करण मुनि श्री जिनविजयजी की कृपा से पाठको के सामने आ रहा है। ___ हर्ष की बात है कि बाकी दोनो ख्यातो का भी प्रकाशन-कार्य आरम्भ हो चुका है । नेगासी री स्यात श्री बदरीप्रसाद साकरिया द्वारा सपादित होकर राजस्थान पुरातत्त्व मन्दिर के ही तत्त्वावधान में मद्रित हो रही है। दयालदास की ख्यात का एक अश मेरे माननीय मित्र डा० दशरथ शर्मा तथा मेरे भूतपूर्व शिष्य श्री दीनानाथ खत्री द्वारा सपादित होकर प्रकाशित हो चुका है। श्री खत्री ने वाकी अश के बहुत बडे भाग को भी सपादित कर डाला है और आशा है कि सपूर्ण ग्रथ निकट भविप्य मे ही प्रकाश में आ जायगा । बाकीदास की ख्यात से मेरा परिचय डाक्टर तासीतोरी के सूचीपत्र से तथा श्री प्रोझाजी के उल्लेखो मे हुआ । जव मैने स्यात के सपादन का विचार प्रोमाजी पर प्रकट किया तो उन्होने तुरन्त उसकी एक हस्तप्रति, और उसकी अपनी प्रतिलिपि, दोनो मेरे हवाले कर दी। अोझाजी की यह हस्तप्रति मारवाडी लिपि में पतले पीले कागज पर लिखी हुई है। उसे जोधपुर के सुप्रसिद्ध विद्वान स्वर्गीय मुशी देवीप्रसादजी ने उनको तय्यार करवाकर दी थी। उसी की प्रतिलिपि उन्होने अपने उपयोग के लिए देवनागरी लिपि मे करवाई थी। इस सस्करण का सपादन इसी प्रतिलिपि के आधार पर किया गया है। मूल हस्तप्रति से भी आवश्यकतानुसार सहायता ली गई है। वाकीदास ने ख्यात की इन बातो का सग्रह बिना किसी क्रम के किया है । उनसे कोई शृखलाबद्ध वृतान्त नहीं बनता। एक ही व्यक्ति के सम्बन्ध की बातें अनेक भिन्न-भिन्न स्थानो पर आई है। कई-एक बातें पुनरावृत्त भी हुई है, अर्थात् दुवारा-तिवारा भी आ गई है। श्री प्रोभाजी के शब्दो में "परन्तु उसमें कोई क्रम नही है। एक बात मालवे की है तो दूसरी गुजरात की और तीसरी कच्छ की। इस प्रकार एक महासागर सा ग्रथ है । एक राज के ताल्लुक की वाते सौ पचास जगह आ जाती है। पुरोहित हरिनारायएजी के नाम ओझाजी का पत्र।] क्रम के इस अभाव के कारण ग्रथ की उपयोगिता बहुत कुछ नष्ट हो जाती है। किसी व्यक्ति के विषय में जानकारी प्राप्त करनी हो, उसे खोज निकालना सहज नही होता, इसके लिये नारा प्रथ टटोलना पडता है । श्रोझाजी ने वातो को क्रमवद्ध करना चाहा पर यह कार्य हो नहीं पाया। वे लिखते है "उमको क्रमबद्ध करना बटे परिश्रम का काम है और अनेक पुस्तकें पास रखने से क्रमबद्ध हो सकता है। [उक्त पत्र ]" वातो को क्रमवद्ध करने के लिए वस्तुत राजपूताने के समस्त राज्यो और ठिकानो के इनिहाग की जानकारी अनिवार्य है । राजपूताना ही नही, मराठा, सिख, मुसलमान, जैन प्राचार्य, जैन प्रापक यादि के इतिहान का ज्ञान भी वैमा ही आवश्यक है। Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७) ग्रथ वास्तव में उपयोगी हो सके इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर सपादक ने ख्यात का संपादन करने के पूर्व वातो को क्रम से लगा देना अत्यन्त आवश्यक समझा। इतिहास का विद्वान न होने के कारण उसे पग-पग पर कठिनाइयो का सामना करना पड़ा, पर उन पर विजय पाने का भरसक प्रयत्न किया गया । फिर भी कई स्थानो में गलतिया हुई हो, यह सम्भव है। अन्त में कुछ बातें ऐसी भी रह गई जिनके ठीक स्थान का निर्णय नहीं हो पाया। उनको अन्त में फुटकर वातो में अस्पष्ट वातो का शीर्षक देकर रख दिया गया है । ___ ख्यात में अधिकाश बाते राजपूतो के इतिहास से सम्बन्ध रखती है। उनमें भी राठोड़ो से सवद्ध बातों की संख्या बहुत बडी है । क्रम लगाते समय सबसे पहले राजपूतो से सबद्ध सामान्य बातो को देकर फिर उनकी विविध शाखाप्रो के राज्यो को एक-एक करके लिया गया है । सबसे पहले राठोडो के जोधपुर राज्य को लिया गया है, फिर जोधपुर के ठिकानो को और फिर राठोडो के अन्यान्य राज्यो तथा ठिकानो को। राठोडो के पश्चात् गहलोतो, यादवो, कछवाहो, चौहाणो आदि राजपूतो की अन्यान्य शाखाओ को लिया गया है। राजपूतो के पश्चात् मराठो, सिखो, मुसलमानो और अग्रेजो की बातो को स्थान दिया गया है। इसके पश्चात् ब्राह्मण तथा प्रोसवाळ आदि जातियो और जैनो के गच्छो की वातें दी गई है । आगे धार्मिक, भौगोलिक, तथा प्रसिद्ध व्यक्ति और वस्तुओ की बातें देकर अन्त में फुटकर वातें-इस शीर्षक के नीचे नीति सम्बन्धी वातें, दूहा-गीत आदि कवितायें तथा अस्पष्ट और अधूरी बातो को रखा गया है। ख्यात के साथ हिन्दी अनुवाद और अनुक्रमणिका Index देने का भी विचार था। अनुक्रमणिका वास्तव में बहुत आवश्यक थी। पर यह अनुक्रमणिका बहुत बडी होती, स्वय अथ से भी वही क्योकि ग्रथ में आदि से अन्त तक व्यक्तियो और स्थानो की भरमार है। यह काम समय-सापेक्ष था। पुस्तक बहुत दिनो से प्रेस में थी। ग्रथावली के सचालक मुनिजी महाराज ग्रथ को शीघ्र ही प्रकाशित कर देना चाहते थे अत वे अनुक्रमणिका के तय्यार होने तक ठहरने को राजी नही हुए। इस सस्करण को तय्यार करने में मुझे अनेक दिशामो से सहायता मिली। मेरे भूतपूर्व शिष्य, और अब डूगर कालेज (बीकानेर) के इतिहास-विभाग के अध्यक्ष, श्री नाथूराम खडगावत तथा मेरे दूसरे भूतपूर्व शिष्य, और अव फोर्ट हाईस्कूल (बीकानेर ) के हिंदी और इतिहास के शिक्षक, थी दीनानाथ खत्री ने ख्यात की सब बातो को अलग-अलग चिटो पर लिखा जिससे क्रम लगाने में सुविधा हुई। श्री अगरचद नाहटा ने प्रारम्भ से ही इस सस्करण की -तय्यारी में अभिरुचि ली। पुरातत्त्व मन्दिर के उत्साही सहायक श्री पुरुषोत्तम मेनारिया ने इसके प्रूफो को देखा है । सभी वन्वुपो का हृदय से आभार मानता हूँ। यहा पर गुरुवर स्वर्गीय श्री प्रोझाजी तथा मुनि श्री जिनविजयजी के पुण्य नामो का स्मरण भी मै आवश्यक समझता हूँ, जिनसे अपने साहित्यक कार्य में, मै निरन्तर प्रेरणा प्राप्त करता रहा हूँ, और जिनकी कृपा के फलस्वरूप ही यह सस्करण प्रस्तुत और प्रकाशित हो सका है। राजस्थान भारती पीठ, बीकानेर, नरोत्तमदास स्वामी बसन्तपचमी, स० २००६ ) Page #14 --------------------------------------------------------------------------  Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात [१] राजपूतांरी वातां १. धारा,उजीण, आबू परमारारा उतन । भटनेर - तणोट वीजणोट, लोद्रवो, भाटियारो उतन। जायल खीचियारो उतन । नाडूल, सांभर चहुवाणारा उतन । वासगढ खखारो उतन। परवतसर दहियारो उतन। वाभणवाहो वारडारो उतन। टूक-टोडो सोळखियारो उतन। दुरमाझ बूदी हाडारो उतन । मडोवर पडिहारारो उतन। जाळोर सोनिगरारो उतन । पाटण चावडारो उतन। चित्तौड मोरियारो उतन। ढाको गौडारो उतन। थोहरगढ नै खागीर काबारो उतन। करणाटक, कुकण, वगलाणो, कल्याणी मडाहड वेरांरो उतन। ___ अणकी - टणकी राठोडारा उतन। हळवद - पाटडी झालारा उतन । आसेरगढ टाकारो उतन। साझत पाटवो हुलारो उतन । खेड गोयलारो उतन। करणेचो गढ कालमारो उतन । नरवर कछवाहारो उतन। तारागढ गुडारो उतन। जागळ-रूण साखलारो उतन। दिल्ली तुवरारो उतन। बाधूगढ वाघेलारो उतन। २. मागळिया मेहाजीनू पूज। ई दा चामुडनू पूज। देवरा नागणेचिया पूजे । गोगादे गुसाईजीनू पूजे । ३ 'मलीनाथजीरा तेज-प्रतापसू' महेचा लिखै । 'महादेवजीरा प्रतापसू' सोढा लिखै ' लिखमीनाथजीरा प्रतापसू' भाटी लिखै । [२] राठौड़ारी वातां राठौड़ारी खांपां ४ राठौडारी खापा लिख्यते अयलाण १ अहण २ करनोत ३ करमसोत ४ कलावत ५ कूपावत कोटेचा काधल खापसा खोखर १० Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चैडी घूहड़ ४५ ५० लोला वांकीदासरी ख्यात [५-१० गूजड़ गूगक गुडियाणा गोगादे चाचगदे १५ चाहडदे चांपावत चालू छपनिया २० जांगी जैतारणिया जैतावत डागी डगी २५ ढोसीग दरकड़ देवराज धवेचा धाधक ३० घूहडिया नालू पाता पूनावत ३५ पीथड़ फीटक बीडा वूला . भादावत ४० मंडळा माडणोत मुकट मुहडा मूडाळा मेडतिया मैया मोडासिया राजग राजपाल रादा रूपा वाघेल ५५ वाजा वानर बीकानेरिया वीजा वेगड ६० सतावत समरद सीमाळिया सीध सुपेहा ६५ सैहटा सोनवारिया हथूडिया सूडर ६९* ५ वाटडा १, दोटा २, कसूवलिया ३, खीया ४, फळसूडिया ५, धारविया ६, गांवाणेचा ७ मै खापां राठौडारै मांहे छै ।। ६ राठौड़ारी तेरह साखारा नाव- धनसूरा१ , जळखरिया २, अभैपुरा ३, कपाळिया ४, वेरवदा ५, कुरहा ६, परियोवस ७, जेवत ८, वगळाणा ९, देण १०, वीर ११, अहर १२, पारक अथवा पारकर १३ ।* सीहाजीरै फडैरा राठौड ज्यारी विगत- धूहडिया १, मोट २, धाधल ३, महण ४, राँदा ५, आसल ६, वोला ७, पेथड ८, फीटक ९, कोटवो १०, मूया ११, जमानाळू १२ जाजड़ा १३, सीधल १४, जोगल १५, वादर १६, हाधुंडिया १७, उखोवा १८, जोरा १९, सोहड २०, चाचक २१, ऊहड २२, वेगड २३, डांगी २४, महडीसिया २५, मोहण २६, खीवसा २७, गुडाळ २८, खोखर २९, मूळा ३०, वाढेल ३१, हाडा ३२, सीमाळिया ३३, क्रीतपाळ ३४, छटाणिया ३५, वालाड़ा ३६, वरसूवळिया ३७ ।* ८ राठौड़ारै जगमोहण पितर थेटू. पछै सायर पितर हुवो। ९. आली १, मोहण २, उदैपुर ३, मै तीन ठिकाणा गुजरातमे राठौड़ारा वावागढ कनै है। राठौड़ारी पीढियां १० विजेचदरो राजा जैचंद १, दळ-पागळो कहाणो। वरदायीसेन २, सेन ३, * इनमें कई मेक नाम अशुद्ध है। Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११-१८] राठौड़ारी वाताः सेतराम ४, सीहो ५, आसथान ६, धूहड ७, रायपाळ ८, कान्हर ९, जालणसी १०, छाडो ११, तीडो १२, सलखो १३, वीरमदे १४, चूडो१५, रिडमल१६, जोधो १७, सूजो १८, बाघो १९, गागो २०, मालदे २१, उदैसिंघ २२, सूरसिंघ २३, गजसिघ २४, जसवतसिंघ २५, अजीतसिंघ २६, वखतसिंह २७, विजैसिंह २८, गुमानसिह २९, मानसिंघ ३० । सीहोजी ११. पालीसू सीहैजी कनवज जाय अन्हनू टीको दियो, आप गोयंददाणी गढ वसायो। चाळीस सासण दिया, वरस १७ राज कियो । पुरोहित साथ बेटा तीनू पालीमे मिलिया । आसथान १२ सीहाजीरै टीकै आसथानजी, खेड गोहिलारै परणिया पछै साला प्रतापसीनू कह्यो - डाभी थाहरै वडा ग्रासिया है, इणनू काढ देवो. पछै काढ दिया किताक दिना डाभी आसथानजीसू आय मिलिया डाभी डावा, गोहिल जीमणा. तळाई माथै मार खेड लिवी डाभी - गोहिल जिण तळाई माथै मराणा उणरो नांव पापेळाई दियो, हमै उणमे गेहू हुवै छै । १३ आसथान सीहावत पाळी काम आयो । १४ आसथानजी सीहावतरै गोयलाणी राज-लोक है • • साथ बेटी ईदी उछरगदे, राणा बूढारी बेटी, दहिया जमलनू परणायी हुती, उणसू अणवणत हुई, आसथानजीरा घरमे पैठी. जैमलरा बेटा - बेटी साथ लिया आयी ही. ऊ दहियो खेडहीज मोटो हुयो. उण राठौडरो वैर लियो जिणसू दहियो तेरै साखरो तिलक कहावै । १५ बहू ईंदी उछरगदे, गोहिल जैमलनू परणायी हुती, राणा बूढारी बेटी, जैमलसू वणियो नही, जद आसथानजीरा घरमें पैठी। १६ धूहड ईंदारो भाणेज आसथानजीरै टीकै वे घड़ी . . . . 'पड़ियारस कियो. धूहडनू चहुवाणा मारियो। १७ आसथानजीरा धूहडजी धूहडजीरा बेटारी विगत - रायपाळ महिरेळण १. जोगाइत उडणो २ वेगड कटारमल ३ जाळू गजउछाळ ४. क्रीतपाळ अतैउर सिणगार ५ पेथड हाक-ववाळ ६ कहाणो । १८. सरगधरीरी कोळू पाबूजीरो उतन. फलोधीरी कोळू काम आया । Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४ वांकीदासरी ख्यात १९ राठोड़ जोपसारे बेटारी विगत राजग ५. मूळू ६ । - रायपाळ २० रायपाळ धूहडरे टीकै. चहुवाणारो भाणेज । २१ रायपाळ धूहड़ोतनू चहुवाणा मारियो । २२. रायपाळ महिरेळणारा बेटारी विगत - कान्हराव पाटवी १ केल्हण २. रादो३. सूडो ४ मूपो ५. वेहड ६ महणसी ७ यांथी ८ । २३ यांथीरै फिटक केल्हणरो कोटेचो | [ १९-३१ सीधल १. ऊहड २ . जोबू ३ जोगो ४. कन्ह २४ कन्ह रायपाळरे टीकै भाटियारो भाणेज । वेटा तीन २५ कन्हरै वह देवडी सलखारी बेटी विजपाल ३ | हो - आधी धरती भीम काकनदी छे सीम भीमकरण १ जालणसी २. आधी लोदरखे धणी । राठोडा नै भाटिया ॥ जालणसी २६ जालणसी देवड़ारो भाणेज कन्हरायरै टीकै । २७ जालणसी घाटो मारियो, मुलतानरी चौथ लिवी । छाडो २८ छाडो जालणसीरै टीकै गोहिलारो भाणेजो । सोढा कनासू डडमें घोड़ा लिया भाटियानू पजाया । तीडो २९ तीडो छाडावत सातलरी मदत अलाउद्दीनसू जंग कर काम आयो सिवाणै । ३०. तीडा छाडावतरं तीन बेटा हुवा - कान्हडदे १ त्रिभुअणसी २ सलखो ३ । ३१. महेवा वगैरे देसारो मालक. कान्हड़देने मार मलीनाथजी खेडरो राज लियो. कंवरपदै | Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२-४८ ] राठौड़ारी वातां सलखो ३२. तीडा छाडावतरै टीकै. हुलारो भाणेज सलखो। ३३ तीडार टीकै चहुवाणारो भाणेज. बहू पडिहार रूपडिया राणारी बेटी। . ३४ मलीनाथ जीरै तीन भाई, चौथा आप, वहन अक विमलावाई, लोक वीवळीवाई कहै, घडसी रावळनू दीवी। ३५. मालो, जैतमाल, पडिहारारा भाणेज . वीरम, सोभत, उमरकोटरो धणी सोढो जिणरा भाणेज। मलीनाथ ३६ रावळ मलीनाथ जसडारो भाणेज हो . नाम मालो हो . जोगी रतन रावळ मलीनाथ कहे वतळायो जदसू मलीनाथ कहाणो। ३७. मालो नै महेवारो पीर, रूपादेरी मा सोढी चंद्रावळ, जगमालरी मावसी, इण री गोमती। ३८. करडियो, कांबळी, हासली, घोडो जोड़ो- अ वसता वाले वदरै मलीनाथजीनू डायजै दीवी रूपादे परणाय । ३९. हरखू सांखलो बगड़ी हुवो मलीनाथजीर परणियो पोकरण गुढो डायजै दियो। ४०. भाद्रेस माला रावळरी दियोडी है। मलीनाथोत राठौड़ ४१. मलीनाथरो जगमाल, जिणरा पोहकरणा। ४२ जगमाल मालावतर वेटो लांको, जिणरा वाडमेरा राठौड। ४३ महेवामें भाखर गायणो जठ कूपा मलीनाथोतरो रहणो हुवो . कूपारै मोलो हुवो। ४४ कूपार वंसरा गायणेचा राठौड है। ४५. गांवणेचा राठौड कूपा मलीनाथोतरा है । जैतमाल सलखावत ४६. जैतमाल सलखावतरै वारा बेटा, ज्यामें १ खीमकरण प्रतापीक हुवो, जिण सोढानू मार अडताळीस गाव रा रा दबाया। ४७. जैतमाल वाराही बेटानू कयो - जगमाल मोनू मारियो वो वैर विसार दीज्यो नै हाफान सिवाणैरी घाटी सूपी इग्यारै जणा जुदा जुदा परदेसा जावज्यो जिणसू थारा जुदा जुदा ठिकाणा बधसी। ४८. जंतमाल सलखावतरी बेटी ईदो राणो उगमसी परणियो . मलीनाथजी तेरै Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात [४९-६१ तुगा भाजिया जद उगमसी मलीनाथजीरी भीड़ आयो हुतो। सोवत सलखावत ४९ सोवत सलखावत, जिणारै वसरा सोहड़। वीरम सलखावत ५० वीरमजी जोइयातूं झगडो कर काम आया जोइयावाटीमें । घोडी आण समाध घर असमाध उपायी । ५१ वीरम सोढारो भागेज. जोइयारै वीठडै गयो उठे मराणो। ५२. गोगादे १, देवराज २, जैसिंघ ३, वीजो ४, चुडाव ५, पाची ६, - वीरमरा। चूंडो वीरमओत ५३ चूडो वीरमरै पाट, मागालियारो भाणेज, मडोवर ले नागोर लियो, नागोरमें चूडापोळ करायी लखीजगळरो धणी जलाल खोखरनै भाटी केलण केहररै .. आय नागोर राड़ कीवी चूडोजी काम आया । ५४ च्डोजी नागोर काम आया, भाटी केलण खोखरसू वेढ कर । ५५ चूडोजीरी बेटी हासीवाई, रिडमलजीरी सगी बहन, राणा लाखानै परणायी. भाणेज मोकल। ५६ चूडाजीनू मार तुरकां नागोर लियो . पछे तुरकानू मार राणे लाखै नागोर रिडमलजीनू दीयो . जोधपुर सता चूडावतरी ठाकुराई . नागोररै गाव मूडवै राणे लाखै लाखासर तळाव नागोर करायो हो। वीरमदेओत ५७. करमसी १, सहसमल २, केल्हो ३, - मैं तीन गोगादे वीरमदेवोतरा वेटा । सतो चूंडावत . ५८. चूंडारै पाट सतो . दारू घणो पियै . राजरो काज भाई रणधीर चलावै। जठा पाछे टीको रिडामलजीनूं दियो छरावासू तेडनै । ५९ गांव वारी महव दूदावननू सतराव चूडावत दीधी। रिड़मल चुंडावत ६०. राव रिडमल चूडारै टीकै, गहलोतांरो भाणेज . पीरोजखानसू युद्ध कर राव रिडमल मारिया। ६१. लोला सोनगरारो वेटो सतो जिणनू जोधाजीरी बेटी सुंदरवाई परणाय राव Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२-७४ ] राठौड़ांरी बातां नाडूलरा सोनगरा धणलासू चढ जाय मारिया, रिडमल सतानू पाली दीवी ओ वैर रिड़मलजी पोती परणाय वाढियो । · ६२. राव रिडमल ४९ वार जैसलमेर मारियो जद भाटिया बेटी दिवी, रिडमलजी - नू राजा कहिया । - ६३ रावजी रिडमल धणलासू जाय नाडोळरा घणी सोनगरा सारा मार नाखिया. रावजी या सोनगरारै परणिया हुता सोनगरो लालो रणधीररो . जैसलमेर परणीजण पधारिया जद लालानू जोधपुर आण जोधाजीरी बाई परणायी वैर भागियो पाली पटै दीवी । • ६४. सवत १५०० चैत वद ६ गढ चित्तौड ऊपर चूक कर राणे कूभै मारियो राव रिडमळनू । ६५ रिडमलजीनू चित्तोड़ माथै चूककर मारिया सीसोदियै चूडै लाखावत । ६६. चूडा लाखावृत सामल होय नरवद सरावत चित्तोड माथै रिडमलजीनू चूक करायो । ६७ भाटी सतो लूणकरणोत राव रिडमलजीनू चित्तौड चूक हुवो जद काम आयो । ६८ भीवराज चूडारो जिणरै वसरा भीमोत कहीजै । जोधी रिड़मलोत ६९ राव रिडमलनूं चूक हुवै चित्तोड माथै कवर जोधोजी तळंटीसू निसरिया, चूडै लाखावत लारै लोक मेलियो, गजणरईरै घाटै वेढ हुई जठै प्रथीराज ईंदा वगेरै जोधाजीरा रजपूत काम आया । ७०. राव जोधो रिडमलरै पाट, देवड़ारो भाणेज सवत १४७२ रा वैसाख वद ४ बुधवाररो जनम, सवत १५१० जोधैजी राणारा थाणा उठाय धरती लिवी । ७१ सोमेसर रावत लूणा कनैसू घोड़ा लिया, गुसाईजीरा कहणासू हरभू साखल जोधानू जीमण कियो. कह्यो म्हारी गोठरा मूंग थारा पेट में इत्तै जित्ती जमी पै घोडो फेरसी उवा जमी थारी रैसी गूदोच ताई घोडा फेरिया । ७२ चोकड़ी बिलाडासू राणारा थागा फटाया सोजत लिवी । ७३ रावजी जोधोजी कवर नरवद सतावतरी लडाईमे घेठ नाव उभा हुवा | ७४ जोधपुर वसाया पर्छ जोधोजी गयारी जात्रानू चढिया मालक आय मिळियो रावजी उणरी मदत किवी सारगखा मारियो पछे गयारो कर दूर कियो । मारग मे जहानापुररो बहलोलखांरो भाई Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात [ ७५-१० ७५ संवत १५४५ जोधोजी देवलोक हुवा। ७६. रावजी जोवाजीरै तेरै वेटारी विगत - सातलजी १, सूजोजी २, नीवो ३, करममी ४, वीदो ५, वीको ६, भारमल ७, जोगो ८, दूदो ९, जगमाल १०, सिवराज ११, गोपालदास १२, वरसिंघ १३ । ७७ वैरसलपुरा भटियाणी राव जोधाजीरी राणी जिणरै पुत्र तीन हुवा करमसी १, रामपाळ २, वणवीर ३ । ७८ रावजी जोधाजीरै राजलोक वैरसलपूरा भटियाणी जिणरै वेटा तीन करमसी १, रामपाळ २, वणवीर ३ । ७९. सातल १, सूजो २, नीवो ३, हाडारा भाणेज । ८०. वीदो १, वीको २, दोनू साखलारा भाणेज । ८१ राव जोधाजीरै राणी हाडी कोडमदे जिण राणीसर तळाव करायो . संवत १५१५ जेठ सुद ११ जोधपुर वसायो। राव सातल जोधावत ८२ सातल जोधावत सातलमेर करायो । '८३. जोपाजीरै पाट सातल . . . . . . सीसोदियाँसू सुख कियो आवळे वावळे सीम किवी. रावजीरा वैरमें सोजत लिवीं। ८४. सिरियाखानसू कुसाग सातल दूदे वेढ किवी ओ तीजणियां छुड़ाय लिवी. दूदैजी सिरियाखानरा हाथी घणा लूटिया । ८५ सातलजी तीन वरस राज कियो संवत १५४९ सातल काम आयो। नींवो जोधावृत ८६ सोजत नीव जोधावत वसायी . राणारा देसरी से उचळी सात वीसी जान आयी हुती जिके सोजतमे राख्यां । राव सूजो ८७ राव मूजो जोधारै पाट संवत १४९६ रा भादवा वद ८ रो जनम । ८८. संवत १५४८ मे सोजतसू आय जोधपुर पाट बैठा । ८९. सूजाजीरो सवत १४९६ रा भादवा वद ८ जनम. संवत १५४८ पाट वैठा. मंवत १५७२ रा काती वद ९ राम कह्यो । ९०. मांगळिया राणावतांनू हमीरोतरी बेटी सूजो जोधावत परणियो. सासरा Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९०-१०४] राठौडारी वातां रो नाम सरवगदेजी ज्यारा बेटारी विगत- ऊदोजी १, पिरागजी २, सागोजी ३ । ९१. राव सूजारा वेटारी विगत- वाघो १, पाटवी कवर थका देवलोक हुवो, ऊदो २, सेखो ३, देईदास ४, पिरागदास ५, सागो ६, नरसो ७, तिलोकसी ८। ९२ सेखारै सहसमल। ९३ देईदासरै अचलो १, हरराज २ । ९४ नरारै गोइद १, हमीर २। ९५ कवर वाघो नरो भाटियारा भाणेज । ९६ सेखो देईदास चहुवाणारा भाणेज । ९७ मागळियाणी सरवदे राणा पातूरी बेटी जिणरा बेटा- ऊदो १, पिराग २, सागो ३ । कंवर वाघो ९८ सवत १५१४ रा वैसाख वद ७ वाघाजीरो जनम, सवत १५७१ सुरगवास कियो वाधैजी। ९९ सवत १५१४ पोस वद ६ जनम बाधाजीरो, सवत १५७१ रा भादवा सुद १४ राम कह्यो। १०० कवर बाघो सूजावत चितोड राणा रायमलरै परणियो हो । १०१ कवर वाघो सूजावत राणा रायमलरै परणियो हो । १०२ कवर वाघारा बेटारी विगत- गागो १, वीरमदे २, जेतसी ३, प्रतापसी ४, भीम ५ । राव गांगो १०३ राव गागो वाघावत चहुवाणारो भाणेज, वीरमदे वाघावतनू सोजत दिवी गागैजी, सवत १५४० वैसाख सुद ११ जनम गागाजीरो, सवत १५८८ रा जेठ सुद ५ रामसरण जोधपुर हुवा।। १०४ सवत १५८८ रा चैत सुद ११ राव गागोजी कवर मालदेजी फौज ले सोजत आया, वैद मुहता रायमल खेतावतनूं मार वीरमदे कनासू सोजत ली, वैसाख सुद ४ राव गागै ईडररी मदत किवी । Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चांकीदासरी ख्यात [१०४-१०७ दूहो-गागा त गवाळ, ऊगा हाई उर तणा । सोहै तो सुखपाळ, वडा प्रवाडा, वाघउत ।। १०५ सोजत वैद मुहतो रायमल वीरमदेजीरै चाकर, रावजी गागजी कवर मालदेजी सोजत माथै गया जद रायमल कवध हुवो, नेत्र भावसू तरवार चली, बेटारा बटका किया, लाखी लोवडी ओडाडी जद घोडासू जमी लोथ पडी, उण दिनरो ओखाणो मुहता माटी मारका, घररा गिणे न पारका । १०६. गुजरातरो पातसाह उदैपुर ईडर ले लियो जद राव गागो, राणो सागो, वीरमदे दूदावत तीन ही मिल अहमदनगर जग कर पातसाहन भाज ईडर ईडरिया राठोडानू दियो। १०७ रावजी गागोजी, वीरमदे दूदावत, राणो सागो ईडररा राजारी मदत ईडरनू जावै जद साढयारा राईका रावजीसू अरज विवी- आप ईडरनू पधारै है, कोटडिया दौडे है, सो रावळी साढ्यारा रंगारा जावता सारू सिरदारारी आसामिया अठ राख, पधारजै जद गवजी फुरमाया- थे कहो जिके ही अठै राखा आ कह्यो- तेनारा गोगादे नेतसी खेतसी महावतियानू साढांरा जावतान राखजै जद आ गोगादेओतान देसमे राख रावजी ईडररी मदत पधारिया किताईक दिना कोटडिया साढिया लिवी राईका तेनै गया, जद तेनै ढोल वाजियो सारा गोगादे घोडा चढनै आया घोडो जीण कराय नेतसी अमल ले सूतो जद अंक राईको नोलियो पीपारा पीधो मेहारै घटलवाळी । अरथ- पीपा राईकारा बेटा-पोतरा साढारो दूध पीधो, मेहरो बेटो घूटलवाळे पग समेट सूनो पछै नेतसी भाया-भडा सहित साढारी वार चढियो कोटडिया रामाजी मान्नै साढा पाछी आणी तेनार तळे पाणी पाय दोड कराय राईकानू दूध पायो उण समैग हीडोळा साढा लोप सोइतरो, जाघी साईरी माध । चढि महीरा नेतमी, रातो तरगस बाध ।। नळी कटाड नीली लप, घी अमापियो खाय । हाथ वैतर आतर, अ कोटडिया जाय ।। वेतो पूछ ने नसी, नीळो घोड़ो काय? गया ईडरी चाकरी, दियो ईडरै राव ।। Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७-११६] राठौडारी घातां उरळी चारो राइका, म्हारा भालारी छाह । - ।। जो जासी तो आणसू, बाबा मेहारी बाह ॥ १०८ सेखोजी गागोजी एक दिन झरणामे भीर वाट जळछाटारो खेल कियो भाजणरी दोनानू परत बोले-बोले भारी हुवो जद सेखोजी धूसल करणो विचारियो आ खवर पाय रावजी गागोजी सेखाजीनू कह्यो-वरड ऊगी जिण जमीमे उवा थाहरी, भुरट जिणमे ऊग उवा म्हारी सेखाजीरै परधान ऊहड़ हरदास आ वात मानी नहीं। दूहो-अक वचन हरदास, ऊहड मन आण नही । गाँगौ मगळो ग्रास, के सेखै सौ सामठो ।। १०९ सेखैजी नागोरी खान दोलतियो जिणनूं मारवाड माथै आणियो गागोजी फौज ले सामा गया सेवकी वेढ हुई. दरिया जोरा हाथी फौजार आगे हो रावजीरा हाथरो तीर लागो ऊ भागो दोलतियो ही भागो . सेखो काम आयो देईदास निसरियो सवत १५८६ रा मिगसर सुद १ आ वेढ हुई. पचास पठाण काम आया हाथी दोलतियारा घणा लूटाणा रावजीरो उमराव किसनो चापावत पूरै लोहै पडियो रजपूत पाच आपरा काम आया इणनू रावजी थुनाडो दियो घावा उपडियो दिना पनरा रामसरण हुवो। ११० सेखा सूजावतरै वसरा राठोड मुसलमान हुवा हाडोतीमे नाहरगढरो धणी नबाब वाज है। १११ चाँद-बावडीपू राव गागोजी तीर चलायो हो सू गोळमे जाय पडियो है । ११२ सीकरी राणा सागारी हार हुई जद साराही कही- राव गागो सामल · होतो तो राणारी फतै होती । ११३ सवत १५८८ रा जेठ सुद ५ सुरगवास कियो रावजी श्री गागजी । ११४ सवत १५८८ रा जेठ वद ५ राव गागोजी देवलोक हुवा । . ११५ राव गागाजीरी राजलोक सीसोदणी उत्तमदे राणा उदैसिंघरी बहन पीहररो नाव पदमावती ज्या पदमसर तळाव करायो जोधपुर। ११६ राव गागोजी देवलोक हुवा जद सीसोदणीजी पीहर हुता पाच पोहर सत रहियो भाई उदैसिंघ बळण न दिवी पछै चित्तोड जूहर हुवो जद जूहरमे बळिया । Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ वांकदिासरी ख्यात [१५७-१२८ ११७ देवडी माणकदेजी पीहररो नाव पदमाबाई जिणरै बेटा तीन-मालदे १, वैरसल २, मानसिंच ३। ११८ गागोजीरी बेटी राय कवरवाई चित्तोड विक्रमाईतनू परणायी। ११९ गागाजीरी वेटी सोनबाई जेसळमेर रावळ लूणकरणनू परणायी। राव मालदे १२० राव मालदेजी सवत १५६८ रा पोस वद १ रो जनम . सवत १५८८ रा सावण सुद १५ पाट वैठा राव मालदेजी सबत १५९२ रा माह वद २ नागोर खानू मारियो, नागोर लियो . सवत १५९४ रा असाढ वद ८ सिवागो लियो, डुगरसी जैतमाल कनासू सवत १५९६ रावजी वीरा सीवलनू मार भाद्राजण लिवी । १२१ सवत १५९८ वीकानेर लियो कूपोजी फौज ले गया हुता चैत वद ५ जैतसी मारियो . सवत १५९८ चैत वद १२ रावजी पधारिया बीकानेर . जूझणू फनपुर कूपाजीनूं वधारामे दिया। १२२ पत्रोळी अभो जाजावत मालदेजीरै कामेती। १२३ सवत १६०२ रावजी डूंगरसी मीरोत कनातूं किवी फळोधी। १२४ सवत १६०८ रावजी पोहकरण लिवी । १२५ जैतैनी कूपैजी वीरमदे दूदावतनू मेडतै रियासू अजमैरसू डीडवाणा माहसू वाली मासू काढियो। बोला वीरमदेजी कह्यो- कूपाजी | अठासू तो थाहरो काढियो नही जासूं , मरसू कुपैजी कह्यो- तो मारसा जद जैतेजी कूपाजीनू कह्योवीरमदेनू मारणो नही, वीरमदे वडो रजपूत है, जीवतो रयो तो कयाहिकनू माण आपणो मरण सुधारसी। १२७ उठासू वीरमदे माइवरा पातसाह कनै गयो उण खरची दिवी पछै पूरवमें जाय सूर पातमाहनू आणियो। १२८. सूर पानसाह आयो जद वसी मिरोही मेली असी हजार घोडासू रावजी बाबर जाय डेरा किया। दूहो-साह आलम मावाहियो, मालो अमळीमाण । वै पतमाह क ईग्विया, पिड दाखवसी पाण। १२६ Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८-१३८] राठौडारी वाता कूप कह्यो दूहो-तू ठाकर दीवाण तू, तो ऊभै सह कज्ज । ___ राज सिवारो मालदे, करण मरण छळ लज्ज॥ १२९. चापो जैसो भैरूदासोत जलाल जलूकारो घोडो पातसाहरा मूडा आगे लायो. पछै राव मालदजी साथ पीपळोद गयो। १३० भाटी साकर सूरावत अजमेररो किलादार हुतो. अजमेररो गढ छूटो जद मरण माडियो हो पिण चाकरा मरण दियो नही असुर पातसाह जोधपुररो गढ लियो जद गढ माथै काम आयो, गढमे छतरी। १३१ राठोड रामसिघ ऊहड, राठोड सीकर जैतसिंघोत ऊदावत इत्यादिक गढ ऊपर काम आया। १३२ सूर पातसाह वरस १ जोधपुररै गढ रह्यो सवत १६०१ पोस वद ५ देहरो - पाड मसीत करायी। १३३ पछै गोकुळ शास पाज वधावी, तळावरी राग भरायी। १३४. सूर पातसाह गयो मारवाडसू जद भीगैसर पाच हजार घोडा थाणो राख गयो, रावजी जोधपुर आया थाणान वेढ' करि उगमो इतरा रावजीरै काम आया-राठोड ऊभो वरसिंघोत माणस ४०० सू खेत रहियो, रावळ हाफो वरसिंघोत लोहै पर उपडियो, राठोड अभो हाफो माणस ८०० घोडारा असवार ओठी पाळा महेवासू साथ लाया हुता। जैसिघ भैरूदास चापावतरो लोहे पड उपडियो। १३६ सवत १६०० पातसाह सेरसाहसू हार राव मालदेजी सिवाणारी भाखरा गया। १३७ सवत १६०३ सलेमसाह मुवो जद तुरक जोधपुररो गढ छोड खवासपुरै नसेदलीखा खवासखा कनै गया मडोवररा माळी गढमे आया, रावजीनू खवर दिवी रावजी जोधपुर पधारिया पछै वरस सात रावजी मेडतान १३५ लागा। १३८ सवत १६१० रा वैसाख वद २ मेडता ऊपर रावजी आया मेडतै कुडळ तळाव माथै जैमल रावजीसू राड किवी. जैमल वीरमदेवोत दैवजोगसू जीतो रावजीरा इत्ता ठावा मिनख काम आया-धनो भारमलोत बालो १, राठोड नगो भारमलोत बालो २, प्रथीराज जैतावत ३, राठोड जगमाल उदैकरण ४, राठोड ,सूजो जैतसिंघोत ५, सीहड पीथो जसवत ६ । Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ बांकीदासरी ख्यात [ १३९-१४४ १३९ संवत १६१० रा असाढ वद १३ राठोड देईदास जैतावतने कंवर चदरसेणजीनू मालदेजी मेडता माथै विदा किया जैमलजीनू काढि मेडता अमल कियो । १४० सत्रत १६१३ हाजीखानपू राजाजीरै अदावदी हुई जद राव मालदेजी आपरा उमराव हाजीखारी मदत मेलिया ज्यारी विगत - राठोड देवीदास जैतावत १, रावळ मेहराज हाफावन महेवारो धणी २, राठोड जगमाल वीरमदेवोत ३, राठोड जैतमाल जैसावत चापो ४, लखमण भादावत ५ - इत्यादिक डोढ हजार घोडासू मेलिया । राव १४१ सवत १६१३ फागण वद १२ हाजीखानसू राणा उदेसिंघजीरं अदावदी हुई हाजीखान पठाण हो हाजीखान राव मालदेजीसू साधी मालदेजी इतरा ठावा मिनख हाजीखानरी मदत मेलिया - राठोड देवीदास जैतावत १, राठोड रावळ मेघराज हाफावत २, राठोड जगमाल वीरमदेवोत ३, राठोड जैतमाल जैसावत ४, लखमण भादावत ५ । १४२ राणा उदैसिंघरा सायरी विगत - राठोड जैमल वीरमदेवोत, राव कल्याणमल वीकानेरियो, रावळ प्रताप वासवाळारो, रावळ आसकरण डूगरपुर, रावळ तेजो देवळियारो, खैराडो राम जाजपुररो धणी, राव रामचद्र तोडरीरो धणी, सोलकी रात्र सुरजण हाडो वूदीरो धणी, राव दुरगो रामपुरारो धणी, राव नारायणदास । १४३ राणाजीरा साथरी विगत - राठोड जैमल वीरमदेवोत १, राव कल्याणमल वीकारियो, २ रावळ प्रताप वासवाळारो ३, रावळ आसकरण डूगरपुररो ४, रावळ तेजो देवळियारो ५, खैराडो रामो जाजपुर धणी ६, राव रामचंद्र तोडरीरो धणी ७, राव सुरजण वूदीरो घणी ८, राव दुरगो रामपुरारो धणी ९, राव नारायणदास - उत्यादिक राणा कनै सिरदार अजमेरस कोस १२ हरमाडो गांव जठै राड मडी सवत १६१३ फागण वद १२ राणाजीरो उमराव वालीसो सूजो जसवतोत राठोड देवीदास जैतावतरे हाथ रह्यो जैतारणियो तेजसी डूसरसी ऊदावतरो राणाजीरो उमराव आछी तरह काम आयो खेत हाजीखानरं हाथ रह्यो । १४४. हाजीखान पठाणसू सवत १६१३ रा फागण वद ९ राणे उदेसिघ वेढ किवी जद ५०० सवारासू रावजीरा उमराव इता हाजीखा सामल हुवा - राठोड देईदास जैतावत १, राठोड जगमाल वीरमदेवोत२, राठोड जैतमाल जैतावत ३, Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४-१५३ ] राठौडांरी वातां ऊहड जैमल जैतसिघोत४, राठोड प्रथीराज कूपावत५, रावळ मेघराज हाफावत ६, राठोड महेमदास घडसिंघोत७, राठोड लेखमण भादावत ८ । १४५ हरमाडे राणा उदैसिंघजीरो उमराव सूजो वाली हो जिणरै देईदास जैतावतरै हाथरी बरछी लागी सूजो खेत पडियो जैतारणियो तेजसी डूगरसिघोत राणाजीरै काम आयो राणाजीरी फौज भागी रावजीरो सीधल देदो रणधीर काम आयो। १४६. सवत १६१३ रा फागण वद १२ अजमेरसू कोस १२ हरमाडो जठे राड हुई। राणा उदैसिघजीरो उमराव नाडूळाईरो धणी बालीसो सूजो जसवतोत माराणो राठोड देईदास जैतावतरै हाथ रह्यो राठोड जैतारणियो तेजसी डूगरसिंघोत राणाजीरो उमराव काम आयो राणोजी जीता नही, खान जीतो। १४७ रावजी साथै पहुचावण जैपुर आया हुता उठ जासूसा खवर दिवी खान जीतो रावजी मेडता माथै आवणरी त्यारी किवी जद जासूसाँ खबर दिवी-मेडतो खाली है, जैमलरो कोई नही है मेडतामे सवत १६१३रा फागण सुद १२ रावजी मेडते पधारिया जैमलरा माणस बाबरै गिररी समाळ केई दिन रहिया रावजी हळ जोताय मेडतियारी जायगा पडाय नखायी। १४८ रावजी जैतारण हुता जैतारणसू डोढ हजार घोडो हाजीखारी मदत मेलियो हो हाजीखान जीतो. औ समाचार रावजीसू मालम कराया रावजी मेडत पधारणरी त्यारी किवी जद जासूसाँ खबर दिवी-जैमलजीरो कोई आदमी मेडनामे नही है सवत १६१३ फागण सुद १३ मेडतै पधारिया। १४९ जैमलजीरा माणस गिररी वावरै समेळ केईक दिन रहा। १५० हळ जोनाय रावजी मेडतियारी जायगाँ पडायी। १५१ सवत १६१४ मेडतै मालकोटरी नीव दिरायी सवत १६१६ मालकोट सपूरण वणियो जद राठोड देईदाम जैतावतनू साथ घणासू मालकोट थाणे राखियो। १५२ सवत १६१८ रा आसोज वदमे राठोड देईदास जैतवात, राठोड पनो नगावत जाळोरगढ लियो मलिक वूढनखानू काढियो आसोज सुद ५ कवर चदरसेण जाळोरगढ चढियो। १५३ पछै जेमलजी वधनोरसू जाय अकबर पातसाहरा उमराव मिरजा सरफुद्दीननू __ पातसाही लसकर समेत मेडते मालदेजीरा साथ साम आणियो संवत Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी स्यात [१५३-१५८ १६१८ रा चैत सुद ५ रावजीरा साथसू लडाई किवी . फतै मिरजारी हुई, रावजीरा उमराव काम आया ज्यारी विगत-राठोड देईदास जैतावत१, राठोड महेस पचाइणोत करमसिंघोत २, मागळियो वीरमदेव ३, राठोड भाखरसी डूगरसिघोत ४, ५, राठोड गोडद राणावत ६, राठोड अमरो रायावत ७. राठोड जैमल तेजसिंघोत ८, राठोड भाण भोजराजोत रूपो ९, राठोड महेस घडसीहोत १०, राठोड पूरणमल प्रथीराजोत ११, राठोड भाग्व रसी जैतावत १२, गठोड ईसरदास राणा अखैराजोतरो १३, राठोड तेजसी सीहावत १४, राठोड पतो कूपो महराजोतरो १५, राठोड महमो रामावत १६, राठोड अमरो आसावत १७, राठोड़ अमरो रामावत १८, राठोड अचळो भाणोत १९, राठोड सागो रणधीरोत २०, राठोड ईसरदाम घडसीहोत २१, राठोड रायसिंघ घडसीहोत २२, भाटी तिलोकसी परवत आणदोतरो २३, राठोड हमीर ऊदावतवालो २४, राठोड भीम दूढावत वालो २५, राठोड अखो जगमालोत २६, काक चादावतरो २७, राठोड जैतमाल पचायणोत मेडतियो २८, भाटी पीथो अणदोत २९, राठोड राणो जगनायोत ३०, साखलो तेजसी भोजावत ३१, राठोड प्रिथीराज ३२, सिघण अखैराजरो ३३, चहुवाण जैतसी ३४, वीरम दूदावतरो ३५, मागळियो देदो ३६, राठोड रणधीर रायमलोत ३७, जगमालजीरो चाकर आसामी ३८ आरा रजपूत छव काम आया मिरजारो साथ घणो काम आयो खेत मिरजार हाथ रयो मेडतो लियो। १५४ रावजी कवर चंद्रसेणजीनू मेडत देवीदासजी कन मेलियो राठोड प्रथीराज कूपावत १, सोनगरो मानसिब अखैराजोत २, राठोड सावळदास ३ और ही उमराव कूवरजीरै सायै मेलिया, दोय हजार घोडा साथै मेलिया। १५५ रावजी कह्यो-वेढ करणरो ढव हुवै तो वेढ कीज्यो, नहीं तो देवीदासजीन लेनै उरा आवज्यो अ मेडते गया पातसाही फौज सबळी देखी आ डेरा पाछा किया, देवीदासजी मुरड मालकोटमे पैठा। १५६ मगला मालकोट घेरियो राठोड सावळदास उदैसिंघोत मगला साथै पडियो. चाकर खाटमे घाल ले निसरिया मुगल लारै चढिया च्यार कोस माथै आय पडिया सावळदास भली भात काम आयो।। १५७ मालकोट घेरो मुगल नित ढोवा करै रावजी नित देईदासजीनू लिखै-थे तो थारो नाव करो हो पिण म्हारी ठाकुराई खोवो हो। १५८ सवत १६१८ ग फागण वद घेरो लागो मालकोटरो वुरज ओक सुरगसू उटियो . मुगल हल्ला ऊपर हल्ला करै जद जैमलजीसू सरफुद्दीन बात Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५८-१६२ ] राठौड वातां करी मालकोट बार देवीदासजी निसरिया. जैमलजी सरफुद्दीन मालकोटरी पोल आगे ऊभा देख रावजी देवीदासजीनू दिवी हुती बारा खिजमतदाररै कने हुती ओक मुगल बदूक लेण भूंबियो जद कडियाळी गंडी मुगलरै माथै जडी. गैडीरा लगणासू नाकमे भेजी निसरी मुगल मर गयो । १५९ ओ काम देख जैमल सरफुद्दीननू कह्यो - देवीदास जीवतो जोधपुर गयो तो रावजीनू आप ऊपर जरूर ले आवसी, इणनू मार लेणो, आसल करो. सरफुद्दीन जैमल फौज ले चढियां गाव सातळिया वासै जाय पोहता आरी फौजरो नगारो आ गोइददासजी सुण, घोडा ठामिया सत्रत १६१८ रा चैत सुद १५ वेढ हुई रावजीरी फौजरा इतरा काम आया राठोड देईदास जैतावत १ राठोड पूरणमल प्रथी राजोत ३ राठोड सहसो उरजणोत ५ राठोड पतो कूपा महराजोतरो ७ राठोड नेतसी सोदावत ९ राठोड अचळो भाणोत ११ राठोड अमरो रामावत १३. जैमल तेजसिघोत १५. राठोड महेस पचायणोत १७ राठोड महेस घडसिंघोत १९. मागळियो वीरम २१. राठोढ भाखरसी जैतावत २ राठोड जैतसी उरजणपचायणोत ४ राठोड ईसरदास राणावत ६ राठोड भाण भोजराजोत ८ राठोड रामो भैरूदासोत १० राठोड गोइददास राणावत १२ राठोड सहसो रामावत १४ राठोड भाखरसी डूगरोत १६ राठोड रणधीर रायसिंघात १८. राठोड ईसरदास घडसिघोत २०. साखलो तेजसी २२ भाटी पीथो २४. भाटी तिलोकसी २३ खाती भानीदान २५ राठोड सागो रणधीरोत २७ राठोड राणो जगनाथोत २९. बाट जीवो ३१. बारट जालप २६. राठोड राजसी घडसिंघोत २८ भाटी पिरागदास भारमलोत ३० तुरक हमलो ३२ । १७ १६० आ वेढ हुवा पछै रावजी मेडता माथै कटक कियो नही । १६१. सवत १६१८ रा चैत सुद १५ राठोड जैमल मिरजै सरफुद्दीन गाव सातळि - यावास रावजी मालदेजीरी फौजसू जग कियो राठोड देईदास जैतावत वगेरै रावजीरा घणा उमराव माराणा । १६२ देवीदास जैतावत कनै घोडा पाचसै हुता नै जैमल कनै मिरजा सरफुद्दीन कनै घणी फौज हुती देवीदास रुस्तम ज्यू जग कर काम आयो । Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात [ १६३-१७२ १६३. आ वेढ हुवा पर्छ मेडता माथै रावजी कटक कियो नही । १६४. सवत १६१९ रा काती सुद १५ राव मालदेजी देवलोक हुवा. इण राड हुवा पछ आठवै महीने राव मालदेजी देवलोक हुवा । १६५ राव चदरसेणजीरै भाइयासू अणवणत रही जिणसू मेडतारो नांव न लियो। १६६ सरफुद्दीन दिली गयो जैमलरो वेटो वीठळदास मेडतारी जागीरी मुजाब घोडा रजपूत ले पातसाह अकबररी चाकरीमे गयो । १६७ साभर १ सोजत २ मेडता ३ खाटू ४ वधनोर ५ लाडणू ६ रायपुर ७ भाद्राजूण ८ नागोर ९ सिवाणो १० लोहगढ ११ जेखळ १२ वीकानेर १३ भीनमाल १४ पोहकरण १५ वाढमेर १६ रैवासो १७ कासली १८ जोजावर १९ जोळी २० लारणो २१ नाडोळ २२ फळोधी २३ साचोर २४ डीडवाणो चाटसू २६ फतैपुर २७ अमरसर २८ समेईगाम२९ खावड ३० वणवीरपुर३१ टूकटोडो ३२ अजमेर ३३ जाजपुर ३४ उदैपुर ३५ भारादो ३६ - इत्ता ठिकाणा राव मालदेजी लिया। १६८ : संवत १६१९ रा काती मुदी १२ जोधपुर राव मालदेजी देवलोक हुवा । जोधपुर, सोजत, पोहकरण राव चद्रसेनरै, फळोधी स्दैसिघरै, सिवाणा रायमलरै रह्या। राणियां और संतान १६९ उमादे भटियाणी रावळ लूणकरणरी बेटी जिणनै सवत १५९३ रा वैसाख वद ४ राव मालदेजी जैसलमेर जाय परणिया । सवत १५९५ अजमेर माहे रूसणो हुदो। सवत १६०४ रामकवरनै देसोटो हुवो जद साथे गया। सवत १६१५ रा काती सुद १५ रावजी लारै वळी। केळवै रायजीरी वसी माहे । १७० , कछवाही लाछळदे, भटियाणी उमादे-आ दोना रावजी मालदेजी लारै सत कियो, मेवाडरे गांव केळवै। उमादेजी लाछळदेरो बेटो राम जिणनू स्राप दियो । १७१ सरूपदे झाली मोटा राजारी मा जिण तळाव करायो सवत १६१५ माह वद ५ प्रतिस्टा किवी नाव सरूपसागर लोक वहूजीरो तळाव कहै । १७२. सरूपदे झाली चंद्रसेणजीरी मा चंद्रसेणजीनै स्राप दियो- "तै मोर्ने राजरा वंदोवस्त वासतै रावजीसू वळण न दिवी सो थारो राज मत रहे जो रावजी लारै मतमे न बळी ।" Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७३-१८४] राठौडारी वातां १७३ पातररा पेटरा दोय-महेम १, डुगरसी २ । १७४ ओळगणैरा बेटा आठ-तिलोकसी १, जैमल २, लखमीदास ३, रूपसिंध ४, तेजसिंध ५, ठाकरसी ६, ईसरदास ७, नेतसी ८ । १७५ राठोड़ रायमल राव मालदेरो, सो बूंदीरा धणी हाडा राव सुरजनरी बेटी परणियो। १७६. देहरो राव सुरजण जिणरी बेटी रतनकवर रायमल मालदेओत परणियो। १७७, रायमल राव मालदेओतरा बेटारी विगत-कल्याणदास १, प्रतापसी २, कान्ह ३, बळभद्र ४, सावळदास ५ । १७८ सवत १६६४ सिवाणे कलो रायमलोत राणियारी जमर कर सात जणांसू काम आयो माधो पातसारी डोढी पूगो। १७९ कल्याणदास रायमलोत लाहोरमे अकसदी पातसाही चाकरनू भार सिवाणे चढियो. पातसाह मोटा राजानू आग्या दिवी-- 'इणनू मारो' जद सिवाणा माथै गया कवर भोपत १, कवर जैतसिंघ २, .... ३, रावळ मेघराज ४, राठोड वैरसल प्रथीराजोत ५, महमदखा जावारी ६ इत्यादिक घणा साथै हा । - १८० परवतसिंघ देवडो मेहाजळोत राव कलारो भाई कल्याणदासजी रातीवासो दियो जद माराणो। १८१ खीची गणेसदास कला रायमलोतरो माथो काटियो । उरळी चारो राइका, म्हारा भालारी छाहि । जो जासी तो आणसू, बाबा मेहारी बाहि ॥ १८२ कलाजीरा हिंडोळा काणाणे का? नीपजै, सिवाणे भरीजै भोग । काकै भतीजै मारियो, काठा गहुवारै लोभ ।। रातो वागो पहरिया, कवळी मूछारो माण । ज्या दीठो त्या सालसी, रायमलरो कल्याण ॥ १८३ रतनसी राव मालदेरो सवत १५८९ रा आसोज सुद ८ जनम. रतनसीरा बेटारी विगत-सादूल १, सुरताण २, सुदरदास ३, जैतसी ४, दळपत ५, नाथो ६, पचायण ७। १८४ महेस राव मालदेरो, टीपू पातररो बेटो मानो गूगो रोहिल रहतो जिणरी बेटी टीपू महेसदासरै बेटा तीन-रामदास १, दूदो २, कल्याणदास ३ । Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २० वांकीदासरी ख्यात पुत्रियां १८५ राजकवरी बाई बूदी हाडा सुरताणनू परणायी हुती. रावजी आपरी हाडीनू मारी हार्ड वाईन मारी. जदसू परणीजण परणावणरी अटक हुई । [ १८५-१९७ १८६. वाई पोहपावती डूगरपुर रावळ आसकरणनै परणायी हुती उवा रावळजी साथै वळी । १८७ हासवाई कछवाहा लूणकरणनै परणायी, वेटो जायो मनोहर राव सजनीवाई रावळ हरराजनू जेसळमेर परणायी. बेटो भीम रावळ, इद्रावतीवाई गवाळेर राजा कछवाहा आसकरणनू परणायी । १८८ बाई वाल्हवाई ऊमरकोटरा सोढा रायसलनू परणायी, पछै जोधपुर आयी, सावत कुवो पटै । १८९. वाई कनका गुजरातरा पातसाह सुरताण महमदतू परणायी. पातसाह मुवो जद जेसळमेर सजना वाई कनै आय रही । १९०. रतनावती बाई हाजीखाँनू परणायी हाजीखा मुवो जद चद्रसेणजीरा विखा माहे आयी थी पछै मोटा राजाजीरें जोधपुर ओज आयी. सवत १६४९ मुयी पर्छ नागोर मेली उठे गुमटी है । १९१ लालवाई सूर पातसाहनू परणायी । १९२ अमरसररा सेखावतारी भाणेजी, राव रामारी बहन जसोदाबाई नागोरी खानू रणाय । १९३ मानसिंह गागावतसू हमती दीठी जिणसू हाडी द्रोपदी महल वारै कढाय मारी । १९४ पातररी बेटी रुखमावती पातसाह अकबरनू परणायी लखमी बाहरली ओळगण नगा भारमलोतरै घरमे पैठी नगा लारे बळी | राव चंद्रसेण १९५. सवत १५८९ रा सावण सुद ८ चन्द्रसेणरो जनम सवत १६१८ रा पोस सुद ६ मालदेरै टीकै बैठा. सवत १६३७ रा माह सुद ७ सरियायरी गाळमे राज देवलोक हुवो । १९६ सवत १६१८ लोहावट चन्द्रसेणजीरै नै उदेसिंहजीरै वेढ हुई रावळ मेघराज हा` `वतरा हाथरी बरछी उदसिंहजीरै लागी जद कलोजीसू उदैसिंघजी अकबर कनै गया गवाळेर कनै समखळी ठिकाण पटो पायो । १९७. मोटा राजारै हायरी वरछी चन्द्रसेणजीरं लागी. रावळ मेघराजरै हाथरी वरछी मोटा राजारै लागी लोहावटरै खेत । Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९८-२०८] राठोडांरी वातां २१ १९८. मोटा राजारै सामै खवै बरछी लागी. घोडो पडियो, जद खीची. . . . . रे घोडै साहणी नादै उपाडि चढाय काढिया । 'जोगा ऊपन जूवटो ऊदो वेलै आल' १९९. जोगो सादाउत माडणोत राजाजीरै काम आयो । २०० नागोर पातसाह अकबर जद मोटाराजा नै राव चद्रसेणजी अक हुवा, रसाभास मेटियो मोटो राजा नै कवर रामसिंघ अकबर कनै रह्या. चन्द्रसेणजी भादरा जूण गया.. कवर उगरसेण बूदी गयो । २०१ सवत १६१८ रा पोस सुद ९ राव चन्दरसेणजी अकबररो उमराव खान जहाँ जिणनू जाळोर सूपियो । २०२. सवत १६२० रा जेठ सुद १२ राव राम पातसाह अकबर उमराव हसन कुलीखानू जोधपुर राव चदरसेणजी माथै लायो, रावजी कनासू सोजत इण राव रामनू दिरायी। २०३ संवत सौळासै बीस १६२० रा चैत वद ४ राव राम हुसेनकलीनू आण पाली मारी सोनगरो मानसिघ अखैराजोत निकळियो सो उदैपुर गयो। २०४ संवत १६२२ रा मिगसर वद ४ राव चदरसेण हसनकुलीखानू गढ जोधपुर सूपियो। सवत १६३२ राव चदरसेणरा रजपूता सहबाजखानै सिवाणारो गढ तूंपियो। २०५. राव चद्रसेगरी वहू सीसोदणी सुरजनदे राणा उदैसिंघजीरी बेटी सोजतरै गाव सिवराड हुती पचोळी नेतो भडारी मनो कनै हुता मोटाराजारी वहू कछवाही मनरगदे कुवरजी सूरजसिंघजीरी मा सिवराड सीसोदणीजीने लेण आया सीसोदणीजी जोधपुर आया पछै मथुराजी पधारिया । २०६ राव चदरसेणरा बेटा दोय- आसकरण १, रामसिंघ २ निरवस गया उगरसेण चदरसेणोतरो वस रह्यो। २०७ उगरसेणरा बेटारी विगंत-करमसेन १, कल्याणदास २, कान्ह ३, करमसेणर पटो अक बार सोजत • • हो दिखणमे पठाण खानजहासू मामलो हुवो जठे करमसेण काम आयो। २०८ करमसेण ऊगरसेणोतरा बेटारी विगत-किसनसिघ १, स्यामसिंघ २, राजसिंघ ३, कुसळसिंघ ४, बळभद्र ५, मुकनदास ६, हरराम ७, रामसिंघ ८, मोहणदास ९, गिरधर १०, धरमसेन ११, जगनाथ १२ । Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ वांकीदासरी ख्यात [ २०९-२२३ २०९ सीसोदणी सुरजणदेरो वेटो आसकरण सवत १६३७ रा माह सुदमे राव चंदरसेणरै टीक बैठो। २१० मवत १६३९ रा चैत सुद २ सारण गावमे भाई उगरसेण कटारी चलायी. आसकरण माराणो · · ·सत कियो, उणहीज दिन आसकरण रावर रजपूत सेखै साकरोत उगरसेणरा हाथसू कटारी जडकी उगरसेणरै चलायी आसकरण पहलां उगरसेण मुवो। २११ कवर रामसिंघ नरूको राजारो भाणेज । २१२ पातसाह अकबर कावलमे जद रायमिघ चंदरसेणोतनू सोजत दीवी। २१३ रामसिंघ चंदरसेणोत काम आयो, तीन राणिया सती हुई सोजतरा तळाव _वेपैलाव ऊपर संवत १६३७ रा मगर वद ३ - कछवाही राजा आसकरणरी वेटी १, सोनगिरी भाण अखैराजोतरी वेटी २। २१४ संवत १६३६ भादराजण आप राव चदरसेणजी विखा माहे देवड़ा विजा हरराजोतनू परणायी जोमैतीवाई। २१५ चंदरसेणजीरी वेटी आसकवरीबाई कछवाहा माननू परणायी। २१६ वेटी रुखमावती वाई पातसाह अकबरनू डोलो मेलियो। २१७ संवत १६२६ रा पोस सुद ६ चदरसेणजी आपरी बेटी करमैतीबाई राणा उदैसिघनै परणायी। २१८, करमैतीवाई राणा उदैसिंवजीनू परणायी। खां नागोरीनू परणाई धनबाई । राजा उदैसिंघ २२० सवत १५९४ रा माह सुद १३ रवि राजा उदै सिघरो जनम । २२१ सवत १६२७ रा सावण सुद १५ उदैसिंघजी अकबररै चाकर रह्या। २२२ मोटै राजाजी १६ आदमिया समेत मैणा हरराजियानु जोधपुर गढ माथै मारियो. सवत १६४२ रा जेठ माहे जद सुरजमल खीमाउतर गोडे ठरड़ो लागो सोजत मोटाराजाजीनू हुई जद वगडी वाघ प्रथीराजोतन पातसाहजीरी दियोडी हुती नै कटाळियो भोपत देईदासोतरै हुतो। २२३. सवत १६४१ मोटे राजा राव सुरताण सिरोहीरो धणी जिण माथै पेसकसी पीरोजी लाख दोय नै घोड़ा १३ ठहराया। २१९ .. Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२४-२३२] · राठौडारी वातां २२४ नवा पेटै औलमे बाई राठोड किसना देवडा सामंतसी नोगारिया नै देवड़ो सामदास सूजावत देवडा प्रिथीराजरो भाई ओळिया राठोड भोपत पातावत. ऊहड गोपालदास साथै जोधपुर मेलिया। २२५. सवत १६४० नबाब खानखा मोटाराजा उदैसिघ राजपीपळा वेढ हुई गुजरातरो पातसाह मुदफरन भाज गुजरात दिली कारे घाली सवत १६४१ राजपीपळा मुदफर पातसाह भागो खानखा आगै जद मोटा राजाजीरा चाकर भाटी सादूळ मानावत गोइददासजीना भाई सोरासू बळियो। २२६ समाडली पटै भाई अमल किया जद गूजरासू वेढ हुई राजाजीरा दोय मनख माराणा समाडली सोभानू सीकदार कियो । २२७ पलासळो १, गूजरावास २, धुणलो ३, जोगावास ४, भिटोरो खुरद ५, बुटेला ६, हाफत ७, कोटडो ८, जाइजो ९, रीसाणियो १० - औ गाव दस सोजतरा कला करणराजोतरा दियोडा चारणानू मोटे राजा उथापिया जद बारट अखै साकर आढे दुरसै धरणो कियो अखै दुरसै गळे घाली। २२८. चाहडवा १, रहतडी २, बोरतडी ३, सुगालियो ४, गोधावस ५, भेवली ६, खारिया ७, गिरवरियो ८, आकडावस ९, वासणी १०, गोडाग ११, भिणावणो १२ - अ गाव बामणरा उथापिया। सवत १६५१रा असाढ सुद १५ राजा उदैसिंघजी लाहोर देवलोक हुवा। पातसाह अकबर नाव बैठ सतियाँन देखवा आयो जिण पहला लापो दियो. पातसाह कवर सूरजसिंघजीनू वीजाहीनू दिलासा दिवी कयौ, सरब काज कर पछै म्हा कनै आवो। , सौळेसै इक्काणवै, सुद पूनम आसाढ । देवलोक ऊदो गयो, गगहरो अवगाढ ॥ राणियां २३० बडी बहू सोळकणीजी सावतसीजीरी बेटी, सोळकियानूं वैर भागो जद परणियो मोटोराजाजी। २३१ कछवाहा राजा आसकरणरी बेटी बजरगदेजी मोटोराजा परणियो ज्यारा पुत्र सुरजसिंघजी हुवा। २३२ मोटाराजा उदैसिंघरै बेटा सूरसिंघ १, अखैराज २, भगवानदास ३, नरहरदास४, सगतसिंघ ५, भोपत ६, दळपत ७, जैतसिंघ ८, किसनसिंघ९, जसवतसिंघ १०, Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४ वांकीदासरी ख्यात [२३२-२४७ केसोदास ११, रामसिघ १२ ,पूरणमल १३. सोळे सिरदार। ' २३३ भगवानदास भोपत सीसोदियारा भाणेज । २३४ राजा उदैसिघजीरो कंवर भोपत जिणनू मसूदै परमार सादूळरै वेट मारियो राजा मानरै ओ मामारो वेटो भाई जिणसू मान महाराज सूरजसिंघजीसू कही वैर भंजायो सादूळरी बेटी महाराज सूरजसिंघजी परणिया. पवारजी महाराज साथै वळिया। २३५ मोटाराजारो नरहरदास जिणरा वेटारी विगत – कल्याणदास १, जगनाथ २ । २३६ सवत १६१४ आसोज वदी ४ जनम भगवानदासरो सवत १६१५ रा कातो सुद १२ मुवो। २३७ मोटाराजारो भगवानदास जिणरा बेटारी विगत -- गोइददास १, गोपाळदास २, वळराम ३, अचळदास ४ । २३८ मोटाराजारो मोहणदास जिणरा वेटारी विगत - प्रतापसिंघ १, सवळसिघ २, सादूलसिंघ ३. सवत १६२८ जनम सवत १६६७ कटारी खाय मुवो। २३९. सेखावतारो भाणेज अखैराज समावळी थकी खीचीवाडामे काम आयो। २४०? सगतसिंघ भाटियारो भाणेज। २४१ जैतसिंघ, माधोसिघ, मोवणदास, कीरतसिंघ - च्यारू अमरसररा सेखावतारा भाणेज। २४२: माधोसिंघ मोटाराजारो जिणरा बेटारी विगत - केसरीसिघ १, महासिघ २, बिहारीदास ३, सवत १६३२ काती वद ५ जनम । २४३ मोटाराजारो जैतसिंघ जिणरा वेटारी विगत - हरिसिंघ १, अमरो २, कनीराम ३.पेमसिंघ ४, भावसिंघ ५, राजसिंघ ६, गोवरधन ७, विजैसिंघ ८ । २४४ दळपत मोटाराजारो जिणरा वेटारी विगत – महेसदास १, कनीराम २, राजसिंघ ३, जसवत ४, प्रतापसिंघ ५, जुझारसिंघ ६ । २४५. सवत १६५४ राठोड वळपत मोटाराजारो लाहोर थो. कुरखेत सूधो दोडियो बुदेला रण धवळ वास भाटी गोइददासजी भुलायो बुदेलो हाथ न आयो। ૨૪૬ इत्ता राठोड़ साथ हुता राठोड भगवानदासजीरै राठोड दळपत राजावत १, किसनसिंघ राजावत २, राव सगतसिंघरो साय भाटी गोइददास मानावत । २४७ सवत १६६७रा पोस सुद ११ राठोड भगवानदाम मोटाराजारो वेटो जिणरा वैरम वुदेलो दळमाह राजा हरवळ रो वैटो इतरा मिल मारियो। Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४८-२६२ ] राठौsit वातां २५ २४८ राठोड गोइददास भगवानदासोत राठोड राघोदास नरहरदासोत राठोड़ भोजराज नराणदासोत, राठोड जगनाथ कल्याणदासोत, राठोड भगवानदास वाघोत, हुल मेघराज भाडावत, राठोड के सवदास दिखणी । २४९ मोटाराजारी बेटी कमळावतीबाई मऊरा खीची राव गोपाळदासनू परणायी । २५०. प्राणमतीबाई डूगरपुररो रावळ सहसमल जिणरो बेटो करमसी जिणनू परणायी । २५१ दळपतजीरी बहन किसनावतीबाई कछवाहा रुपसी वैरागररो बेटो तिलोकसी जिणनू परणायी । २५२ चावडारी भाणेजी रुखमावतीबाई कछवाहा राजा महासिंघनू परणायी । २५३ भाटी सूरजमल लूणकरणोतरी बेटी राणी सजनाबाई जिणरी बेटी राजकवर भाण सगतावतनू परणायी । २५४. सतोखदेजीरी दूजी बेटी सतभामाबाई हळवद झाला चदरसेणनू परणायी । २५५ कछवाहा राजा रामसिंघनू परणायी सोळकणीजीरी बेटी तीन । २५६ रभावतीबाई भाटी खेतसी मालदेओननू परणायी । धनत्राई नू । २५७ रूपकवर वाई ग्वाळेर परणायी बेटो नरहरदास | २५८ कछवाही राजावत ग्वाळेररा राजा आसकरणरी बेटी मनरगदेजी ज्याँरा बेटा सूरजसिंघजी, किसन सिंघजी, बेटी बाई माना पातसाह साहजहारी मा । २५९ सवत १६४४ मानीबाई साहजादा जहाँगीरनू परणायी । राजा सूरसिंघजी २६० सवत १६२७ रा वैसाख वद ७ रो जनम सूरजसिघजीरो, सवत १६५७ रा असाढ वद ११ लाहोर पाट बैठा, सवत १६७६ रा भादवा सुद ८ राम को दिखणमे महकररै था । 1 २६१ सवत १६२७ रा वैसाख वद ६ फळोधी सूरजसिघजीरो जनम सवत १६२६ सावण वद ७ राजा सूरजसिंघजीरो जनम सवत १६५९ असाढ सुद ९५ सूरजसिंघजीनू लाहोर डेरा टीको दियो । २६२ सवत १६६८ पातसाहरी फौज दिखण माथै जावै, सारा राजा, नबाब भेळा जद महाराज सूरजसिंघजीरो उमराव भाटी जोगणीदास गोइददासोत जिणनू कछ, वाहा राजा मानसिघजीरा उमरावरै हाथी सूडसू पकड घोडासू उतार मोरो कर दांतामे पोयोडी कटारी वाही हाथीरै कुभाथळ लागी, जोगणीदास मुवो । Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात [ २६३-२७५ २६३ ओ हाथी राजा मान महाराज सूरजसिंघजीर मेलियो ओ हाथी पछ महाराज सूरजसिंघजी उदैपुरमे साहजादा खुरमनै दियो । २६४ ओ हाथी राजा मान राजा सूरजसिंघजीरी निजर कियो किताईक वरसा पर्छ ओ हाथी उदैपुरमे माहजादा खुरमरी निजर सूरजसिघजी कियो। २६५ चतुरभुज सेवा राणा प्रताप प्रनापीतरो जिणनू सवत १६६९ सिवाणारो गाव फरमावस गावा छवसूं बरस अक रह्यो जोधाणनाथ दियो।। २६६ सवत १६७१ उदैपुर राणाजीरी मुहिम महाराज सूरजसिंघजी सार्य हुता राठोड प्रथीराज वलूओत वैर दहियो मोवणदास राव रतन हाडारो चाकर घरे जावतो मारियो इतरा सिरदारा मिल ज्यारी विगत-राठोड़ पिरागदास मानसिंघोत काम आयो प्रथीराजजीरी भीरा, नरहरदास भागोत, चापो वीठळदास गोपाळदासोत । २६७ धाधल पचायण मूरसिंघजीनू जहर न दियो, आप पियो । २६८ पचायणरै ईसरदास, ईसरदासरे मनोहरदास, मनोहरदासरै वैटा तीन-अक गोवददास जिणरा फैरू, दूजो उदैकरण जिणरा साल, तीजो केसवदास जिणरा मोकळावस । २६९ संवत १६७६ रा मुकल पक्खमे दिखणमे महिकररा डेरां सूरजसिंघजी देवलोक हुवा। २७०. सवत १६७६ रा भादवा सुद दिखणमें महकररै थाणे सूरजसिघजी देवलोक हुवा।। राणियां और संतान २७१ महाराज सूरजसिंघजी लाहोररा डेरा कछवाहा दुरजणसाळरी बेटी सोभाग देजी परणिया पीहररो नाम किसनावतीवाई।। २७२ सवत १६८० रा फागण मुद ९ गोधूळीक सावै परवेजनू परणायी । २७३ सेखावत दुरजणसाळरी वेटी क्सिनावतीबाई सासरारो नाम सोभागदेजी ज्यारा वेटा महाराज गजसिंघजी सवत १६५३ रा काती सुद ८ जनम लाहोरमें हुवो। २७४ बेटी वाई मनभावती साहजादा परवेजनू परणायी, कछवाहा दुरजणसाळरा दोहिता महाराज गजमिघजी। २७५. महाराज सूरजसिंघजीरो राजलोक डूगरपुररा रावळ सहसमलरी वेटी पीहररो नाव जसोदा, सासरारो नाव सुग्तागदे ज्यारो वेटो सवळसिंघजी । संवत १६६४ रो जनम सवत १७०३ रा फागण वद ३ राम कह्यो । Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७६-२८९] राठाडांरी वातां ૨૭ २७६ बहूजी अहाडी सुरताणदेजी रावळ सहसमलरी बेटी ज्यारा बेटा सबळसिंघजी। २७७ राजा सवळसिंघजी सूरसिंघोत महाराज गजसिंघजीरा छोटा भाई है, अक हजारी मनसब, वरस ३९ री ऊमर हुई । २७८ सांगा परमाररी दोहिती बाई आसीकवरी चतरगदेजीरी बेटी कछवाहा राजा ___ भावसिंघ मानसिंघोतनू परणायी। २७९ भाटी सहसमल मालदेवोतरी बेटी पारवतीबाई अमोलखदेजी ज्यारी बेटी म्रगावतीबाई कछवाहा राजा बडा जैसिंघजीनू परणायी। २८०. भाटी केलण गोयददासरी बेटी जोगणीदासरी बहन सुजाणदेजी महाराज सूरजसिंघजी परणिया साळवळी । राजा गजसिंघजी २८१ महाराज गजसिंघजी सवत १६५२ रा काती सुद ८ वहसपति जनम. सवत १६७६ आसोज सुद १० पाट बैठा बुरहानपुरमे सवत १६९४ जेठ सुद ३ रवि राम कहयो आगर हवेली जमनारै उपकठ । २८२ सवत १६५२ रा काती सुद ८ राजा गजसिघजीरो जनम । २८३ सवत १६७६ बिरहानपुर नबाब खानखा महाराज गजसिंघजीनू टीको दियो . आगरासू पातसाह जहागीर सपद माला साथै बिरहानपुर मेलियो हो । २८४ सवत १६७६ पातसाह जहागीर आगराथी टीको बुरहानपुर मेलियो महाराज गजसिधजीनै । २८५. सवत १६७७ अवर चपू महकर घेरा दियो महाराजा गजसिंघजी आछा हुवा। २८६ सवत १६७८ खुरम आयो जद अवर चपूसू वात ठहरी वरस दोय विग्रह रह्यो। २८७ सवत १६८१ रा काती सुद १५ महाराज गजसिंघजी सीसोदिया भीम अमर सिंघोतनूं जगमे मारियो । २८८. सवत १६८१ काती सुद १५ हाजीपुर पटणे गगा ऊपर साहजादा खुरमथी वेढ हुई महाराज गजसिंघजी सीसोदिया भीमनू मारियो भीमरा इत्ता काम आया-सीसोदियो मानसिंध भाणावत, कूपावत कछरो, जसवत सादूळोतरो २ जैतारणियो हरिदासरीयोत ३ - राठोड राघोदास घावै पडियो बळओत जैतारणियो भीम कल्याणदामोत सीसोदियो गोकळदास भाणावत अ घावै पडिया ज्यानू महाराज गजसिंघजी उपडाया जतन कर जिवाया। २८९ सवत १६८४ रा असाढ वद ८ फतैपुर कनै सीसराधीरी गढी भेळी गजसिंघजीर साथ जद इतरा राठोड काम आया नबान सिरदारखान पातलाही फोडरो Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८ वांकीदासरी ख्यात [ २८९-३०१ मालक हुतो राठोड भगवानदास वाघोत १, राठोड गोकळदास विसनदासोत २, जैतारणियो दयालदास कल्याणदासोत ३ वगेरे । २९० हाडा इण ठोड घणा काम आया नै सवत १६८४ रा असाढ वद ८ फतेपुर कनै सीसराळी गढी हुती । २९१ श्री महाराजाधिराजजी श्रीगजसिघजी महाराज कवर श्री जसवंतसिंघजी वचनातु आसोप कोटा पत राठोड गजसिंघजी दीसे सुप्रसाद वांचजो अठारा समाचार भला छै थारा 1 २९२. महाराजरी गुणपचास वरसरी ऊमर हुई, चौईस वरस राज कियो । राणियां २९३ सवत १६६३ कछवाहा राजा जगरूपरी बेटी कलियाणदेजी टोडै जाय परणिया महाराजकवार गजसिंघजी पैलो व्याव । २९४ टोडै पधार परणिया कलियाणदेजी नाम | २९५. सवत १६६३ असोपालवैरो विहु महाराज सूरसिंघजी भाटी गोइददास मानावतनू दिया. इणहीज वरस तोडै कछवाहा राजा जगनाथरै राजा गजसिंघजी परणिया सीतळारी पीडा घणी हुई. गोइददास मानावतरो बेटो मोहणदास कवरजी माथै उवाराणो कवरजी वचिया, मोहणदास मुवो । · २९६ महाराजकवर गजसिंघजी तोडै कछवाहारं परणियो उठे सीतळा निसरी सू सीळ सावण आपडिया जद गोइददास मानावतरो बेटो मोवणदास कुंवरजी माथै तोडै उवाराणो कवरजीरें सीतळा आछी तरैसू तूठी. मोवणदास मुवो । २९७ कछवाहा राजा मानसिंघ भावसिंघ मानसिंघोत वेटी सूरजदे महाराज गजसिंघजी आवेर जाय परणिया जिका आगरे महाराज साथै बळी | २९८ संवत १६६९ माह वद ५ कवर गजसिंघजी जेसळमेर परणीजण पधारिया . भाटी गोइददास साथै हुवो । २९९ चहुत्राण अमरतदे सिखरा महकरणोतरी बेटी सवत १६६४ गाव खेजडली पवार परणिया महाराजा गजसिंघजी । ३०० चहुवाण सिखरा महकरणोतरी वेटी अमरतदे सवत १६६४ गाव खेजडली पवार परणिया महाराज गजसिंघजी । ३०१ चहुवाण सिखरो मह्करणोत महाराज गजसिंघजीरो सुसरो । Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०२-३१४] राठौडॉरी वातां ३०२ वह सीसोदणी परतापदेजी रुकमावतीबाई भाण सगतावतरी बेटी सवत १६६४ मथुराजी व्याव हुवो नानै झाबुआरै राजा केसौदास मारू परणायी गजसिंघजीनू स० १६७९ जोधपुर राणीपदो पायो मगसर ५ महाराज जसवतसिंघजी। ३०३ सवत १६७९ रा भादवामे सीसोदणी परतापदेजी कवर जसवतसिंघजीरी मा जिणनू राणीपदो दियो जोधपुर पधारनै महाराज गजसिंघजी। ३०४. वाघेलो बाधूगढरो धणी राजा अमरसिंघ महाराज गजसिघजीरी चद्रकवर परणियो। ३०५ रीवा मुकदपुररा राजा वाघेला जिण राजा वीरासिंघदेव वाघेलो जिणरो राजा वीरभद्ररो राजा विक्रमादित्यरो अमरसिंघ महाराज गजसिंघजीरी बेटी परणियो जोधपुर। ३०६ अनारो१, देसो २ - मैं दोनू बहना महाराज गजसिंघजीरी मरजीरी • लिवी। जसवंतसिंघजी ३०७. महाराज जसवतसिंघजीरो जनम बुरहानपुर हवेली सवत् १६८३ रा माह वद ४ बुरहानपुररो जनम महाराज जसवतसिंघजीरो । '३०८. महाराजकवार जसवतसिंघजी बूदी राव चत्रसाळजीरी बेटी परणिया. दूजै दिन महाराज गजसिंघजी देवलोक हुवा कवरजी बूदीसू परबारा आगर गया । ३०९. पातसाहनू खबर हुई- जसू आया. जद साहजादा मुरादबख्सनू डेरै मेलनै मातमपुरसी करायी फुरमाया साहजहा-आछी सायत जोय हजर आवो सवत १६९४ रा असाढ सुद ४ सोमवार पातसाह उमराव दोय डोढी ताई मेलिया उणा ले जाय पावा लगाया श्री पातसाहजी महाराजन छातीसू लगाय दिलासा दिवी सिरपात्र मोतियारी माळा दे सदामदरो मनसब दे देसरी सीख दिवी। ३१०. सवत् १६९५ रा असाढ वद ७ जोधपुररो टीको पायो जसवतसिंघजी। ३११ सवत् १६९४ रा असाढ वद ७ टीको पायो महाराज श्री जसवतसिंघजी। ३१२ आगरै साहजहा आपरै हाथसू महाराज जसवतसिंघजीनू टीको दियो । ३१३ आगरै साहजहा पातसाह महाराज जसवतसिंघजीनू टीको दियो जद उमरावानू सिरपाव दियो ज्यारी विगत३१४ राठोड राजसिंघ खीमावतनै १, राठोड रतन राजसिघोतनै २, राठोड भावसिंघ कान्होतनै ३, राठोड वीठळ गोपालदासोतनै ४, राठोड सुन्दरदास रायसिंघोतनै५, रावळ भारमल जगमालोतनै ६, राठोड जगतसिघ रामदासोतनै ७, राठोड Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात [ ३१४-३२४ वनमाळीदासने ८, आढा किसना दुरसावतनै ९, राठोड गोवरधन चादावत कूपा १० - आ दस आदमियान । ३१५ सवत् १६९७ रा फागणमे चापो महेशदास सूरजमलोत प्रधान हुतो महाराज श्री जसवतसिंघजीरै । ३० ३१६ महाराज जसवंतसिंघजी लोहाईरा डेरा सवत् १६९८ रा आसोज सुद १० वाईस घोडा चारणानू नै सिरदारानू दिया, दोय लाख-पसाव दिया, अक लालस खेतसीनू, दूजेरो आढा किसनानू । ३१७ श्री महाराजाजीरो साथ ले मुहणोत विठळदासोत गाव सीधलारै • सुदरदास, चापावत लखधीर सीधल वाघ आदमी ४०० सू गाव .1 ३१८ सवत् १७०१ रा पोस सुद ७ महाराजा श्री जसवंतसिंघजी रै ज्वर निपट जोर कियो पातसाह साहजहा कूपावत राजसिंघ खीमावतनू हाथी जै जीतवा दियो हो सो हाथी महाराजा दान दियो विग रामदास दिखणी हमै चाटसू रहे जिणनू रुपिया १०००) ऊपर दिया पछै रातरै समै सीतळा देखायी दिवी । ३१९ रावळ मनोहरदास मुवो सवत् १७०६ रा काती सुद १५ जद पातसाहजी । ३२० सवत १७०६ रा फागण सुद २ जसवंतसिंघजी पहोकरणवासी महारावळ सवळसिघ महाराजाजीरी फौज माहे हुतो रोजीना पचास रुपिया पावतो सारा सवार डोढ हजार अढाई हजार फौजमे पाळा हुता । ३२१ सवत् १७०६ रा असाढ वद ३ जोधपुरसू फौज पोहकरण माथै विदा किवी राठोड गोपाळवास सुदरदासोत मेडतियो १, राठोड वीठळदास सुदरदासोत मेडतियो २, वीठळदास गोपाळ दासोत चापो ३, नारखान राजसिंघोत कूपो ४, भँडारी जगनाथ ५, मुणोत नैणसी ६, सिंगवी प्रताप । ३२२ रावळ सवळसिंघ जेसळमेररा उमराव भाटी पोहकरण किला मांहे हुता ज्यानू वात कर काढ दिया दरवाररो अमल करायो भाटियारा जणा अढाई स गढ माहे हुता ज्या माहसू तेरै जना काम आया पडाव निसरिया | रहिया हुता जिके दूजा ३२३ राठोड सुजाणसिंघ केहरसिंघोतरो रजपूत भाटी रुघ चापा अमरा सुरजनोतरा रजपूत काम आया सवत १७०६ रा आसोज सुद १५ पोहकरणमें अमल हुवो जसवंतसिंघ महाराजरो । ३२४ सहर उजेण सवत् १७१४ रा वैसाख वद ९ सुक्र ओरगजेब मुरादवखससू महाराज जसवंतसिंघजी जग कियो । Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२६ ३२५-३३२] राठौडारी वातां ३२५ तोपखानारो मालक कासमखान औ· · महाराजा जसवतसिंघजी साथै विदा किया उजैण थाण । हिंदुआरी विगत-हाडो मुकनदास,गोड अरजुण, भीम राठोड, रतन महेसदासोत, सूरजमलोत, सीसोदियो राजा अमरसिंघ, भीम अमरसिंघोतरो सीसोदियो, सुजाणसिंघ अमरसिंघोन-इत्यादिक बाईस आसामिया महाराजरै ताबै किवी पातसाह साहजहा । ३२७. १२४२ आसामीदार काम आया ज्यारा राजपूत ७०१ काम आया . ३०० घोडा वढिया अक हाथी माराणो राठोड़ सुजाणसिंघ केहरसिंघोत घावै पड उपडियो रजपूत १२ मुहता सूधा काम आया । ३२८ ठाकुर च्यार तथा सात पैला उपाडिया भाटी रुघनाथ १, राठोड महासिंघ जगनाथोत २, राठोड रायसल केसरीसिंघोत ३ इत्यादिक । ३२९. राठोड द्वारकादास बळू ओत सीसोदिया रायसिंघरो चाकर काम आयो। ३३०. जैतारणियो वळराम दयालदासोत, आसकरण बळ रामोत', कुभकरण बळरामोत, वीरमदे मुकनदासोत, सुदरदास वेणीदासोत, करमसोत प्रथीराज, दळपतोत प्रमुख, धाधल किसनो नारणोत, भाटी रतन भीम प्रयागदासोतरो, सोनगरो जगतसिघ रायसिंघोत पडि उपडियो उजीण पिरोयत दळपत मनोहरदासोत, ऊहड मेवराज उरजगोत, मेडतियो गोपीनाथ गोकळदासोत, गरीबदास सुजाणसिंघोत मुरारीदास गोयददासोत प्रमुख खीची जोगीदास कलावत, पडियार सादो भीमावत, चारण जगमाल, जूजाणियो नारण वाघावत, भायल रामसिंघ कचरावत नै देदो सावळोत इत्यादिक उजैण काम आया १३० घायल हुवा तीर नै गोळीसू । ३३१ चापावत वीठळदास गोपालदासोत, भीम वीठळदासोत, वीजो हरीदासोत, दयाळदास सूरजमलोत, किसनसिंघोत, खेतसिंघोत मै उजैण काम आया । ३३२ राठोड रतन महेसदासोत साथै इतरा उजैण काम आया- राठोड साहबखा कुभकरण वाघोतरो जैतो, चहुवाण वीठळ किसनदासोत, चहुवाण कूभो ईसरदासोत, चहुवाण अमरदास नै भगवानदास सादूळ सावतसीहोनरा, भाटी कुभकरण सुरताण रामोतरो केलण, भाटी अजो केलण, राठोड गिरधरदास किसनदासोत गागो, गहलोत पचायण हरदासोत, राठोड नरहरदास बीकानेर, राठोड गोपीनाथ राव सगतसिघरो पोतो, राठोड वेणीदास राजसिंघ सूरजमलोतरो चापो, राठोड दुवारकादास बळू गोपाळदासोतरो चापो, राठोड - भावसिंघ मेडतियो जैमलोत, माडल नाथारा बेटा तीन- सांगो १,रतनसी २, Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३ वांकीदासरी ख्यात [३३२-३३९ रूपसी 3, वारट जसो वेणीदासोत, सोनगरो वीरमदे, कछवाहो स्यामसिंघ राजावत, राठोड हरीराम लखमावत, मुहतो सांवळदास रूपमीरो, पडिहार धनराज, थोरी भूरियो, दमामी गुणो। औरगजेव साहसुजा सामो गयो महाराज जसवतसिंघजी माथ हुता छान साहसुजामू मिलिया साहमुना कह्यो म्हे भाई भाई काले साथै जोधपुर पवारो. औरगजेवरै नै साहमुजारै जग हुवो पातमाही लसकररा डैरा लूटने महाराज मारवाडनू पधारिया मारगमे पातसाही सहर मालू लूटिया । ३३४ साहसुजानू जीत पातसाह दिली आय रायसिंघनू जोधपुर लिख दियो महा- राजा सामी फौज मेली रायसिंघनू मारवाडमे आवण न दियो आ वात सुण औरगजेव मनमे कोप कियो। ३३५ हुरमखानो लूट इकवीस पालत वीज वाहणरा भरि महाराज डेरे बाणी। ३३६. राठोड रणछोडदास गोइददासोत महाराजा श्रीजसवतसिंघजीरी तरफसू नेवोजी अधम और गोइडराय साहजादा मुहम्मद मुअज्जिमरी तरफसू राजगढ सिवा कनै गया सिवै सिवारी मा रणछोडदासजीरे हाथ सिवारो वेटो संभाजी बरस ११ में महाराजरो बोल ले सूपियो।। ३३७ काती मुद ३ रा राजगढसू सिवै विदा किया तीनस असवार संभाजी साय राठोड़ रणछोडदासजीनूं घोडो सिरपाव दियो दुगदुगिया न लिवी. अक घोड़ो, अक सिरसाव, अक दुगद्गी खोजा अवमनू दियो, इतरो ही समाधान गोइदरायरो कियो. मिगसर वद ५ रवि ओरगावाद आया संभानू महाराजरा पावा लगायो मिगसर वद ६ सोम महाराज साहजादासू मुलाजमत करायी तरै पाच हजारियांमें सभानू भो राखियो, सिरपाव दियो पाचहजारीरो मनसब दियो महाराजरी कचहडी नजदीक संभारो डेरो हुवो। मिगसर वद १२ रवि साहजादै सभानू विदा कियो घोडा २, कपडो, दुगद्गी१, पुणचियारो जोडो १ सभाजीनू इत्ता दिया कटारी जड़ावरी १, दुगद्गी अंक ७२००) री, थान नव कपड़ो सेवान भेजियो. राठोड रणछोडदास गोइददासोत संभाजी मार्थ भेजियो दिन आठ सभाजी औरगाबादमे रह्यो ३३९. महाराज श्रीजसवतसिंघजी लाहोररा डेरा सवत् १७२३ रा पोस वद ८ राठोड श्रीआसकरणजीन मया कर देम सूबो दियो इत्ती चीजा हजुर इनायत किवी-योनारी माकत घोडो १, सिरपाव वामो १, बवारारो हकम किरो पंचोळी केसरीसिंघजी आमकरणजी मिल मारवाडरो काम करै । ३ Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४०-३५१ ] राठौडांरी बातां ३३ ३४० सवत् १७३० महाराजनू काबुलनू विदा किया पठाण माथै सुजातखा नवाब महाराज ताबीतमे । ३४१ सवत् १७३० रा फागण सुद ५ मोमवार पठाणसू राड हुई सुजातखा काम आयो महाराजरो ही लोक काम आयो फतै महाराजरी हुई । ܚܕ ܐ ३४२ औरगजेब खिताब दियो गस्त जसवतसिघ महाराजा दुवार मेडतिया गोपालदास सुन्दरदासोतनू जगनग नामा हाथी, चापा हाथी, कूपा गोवरधन चादावतनू रणजीत हाथी - जुमलै तीन हाथी सिरदारा तीनने जसवंतसिंघजी ओक दिन दिया । ३४३. मुलतानरा डेरा वनारसीदास जैनीने महाराज जसवंतसिंघजी आग्या किवी - अध्यातम ग्रथ वणाव 1 ३४४ महाराज जसवंतसिंघजी लिखता सही श्री परब्रमजोरी छै । ३४५ महाराज जसवंतसिंघजी राजा सबळसिंघजी सूरजसिंघोत ज्याँरी बेटी स्वत १७०७ रा काती वद ५ देवळियै परणायी जद हथणी चबेली डायजै दिवी । ३४६ सवत् १७३५ रा पोस वद १० महाराज जसवंतसिंघजी देवलोक हुवा बीस गायणिया ने राणी चन्द्रावतजी रामपुरारा राव अमरसिंघरी बेटी मडोवर जाय सत कियो जोधपुरसू । ३४७ सवत् १७३५ रा चैत वद ५ अजीतसिंघजीरो जनम दुरगदास आसकरणोत १, चापावत महासिघ २, मेडतियो मोहकमसिघ जगावत ३, रूपो ऊदावत ४, पिरागदास भोजराज वीदावत ५-अ दिलीसू मारवाडमे आया । ३४८ सवत् १७३५ सैताळीस सरदार दिली काम आया सवत् १७३६रा भादवा वद ११ राजसिंघ मेडतियो सेख सादूळनू मारियो मेडतो लियो । राणियाँ और संतान ३४९ महाराज जसवंतसिंघजीरै राजलोकारी विगत - बहूजी श्री भटियाणीजी नाव जसरुपदेजी रावळ मनोहरदासरी बेटी, पीहररो नाव पेमकवर संवत् १६९३ रा वैसाख सुद १२ घडी आठ रात गया जेसळमेर पधार परणिया कवरपदे । ३५०. महाराज जसवंतसिंघजीरै राजलोक भटियाणी जसरूपदेजी रावळ मनोहरदासरी बेटी । ३५१. सवत् १६९८ रामपुरै परणिया राव चादारी बेटी कसमीरदेजी चद्रावत. - गाळाव फूटो हो सो आ फेर बधायो । Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बांकीदासरी ख्यात [ ३५२-३६३ ३५२ वहूजी भटियाणीजी वाछळदेजी रावळ कलारी वेटी रामकवरवाई सवत् १६९८ जेसळमेर जाय परणिया रावळ भीम व्याव कियो गोइंददासजी साथै व्यावमे हुता। ३५३ सोनगरा जसवतरी वेटी मनसुखदेजी भागवतीवाई सवत् १६९८ मणियारी पधार परणिया बेटी अमरसिंघजी । ३५४ सवत् १६९१ रा चैत वद ७ गढसू उतर अमरसिंघजी पटो पायो वडैद जठे पधारिया । ३५५ वाघेला सागारी वेटी वाघेली कसूबदेजी सोभा सीकदाररै घरै परणिया जोधपुर डोळो आयो थो ज्याका गढी तळाव नवो बधायो । ३५६ नरूकी केसरदेजी चदरभाणजीरी वेटी संवत् १६७९ रै असाढ गांव पनवाड परणिया, परवेज साथ जाता सवत् १७३५ पोस वद १० जोधपुर सती हुवा । ३५७. कछवाहा राजा भावसिंघजीरी वेटी सूरजदेजी राजा जैसिंघजी व्याव कियो आवेर जाय परणिया आगरै सहगवन कियो राजाजी साथ सवत १६९४ रा जेठ सुद ३ । ३५८. सेखावतजी खडेलारा अतरगदे सासरारो नांव, जानकवर वाई पीहररो नाव, राजा वरसिंघ दुवारकादासोतरी बेटी महाराज जसवतसिंघजीरी राजलोक, कवर प्रथीसिघजीरी मा ज्या तळाव खणायो, वधाय नाव जानसागर कोई लोग सेखावतजीरो तळाव कहै। ३५९ वहूजी श्री हाडीजी नाम जसवतदेजी राव चत्रसाळरी वेटी सवत् १६९४ रा जेठ सुद २ सनी वूदी पधार परणिया जेठ सुद ३ महाराज गजसिंघजी देव लोक हुवा पीहररो नाव कोमकवरी। ३६० वहूजी हाडी जसवतदे चत्रसाळ वृंदीरा रावरी बेटी सवत् १७२६ रा वैसाख सुद १३ राणीपदो पायो औरगाबाद में । ३६१. चहुवाण जगरूपदेजी दयालदास सिखरावतरी वेटी सवत् १६९७ रा फागण सुद ३ लाहोर जाता डोळो आयो, विला. परणिया। ३६२. वहूजी चहुवाणजी चहुवाण दयालदास सिखरावतरी बेटी पातारी भाणेज नाम जगरुपदेजी पीहररो नाव रायकवरी सवत् १६९७ रा फागण सुद ३ लाहोर पधारता गाव विला. डोळो आयो परणिया ।। ३६३. वहूजी गोड जसरदे मनोहरदासरी वेटी सवत् १७०६ रा फागण वद २ राजा वीठळदास व्याव कियो गढ रणथभोर । Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६४-३७४] राठौडारी वातां ३६४. कछवाही अतिरगदे वीरसिहरी बेटी सवत् १७०६ रा. जेठ सुद ८ परणिया खंडेले जाय मेडताथी। ३६५ कवर प्रथीसिंघ राजा जसवतसिंघ राजा गजसिघोतरो दिली देवलोक हुवो. राठोड जुझारसिघ दलपतोतरो जिणरी हवेली कनै दाग पडियो। ३६६ कवरजी प्रथीसिंघजी जसवतसिंघोत दिली देवलोक हुवा राठोड जुझारसिंघ दळपतोत जिणरी हवेली कनै दाग दिराणो गोडजी सत कियो सत करता फुरमाया-महाराजसू मालम कीजो आगर महाराज गजसिंघजी माथै जायगां करायी · · म्हारै ही जायगा करावै। ३६७ कवरजीरै थडै सेवा करणनै व्यास सोभो रहियो। ३६८ गोडजी सत करता फुरमाया-महाराजसू मालम कीजो माहरै अठ जायगा करावै महाराज गजसिंघजी माथै आगरै जायगा करायी जिसी। ३६९. कवरजीरै थडै व्यास सोभो सेवा करणनू रह्यो। ३७० दळथभणजी नरूकारा भाणेज महाराज जसवतसिंघजीरा बेटा। ३७१ हिंगळाजजीसू रिधसिधपुरी सन्यासी हररामपुरीरो चेलो काबुल आयो. मालम करायी, पांच वरस मै हिंगळाजरा चरणा तप कियो, माईरी अग्या हुई समाध लेनै जसवतसिंघरै कंवर होय, नवकोटीरो राज कर; जैसू मोनै समाध दिराडो. महाराज ठावा आदमी मेल समाध दिराडी, भडारो करायो इण कह्योराणी जादवके पेट आऊगा, महाराज हमारा मुख न देखै, म्हे महाराजका मुख न देखू सवत १७३५ रा भादवा वद ९ सन्यासी दुपहररी समाध काबलमे लिवी बभूतरो गोळो, माल १, पोयी १ सूपी कडो-हू माग लेसू । अजीतसिंघ ३७२ दिली सरदार दुरगादासजी वगेरा पेमोरसू आया ज्या कनै तीन सौ च्यार सौ लोक हुतो ज्या माथै तीस हजार घोडो ले सीदी आयो। ३७३ दुरगादासजी दिलीसू आपरी वसी साथ ले विखारी त्यारी करी. सिरोही वीसलपुर गया। हो - दुरगो लड़यो दिली दळा, जद आयो जोधार । ___ वासै ले माणस वसी, विखो कियो तिण वार ॥ ३७४. असूदखा अजमेर जिणसू सोनग वीठळदासोत सिसोदियो भीवसिंघ राणा राजसिंघरो बेटो जिणारी मारफत वातचीत करी - म्हारो गोर की जद राजाजीरा बेटार नै सोनगजीर मुनमवरी वात ठहरती ही सवत १७३८ Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६ वांकीदासरी ख्यात [३७४-३८४ आपोज सुद ७ गाव खुदळोते सोनगजी राम कह्यो गोड सती हुई. वात यूहीज रही। ३७५ सवत १७३८ मे डीडवाणारी पेसक्सी ले चापावत अजवसिंघ वीठळदासोत मकराणो लूटियो काती वद १४ सहर मेडतो लूटियो. दिन दोय ईंदावड रिया। ३७६ असदखारो वेटो इकतारखा नै सिरदारखां पातसाही फौज ले आया. लड़ाई किनाईक सिरदारा सहित अजवसिंघ वीठळदासोत काम आयो. काती सुद १ वार सोम। ३७७ इण झगडामे तीन चारण काम आया मेड़तिया सिरदार तीन काम आया अजमिघजी सूधा पाच चापावत काम आया जुमलै राठोड इग्यारै काम १. आया । ३७८ चापावत उदैसिंघ लखबीर वीठळदातोत नै करणोत खीवकरण आसकरणोत नै मेडतियो मोकमसिंघ कल्याणमलोत - आ सवत १७३८ रा कातीमें माडल मारिनै कासमखा दिखण जातो हो जिणसू रोळो कियो। ३७२ सवत १७४३ रा वैसाख वद ५ सिरोहीर गाव पालडी महाराज अजीतसिंघ- - जीन पधराया सारा दरसण कियो चापो उदैसिघ लखधीरोत पावा लागो - बीजो ही साय पावां लागो। ३८०. सवत १७४३ रा आसोजमे राठोड दुरगदास आसकरणोत दिखणसू मारवाडमें : आयो नै भोमिया जमीदार थापा मिजमानी मेली नै घोडा नजर किया नै - पातसाही मुलक लूटिया आगरासू वीस कोस आतरै हसाररो मुलक लूटियो । ३८१ जेठ सुद ५ मालपुरै सइयद कुतव थो सामो आय लडियो सइयदरा आदमी सारा काम आया पठ्ठ पगा लागो। ३.८२. सवत १७४३ रा आसोज सुद १ गाव रतनथळ सइयदासू लडाई हुई सो सइयद मारिया राठोडा। ३८३. सवत १७४४ रा सावण सुद १० भीवरळाई आय वाडमेर अकबररा बेटा सुलतान साहजादारै पगा लागा घर बैठा रया । ३८४ पर्छ महाराज श्रीअजीतसिघजी तलवड़े मलीनायजीरा दरसण पधारिया. पछै भीवरळाई काती वद १० पधारिया जद दुरगदास आसकरणोत सारा साथसू सामो आय पगा लागो सिरपाव दियो पछै सला ठहरायी श्रीमहाराज पीपळोदरा पहाड पधार विराजो नै म्हा कनै साथ सांवठो छै, धरतीमे घोडो फेर आवा छा। Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राठौड वातां ३७ ३८५-३९५ ] ३८५ सवत १७४४ रा काती वद १३ हाडो दुरजण सिघजी, राठोड अखैराज, रतनो जोवो, राठोड दुरगदास आसकरगोत, चांगो मुकनदास - अ सोजत जोधा सुजाणसिंघ केहरी सिंघोत माथै गया. उण सहर गढ सवायो मामलो कियो. केईक राजपूत काम आया । ३८६ सवत १७४५ रा मिगसर वद ५ गूघरोटरा डेरा महाराजरा पगा दुरगदासजी लागा. दुरगदासनू नै उदेसिघनू सिरपाव देने काम सूपियो. या दोनांरा कामदार मेलिया काम करता । ३८७. सवत १७४५ रा फागण वद ८ जाळोररी पेसकसी लैणनू राठोड तेजकरण दुरगदासोतनू नै राठोड राजसिंघ अखैराजोतनू मेलिया गाव सारणासू कूच करता दीवान कमालखारी फौजसू मामलो हुवो । ३८८. चद्रावतासू राठोड अखैराज रतन महेसोतरो जिणरै वैर हुतो सूं महियारिया पूरणदासनू मेलनं चद्रावता कनासू दोय सगाई दिरायी नै केईक रुपिया दिराया अखैराजजी महाराज साहव सवत् १७४४ चैत सुद ५ । ३८९ रानाडीरा सिरदाररो बेटो केहरसिघ तुरकाणीमे जोधपुर कनासू चौथ लिवी. सायद केहर चौथ जोधपुर कीवी । ३९० जोधपुर व्यास हरकिसन हरवसरो तुरकाणी तुरकासू मिळियोडो हो साचोरा गिरधर रुघनाथरो चाकर दोय सपी मनसबरो । करै । ३९१ सवत् १७६५ सावण वदि ११ महरावखा जोधपुरनू अजमेरनू ३९२ श्रीजी गढ पधार सवत् १७६५ रा सावण वद १२ सिंघासण विराजिया राजा सवाई जैसिंघजी टीको कर मोतियारा आखा चेठिया, हाथी - घोडा नजर किया वीजा ही नजर किवी. ३९३ सूरसागररा महल सवाई जैसिंघजीरा डेरा ब्रमकुड दुरगदासजी आसकरणोतरो डेरो । ३९४ सवत् १७६५ रा काती सुद १ आठ हजार कडाजूझ सिपाही घोडा सवार हो सइयद गैरतखा हसनखा हुसेनखा सहे आया पहोर ताई राड हुई तोपखानो घणोई सइयदरी साथै हुतो पिण फ श्रीजीरी हुई ठाकुर, दुरगदासजी नरूको सगरामसिंघजी । ३९५. मेडतियै किल्याणसिंघ राजसिंघोत अरज किवी, राठोड हिंदूसिंघ अरज किवी. ठाकुर दुरगदासजी ही सामल रह्या, जद महाराज अजीतसिंघजी महरावखॉनू जीवतो जावा दियो । कूच Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ख्यात बांकीदासरी ख्यात [३९६-४०६ ३९६ भेळा हुआ मता घणी हाथ आयी च्यार कोस ताई तुरकारी कतल किवी. कूपो भीव सवळसीहोत काम आयो । ३९७. महाराज अजीतसिंघजी जाळोर थका तेजसिघ आईदानोतनू हरजी दिवी. जगनाथ आईदानोतनू आहोर दिवी। ३९८ दिली खीवसी भडारीनू महाराज अजीतसिंघजी लिखियो-गुजरातरा सोवारी खिलत पहलां तोनू हवै नै उजीणरा सोबारी खिलत दोय घडी पछै भगतणके तो माहारो आछो लागे भगतण जैसिंघजीरो नाव दियो हो । ३९९ धायभाई बखतराय १, नानगराय , खेरड़ो दलेलसिघ ३, कहाहनीराय ४, मे च्यार ही अजीतसिघरा चाकर अड़सीजीरा धावनिया ढेरिया हा। ४०० बगड़ीरो धणी अरजुसिघ प्रतापसिंघोत अजीतसिंघजीसू वदळियो उदैसिंघ लखधीरोत वदळियो पालीरो घणी । ४०१ आ खवर सूराचदरा डेरा महाराज अजीतसिघजी पाय चैत वद २ महाराज सूराचंदसू चढिया -- चैत वद ५ सवा पहर दिन चढिया, जोधपुर पधारिया. सूराचंदसू जोधपुर कोस १२० । ४०२ फर्रुखसियर महाराज अजीतसिघजीनू गुजरातरो सूवो दियो जद भंडारी विज राज सूवै रहियो पछै महमदसाह अजीतसिंघजीनू गुजरातरो सूबो दियो जद रुघनाथ आडो बैठो, अनोपसिंघ सूवै रहियो अभैसिंघजीन गुजरात महमदसाह दिवी जद रतनसिंघ सूवै रहियो। ४०३ महाराज श्रीअजीतसिंघजी नागोर मधि पधारिया जद राव इदरसिघजी, कंवर गोपाळसिंघजी हैदरावादको नवाबनू जग मुलमुलक जिणरै सामल हुता। कपावत प्रतापसिंघजी ककडावरा धणी भावसिघजी रो पोतो तिण नागोर सभाळियो हजूर राजी हुवा. नजराणो ले वाला पधारिया। ४०४ महामाया हिंगळाज प्रसादात छत्रपति महाराजाधिराज महाराजा श्री अजीत सिघ देव विजयते भानु तेज स्वरूपेण मही-मध्येषु राजते-जै आखर अजीत सिंघजीरी महोरमे। ४०५ देवळियारा धणीरी वेटी कल्याणकवर महाराज अजीतसिंघजीनू परणायी. आ मुई जद इणरी छोटी वहन अनोपकवर महाराज अजीतसिंघजी देवळिय पधार परणिया। ४०६ देवळियै सीसोदिया रावल हरीसिंघरा वेटा कुवर प्रिथीसिंघरी बेटी कल्याण कंवर महाराज अजीतसिंघजी देवलिय पधार परणिया । Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०७-४१९] राठौडारी वातां ४०७ अभैसिघजी १, वखतसिघजी २, रामसिंघजी ३, अणदसिघजी ४, सोभाग- , सिंघजी ५, प्रतापसिंघजी ६, रतनसिघजी ७, रूपसिंघजी ८, सुरताणसिंघजी ९, उदोतसिंघजी १०, छत्रसिघजी ११, किसोरसिंघजी १२, गागोजी १३-इता महाराज अजीतसिंघजीरा कवर हुवा । ४०८ किसोरसिंघजीरी अक माई बहन उदैपुर परणायी रामसिंघजी बखतसिघ जीरै जग हुवो जद रामसिंघजीरै सामल रह्या महाराज किसोरसिंघजी । ४०९ महाराज बखतसिघजी राजाधिराज कहावै, किसोरसिंघजी तेगबहादुर कहावै । ४१० महाराज अजीतसिघरी बेटी सूरजकवरबाई सवाई जैसिघजीनू परणायी, सोभागकवरवाई राणा जगतसिंघजीरा कवर प्रतापसिंघजीनू परणायी इद्रकवर परणायी कुळकवरबाई जैसळमेर रावल अखैराजजीनू परणायी। अभैसिंघ ४११ नबाब सेर बुलदखा काळीरा कोट कनै डेरा किया। ४१२ आठ हजार सवार, दस हजार सवार प्यादल नबाब कनै हुता छोटी-मोटी नवस तोप नवाब कनै हुती। ४१३. आसोज सुद ७ कोचर पालडी महाराज अभैसिंघजी बखतसिंघजी डेरा कर मोरचा पाच सहरनू नै भदरनू लगाया च्यार मोरचा अभैसिंघजीरी फौजरा, अक मोरचो महाराजा बखतसिघजीरी फौजरो। ४१४ महाराज अभैसिघजीरी फौजरै अंक मोरचै ठाकुर अभकरणजी महासिंघजी नै जीवणी मिसल भागीरथदासजी । ४१५ दूजै मोरचै सेरसिंघ सिरदारसिघोत, प्रतापसिंघ भीमोत डावी मिसलनै पुरोहित केसरीसिघजी। ४१६ तीजै मोरचे मारोठरो नै चौरासीरो साथ नै भडारी विजैराजजी। ४१७ मोरचै चौथै गुजराती सिपाही नै भडारी रतनसिघ । ४१८ राजाधिराजरी फौजरै मोरचै नागोररा सिरदार नै पचोळी लालो । ४१९ भदरमे नवावरो कबीलो हुतो सो अक बीवीरै गोळो लागो आसोज सुदी १० सनीवार वडो फजर हो नवाब सेरसिंघ सिरदारसिंघोतरा मोरचा माथै आयो जद अभैकरणजी नै चापावत करण राजसिंघोत दौडनै सेरसिंघजीरै मोरच आया उठे वेढ हुई तीनसै आदमी मियारा काम आया। Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात [४२०-४२६ . ४२० चापावत करण राजसिंघोत १, मेडनियो भोमसिंघ कुमळसिंघोत २, पुरोहित केसरीसिंघ ३, जोधो हरीसिंघ जोगीदामोन ४, धावल भगवानदास ५ । ४२१ ठाकर अभैकरणजी पूरा लोहा पाडिया महाराज डेरा मोरचासू अळगा हुता. सो आ खबर आयी तिण सायत श्रीमहाराज अभैसिंघजी वखतसिंघजी अमवार होय कटकरी अगाडी नाई पधारिया. इतै अरज मालम हुई, राड़ हो चूकी जद घोडा चलायासू मिया मिया पूर उठ राखी आगे तो पाचल ऊभो रह्यो चौडै आयो नही जद दोन साहिब ईसवररो नाम ले नै लटता तोपखाना सामा घोडा उठाया सो तोपखाना लोप तरवारा भीळिया. अक पहोर झीक वागो मियारै साथ मनमवदार हायियारा सवार हुता जिके इता काम आया-आबद अलीखा १, जमलुदीखा २, सइयद कायम ३, पठाण तरीनखा ४, सेख अलैयार ५, थानसिंघ ६, दुरजसिंध ७, अकहजारी ८. तीनस सिपाही नवावरा और काम आया नवावरा इतरा घायल हुवा-सेख मुजायद १, सेख जमादी अलीखा २, आगा महमदरो वेटो ३. और सिपाही पनरै से घायल हवा. नवाबरो तोपखानो खोस लियो नवाव भाज मेक मसीतर ओलै उभो रह्यो महाराजरी असमानी फनै हुई। ४२२. महाराज वखतसिघरै बीस तीर लागा ज्यामे तीन तीर तो च्चार आगळ बैठा दीजा मिलहमे रह्या गोळी अंक, गोळो अक लागो श्रीरामजीरा प्रतापसू खैर हुई असवारीरा घोडारै दस तीर लागा अंक भाटकै लागो। ४२३. नवाव नास सैर माय गयो दूजे दिन सेख मुजायदनू वात गरै महाराजा अभैसिंघजी कनै मेलियो कह्यो-महाराजा फुरमावै सू करू दरवार फुरमाया-तोपखानो सारो छोड जा यूहीज हुवो मवत् १७८७ आसोज सुद १२ महाराजरो झडो रुपियो अहमदावादमे । ४२४ राजाधिराज जग कियो पर्छ महाराज अभैसिंघ जेसिघरै सुलह हुई. हरमाड़ासू कूच कियां पछै जिता रुपिया जैसिघजीर खरच पड़िया उता देणा किया महाराज अभैसिघजी उवां रुपयामें भडारी रतनसिघनू नै भंडारी मनरूपनू ओळ में सूपिया। ४२५ हरमाडासू कूच हुवो पछै जिता रुपया जैसिघरै खरच पड़िया उवै देणा कर भडारी रतनचदनू अभैसिघजी ओळमे दियो। ४२६ अभैसिघजी वखतसिघजी गुजरात पधारिया जद कुहोहणर वणी उगरै अजवेस झाडीमे वोळावो कियो तमक वाणा कोळी । Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२७-४४०] राठौडारी वातां ४२७ मोकळसररै धणी वाढ उदैराज अभेसरी आग्यासू कोटनादरा धणी भाटी फतै सिघ समरावतनू मारियो अभेसरी आग्यासू जद गुडारो राणो सूरजमल भाखरसिघोत उदैराजरी मदत आयो हो। ४२८ उदराज खीवराज अखैराजोतरो सूरजमल भाखरसी साहिबखान ठाकुरसी ईसरदास उदैराज राणो सूरजमल मासियाळ भाई हुतो। ४२९ सेरसिघ मेडतिया अहमदावाद जावता मारगमे कोळियानू घोडा दिया उवै दारू पीवण आया हा दारू साथ नही जिणसू वात उवारणनूं सेरसिघजी घोडा कोळियानू दिया. कुसळसिघजी महाराज अभैसिघजीसू मालम किवीसेरसिघ' • सिघोतरा घोडा मारगमे खोस लिया कूपै कनीराम वात हुई ज्यू मालम किवी दरवारसू घोडा सेरसिघ सामा मेलिया ७५० । ४३० अहमदाबाद भदर मायै अभैसिघजीरी फोज हल्लो कियो जद सेरसिघ निराट आछो हुवो जीवरखो भदर वाजै गुजरातमे। ४३१ मेडतिया सूरजमल सिरदारसिघोत वखतसिंघजी कनासू महाराज अभैसिघजी माग लिया गुजरातमे। ४३२ अजमेररै गाव' नामसू महाराज अभैसिघ ईसरीसिंघजीरै मिळाप हुवो जद भडारी जैपुरसू उठ जोधपुर आयो । ४३३ नागोरसू धाय पुसकरजी स्नान करणनू आयी जद महाराज अभैसिघजी फुरमाया-तू अजमेर आव, हू तो आगै छातीरो ढीब भराणो है सू हू फोडू राजाधिराजरा भयसू आ अजमेर न गयी। ४३४ बीकानेरसू पधार अभेस पुरोहित जगूनू मदनरूपजीनू फरमाया कै माहो माहरी ईरखा छोड अकमत होय राजकाज करो, हमै म्हारा सरीररी सगती घटी है। ४३५ महाराज अभैसिंघजी मिनख मारणरी सोगन पुसकरजीमे छानै लिवी थी। ४३६ अभैसिंघजीन राजाधिराज कपटी कहता। ४३७ जिण सराबसू मासरी बुध भिजोय साधा सराबरो वडो ही पियाक छक जावै उण सरावसू सीसी भर दिलीरै पातसाह महाराजा अभैसिंघजीरी हजूरमे भेजी __महाराज अक घडी सारी सीसी पी लिवी। ४३८ अभेसनू गलीच विजय हू जवरनू नागोरी राम नप कहता । ४३९ अभेसनू गलीच फते हु ज धरनू नागोरी राघव सदूळ कहता। ४४० अभैसरी आण काढता। Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२ बांदिासर्ग न्यान थ-४ ४४१. महाराज अभंगि पनीर अजील गजाबी मोहोर नाग नागो गाने उठाय लेतो। ४४२ सवत् १७८० ग भादया बदी ८ महाग रगिरी गाना गिधगे बेटी विचिनावर पणिया। ४४३ पछवाईजीन पटा गनानजारा दियो महाग अगिनी। ४८४ गुजरात पधारता मिहीरे गा र गोवाकिर नितीन नारी बंटीगं दालो आयो, महागज अनिघजी परमिनी । ४४५ लाठीग धणीरी बेटी बडी भाटियाणीजी महाराज निजी पतिया गुजगत पवारना। गर्मिय ४४६ सवत १८०', महागज गमिधनी पाट बैठा.ममता १.८२: गम्धिनी देवलोक हुवा। ४४७ लदाणीरो धणी नरूको मेमरीनिघ ज्याग दोहिता पंचर गर्मानयजी नवत १७८७ रा भादवा वद १० जनम पहन जोधपुग्मं । ४४८. बग्वमिवजी रामसिंघजी छोटी-मोटी बाईन राहु।। ४४९ मेडनै सेरसिंघजी काम भाया पर्छ नवमै महीने लोहाबन जामनिवजी काम आया पछै छठे महीने नोधपुर गर्मामयजी नाम बगनिघजी लियो. ४५० जीवण घमियारो १, वन्यतो गाणी नेतिया से रसिंघजीरो चाकर २.वीजियो३, - अमीरुव ४ -अ रामसिंघजीर मनीजता। ४५१. जीवो घसियारो १, अमिओ डूब २, बबनो नाणी पियारो चाकर , वीजियो ४ - औ महाराज रामसिंघजीरै मानीजता। ४५२ उदैपुर टीको आयो जद जोधपुर रा कामेनियांनू कह्यो - जीवण घमियारा कह्यामू राणोजी अमको लडाईगे हाथी अठ मेले तो टीको लियां कामेतिया नरूकीजीम् मालम करि आपम् मालम करी. माजी फुरमावे है टीको ले लेणो, हाथी पछ ही राणोजी मेल देसी आ वात मान टीको ले लियो, किताईक महीना माजीनू कह्यो हाथी मगाय दियो या कह्यो-उवही देसपती है, यू हाथी क्यूकर मेल ? जद । ४५३. राम निरप फुरमाया जीवण घमियारारी अरजसू - राणो लडाईमे सेर अमको हाथी अठ मेलमी तो टीको म्हे राखसा राणाजीरो । Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५४-४६७ ] राठौsi adi ४३ ४५४ जद नरूकीजी कहायो - हम तो टीकारी सामगरी लिराय लेणी पर्छ ऊ हाथी उदैपुरसू नाठो जद नरूकीजीनू कहायो - अमको हाथी उदैपुरसू मंगाय दो जद नरूकीजी, 1 ४५५ उवैही राणा है, हाथी लडाईरो मेलसी नही जद राम फुरमाया - माटी मुवो तो पण राडरो मछर मिटियो नही । ४५६ जोधमल भडारीरं गळं दोवडरो टेपो देनें गुजवर कटी ले लिवी उवा विजियानू दिवी राम नृप । ४५७ महाराज ईसरीसिंघजीरी बेटी कछवाहीजी १, झळायरा राजावतजी २, चावडजी ३, जाडेचीजी ४ - महाराज रामसिंघजीरं औ च्यार राणी । ४५८. चावडीजी, राजावतजी, जाडेवीजी, कछत्राहीजी - औ च्यार राणिया महाराज रामसिंघजी रै | ४५९ झिलायरा राजावत ज्यारं मनीजता " महाराज ईसरीसिंघजीरी बेटी कछवाहीवजीरो आध कम हुतो । ४६० झिलायरा राजावनजीरो मान हुनो. काही जीरो मान नही हुतो रामरं । ४६१ माधवेसरा राजावतानू कहिनै राजाव जीनू जहर दियो । ४६२ माधवेस झिलायाळातू कह्यो - यारी बेटीनू जहर दे मारो तो म्हारी भतीजीरो मान करें महाराजा रामसिंघजी । बखतसिंघजी ४६३ राजाधिराज नागोर लियो जद चवदै हजार घरारी बसती हुती । ४६४ राजाधिराज नागोर पधार पहला पचोळी लालानू दिवाण कियो पर्छ धायरा कह्यासू सिंधवी सायमलनू दिवाण कियो पछै इण मुवा इणरो बेटो अमरचद दिवाण कियो अमरचदनू मार सिंघवी फलैचदनू दिवाण कियो । ४६५ महाराज अभैसिंघजीनू जळाजळी देण राजाधिराज नागोर समस तळाव पवारिया टेगण चढिया किताईक कह्यो - राजाधिराज पाळा है, किताईक कह्यो - राजाधिराज टेगण सवार है । ४६६ महाराज अभैसिंघजीनू जळाजळी देण राजाधिराज नागोरमे समस तळाव है। जठै पधारिया टेगण सवार हुया किताक कह्यो - आप पाळा मत पधारो किता लोगा कही - टेगण चढ समसराजाधिराज पधारिया । ४६७. महाराज बखतसिंघजी जेसळमेर परणीजण पधारिया जद रावळ अखैसिंघनू को - सिंघरै मिया थाहन मामलो दियो है कन दियो है। ? रावळजी Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ चांकीदासरी स्यात [४६७-१७९ कही - मिया म्हा कनै मामलो लै जिसा है महाराज फुरमाया अठ म्हारी फौज छव माम रहण दो तो मियानू अवजी मसका वाथ आणा । ४६८ सेरसिंघ मेड़तियो काम आयो जद राजाधिराजरै साळो कुंवर सिरदार भाज गयो उणनू चाकरीमू गजाधिराज दूर कियो । ४६९ सवत १८०८ महाराजा बखनसिंघजी जोधपुर लियो मोकमसिंघ १, दोलत सिघ २, लालसिघ ३, दोनू चापावत सूरजमल दुरजसिंघोत जोधो ४, महेचो सिरदारसिंघ कानसिंघोत ५, भाटी महेमदास ६, करनोत जैतकरण महकरणोत ७, धायभाई देवकरण ८, भाटी सुजाणसिंघ ९, इत्यादिक गढ जोधपुररो राजाधिराजरी निजर कियो । ४७० जोधपुर पधार राजाधिराज फुरमायो - अभैकरणजी मसार नही जद निणगारचोकी म्हारो आवणो हुवो। ४७१ सत्तावन गाव झाडोदरा फतैपुररा नवावरा महाराज वखतसिघजी दवाया । ४७२. जासनु जास याची - राजाधिराज जोधपुर ले फुरमायो - महि राजवी है ज्यानू वाहर काढ आवो, रजपूतारै परणाय देसा मारै वंसरा अजीतसिंघोत जोधा वाजसी। ४७३. राजाधिराज गुजरातसू पधारिया पछै धावड वडिदास तुरत हीज चलियो । ४७४ प्रथम सवत १७९२ दिली पधारिया राजाधिराज दूसरै फेरै सवत १८०४ दिली पधारिया । गगवाणारा गोरमे, सेल धमाधम खाय, भोळी नणदळ है हाथ्यारै हौदै वखतो मारू जग करै । ४७५ नाय जी महागजसू राजाधिराज आपरै नै माधोसिंघजीरै विचै मसजत माथै वैसाया। ४७६ राजाधिराज दिखण माथै जावणरी कमर वाधी किवी जद उजीणरै मुकाम सिरदार उठ गया हा मु . राजाधिराज देवलोक हुवा । ४७७ सिंघरो मिया नूर महमद बोलियो-हिया माहलो नादरसा आज मुवो । ४७८. राजाधिराजरी मृत्यु सुण लखनऊरो धणी , नवाव मसूरअलीखा कह्यो - दिलीरो जोर घटियो, दिखणरो जोर वधियो हमै । ४७९. राजाधिराज दिखण माथै चढिया जद उजैण इदौररै मुकाम सिरदार उठ गया आतकसू । Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८०-४९६] राठौडारी वातां ४८०. जैसिंघजीरी :. ......... राजाधिराज पाच घोडासू निसरिया। ४८१ सिवसिंघ गाँव मेवाडरो भोमियो जिणनै पनरै हजाररा पटासू लोटोती दिवी राजाधिराज । ४८२. जैसिंघजीसू राय हुई जद सिवसिघ आछो हुवो इण चाकरीसू । '. ४८३ लोटोतीरो सिरदार जोधो सेरसिघ जिणरी नै कविया करणीदानरी अरज बादरसिधजी राजाधिराज पगे ... लियो जद अरज किवी ऊ सेरसिंघजीरी मानै करणीदानरी न मानी । ४८४ मूडवै लाटा और ठौड कराया लाटारी ठोड खेत बागवानानू राजाधिराज इनायत किया। ४८५ गाव हेनाणे च्यार हजार बीघा जोड हुतो, राजाधिराज उनाम करायो। ४८६ जोधपुर पांचमै ताईका गरभणो - आ मरजाद राजाधिराज वाधी। ४८७ कागसू मुडा खासा हाथीरी सवारी होकसू राजाधिराजरी मरजी थी। ४८८ खास रुपियारो सिक्को पातसाह राजाधिराजनू इनायत कियो। ४८९ बीकानेररो राजा गजसिंघजी जोधपुर रातानाडारा डेरासू जेसळमेर परणीजण गया जद महाराजकवार विजैसिघजीनू राजाधिराज साथै मेलिया। ४९० सवत १८१६ फागण सुद १ चापावत देवीसिघ महासिंघोत १, ऊदावत केसरीसिंघ बखतसिंघोत २, कूपावत छतरसिंघ रामसिघोत ३ - तीनू सरदार धायभाई जगनाथ जोधपुर गढ ऊपर पकडिया । ४९१. सोळोतरै फागण सुद १ देवीसिघ दिकानू पकडिया। ४९२ दूजा सिरदारा आतमारामजीन काध दियो जद ससतर खोल दिया हता देवीसिंघजी ससतर समेत काध दियो। ४९३. जनानो पधार है यू कहनै सिरदारा वेली लोहापोळ आडी दिवी सिरदारान पकडिया जद। ४९४ सिरदारानू गढ माथै पकडिया जद उमर भर गोवरधन पचेस्वर बोलियो। ४९५ सिरदारान हाथ पडियो जद वै उचाकख थको डोढी पर गोइददास बोलियो निगै राखो, रोळ काई करो हो दरबाररा आदमी होयनै । ४९६ सिरदारानू पकडण हाथ पडिया जद डोढी दावै उवाक थको बोलियो रोळ काई करो हो? Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात [१९७-५१२ ४९७ देवीसिंघजी वगरै पकडिया ज्यानू रस्सासू वाध भोजनमाळा हेटली ओरिया ज्यामे घालिया हाथा - पगामे वेडी तोखीर कडिया आयी नही जद कडिया मोटी घडाय आरा हाथ - पगा माह घाली । ४९८ देवीसिंघरा हाथ धायभाई जगजी पकडिया कटार - तरवार ग्वीची फनै खोस लिवी। ४९९ देवीसिंघ प्रभुखारा हाथ - पग लोहरा बघणरी कडिया घडागी पहला आंनूं भोजनसाळा हेटली ओरिया माहे राग्विया हुता। - ५०० देवीसिंघ महासिंघोत ने पकडाणो जद वोलियो - मै गढमे किवी जिसी गढ मोमे किवी। ५०१ ऊदावत केहरसिंघरै गळामे भमरकडी रहती नित्य सेर पक्की खीचडी खातो हमै पालकीखानो है जठे कैदमे हुतो अढारोतर देवलोक हुवो। ५०२ ऊदावत केसरीसिंघजीरा गळामे भवरकडी रहती पालखीखानामे कैद रहता. सेर पक्कारी निन खीचडी खाना सवत १८१८रै रामसरण हुवा। ५०३. ऊदावत केहरसिंघरा गळारा तोखरी कडीरी साकळ भुरसमे दिवी हुती। ५.०४ केहरसिंघ ऊदावतरै गळारी तोखरी कडी भुरसमे दिवी हुती। ५०५ प्रथम तेईस, पछै अठाईसै, तीजक फेर छतीस, चौथा फेर तयाळीस-जुमल च्यार नाथजीदुवारै वडा महाराज पधारिया । ५०६ अक बार कोटारा महाराज गुमानसिघजीसू श्रीजी दुवारै मिलबो हुवो। ५०७ सवत् १८३७ रा मिगसरमे चौवारी राड हुई नै सवत् १८३८ रा मिगसरमे __ अमरकोट रसद पहुची सिंधियासू राड हुई । ५०८ सवत् १८३० महाराज विजैसिघजी गयारी गास मारी छोडी। ५०९ लखणेऊरै धगी मनसूरअलीखा विजैसिंघजीने लिखियो-गुलाबरो अतर लिखतो मेलो तिणरै लगावजै नही अखरैरा अतर लगावजै यूहीज कियो। ५१० वडा महाराज सूरजमल सोभागसिंघोतनै फुरमाया-भीवसिंघजी महर अपणायो जद थारा बडेरा तो महाराज रामसिंघजी तो गेला रता ज्यारो ही परी लाग न कियो म्हे तो सयाणा हा इण अरज किवी - खानजादरा घड माथै माधोसिंघजी तो मैं चरण खानाजाद छोडसी नही ।। ५११ राजाधिराजरै सात पलारो वागो माहे रहतो, अठ्यारै पलारो ऊपर रहतो। ५१२ महाराज विजैसिंघजीरै अठ्यारै पलांरो माहे रहतो, इकवीस पलारो ऊपर रहतो । Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१३-५२२] राठौडारी वातां ४७ ५१३ अटळराज बखतसिंघजीनू, अरजुण विजैसिघजीनू आतमाराम कहतो. श्री हजूर फरमावै अर्ध-दग्ध-भटास्याज्या राज्ये राजा मनीषिणा। यथा त्यजति विश्वेसो वैष्णवान् बहिरुज्ज्वलान् ।। ११४ सेखावत किसनसिघजीरी बेटी जैतकवरवाई बडा महाराज परणिया । ११५ सवत् १८४९रा असाढ वद महाराज विजैसिहजी देवलोक हुवा। ११६ सवत् १८४९ रा असाढ सुद ८ महाराज भीमसिंघजी गढ दाखल हुआ । ११७ विजैसिघजी महाराजरी प्रथम गायण, पछै खवास, पर्छ पासवान हुई गुलाबराय गायणपणमे नाम सुणिया गोस्वामीजी दामोदरजी कनै गुलाबराय बावन ग्रन्थ महाप्रभु आचारज क्रत सौ ग्रन्थ गोस्वामीजी क्रत, सवत् १७२७ माह वद १३ श्रीजी चोखा कदमखडी पधारिया सकटस्थ कदमखडी अनकोट हुओ काती सुद १५ पाटोदीनू पधारिया श्रीजी च्यार महीना पाटोदी पाट माथै विराजिया, पाटोदीसू सिरोहीनू पधारिया श्रीजी गाव सरणासू पाछा पधारिया सो पुसकरजी होय मेवाड पधारिया, राणा राजसिघरा भावसू साठ वरस मुथरानाथजी बूदी पधारिया श्रीजी पधारिया पहला सोळा वरसा द्वारकानाथजी मेवाडमे पधारिया इण कारणसू काकरोळीरा गोस्वामीजी राणाजीरा गुर है. गोकुळनाथजी आवेर पधारिया । ५१८ महाराजा जालमसिंघ विजैसिंहोतरै वैजनाथजीरो इसट हुतो । ५१९ नवानगररा महाजामनू, हळवदरा राणानू, ईडरा रावनू, डूगरपुर बासवाहळारा रावळनू जोधपुरसू अक सरीखी लिखावट । ५२० गाव जोधपुररा ७७ पोहकरणग, २४६, सोजतरा ४४८, जाळोररा १४४, जेतारणरा ३८४, मेडतारा ६२, फळोदिरा १४९, सिवाणारा ८४, साचोररा महाराज सायबरै । ५२१ मोटाराजा उदैसिघजी, सवाई राजा सूरजसिंघजी, दळथभण गजसिघजी, धूखलसिंघजी अभैसिघजी, राजाधिराज बखतसिंघ -आ पदवी थी । ५२२ चूडोजी मागळियारा भाणेज, रिडमलजी साखलारा भाणेज, जोधोजी भाटियारा भाणेज, सूजोजी हाडारा भाणेज, वाघोजी भाटियारा भाणेज, गांगोजी साचारो चहुवाणांरा भाणेज, राव मालदेजी देवडारा भाणेज, उदैसिंघजी झालारा भाणेज, सूरजसिघजी कछवाहारा भाणेज, गजसिंघजी कछवाहारा भाणेज, जसवतसिंघजी सगतावतारा भाणेज, अजीतसिघजी Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात [५२२-५३४ जादवारा भाणेज, वखतसिघजी साचोरा चहुवाणारा भाणेज, विजैसिघजी रावळोतारा भाणेज, गुमानसिंघजी देवड़ारा भाणेज, मानसिंघजी साचोरा चहुवाणारा भाणेज। राठोड़ारी खांपांरो इतिहास सीधल राठोड़ ५२३ भाद्राजूणरो धणी भारमल सिंघल जिण सरवडी दीवी भारमलरो रामो, रामारो सतो, सतारो वीरो सवत १५८६ वीरा सतावतनू मार राव मालदेजी भाद्राजूण लियो । ५२४ वीरारै वीसळदे, वीसळदेरै तजो जिण जाळोरीमे गाव मेहेडो वसायो । ५२५ लाविया भाद्राजण सीधलार हुती । ५२६. जैतारणरो धणी सीधल नरसिंघ वीदावत सुपियारदे साखळीरो धणी जिणरै वसरा मेवाडमे है, सोळे गावामे है। ५२७ गाव वालाणो डोडियाळ पारवती है जठै सीधाल वाघ गोपाळदासोत रहै छै घरतीरो विगाड घणो करायो। ५२८ सीघल रापावत कवळा वगेरै सोळा गाव जठे रहै जागीरदार थको. सीधल भागावत वळाणा वगेरै वारह गाव ज्यामें रवै, सीधल लांकावत कीड़ोमाल वगेरै गाव वधनोरा मदारिया विचे आडावळारी तळहटी ज्यामे रहै । सवत १७१२ वैसाख माहे वाळो केसोदास जैतसिघोत नै महेचो रावळ भारमल साथ करिने सीवाला ऊपर आया रावळ भारमल जगमालोत साथै सोढो अमरो भोजराजोत १, अमरो सुरताणोत २, सिसोदियो कभो ३, मनोहरदास भाखरमीहोत ४, किसनो ऊदावत ५, दळपत ६, बीजो ही साय घणो हुतो। ५३० मीधल वाघो वीदावत, वीदो सूजावत, सूजो सीहावत कवळा धणी। ५३१. सीपल वाघो वीदारो, वीदो सूजारो, सजो सीहारो, सीहो भाडारो गांव कवळा १,५००) रेख। ५३२ सीधन मावळदास मानसीहावतरो. गांव पावो, १०,०००) रेख। ५३३. मीधल जमवतसिंघ रायसिंघ मालावतरो. गांव कुहेळाव ४,०००) रेख । ५३४ नीवल केमर्गनिघ द्दा अमगवतरो गांव जाखोडो. रेख ४,०००। Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३५- ५४६ ] राठौडांरी वातां ५३५. सायद- वाघरा घरा सिर आग वूंठी १ । हुवो चितोड aियो हेलो २ । काटकी आभसू वीज कवळे ३ | ५३६. वड़ना मोरावास ऊहड अरजुन आसिया नेतानू दियो । ५३७. सलखो १, जैतमाल २, खीमकरण ३, रावत राणो ४, वैरसाल ५, राघोदास ६, भाखरसी ७, सूरजमल ८, पातो ९, रतनसिंघ १०, आसकरण १९, मनोहर १२, केसरसिंघ १३, बळू १४, खीमो १५, सवाई १६, देवसिघ १७ - नगररा रावतारी पीढिया । ५३८ तेजमाल सलखावतरो बेटो हाफो जिणरै वसरा भिवणाचा कहावै. सिवर्ण राणो देवीदास वीजावत हाफारा वसमे हुवो । ५३९ राठोड वरियँचा मलीनाथरा पोतरा है । महेचा ५४०. राव मडळक जगमालोतरं तीन बेटा हुवा - रावळ भोजराज १ जिणरा महेचा, खेतसी २ जिणारा कोटडे, वादियो ३ जिणरा जधोळिया । ५४१ मेहवारो राव भोजराज मडळकोत रणखेत पडियो सन्यासिया उठायो ओ सन्यासी हुवो । ५४२. वेगडो नरो खेतसी मंडळकोतरो जिण महेवो ले लियो नगर राज करें. रावळ भोजराजरी वेर सूरावदरी चहुवाण वेटानू ले सूराचद गयी । ५४३ किताईक वरसा पछै रावळ भोजराज सन्यासी थको गुजरात सामासू जमात ले आयो नगरमे बेगडा नरानू मारियो महेवारो मालक वीदान कियो । ५४४ रावळ भोजराज मडळकोत कठैईक सन्यासिया घावा उपाडियो साजो हुवो जद सन्यासी हुवो इणरी राणी सूराचद गयी. राठोड वेगडे नरै खेतसी मळकतरै महेवो खोस लियो इणरो छोटो भाई रणधीर सिववाडी राज करै रावळ भोजराज सन्यासी थकै जमात आण नगरमे वेगडा नरानू मारियो . वैदा वीदानू टीको दे महेवारो धणी कियो । ५४५. सवत १६९१ माह माहे पहला जाळोररो गाव मोर सीम मारी पछै निवाई गाव सिवाणरो महेचा मारियो, माह वद ४ गाया १४०, भैसा ३०, बैल ६३०, घोडी ८ ले गया असवार ३०, पाळा ३० हुता । ५४६. संवत १६९९ माहमें राठोड महेचै महेसदास जाळोररो गाव मोरसीम आयो. हजार माणस लेने गाव मोरसीम बाळियो लुटियो धान घणो ले गया पादरियै वेढ कीवी जणा दस पादरियै काम आया. थोरी १५ महेचारा मुवा के घायल हुवा डेरो कर मोरसीम लुटियो । Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५० वांकीदासरी ख्यात [५७-५५७ ५४७ महेवो सूनो कियो जद राठोड देईदास पतारो सांवळदास सोढो अमरो भोज राजोत मनोहर सादूळ भाखरसी, रावळ महेसदास भारमल इत्यादिक राजाजीरा देसरो विगाड करता। ५४८ सवत १६९१ रा जेठ माहे राठोड देईदास, महेसदासरो भाई सांवळदास, सोढो अमरो साडिया १२० वाळीसरथी ले गया। ५४९ महेचो चद्रसेण वाघ कलावतरो राणा जगतसिंघरी चाकरीमें पटो हजार वारहरो पावै वसी गाव काकर । ५५०. महेचो ईसरदास खेतसी जसवतोतरो सात हजाररो पटो पावै, वसी गोडवारर गाव माडळ । ५५१. साठ गाव महेचार तीवडी लारै है हमै सिरदार जैतसिघ उमेदसिंघोत है। ५५२ इंदारो गांव भालू महेचै रायमल उदसिंघोत मारियो फागण सुदमें इंदो भानो गोपावत जणा च्यारसू काम आयो रायमलरै साथ पाचसो आदमी हुता, भाटियारो पिण लोक साथ हुतो रावळ गया ऊंट ४, छाळियां १००० महेचा ले गया। कोटड़िया ५५३ वेगडो नरो १, रणधीर २, दूदो ३, वरसिंघ ४-ॐ च्यारू खेतसी मडळकोतरा बेटा। ५५४ वेगडो नरो १, रणधीर २, दूदो ३, वरसिंघ ४-ॐ च्यारू राठोड़ खेतसी रावळ मडळक जगमालोतरो जिणरा वेटा। कोटडारा राणारी पीढी-रावळ मळीनाथ १, जगमाल २, राव मडळक ३, राव तखतजी ४, रावत दूदो ५, रावत चामो ६, राणो जैतसी ७, राणो वाघो ८, राणो रतनसिंघ ९, राणो भैस्दास १०, राणो जोधो ११, राणो सूरो १२, राणो मळचंद १३, राणो उदैभाण १४ सिरदारसिंघ १५, मालदेव १६, धीरतसिंघ १७ । ५५६. राठोड चाप दूदावत सिववाडीसू कोटडे राजसथान वाधियो राठोड़ चापो दूदो खेतसीहोतरो बेटो सू वेगडो नरो माराणो जद नगरसू भागो. इणरो काको रणधीर खेतसीहोत सिववाडी राज करतो हो उठे आयो रणधीर दूदारो पेटियो कर दियो ओ चापो सिववाडी रहै । ५५७. कितायक वरसा चाप दूदावत रावळ वीदानू कह्यो-म्हारे साथ सातवीस घोडारा सवार रजपूत मेल जद इहुं कही-जे चापा साथै जावो, ओ कस है Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५७-५६४] राठौडारी वातां कीजो उठासू गाव खरीग जेसळमेररा रावळरी घोडियां ही उठे पावै. सू रावळजी चांप कही जूहीज कियो इण वाडी जाय रणधीरनू मार सिववाडी ले लिवी वीदै रजपूतान कही-म्हारै कह्या बिना रणधीरनू मारियो, मोनू मू दिखावजो मती बै सातवीसी घोडा ही चापारै वास वसिया । ५५८ आगै पहाड माथै परमारारो करायोडो पक्को कोट हो अक कोट मांहे बाधियोडो कुवो हो, अक कोट नीचे पहाडरी जडा बाधियोडो कुवो हो पछै परमारा माथै भाटी सीध देवराज कटक मेलियो जद ओ कोट पड़ाय नाखियो वेरा बुराय दिया चाप ऊदावत सिववाडीसू जाय आगला कोटरी नीम ऊपर तीन पडकोटा कराया, तीन दरवाजा तीनू कुवा उघडिया नाव कोटडो दियो राज-ठोड कोटडो कियो। ५५९ 'नवलखा-दुरग-नरेस' वाधा कोटडियानू कह्यो-जिणसू जाणीजै है नवलखो दुरग कोटडानू कहे है। ५६० 'वाघ कुअरा-वीद' वाघा कोटडियारै कुअर सोढी ठकुराणी हती। ५६१ पीपा राईकारा बेटा-पोतरा साढारो दूध पीधो मेहरो बेटो घूटलवाळे पग समेट सूतो पछै नेतसी भाया भडो सहित साढारी वार चढियो कोटडिया रामाजी मारनै साढा पाछी आणी ते नोर तळे पाणी पाय दोड़ कराय राईकानू दूध पायो उण समरा हीडोळा-- साढो लोप सो इतरो, गाधी साइरी साध । चड्ढि महीरा नेतसी, रातो तरगस बाध ।। नळी कटाड नीळी, लप घी अमापियो खाय। हाथ-वैतर आतर, अ कोटडिया जाय ।। खेतो पूछ नेतसी, नीलो घोडो काय । ग्या ईडररी चाकरी, दियो ईडरर राव ।। ५६२ कितीक पीढिया कोटडै राणो दुरजणसाळ हुवो जिणकनसू रावळ अखैसिंघ कोटडो ले लियो दुरजणसाळ सीवाणरी नाळ जाय रहियो कोट नरेडो रावळ जेसलमेर पडाव नाखियो। ' ५६३. सवत् १८२१ रावळ मूलराजजी दुरजणसाळनू कोटड़ो दियो पेसकसीरा रुपिया ठरायने । ५६४. फौज जोधपुररी कोटडा माथै आयी उठासू हाकम आण दुरजणसाळ कोटडा मांयसू जेसलमेररो हाकम काढ दियो उण दिनसू सीव जोधपुररा मुसद्दी हाकम रहियो। Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२ ५६५ वांकीदासरी ख्यात [५६५-५७३ जैसलमेररै रावळ भीव रतनू घरमदास उवण गाव दियो. नरो जिणनूं कोटडियारा राणा भैरवदास कनै मेलियो वचन दे भैरवदास भीव कने आगियो भीव भैरवदासनू मारियो वडियाडारो नाम जेसलमेर हेटे घाळियो। ५६६ कोटडियो जैसो १, राजसी २, नरहर ३, मेघराज ४, भाखरसी ५. भाखरसीरी वेटी गोमावाई खीची गोवर्धनजीनू परणायी। ५६७ खीमा १, वासाडा २, दोट ३, फळसूडिया ४, कसूवली ५, धारविया ६ - मैं खापा राठोडी महेवामे है धारवियो गाव कोटडारो है । ५६८ वापडाऊर ठिकाणे राठोड भीमै रतनावत वाढमेर वसायो । जैतावत ५६९ राठोड अखैराज रणमलोत सीधल चरडान मार बगड़ी लीवी. चरडालीरो थान कोटडी माहे है. पहला सांझ समै चिराक चरडाजीरै थान ले जावै पर्छ वगड़ीरा सिरदार आगै चिराक आणे. अजै आ रीत है । अकवररा दळ उळटिया, है घट आया हाल । छोटी छोटी लातणी, मोटी कीधी माल ॥ ५७० पचायण अखैराजोतर जैतावत वगेरै नव वेटा हुवा । ५७१. वगडीरा सिरदार उरजसिंघजीनू महाराज अजीतसिंघजी मरायो मेवाडमे सगतावतारा गांवामे उरजणसिंघजी मुवा पछै पहाडसिंघ जनमियो बीकमकोहर मामालमें दरवाररा डरसू भटियाणीजी पहाड़सिंघजी बैठा वेटानू लेने देवगढ गया पहाडसिंघजी देवगढ मोटा हुवा ठाकर राघोदास आगे मनाणा। ५७२. उरजणसिंघजीरो वडो वेटो सामसिंघ जगावतारै गांव वहमाली परणियो हुतो सो ऊ वहमाली जाय वसियो. वहमालीसू वेगम गयो. उठ महाराज अजीतसिंघजी जहर देय मरायो। ५७३ रामसिंघ उरजणसिंघरो भाई जिणनू चूक कराय घाटामें मरायो. अजीतसिंघजी जैतारण कनै फूलमाल जठारो दाहिमो सलेमावाद फरसरामदेवजीरो शिष्य नाम टीकमदास जिण आपरी वणायी साखां अक दिन फरसरामदेवजीन सुणायी जद आ कही-तू तो तत्तवेत्ता हुवो जदसू तत्तवेत्ता कहायो. टीकमदास Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७३-५८५] राठौडारी वातां जैतारण आय भूतारै थातकमें वसिषा लोका कह्यो अठै भूत रहै है, आप अठ मत रहो. या साखी सुणायी. गूदी गोयदरायकी, आंगण रही वणाय । आये संत अनतके, भूत गये सव भाज ।। उण दिनसू जैतारण द्वारो बांयो। ५७४ वगडीमू विगडी सं वाता। ५७५. वगडी जैताजी जैतापोळ करायी। कुंपावत ५७६. महाराज अखैराजोतरै पुत्र कूपो हुओ सिवराव चडूसू महाराजजीरै रेणरो नाव कढा लियो. कूजी वाईरो व्याव आछो कियो जद माडै ही नाव प्रसिद्ध हुवो। ५७७ कूपा महराजोतर वेटारी विगत-प्रथीराज १, राम २, प्रतापसिघ ३, माडण ४, तिलोफसी ५, महेस ६, उदैसिंघ ७, ईसरदास ८, तेजसी ९ । ५७८. प्रथीर.जोतारी भोम चापडामे माडणजीरा आसोप तिलोकजीरा धणले महेसजीरा कटाळि सिरोपारी उदैसिंघोत वसी, सीवा, चेळ'वस, ईसरदासोत माहडू चाडावळ. तेजसीहोत ईडररी धरतीमे है रामाठा चादेळाव रामावत । ५७९ सवत् १५५९ रा मगसर सुद १० कूपा महराजोतरो जनम संवत् १६०० काम आयो । ५८० तेजसी कूपावत अमुतियां सीधलां मारियो तेजसी कूपावतरा वैरमें माडण कूपावत सीधल सीहो मारियो संवत् १६२७ माडण कूपावत सीवल सीहो भाडावत मारियो । ५८१ कनीराम रामसिघोत माथ सूरज आवतो जद गामतरै जावतो । ५८२ आसोप दळपत कनीरामोत तळावरी पाळ ऊपर ब्रगलो करायो जिराणा भूमसू नेडो ओ वगलो करायो पछै अक वरस दलपत जीवियो। ५८३ आसोप रगसाळमे नाहरसिंघ राजसिंघोत गळियोडा अमलसू बकडिया भराया दासियानू कहीने ठकुराणियानू तेडी बेटा बेटिया सहित । ५८४ - पत्तो कूपावत देईदास जैतावत भेळो मेडतं काम आयो । ५८५ पातारो हमीर रतन रतनरै बेटा तीन हुआ-मालो १, कलो २, जैमल ३. पातानू बारह गावसू चोटाळो हुतो चोटाळासू जाय करणू वसायी । Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात ५८६-५९७ ५८६ राठोड़ उदैसिंघ कूपावत जैमलजी पत्ताजी भेळो चित्तोड काम आयो। . ५८७ कटाळियारै धणी किसनसिंघ कूपावत आगानूर नबावन मारियो। ५८८. अमरसिंघ कूपावत वणवीर सोळकीनूं मार सिरियारी लीवी । ५८९ कूमावत महेसदास दलपतोन कांदा विना जीमतो नही। ५९०. राठोड कूपो किसनसिंघ जसवत सादूळोतरो देवळ वणवीर माथै कटक कियो हुतो. सिरोहीरो राव अक्षराज आयो हुतो पछै राठोड़ किसनसिंघ, जैसो देवडो भैरूरो सिकार गया हुना पूरणया कोस च्यार आगे पछै वणवीरर साथ आय आदमी तीस मारिया नै जणा वीस घायला किया. किसनसिंघ सादूळोत माराणो। वासणी ५९१ रामसिव १, सिरवानिव २, जोधसिंघ ३, अगंदसिव ४, कूपो हरीसिंघ । चपापत ५९२. पोहकरणरा सिरदारांरी पीढिनां लिखते-रिडमल १, चांपो २, भैरूदास ३, जैतो ४, माडण ५, गोगाळ रास ६, बीठळशस ७, जोगीदास ८, भगवानदास ९, महासिंघ १०, देवीसिंघ ११, सवळसिंघ १२, सवाईसिंच १३, सालमसिंघ १४ । ५९३. चापाजीरै बेटा दोय-भैरवदासजी १, सनतोजी २ करण रिडमलोतरै बेटा दोय-लूणो १, नै माणकराव २. मेड़तारो गाव वीदावत खेतसिंघोत चांपावतारो जठासू उठ गोकुळदास चापावत ताळ भोपाळरा राव कनांस भागली पई पानी। ५९४. चापो गोपाळदास माडणोत १, चांपो सूरजमळ जैतमाळोत २, राठोड ईसरदास ३ नीवावत- भाडवै काम आया। ५९५. संवत् १६५८ चहुवाण वागडिया मानवाद वालारो राळ उग्रसेणजी ज्यारो उमराव वागडसू छाड गया. पातसाह अकबररो चाकर रह्यो पछ चांपावत सूरजमल जैनमालोत जिण बुरहानपुर अकवररा डेरा उठे ही मान हुतो आ माननू मारियो, रावळ उग्रसेण राजी हुवो वागडमे ब्राह्मणनू कर लागतो सो सूरजमल छुडायो। ५९६. हरनायसिंघ १, अनोपसिंघ २, रूपसिंघ ३-तीन वेटा तेजसिंघ साइंदानोत चांपावतरा। ५९७. चागवत ठाकुर भगवानदासजी भीनमाल जमी माथै ऊमा थका श्रीवाराहजीरै माथ छत्र बांधता, इता प्रचड हुता. हमै सेवग वाराहजीरो तिलक कर है नीसरणीरै तीज पगोतिय चढने । Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९८-६११ ] राठौडांरी वातां ५५ ५९८. चांपावत तेजसिंघजीरे तीन बेटा हुवा बडो बेटो हरनाथसिंघजी ज्यांरा आउवं वीजो बेटो अनोपसिंघ ज्यांरा भीमाळिये तीजो बेटो रूपसिंघ ज्यारा जाणियाणे वामसीण । ५९९. हरनाथसिंघरा आउने, अनोपसिंघरा वां भीमाळिये, रूपसिंघरा जाणियाण वामसीण । ६०० आउवै वखतावरसिंघजी खीची गोवरधनजी जगनाथोतरो दोहितो, माधोसिंघजी खेजडले किसनसिंघजी हठीसिंघोन जिणरो दोहिनो, सिवसिंघ बहेडे राणावत उदैसिंघ सिरदारसिंघोत जिणरो दोहितो, जैतसिंघ सलारी चहुवाण प्रतापसिंघ चतुरभुजोत तिणरो दोहितो, कुसळसिंघ लवेरं भाटियारो भाणजो, हरनाथसिंघ दाते वारड़ारो भाणेज । ६०१. राणावत उदैघिरी बेटी अबाबाई जोधारी भाणेजी जैतसिंघ परणियो । ६०२ वागलीरो धणी चापावत जिणरी पीढिया - गोपाळदास १, खेमसिंघ २, नारखां ३, हरीसिंघ ४, कुसळदास ५, जालमसिंघ ६ । ६०३ चापावत जैतमाल जैतावतरे बेटा च्यार - रूपसिंघ १, भाग २, सूरजमल ३, सुरजण ४ भालगढ जेउतरी भाणजीरा । ६०४. चार -परिया वगेरै ठिकाणा सूरजमलोत वीजासगी नीबरे खरिये रूपसिंघोत. नीवली वतै सुरजणोत । ६०५. हरसोळावरा सूरतसिंघ राम-उपासीक है उणरी लुगाया वणाया ज्यारा नांव सीतासर नै इण तळाव खिणाया जिणरो नाव रामसर | ६०६ चापावत सामसिंघ देवोनि घोत बाईरो व्याव जैपुरमे कियो बाई उणियारारा राव राजा भीमसिंघजीनू परणायी चारणानू त्याग दियो । करनोत (समदड़ी) ६०७ समदडीरा सिरदारारी पीढिया लिखने - रणमल १, करन २, लूणकरण ३, वीदो ४, नोवो ५, आसकरण ६, दुरगदास ७, चैनकरण ८, मानकरण ९, इदरकरण १०, सालमसिंघ ११ । ६०८. राठोड करनो रिडमलीत चवा देहरो करायो सवत् १५८५ माह वद ५- - ईंडो चढायो, ब्रह्मभोज कियो, हजार गायां दिवी, धन घणो खरचियो । ६०९ संवत् १७२१ महा दुर्भिख पडियो आसकरण नीबावत धान घणो वाटियो. राठोडा धनू देस राखियो । ६१०. सवत् १७२० गाव सालवे आसकरण नीबावत वेरो खणाय बधायो । ६११. दुरगदासजीरी मा नै खीमकरणजीरी मा सगी भुवा भतीजी केलण भटियाणी । Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात [६१२-६२६ ६१२. दुरगदास आसकरणोत केलियारै घरै सरण रह्यो। ६१३ दुरगदास आसकरगोतरी बेटी विनैकवरवाई सलूबररा धणी रावत केसरीसिंघनू परणायी दूजी वेटी दुरगदासजीरो कुसळवाई । ६१४ दुरगदास १, तेजकरण २, अणदकरण ३, रतनकरण ४ । ६१५ दुरगदास आसकरगोनरी वेटी विनैकवर सलूंवर रावत केहरसिंघजीनू ... ... 'दोहितो रावतलालजी। ६१६ दूजी बेटी राजवाई साटोले उमेदसिंघजीनू परणायी। ६१७ करनोत रतनकरणरी वेटी धनवाई कुरावड कुवर जालमसिंघ उरजणसिंघोतनू परणायी दोहितो रावत जवानसिंघ । ६१८ वहामीरो धणी करनोत रतनसिंघ जिणरी बेटी धनवाई कुरावड़ जालमसिंघ उरजणसिंघोतनू परणायी . उण वाईरो वेटो रावत जवानसिंघ। ६१९ रतनसिंघजीरी बेटी दूजी राजवाई साटोलै उमेदसिंघनू परणायी। ६२० तुरकाणीमे दुरगदासजी जूनै वाहरमेड़ रहै जद झामररा जाट सारा _वाहड़मेर गाव कवास धान नीपज्यो जद जितो हासलरो धान वाहडमेररा घणीने देता इतो ही ठाकराँ दुरगदासजीनू देता हा। ६२१ उदैपुर राणा जैसिंघजीरै नै कवर अमरसिघजीरो अमेळ हुवो . कवर उदपुर वैठो राणाजीनू उदैपुरसू काढ दिया . दस हजार रुपिया खरचीरा मेलिया सगा विवरा सनचार लिख मेलिया महाराज दुरगदासजी वगेरा उमरावांनू मेलिया इकलिंगजीरै देवरै कवरनू राणारा पगां लगायो कवर सागररी पैला गयो नै राणाजीनू उदैपुर वैसाणिया । ६२२ वूदीरा राव अनिरुधिसि वजीर नै हाडा दुरजणसिघजीरे आपसमे अमेळ हुवो दुरजसिंघजी वाहर नीसर बूदीरो विगाड करता हुता . दिखणसू इण हीज काम पातसाहमू सीख किवी। ६२३ राव अनिरुतिघजी बूदी आया नै दुरगदास आसकरणोत अनिरुघसिघजीरै पगा दुरजणसिंघजीनू मेलिया मेळ कराय दियो। ६२४ राणाजी सादड़ी दुरगवास आसकरसोनू पटै दिवी ही दुरगदासजी नव वहिन-बेटिवारा व्याह सादडी किया चारणातू त्याग दे जस लियो । ६२५ उदैपुर अमरसिंघरा घोड़ा लारै दुरगदास आसकरणोतरो घोडो चित्र बीचमें । ६२६. अस्सी बरस तीन महीना अट्ठाईस दिन, इत्ती ऊमर दुरगदास आसायतरी हुई। Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२७-६३७] राठौडारी वाता ६२७. वालर वारीरी ठिकाणे खीवकरण आसकरणोत गांव वसायो । ६२८. तेजकरण मेहकरणजी दोनू कानोडरा सारगदेओतरा भाणेज, अभैकरणजी राव चतुर्भुज चोहाणरा दोहिता. चैनकरणजी बीकमपुररै केलणारा भाणेजे । ६२९ तेजकरणजी महेसकरणजी दोय कुवर दुरगदासजी साय मेवाडमे गया अभ करणजी महाराज जैसिंघजी कनै गया. चैनकरणजी समदडी हीज रह्या ।। ६३०. भाखरजी १, करनजी २, काधलजी ३, पातोजी ४-च्यारू अंक माया भाई. रोडमलजीरा बेटा। बालावत (मोकळसर) १३१. रणमल १, भाखरजी २, वालोजी ३, भारमलजी ४, नगराजजी ५, जैतसी ६, केसोदासजी ७, माघोदासजी ८, अखैराजजी ९, खीमराजजी १०, उदराजजी ११, नाथजी १२, लालजी १३, जवानसिंहजी १४ हमै मोकळसर धणी है। ६३२ भाखरजी १, करनजी २, कांधलजी ३, पातोजी ४-च्यारूं अक माया रिड मलजीरा बेटा । ६३३. मोकळसररै धणी वाले उदराज खीमकरण अखैराजोतरै महाराज अभैसिंघजीरी आग्यासू कीटनोदरो धणी भाटी फतैसिंघ अमरावत मारियो गुडारो राणो सूरजमल भाखरसी साहिबखानोतरी मदत लेन । वरसिंघोत ६३४ सोनगिरा खीवा सतावतरी बेटी चपा जोवाजीरी राजलोक जिणरै बेटा दोय हुवा-दूदो १, वरसिंघ २ । ६३५. रावजी जोधाजी आनू भेळो मेडतारो परगनो दियो आगे सहर मेडतो नही हुतो आं मेडतो वसायो । ६३६ वरसिंघ कितायक वरसा दूदानू काढ दियो दूदो वीकानेरमे गयो पछै वरसिघ दुकाळमे पातसाही सहरमे सभर लूटियो अजमेर सूबै माडवरा पातसाहरो चाकर मलखा हुतो उण बोल-कोल दे अजमेरमे वरसिंघनै पकड लियो हल जैतो सह लोल अजो काम आया वीकानेरसू दूदै वीक आय वरसिंघनू छुडायो। (झाबुओ) ६३७. जोधो १, वरसिघ २, सीहो ३, जैसो ४, रामसिंघ ५, भीव ६, केसोदास ७, बडो रजपूतरहुवो, केसोदास मारू कहायो । Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८ वांकीदासरी ख्यात - [६३८-६४९ ६३८ राठोड केसोदास भीवरो, भीव रामसिंवरो, रामसिंघ जैसारो, जैसो सीहारो, सीहो वरसिंघरो, वरसिंघ जोधारो, जोधो रिडमलरो। ६३९ केसोदास मारू कहाणो जावुवो नवो ठिकाणो खाटियो । ६४० जावुवारा राजारी पीढिया लिखते-केसोदास झब्वा नायकनू मार झावुवो लियो झव्वा नायकरो वसायोडो जिणसू झावुवो कहायो । ६४१ झावुवो नवो राज खाटियो केसोवासरो मोहणदास, मोहणदासरो राजसिंघ । ६४२ सीकरी राड हुई जिण पहलै दिनर राठोड जैसो सीहा वरसिंघोतरो राणा साँगारी चाकरीमे हुतो सू पचसू मुवो। ६४३ सावळदास उदैसिंघरो, उदैसिंघ जैसारो, जैसो सीहारो, सीहो वरसिंघरो, सावळदास देईदासजी सामल सरफुद्दीनसू जग कर राव मालदेजीरै काम आयो। ६४४ कुसळगढरा धणी वरसिंघोत जोवा ज्यारी पीढिया- जोधो १, वरसिंघ २, तेजसी ३, आसकरण ४, माल ५, राम ६, जसवतसिंघ ७, अवरेला ८, अजबसिंघ ९, कीरतसिंघ १०, अचळसिंघ ११, भागोतसिंघ १२, जालमसिंघ १३, हमीरसिंघ १४ हमै कुसलगढ राज करै है । ६४५ राठोड तेजसी वरसिंघोतरै भाई बेटै वड़ी रिया आयी चाडसू सरवण कछवाहासू वेढ हुई जद तेजसी काम आयो । ६४६ राव जोधारो वरसिघ, वरसिंघरो तेजसी, तेजसीरो सहसो. सहसानू राव माळदेजी वडी रिया दिवी, वीरमदे दूदावत कनासू मेडतो लियो जद । ६४७ केसोदास १, करण २, महासिघ ३, कुसळसिंघ ४, इदरसिंघ५, बहादुरसिंघ ६, भीवसिघ ७, कुवर प्रतापसिंघ ८-लखैसिंघोत जोधा है। ६४८ राठोड खेतसी वरसिंघ जोधावतरो वडो रजपूत हुतो सीकरी सागा राणार वावरसू वेढ हुई जद काम आयो वीरमदे दूदावत नीसरियो । ६४९ खेतसी वीरमदेरै साथ हुतो राठोड ठाकुरसी कलारो, कलो खेतसीरो, खेतसी वरसिंघरो, वरसिंघ जोधारो ठाकुरसी कलावत वडो रजपूत हुवो सातळियावास सरफुद्दीनसू जग कर राठोड सावळदास उदैसिंघोत राव माळदेजीरै काम आयो जद ठाकुरसी पूरै लोह पडियो जैमल वीरमदेओत इणनू उठायो पछै वासवाळे चाकर रह्यो वासवाळारै रावळ उग्रसेण चापावत सूरजमल जैतमलोत साथै ठाकुरसीनू मेलियो माना चहुवाणनू मारणनू सूरजमलजी मानानू मारियो जद चहुवाण मानारी लान लागी. ठाकुरसी कलावत काम आयो। Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५०-६५४ ] राठौड वातां ५९ ६५० राठोड ठाकुरसी कलारो, कलो खेतसीरो, खेतसी वरसिंघरो, वरसिंघ राव जोधारी. ठाकुरसी वडो राजपूत हुवो वासवाळारै रावळ उग्रसेणजी चापावत सूरजमल जैतमलोत साथ ठाकुरसीनू मेलियो चहुवाण मानानू मारण बुरहानपुर सूरजमल माना चहुवाणनू मारियो जद मानारी लात लागी ठाकुरसी कलावत मुवो। मेड़तिया ( दूदावत ) दूदो जोधावत ६५१. वरसिंघ मुवो मेडता सायर माथै आदमी जोधपुरसू सातल जोधावतरा आय बैठा वरसिंघ र वेटो सीहो महाकपूत वरसिंघरी ठकुराणी साखली सयाजी जिण वीकानेरसू दूदाने तेडायो इण आय अजमेररा सूबेदार सिरियाखांरा आदमी मेलिया जिके मेडता मायसू काढ दिया मेडतो आधो दूदै अपणायो नै आधो सीहा वरसिंघोतरो मेडतो । ६५२ अजमेरसू सिरियाखा दोडियो देस उजाडियो विगाडियो दूदै अजमेर क जग कर सिरियाखान मारियो पहला जग कर सिरियाखारा हाथी खोसिया हा । वी नह भेटिया, नह मोल वणजिया । लाछ दूदै लिया || .. ६५३ दूदा जोधावतरे बेटा पाच सल ४, पचायण ५. रतनसी पचास जणा है । . हुवा - वीरमदे १, रतनसी २, रायमल ३, रायरायसल दोनारै वस रह्यो नही पचायणोत वीरमदे दूदावत ६५४ वीरमदेव दूदावत कनासू राव मालदेजी मेडतो लियो उण सलेमसाहनू अरज लिखी पातसाह आग्या किवी - वीरमदेनू अठे भेज दे जद वीरमदेव समसारी हजूर गयो वीकानेरियो किलाणमल ही उठ गयो रावजीरी जबरीरी वाता सुणायी पातसाह वानू साथै ले आगरै आयो रावजी अजमेर आया. पातसाह अजमेर नजदीक रामसर आयो रावजी अजमेरसू दोय कूच पाछा किया पर्छ सलेमसाह डेरा किया रावजी गररी डेरा किया जद पातसाहजी वीरमदेनू कयो- तू कहतो राव भाज जासी, सो तो राव जोरमें है इण अरज किवी - राव भाज जासी, आप परतीत राखजे. पछे वारंट पत्तानू रावजीरी हजूर वीरमदे मेलियो. उण अरज किवी - A Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात . [६५४-६६२ पातसाहरी फोज घगी, फतै होण ज्यूं नही, कूपो जैतो झूठी अरज करै है.' आ वात सुण कूपाजी-जैताजीनू विना पूछिया रावजी गुगरोटरा पहाडांनू रवाना हुवा। ६५५. पछै कूपाजी, जैताजी, पचायणजी, अखैराजजी, वीदाजी वगेरै रावजीरा उमरावा वीस हजार घोडारी वाग उपाड सवत १६०० पातसाहस जंग कियो प्रभातरै समै. लरी नदी पार वेढ हुई पाच हजार आदमी काम आया। ६५६ वीरमदे पातसाहनू ले जोधपुर गयो पर्छ हासम कासम खवास सइयद और ही उमराव मारवाड़में राख कूच कियो बीकानेर किलाणमलनू दियो, मेडतो वीरमनू दियो. सवत १५३४ रा मिगसर सुद १४ रो जनम सवत १६००रा काती वीरमदे मुवो। ६५७ मागळियो भादो वावड़ीरो वासी जिण राव मालदेजीरी निजर किया सिकारी कुत्ता जद भादारा वेटा देवो जिणनू चाकरीमे राखियो देवानू वधारियो सवत १५९४ रावजी जैतमलोत कनांसू सिवाणो लियो जद मांगळिया देवारै हवाले कियो। ६५८ देवो सिवाणे राम कहयो - वीरमदे देवावत वडो सपूत हुवो रावजी मेडतो ले वीरम देवावतर हवाले कियो. रावजीरी चाकरी नहीं करै जिणसू वळूदा मायसू वीदा वीरमोतनू कढियो। ६५९ वीरमदे रिया सहसा माथै आयो जद रडोदर थाणासू कूपो मेहराजोत १, राणो अखैराजोत चापो, जैसो भैरूदासोत इत्यादीक रावजीरा उमराव सहसारी मदत आया. रियां परै कोस माथै जग हुवो रावजीरा चाकरांरी वारै वरछी वीरमदे खोस लीवी दस वार छुरी कार घोडो रावजीरी फोजमें नाखियो वडो पोरख परगट कियो पिण वीरमदेरी फतै हुई नही । ६६०. संवत १६२४ मे उतियो अरजुन रायमलोत जैमल ईसरदासजी सामल चितोड काम आयो। ६६१. वीरमदे दूदावत जिणारै वेटारी विगत - जैमल १, सारंगदे २, ईसर ३, कान ४, चादो ५, माडण ६, प्रथीराज ७, खेमकरण ८, जगमाल ९, प्रतापसिंघ १०, सेखो ११। जैमल वीरमदओत ६६२. जैमल पातसाह अक्वररै पगा लागो जद संवत १६१८ जैमलनू मेडतो दियो * साठ हजार घोडासू मिरजा सरफुद्दीननुं मददकार जैमल साथै मेलियो। Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६३-६६९ ] राठौडारी वातां ६६३. हुळ रायसळ रामावत जैमलजीरो उमराव बारै गांवासू गाव फालको पटै पावै, प्रथीराज जैतावत मेडत रणभोम पड़ियो जैमलजीर हाथ रहियो।। ६६४ हुळ रायसळरो भाणेज प्रिथीराजजी जिणसु आ भाणेज माथै छाया किवी. जैमलजी रिसाणा, हुल रावजीरै आय वसियो । ६६५ अकबररी मा मक्का वगेरै मका-सरीफ ज्यारी ज्यारत करण गयी पातसाह मिरजा सरफुद्दीननु साथै मेलियो. अक पीर विलायतमें जिणरी ज्यारत सुहागवती करै, विधवा न करे. ज्यारत करण वासतै विधवा अन्य पुरखसू अवध करि निका पढ लै उण पीररी ज्यारत करणनू अकबररी मा मिरजा सरफुद्दीन साथ निका पढी. दिली अकबररी मा पाछी आयी. जद आ वात सुणी अकबर फुरमायो - आगै तो सरफुद्दीन हमारा चाकर रहा, अब हमारा बाबा है। आ बात सरफुद्दीन किणीकै पास सुण लिवी. जठै हुतो जठासू वीठळदास जैमलोतनू साथ ले भागो सो मेडतै आयो जैमळजीनू कह्यो- म्हारा कबीला नागोरमे है सो मगाय लेणा जद जैमळ आपरै बेटै सादूळनै नागोर मेलियो. सादूळ न.गोर गयो, उठासू निरजारा कबीला ले मेडतानू रवान हुवो दोय सौ घोडासू नागोररो आमल आ पडियो सादूळ झगडो कर काम आयो मिरजारा कबीला मेडते आया सादूळ चाळीस आदमियासू खेत रह्यिो। जैमल विचारियो-पातसाहमू करी, हमै अठै रहणो नही जद भाई-बेटान कह्यो-माणस लेनै थे वबनोग्मे जावज्यो, हू सरफुद्दीननू पोछावणनै जाऊ छू जैमल सिरोही ताई मिरजारै साथै गयो पछै नागाण आय मातारो दरसण कर मेवाडमें गयो। ६६८. राणाजीसू मिलियो . वधनोर, करैडो, कोठारियो-औ ठिकाणा राणाजी जैमलन दिया सवत १६२४ रा चैत वद ११ अकबर चितोड़ लियो जद दोय सौ आदमियासू जैमल राणारै काम आयो।। वीरतणे घर वीर, दोय णोपी हुई वाण । राव अहिरपुर राखियो, इक उदियापुर राण ॥ ६६९. मेडतियो सारगदे वीरमदेओत बोबली दिसा गयो हो तैसू मामलो हुवो जठ सोळकिया मारियो. छोटा भाई माडण समेत उण वैरमें जैमलजी सोळकियार परणिया . चादै वीरमदेओत चितोड मार्य नारायणदास सोळकीनू मारियो। Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२ वांकीदासरी ख्यात [ ६७०-६८२ ६७०. जैमल वीरम देओतरा वेटांरी विगत- सादूळ १, वीठळदास २, मावोदास ३, सामदास ४, सुरताण ५, नरायणदास ६, केसोदास ७, रामदास ८, हरदास ९, कल्याणदास १०, द्वारकादास ११, गोइददास १२, नरिसंघदास १३, मुकंददास १४ । ६७१ वडी सोळ वणीजीरो वेटो सुळताणजी. जैमळजी छोटी सोळखणीजीरा वेटा तीन - केसोदास १, माधोदास २, गोयददास ३ जैमलजी मांडवरै पातसाह राजा पदवी वीरमदे दूदावतनू दीवी । ६७२. जगनाथ १, सावळदास २, सूरदास ३, नाथो ४, वलराम ५ पाच वेटा गोयंददास जैमलोतरा | ६७३ जगनाथ १, सुरदास २, सावळदास ३ - तीनू राठोड़ गोइददास जैमलोतरा वेटा । जगनाथोत मेड़तिया ६७४. मेड़तिया जगनाथ गोइददासोतरं नव बैटा हुवा 1 ६७५ गोपीनाथ जगनाथोत राव इंदरसिंघजीनू नागोर मायसू कवर मोहकमसिंघ काढ दियो हुतो इण पाछो रावनू नागोर वैसाणियो रावजी नागोररा गांव दिया । ६७६ मेडतियो भावसिंघ प्रयागदास जगनाथोत जिण वळाघणारा पातावत वारटनू मातगयण हाथी दियो । ६७७ नागोररा, मेडतारा परवतसररा गांव जगनाथोतारा है । ६७८ मेडतियो गोपाळदास सुरताण जैमलोतरो, पातसाही चाकर, दिखणमे वीडमी वेद में काम आयो । ६७९. राठोड दुवारकादास जैमलोतमे राघा वडो मामलो कियो आज पहला किणही राठोड इसो न कियो सवत १६५५ पातसाहरै काम आयो । ६८०. राठोड केसोदाम जैमलोत गोपाळदास साथै वीड़री लडाईमें काम आयो आवो मेड़तो पटै हुतो । ६८१ राठोड गिरवरदाम केसोदासोत जैमलोतरानू पातसाह पदमावती पट दिवी ही, परवतसर पटै हुवो सवत १६८६ खानजहांरी वेढमे काम आयो । ६८२. किसनपुर मेडतिया सुरक्षाणोत वैरागिया सुखे वैरागियांरै भेळा वह जठे जावे पुण्यरो लेवें, पाग में मोरपत्र राखे राजावत सिने परणावे, उणरै परणीजे महंत सेवादासजी है गाव ताबापत्र है । Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८३-६९७ ] राठौडांरी वातां ક્રૂર ६८३. प्रथीसिंघ अखसिंघ दोनू सामसिंघ रा प्रथीसिंघरा खालड बोरावड नै अखैसिंघरा बूढस् माना । मेड़तिया (घाणेराव) ६८४ वीरमदे १, प्रतापसिंघ २, गोपाळदास ३, किसनदास ४, दुरजणसिंघ ५, गोपीनाथ ६, सूरतसिंघ ७, प्रतापसिंघ ८, पदमसिंघ ९, किसनसिंघ १०, वीरमदे ११, दुरजणसिंघ १२, अजीतसिंघ १३, घाणेरावरा धणी । 1 ६८५. प्रतापसिंघ वीरमदेवोत मेडतियानूं राणौजी पचास हजाररा पटासूं गाव जनोद मेवाड दियो । ६८६ वीरमदे दूदावतरो बेटो प्रतापसिंघ जिणनूं राणोजी पचास हजाररा पटासू जनोद दीवी । ६८७ प्रतापसिंघ रे गोपाळदास, गोपाळदासरे किसनदास, किसनदासर घाणेराव महल कराया । ६८८. गाव घाणैरो बामणारो सासण हुतो अक वास गुजरगोडारो, भेक राजकुरारो अक वास गुँदचारो- जुमले घाणेरै तीन वास हुता । ६८९ गूजरगोड, राजगुर, गूदेचा आ तीन जातरा ब्रामणारो गाव घाणीरो जठ किसनदास गोपाळदासोत महल कराया घाणेराव गावरो नाव परगट हुवो । ६९० किसनदास मेडतियो आय रहियो जदयूँ घागेराव कहाणो । ६९१. किसनदासरै दुरजनसिंघ, दुरजनसिंघरै गोपीनाथ, गोपीनाथरै सूरतसिंघ, सूरतसिंघरै प्रतापसिंघ, प्रतापसिंघ पदमसिंघ, पदमसिंघरै किसनसिंघ, किसनसिंघ रै वीरमदे, वीरमदेरै दुरजणसिंघ, दुरजणसिंघ रै अजीतसिंघ । ६९२ गोपीनाथजी रामपुरै चालिया राणा अमरसिंघरी वारमे । ६९३ राणै अमरसिंघ फोज देनं गोपीनाथ मेडतियानू सिरोही माथै विदा कियो, इण वहार गाव सिरोहीरा गोडवाड हेटै घालिया, सिरोहीरी माडीरो दाण राणाजीरो ठरायो गोपीनाथरी पोती सबंध रावरा कुवरसू हुवो । • घोडे चढिया मेडतिया गोपीनाथ अरज किवी । ६९४ राणै अमरसिंघ ६९५ राणो राजी हुवो । ६९६ राठोड गोपीनाथरा बेटारी विगत - सुरताणसिंघ १, अनोपसिंघ २, अभैराम ३, हवतसिंघ ४ । ६९७ सूरतसिंघ १, मोहनसिंघ २, अभैराम ३, अनोपसिंघ ४ - अ च्यार बेटा गोपीनाथरा । 1 Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४ वांकीदासरी ख्यात [६९८-७०८ ६९८. रागो अमरसिंघ तळाव फोडावतो हो सुरताणसिंघ गोपीनाथोत अरज कर रखायो। ६९९ महाराज अजीतसिंघजी कनै दिली अभैराम गोपीनाथोतनू राणो अमरसिंघजी उकील भेजियो ओ राणारो काम सुधार पाछो आयो . नो । । । ७०० राणो अभैरामसू उदास हुवो मन ने जद सिसोदियो पूरावत कह्यो-अभैरामजी तो आपरी चाकरी पूगा है सू वासू राजी रह्यो जोग है जद राणोजी अभैरामजीसू राजी हुवा। ७०१ नारळाई सादडरारा धणी कोठारियो गाम अभैराम गोपीनाथनू राणे जैसिंच दियो राम राव मालदेरो जिणरा वंसरा जोधा ज्यारै चाणोद हुई, तिका वा अनोपसिघ गोपीनायोतनू दिवी। ७०२ किसनसिंघ १, विसनसिंघ २, नायूजी ३, खुमाणसिंघ ४, पहाडसिंघ ५पाच बेटा पदमसिंघजीरै । मेड़तिया (रियां) ७०३ रियारा सिरदारारी पीढिया लिखते-जैमल १, मावोदास २, सुबरदास ३, गोपाळदास ४, प्रतापसिंघ ५, अचनिघ ६, कुसळसिंघ ७, सिरदारसिंघ ८, सेरसिंघ ९, जालमसिंघ १०, अमानसिघ ११, सादूळसिंघ १२, हमै है, पहला रिया इणरा पडदादार हुतो। ७०४ मिरदारसिंघ १, सूरजमल २, जवान सघ ३, वखतावरसिंघ ४, विरदसिघ ५, सिवनाथसिंघ ६, हमै रियारा धगी है । ७०५ कुसळसिंघ १, सरदारनिंघ २, सूरजमल ३, जवानसिंघ ४, वखतावरसिंघ ५, विरदसिंघ ६, सिवनाथसिघ ७-रियांरा सरदारारी पीढी। मेड़तिया (आलणियावास) ७०६ सुदरदास १, गोपाळदास २, प्रतापसिघ ३, राजसिंघ ४, कल्याणसिंघ ५, रामसिंघ ६, पदमसिंघ ७, लखधीर ८, फकीरदास ९, भारतसिंघ १०, हगवतसिंघ ११, अजीतसिघ १२--आलणियावास । ७०७ आलणियावासरा सिरदारांरी पीढिया-प्रतापसिंघ १, राजसिंघ २, कल्याण सिंघ 3, रामसिंघ ४, पदमसिंघ ५, लखवीर ६, फकीरदास ७, भारतसिंघ ८, हणवंतसिंघ ९, अजीतसिंघ १०-हमै आलणियावास भोगवै । ७०८. लणियावाससू वारसरै दिन राजसिंघजी वगैरे माधोदासोत ने उदावत दोन खामांरा मिरदार पुसकरजी तहबरखासू जग करण चालिया राजसिंघजी प्रतापसिंघोत रथ सवार हुवा रजपूता कही-घोडै असवार होयजे आ कही Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०८-७१६] राठौतारी वाता म्हारो पेट दूखै है पछै ऊदावत टळ परानू चालिया लोका आनू क ह्यो. हू आईज वात वाछतो थो, ओ अवसाण तुरकानू मारि धर चाड धणीरी चाड गऊरी चाड पुसकरराज माथै मरणरो पुसकरराज मोनूं हीज दियो. सो पुसकरराज म्हारी अरज मानी, घोडो लावो राजसिंघजी घोडै सवार होय कह्योपुसकर । अक म्हारी हमै आ अरज, आपरा पाणीरो दरसण करि म्हारी लोथ पडै पर्छ सरस्वतीरा नाळसू वेढ सरु हुई, ब्रह्मघाट माथै जाता लोथा माधोदासोतारी पड़ी। ७०९ माधोदासोत राजसिघजी वगेरै नव सिरदार पुसकरजीरा ब्रह्मघाट माथै काम आया तहवरखासू जग करीनै । ७१० आलणियावासरो धणी ईसरोत विजैसिघ छोटो भाई राजसिघ विजैसिंघजी मवा पछै विजैसिंघजीरी ठकूराणी बजरगदेजी मरदानी पोसाक कर सस्त्र बाध घोडै चढती तुरकाणीमे वडो डको रह्यो। ७११. चमाळीस गाव आलणियावासरा नै चारसू ढूढाडरी अजारै दोन ठिकाणा लिया. सारो राज-काज बजरगदेजी हाथा करता । ७१२ आलणियावासरो चमाळीसो वान हो बजरगदेजीरै सात बरस छोड रह्यो, पछै बेटो हुवो। ७१३. दुरगदासजीरै पटै मेडतो जद आलणियावासरा चमाळीसारा रुपिया भरो मैं नटिया पछै मेडतासू बजरगदेजी चढिया रियारी नदीमे वेढ हुई दुरगदासजी भागा वजरगदेजी जीता दोय कोस दोरी दुरगेस । ७१४ देवराजसिंघ आनू कळक दे मारिया ने बजरगदेजीरो बेटो ही मारियो. बज रगदेजी कह्यो-मोन थे झूठो कळक दे मारी है तो राजसिंघ | थारो नास होय, जो तै साचो कळक दे मोनू मारी है तो थारो तार ही बिगडजो मती। ७१५. गाव माजी नागोररो तारकीनजीरा मुजावरारै पातसाहरो दियो हुतो उठ विखामे माधोदासोत मेडतिया सरण हुता । मेड़तिया (कुड़की) ७१६ वीरमदे १, जैमल २, माधोदास ३, सुंदरदास ४, गोपाळदास ५, प्रतापसिघ ६, अचळसिंघ ७, कुसळसिघ ८, सिरदारसिंघ ९, सेरसिंघ १०, अमानसिंघ ११, सादूळसिंघ १२, मेडतिया कुडकीग धणियारी पीढिया। Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात [७१७-७२७ मेड़तिया (कुचामण) ७१७ कुचामणरा सिरदारारी पीढिया लिखते-रिडमल १, जोधो २, दूदो ३, वीरमदे ४, जैमल ५, गोईंददास ६, सावळदास ७, रुघनाथसिघ ८, किसोर सिंघ ९, जालमसिंघ १०, सोभागसिंघ ११, सूरजमल १२, सिवनाथसिंघ १३ । ७१८ गीत कुचामणरा सिरदारानू वांकीदास कहै किसू गणावे पीढिया ख्यात सारी कहे, दुनी प्रव प्रव प्रगट सुजस दीघो। कदीही कियो नह रमणो कुचामण, कुचामण साम-ध्रम सदा कीधो ॥१॥ यूज. काळ नप विजपती सेवियो, सुख भण गयो विया कमधजा साथ । लोह वळ मुरवरा-तणा केवळिया, सूह ढूढाड धर हूत सिवनाथ ।।२।। काकिया जनमिया जिका चाळा किया, टूट रज-बट तिका हूंत दाखी।। अबरकै रचे रणजीत फोजा अणी, रज करी सरी गत धणी राखी ॥३॥ दुआ रुघनाथ दूदाणरा विवाकर, वार थारी भली थाळ वागो । पहलही मान यह तणा लागो पगा. लगा धम चक अभग आभ लागो ।। ४ ॥ ७१९. सवत १७१५ रा मेडतिया रुघनाथसिंघ सावळदासोत . कनासू मारोठ लिवी। ७२० सवत १७१५ रुघनाथसिघ सावळदासोत गोडा कनासू मारोठ लिवी । ७२१ मवळसिंघ रुघनाथसिघजीरो, सवळसिंघरो इदरसिघ, इदरसिंघोत विजैसिंघोत मारोठमे है। ७२२. वीरमदेवोत भाटिया कनसू सराणो रुघनाथसिघजी लियो. जाणियाणो रूपसिंघजी लियो। ७२३ मेडतिया रुघनाथसिंघोत हजूररी . . न चढे, ऊटारै जावतै न चढे घोडो चढ नै फरावै हाथी चढ खवासी न करै . . । ७२४ रूपसी रुघावत रिमां-राह, आसाम कीध मारत अथाह । ७२५ रूपसिंघ १, केहरसिंघ २, अगदसिंघ ३, अमरसिंघ ४-ॐ रुघनाथसिंघ सावळ दासोतरा बेटा च्यार नरूकारा भाणेज सवळसिंघ १, विजैसिंघ २-अ दोय सेखावतारा भाणेज । ७२६, मेड़तिया बनैसिंघोत महासिंघोत सगतसिंघोत मीठडीमे है । ७२७. मेड़तिया विमनदासोत ज्यारै पहलां जाजपुर पट रहियो पछै खेरवो पट रह्यिो पछे खोड़ पटै पायी राणो जैसिंघ भाणेज । Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२८-७४०] राठौडारी वातां ७२८ पुसकरजी कनै चापावतारो ठिकाणो वसी कडैल जठारो भाणेज सीकररो धणी देवसिंघ। ७२९ मेडतियारै नागणेची ब्रह्माणी है, मीठी कोळी भोग लागे । करमसोत ७३० करमसी आपरी बहन भागाबाई नागोररा खाननू परणायी साळा कटारीमे आसोप खीवसर दियो। ७३१ राठोड करमसी आपरी बहन भागाबाई नागोरी खानू परणायी जद खान साळ कटारीमें आसोप खीवसर दिया । ७३२ करमसी जोधावत लूणकरण वीकारतरी चाकरीमे रहतो नारनोळरै गाव ढुसियै वेढ हुई सू करमसी लूणकरण साथै काम आयो। ७३३ करमसी भलो राजपूत हुवो लूणकरण वीकानेरियारो चाकर हो. लूणकरण वीकावत नारनोळ ऊपर गयो जद भोमियासू वेढ हुई लूणकरण, कवर प्रतापसिंघ, राठोड करमसी जोधावत गाव ढुसियै काम आया। ७३४ मागळियो भोज हमीरोत जिणरी बेटी दूलदे करमसी जोधावत परणियो पचायण १, धनराज २, नारायण ३, पीथूराव ४- च्यार बेटा करमसीरे हुवा मागळियारा भाणेज । ७३५ उदैकरण १, नारायण २, पचायण ३, पीथूराव ४, धनराज ५-ॐ पाच बेटा। करमसी जोधावतरा। ७३६ करमसीरै टीको उदैकरणनू हुवो वरस ४० आसोप यार रही सेवकी राव गागाजीरै नागोरी खानसू वेढ हुई उदैकरण रावजीरै सामल नै हुवो जद रावजी आसोप जबत कीवी। ७३७ उदैकरण करमसीरो जिणरै आसोप च्यार वरस रही पछै रावजी गागाजीरै नै नागोरी खानरै सेवकी वेढ हुई उदैकरण रावरी चाकरीमे न गयो रावजी आसोप ले लिवी। ७३८ उदैकरण करमसोतरो बेटो भानीदास मागळिया वीरमरी चाकरीमे हो वीरमदे साथै काम आयो। ७३९ उदैकरणरो भवानीदास मागळिया वीरमरो चाकर हुतो सो वीरम साथ काम आयो। ७४० भवानीदासरै राम, रामरै केसोदास, केसोदासरै प्रागदास । Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८ वांकीदासरी ख्यात [७४१-७५६ ७४१ रामरै दयालदाम, दयालदासरै बेटा तीन हुवा-लखमीदास १, कुभो २, हरदाम ३ । ७४२. करमसोत कान्ह खीमावत सोयळा वाळारै वडेरै पीपाड पटै पायी ही। ७४३ हमीर नरा सूजावतरो फळोधीरो धणी गोपाळ नरा सूजावतरो पोकरणरो वणी। ७४४. पोहकरणा दोडनै विगाड करनै गाव बयाळीस नरावता कनासू लिया। ७४५ गोइद नरावत भाखर माथै पोहकरण कनै गढ करायो नाव सातलमेर दियो हो राव मालदेजी नरावता कनास पोहकरण लिवी जद सातलमेर पाड मातलमेररा कवाडासू पोहकरणरो कोट करायो । ७४६ नरावतारी वहन-वेटी सासरामे सातलमेरी कहीजै । ऊदावत ७४७ राव ऊदो सूजावत गाव लोटोती तळाव करायो नाव सूजैळाव दियो । ७४८ सवत १६१४ रा चैत वद ९ अजमेरसू कासमखा फोज ले जैतारण माथ चढियो रतनसी खीवा ऊदावतरो जणा ३५ पैतीससू काम आयो । ७४९ कल्याणदास रतनसिघ खीमावतरो जिणरा बेटांरी विगत-दयालदास १, भीव २, मुकनदास ३, वेणीदास ४ । ७५० दयालदास रा राव सुर भीव राड वगेरै भीवदासरा माराही घोळीमे मुकन दासरा रास नीवाज । ७५१ मुकनदासर वेटा दोय-मनीराम १, छोटो विजैराम २ जिण रास पटै पायी. पहला रास जो धोळी । ७५२ पीपाड लाव माथै जगराम विजैरामोन पीपाड पटै पायी । ७५३ ऊदावन जगरामसिंघ पीपाड़, कुअर कुसळ जगमालोत कोकले, अमरसिघ कुसळसिंघोत दहिया वडी, माधोसिंघ अमरसिंवोत देवगाव वघरे, कल्याणसिंघ अमरसिघोत ताल, दौलतसिंघ सभूसिघ नीवाज मुवा, सुरताणसिंघ जोधपुर काम ऑयो । ७५४. मुभराम जगरामोत सीरो लियो, पीपाडनै लिवी नहीं। ७५५ अमरसिंघ कुसळसिंघ जगरामोतरै सीरो छोड पीपाड़ लिवी जगरामजी देवलोक हुवा पछै । ७५६ ऊदावत अमरसिंघजीरा वडो वेटो माधोसिंघजी वडो अडपदार हो . ऊ चलिया पर्छ कल्याणसिंघजी अमरसिंघोत नीबाजरो धणी हुवो। Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५७-७६९ ] राठौडांरी वातां ६९. ७५७ अमरसिंघनूं हडोर तकियो जिणसू माधोसिंघ अमरसिघोत तकियो ले लियो विना दियाँ ही । ७५८ ऊदावत अमरसिघरी बेटी देऊबाई राजा उमेदसिघजीनू परणायी उमेद सिंघजी जीवता राम कही । ७५९ अमरसिघरी छोटी बेटी गुमानाबाई सायपुरै उदोतसिघ उमेदसिघोतनू परणायी उण नीबाज सत कियो । ७६० नीबाज मदन परमार विसनू-अरथ मंदिर करायो जद खेजडलास भेसादरी मूरत आय विराजी । ७६१. ऊदावत सुखसिंघ वखत सिंघोत केहर सिंघरै छोटे भाई राजा किशोरजीनू मारिया | ७६२ रास ऊदावत वखतसिंघोत महाराज किसोरसिंघजीनू मारिया अजमेर मे । रतनोत जोधा ( भाद्राजण ) ७६३ राव मालदे १, रतनसी २, सादूळ ३, मुकनदास ४, उभाण ५, बिहारीदास ६, वाघ ७, उदराज ८, उमेदसिघ ९, जालमसिंघ १०, वख्तावरसिंघ १११- अ भाद्राजणरा सिरदारारी पीढिया । ७६४. जोधा रतनसिंहोत गाव गोधणसू उठ मंडला कनासु भाद्राजण, सोनिगरा कनाँसू वालो, डूगरोता कनासू गाव भीवरी लीवी । महेसदासोत जोधा ( पाटोदी) ७६५ जोधा पाटोदीरा ज्यारी पीढियां - राव मालदे १, महेसदास २, रामदास ३, गोइददास ४, सबळसिंघ ५, दुरजणसिघ ६, सूरजमल ७, जालमसिध ८, जवानसिंघ ९, भारतसिंघ १० ७६६ महेस मालदेवोतरो बेटो रामदास, रामदासरो गोइददास, गोइन्ददासरो सबळसिंघ, सबळ सिंघरो दुरजणसिंघ, दुरजण सिधरो सूरजमल, सूरजमलरो जालमसिंघ, जालम सिघरो जवानसिंघ, जवानसिंघरो भारतसिंघ - पाटोदीरा । ७६७ राठोड जोगीदास रामदासोत महाराज गजसिंघजीरी आग्यासू बूदेलानू दिल्ली में मारियो, रामसिंव जोधारो वैर लियो पाटोदीरा जोधारो वडेरो जोगीदास । ७६८ पाटोदी नथूसिंघ सूरजमलोत बागडिया देवडारो भाणेज जालिमसिघ सूरजमलोत चावडारो भाणेज । ७६९ नथूसिंघरी बेटी लाडूबाई जेसलमेर परणायी मूळराजजीनू बेटो मानसिंघ पाटोदी घोडा पड मुवो कवरपदै पाटोदी इणरी छत्री है। ू Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७० वांकादासरी ख्यात [७७०-७८० ७७०. रावळ जैतमाल आगे दुरजसिंघ जोयो भाज भाद्राजण गयो पाटोदी छोडने । ७७१. जोवा सवळसिंघरै सात बेटा हुवा पाव पाटोदी रहिया दोय.फळसूड वसिया। ७७२ महेसरो दूदो दूदारा पोता घडसीरै वार्ड रहै. महेसरो कल्याणदासरा पोतरा गाव सरवडी रहै। रतनोत जोधा (दुगोली) ७७३ मोटो राजा उदैसिंघ १, जैतसिंघ २, हरिसिंघ ३, रतनसिंघ ४, किसनसिंघ ५, सावतसिंघ ६, सिरदारसिंघ ७, राघोदास ८, ग्यानसिंघ ९, सिवनाथसिंघ १०, कवर वखतावरसिंघ ११-जोधा दुगोली ज्यारी पीढिया । गोयंददासोत जोधा (खैरवा) ७७४. खैरवारा धणियारी पीढिया लिखते-राव मालदे १, राजा उदैसिंघ २, भग वानदास ३, गोइददास ४, रणछोडदास ५, भीम ६, प्रतापसिंघ ७, इदर सिंघ ८, सवाईसिंघ ९, मानसिंघ १० । ७७५. खैरवै प्रतापसिंघ भीमोतरी वेटी, इदरसिंघरी बहन, देलवाडारो घणी राजा राघोदेव परणियो। ७७६ जोधा केहरसिंघ नरसिघदासोतरा वेटारी विगत-इन्दरभाण १, चंदरभाण २, गोपीनाथ ३, किसनदास ४, उरजण ५ । ७७७. खाटू किसनदासोत सामै उरजणोत उमरकोटमे रसत घाली जद जोधा केहरसिंघोत छव सिरदार काम आया इकतीस रजपूत काम आया. वयासी घावा उपडिया। पातावत . ७७८ पातो जोगीदास चाखू पड़ियाळरो धणी मुकुनदास रामचंदोतरो बेटो महाराज वखतसिंघजीरी फोज फळोधी लागी जद महीना कोटमे लडियो पछै प्रोळा खोल महाराज रामसिंघजीरै काम आयो । ७७९ जोगीदाम छोटो भाई तिलोकसी काम आयो रूपावत पाळीरो घणी जोध सिंघ महाराज रामसिंघजीरै काम आयो जोगीदासरै साथ । ७८०. जोगीदास काम आयो जोगीदास पातारा भाई-बेटा पूगळ गया अमरकोट टाळपुर घेरो दियो जद रसद पहुचावणन जोगीदासरानू विदा किया. केहरसिंघोत रूपावता पाता रसद उमरकोटमे घाली जग कर महाराजरी फत किवी जद जोगीदासरानै सामै आया । Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८१-७८९] राठौडांरी वातां ७८१ जोधसिघरो करनसिंघ, करनसिघरो सिरदारसिघ, पाळीरो धणी, झामट भीमसिंघजी महाराजरै काम आयो । ७८२ कळावत जैतमळोत दोय बडा धडा पातावतामे नै आ पछै तीन धडा-गागा वत, पातावत, पीथावत । ७८३ गागावतारो गाव नागोररी पट्टीमे ही है । पाळी ७८४ जगतसिघ १, पेमसिघ २, राजसिंघ ३, अखैराज ४, लखबीर . ५, वीठळदास ६, गोपाळदास ७-पाळीरा सिरदारारी पीढी । रोयट ७८५. रोयटरो धणी भगोतसिघजी जिणरी बेटी अक धुलै मेघसिघ रुघनाथ सिंघोतनू परणायी दूजी माहर परणायी. तीजी सामोद नाथावत अजीत सिंघ सुरताणसिघोतनू परणायी दोहितो रावळ बैरीसाल । ७८६. महाराज विजैसिघजी बूदी परणिया जद रोयटरै धणी भगोतसिघजी अस्सी घोडा भाटा-चारणानू दिया । ७८७ राठोड रोयट दळपत गोपाळदासोतनू महाराज गजसिघजी दिवी पछै कल्याणदास दळपतोतरै रोयट रही सगतसिंघ आइदानोत थोभ छोडी, रोयट लिवी। नागोर राठोड़ अमरसिंघ गजसिंघोत ७८८ सवत १६९१ रा पोस दद ९ साहजहा पातसाहरै पाय लागो-कुवर अमर सिंघ गजसिघोत । ७८९ अढाई हजार मनसब अमरसिंघजीनू दीनो पाच परगना पातसाहजी दीना वडोदर रूणनू १, आतरोदी २, सागोद ३, झोलाव ४, बाळपो ५ । १,५०,०००) मे वडोद ___७०,०००) सागोद ३,७५ ०००) में झोळाव १,६०,०००) मे आतरोदी २०,०००) वाळूपो जुमलै ७,७५,०००) जुमले ७,७५,०००) रूपियारी जागीर अमरसिंघजीन इनायत हुई । Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ર वांकीदासरी ख्यात [ ७९०-८०५ ७९०- राव अमरसिघ गजसिंघोत पातसाहरो वखमी सालावतखा सादिक वारो बेटो मारियो । ७९१ खलीलखां रावजीरै झटको कियो हाथ ऊपर रावजीरै लागी पर्छ गौड वीठळदासरे बेटे गोड अरजुण झटको कियो राव पड़ियो । ७९२ सवन १७०१ रा सावण सुद ३ सैद खानजहा पातसाहरो मेलियो आगरै अरमसिघरी हवेली माथै आयो राठोड वळू भावसिंघ वगेरा काम आया । ७९३ चापो वळू गोपाळदासोत रजपूता पाचासू काम आयो आगर ठाकुराणी टाकणी सती हुई । ७९४ कूपो भावसिघ कान्होत काम आयो राजपूता नवसू । ७९५ चापो भीनोकरण भोपतोतरो च्यार रजपूतास काम आयो । ७९६ वळूजी सामल राठोड सामसिंघ कान्होत कूपो पातसाही दरबारमे अमरसिंघजीरै साथै काम आयो भावसिंघरो भाई । ७९७. सोनगरो भोजराज जगनाथोत राव चत्रसालरो चाकर हुतो सो रावजी अमरसिंघजी काम आयो । ७९८ सोगनरो नाथो मानावत काम आयो । ७९९ भाटी गोइददासजी नजदीक था पिण भेळा न होय सकिया चहुवाण तिळोकसी मेहकरणोत अमरसिंघजीरै काम आयो । ८०० मुहतो जोघो वछावत अमरसिंघजी रै काम आयो । ८०१ सोनगरो जगनाथ जसवत भागमिघोतरो काम आयो । ८०२. जोवो केसरीसिंघ नरसिंघदास कलावतरो, वारट चावो- कूपो गोयन्ददास खीवो मांडगोतरो काम आयो । रायसिंघ ८०३ सवत १६८० अमाठ सुद १० जनम सिंघ अमरसिंघोतनू टीको दियो । ८०४. इद्रसिंघजी ईमरीसिंघजी रायसिंघजीर कुंवर दोय | स. १७०१ साहजहा पातसाह राय इन्द्रसिंघ ८०५ महाराज जसवन्तमिवजी देवलोक हुवा पछै पातसाह औरगजेब नागोररा राव द्रसिंघ गयमिघोतनू जोधपुर इनायत कियो इणरी अवाई सुण सिरदारा Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३ . ८०६ ८०५-८१६] राठौडारी वातां जोधपुर गढ सजियो-चापावत सोनगजी, उदैसिंघजी जैतावत परतापसिंघजी, सूरजमल ऊदावत, जोधो मुकददास, कूपावत हरिसिंघ, बालो प्रयागदास, ऊहड भगवानदास, किलेदार ईदो रुघनाथ, पुरोहित अखैराज-इत्यादीक घणी आसामिया मिलनै गढ सजियो।। इद्रसिंघजी जोधपुर आया विसटाळा फेर ललपत करी साच-झूठ करी पट्टारो लालच दिखाय पातसाहरो जोर दिखाय गढसू सोनगजी वगेरा सिरदारांनू उतार आप गढ चढिया पछै सोनगजीरै डेरै कुंवरनै मेलियो। ८०७ इदरसिघ रामसिंघोत पातसाह ओरगजेबसू कोल कियो हो-मोनू जोधपुर दीजै, जोधपुर जाय राठोड सतरै कुवधी है ज्यारा माथा काट अठै मेलस्यू । हो- इद्रसिंघ सोनग कनै, दीनो कवर पठाय । । पख भाद्रव सुद पचमी, बरस छतीस ताय ।। ८०८ इदरसिघजी गढ ऊपर गया जद डोढी ताई इदरसिंघजी सामा आया। ८०९ सवत १७३६ रा भाद्रवा सुद ७ मगळवार राव इदरसिंघजी जोधपुररै गढ टीको लियो पछै राम भाटीनू चूक कर मरायो । ८१० रावजी अजमेर पातसाहरा पावा गया राठोडारी जोरावरीरा समाचार मालम किया । औरगसा अजमेर गढ, आयो दूजी वार । जससुणिया जसराजरा, जुडिया सौ जोधार । ८११. नाथावत व्यास देवदत्त सोजतरै गाव हतो जठै रावजी आदमी मेलिया उवा जाय देवदत्तनू कह्यो-रावजीरो हुकम है, बेडी पहर लै, व्यास बेडी पहरी नही , वाजनै काम आयो जगतमें रावजीरो अपजस हुवो। ८१२ नागोररा राव रामसिंघजी इदरसिंघजीरै खास परवाना ऊपर लक्ष्मी दामो दररो नाम लिखीजतो। ८१३ इदरसिंघ नागोररो कोटवाल रूघो मोहिळ कियो विणजारी छती रूघारी खवास जिणरा घाघरारा नाडा मोहर वाधी रहती। ८१४ पातसाह उदैपुर माथै गयो दहवारी भेळी कूपावत उग्रसिघ काम आयो. राणो राजसिघ नास पहाडा गयो । ८१५ राव इदरसिंघजीनू वधनोर थाणे पातसाह मेलिया। ८१६ सत्यानद सन्यासीरा दुखसू रैत नागोररी दिळी जाय पुकारी इदरसिंघजीरो मनसब जबत कियो औरगजेब जद कूपावत प्रतापसिंघ भावसिंघजीरो पोतो कवर मोहकमसिंघन ले दिल्ली गयो नागोररी साहिवी पगा राखी । Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४ वांकीदासरी स्यात [८१७-८३० ८१७ आग हुती जिका सिणगार चोकी ढवायनै नवी करायी. डोढीरो बारणो दिखण दिसामें करायो जोधपुररी रय्यतन घणो दुख दियो रावजी अनीत वरतायी सोनगजी वगेरैरो क्यूही वटै नही सिरदार छाड दुरगादासजी कनै गया आ कह्यो-नागोरी तरहदार है, हू तो पहलांमूं ही जाण गयो, हम सारा थोक भला करसा । बीकानेर वीको जोधावत ८१८ वीको जोधावत जागळूरा साखळारो भाणेज । ८१९. राठोड वीका जोधावतरा वेटारी विगत-लूणकरण १, घड़सी २, वीसो ३, नरो ४ । लूणकरण वीकावत ८२० ढुसियो गाव नारनोळ कनै है जठे लूणकरण वीकावत काम आयो । ८२१. उरजण सतावत वीका जोधावतरै काम आयो मोहिळ मारियो । ८२२. सावत उरजणरो वीकानेररा लूणकरणरै काम आयो । जैतसी ८२३ वीकानेरसू सात कोस ऊपर सोहुवो गांव है जठ वीकानेररो धणी राव जैतसी लूणकरणोत कूपा महराजोतरै हाय रह्यो । ८२४ ठाकुरसी जैतसिंघोत गयी भोमरो वाळणहार हुवो वीकानेर । ८२५ राठोड ठाकुरसी जैतसीहोत लूणकरणोत जैतपुरंसू जाय तेलीसू मिल निसरणियां लगाय राठा कनैसू भटनेर लियो। ८२६ ठाकुरसी भटनेररा तेलीरो दिल हाथ लेनै मूतरा रस्सारी नीसरणीसू तेरह सौ जणांसू भटनेररै किळे चढियो भाटियांनू मार काढिया भटनेर अपणाय लियो । ८२७ ठाकुरसीजी जैसलळमेर परणिया हुता । ८२८ - वीकानेरिय कल्याणमल जैतसिंघोत आपग छोटा भाई ठाकुरसी जैतसिंघोतनू जैतपुर ठिकाणो दियो। ८२९ ठाकुरसीरो बाघ अकवर आगं कुत्ता ज्यू वाघनूं पकड़ आणियो। ८३०. ठाकुरसीजीरै वेटो वाघजी हुवो. अकवररी आग्यासू वाघसू वाथिया पडण कमर वांधी वाघ कुत्ता ज्यू हुय गयो. पातसाह घणो राजी हुवो। Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३१-८४०] राठौडारी वातां ७५ ८३१ मेडतियो केसोदास सुरताणोत नवाबनै मार आगरै रायसिघ कल्याणमलोतरै डेरै आयो इण वाघ ठाकुरसिंघोतरै डेरै मेल दियो वाघ केसोदास भेळा काम आय यवनासू जग करियो । ८३२ आ दोनारा माथा कटाय आगरारे दरवाजे बधाय पातसाह जाबतानू चौकीदार राखिया. पछै नारणोत वळभद्र राजा रायसिंघजीरा कह्यासू दोनारा माथान जमनारै तट दाग दियो। ८३३ पछै मेडतियो केसोदास सुरताणोत आगरामे नबावनूं मार बाघरै सरण आयो. वाघ केसोदास पातसाहरा सीखासु जग कर काम आया आरा माथा आगरारै दरवाजै टाकिया पातसाहरा हुकमसू माथा ऊपर चौकी बैठी पर्छ नारणोत वळभद्र माथानू दाग दियो जमनारै तट प्रिथीराजजी कह्योभाई जिके कहीजे वलभद्र जो.... । राव कल्याणमल जैतसीहोत ८३४ राव कल्याणमल जैतसिंघोतरा बेटारी विगत - रायसिघ १, प्रथीराज २, सुरताण ३, रामसिंघ ४, गोपाळदास ५, भाण ६, राघवदास ७, अमरो ८ । ८३५. बीकानेर राव कल्याणमलरै बेटारी विगत - रायसिघ १, प्रथीराज २, सुरताण ३, रामसिघ ४, गोपाळदास ५, भाण ६, राघवदास ७, अमरो ८ । ८३६ राठोड प्रथीराज कल्याणमलोतरै हसाररी बावनी पटै हुती हमै प्रथीराजोत उठ हीज रैवै है। ८३७ स० १६३८ रा वैसाख सुद ३ सोमवार प्रथीराज कल्याणमलोत रूपक वेल नामे वणायो। राजा रायसिंघ कल्याणमलोत ८३८.. ... . विक्रमाख्यनृपस्य पुत्र श्री लूणकर्णोऽपि न लूणकर्ण । श्रीजैत्रसिंहोऽहित नागसिंह कल्याण नल्लोऽखिलशत्रुगल्य । श्रीराजसिंहस् तनुजोऽस्य राजा, विराजते धर्म-पथस्य गोप्ता ॥ ८३९ राजा रायसिंघजी वारट सकरनू सवा कोड दीवी जद पाडसर साजनसर दोय गाव ताबापतर दिया वीकानेररा। ८४०. दूहो राजा रायसिंघ कहै करमचद करसो किसू, अन धन जोड अपार ।। नवी जग खाटो नही, ले जासो की लार ॥ Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात [८४१-८५० ८४१ वीकानेर गढ कोट राजा रायसिघ करायो अधकोस सहर छै जूनो वीकानेर वीकानेर सूरजपोळ बंधा ऊपर हाथी वे है जैमल पत्तो है बड अक मोटो वारणो छै बावन वुरज छै उगवणनू पोळसू पडकोटासू तीन पोळ है. पोळ मेक पश्चिम दिसा छै बारी बेक उत्तरनू छै छत्तीस गज कोट ऊचो घरतीथी हाथ पैताळीम कोट नै गज १४ आडो छै गज नव कोट दोळी खाई ऊडी भीत आगणो मगळा छत्र गज छै कुवा तीन पुरस साठ पाणी मीठो पहला वारै हता त्या दोळो कोट कराय माय लिया. तळाव घड़सीसर सहरथी कोस दोय पाणी सात मास रहै आठ कुवा सहरकी गिरद साठ पुरस. पाणी मीठो वीस नाडिया पाणी मास दोय तथा तीन रहै सूरसागर पाणी मास छव रहै। ८४२. लाहोर मम्मन वुरज राजा रायसिंघजी भुरटियारी करायोडी आछी है । ८४३ वीजा हरराजोतनू रायसिंघ बीकानेरियै सिरोही मायसू काढियो जद आठ हजार पीरोजिया दीवी राव सुरताण पेसकसीरी राजा रायसिंघनू । ८४४ रायसिंघ कल्याणमलोतरा वेटारी विगत- दळपत १, सूरसिंघ २, भोपत ३, किसनसिंघ ४। ८४५. रायसिंघ किलाणमलोतरै वेटारी विगत -- दळपत १, सूरसिंघ २, भोपत ३, किसनसिंघ ४। दळपतसिंघ रायसिंघोत ८४६ सवत १६५९ रा सावण वद १ कुवर दळपत रायसिंघोत रायसिंघरा रजपूतां कनासू नागोर लियो। ८४७. दळपत रायसिंघोत पकडाणो जद वीदासररो धणी दळपतरी चाड जंग कर मुवो। ८४८. काजी गडगडी चढा'र अजमेररा डेरां दळपत रायसिंघोतनू मारियो जहांगीररी आग्यासू । ८४९ राठ वैराडी साथ ले दळपतरी मदत आया हुता ज्यानू वीकानेररा उमरावा चमक दे काढ दिया ।। सूरसिंघ रायसिंघोत ८५०. सूरसिघ भुरटियारी चाकरीमें गाडण चोलो, मीसण चाचो, अक सीवड जुमले में तीन जण चाकरीमें रह्या । Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७ ८५२ ९५३. ८५१-८५८] राठौडारी वातां करणसिंघ सूरसिंघोत ८५१ सवत १६९९ रा काती वद ११ रवीवार वीकानेररो राजा करण नागोररो राजा अमरसिघजी आरी फौजारै जग हुवो गाव सीळवै जद भोपत गोपाळदासोतरा बेटा तीन काम आया अखैराज १, करण २, साहबखान ३ । करण सूरसिघोतरा बेटारी विगत – अनोपसिघ चन्द्रावतारो भाणेज १, पदमसिघ हाडारो भाणेज २, केसरीसिंघ सेखावतारो भाणेज ३, अजबसिध अहाडारो भाणेज ४ । करण सूरसिंघोतरा बेटा - अनोपसिंघ चन्द्रावतारो भाणेज १, पदमसिघ २, मोहणसिंघ हाडारा भाणेज ३, केसरीसिंघ सेखावतारो भाणेज ४, अजबसिंघ अहाडारो भाणेज ५ । अनोपसिंघ करणसिंघोत ८५४. राजा अनोपसिघ करणसिघोतरा बेटारी विगत – सरूपसिंघ कवरपदै देवलोक हुवो १, सुजाणसिंघ २, अणदसिघ ३, सुदरसिंघ ४ । ___सरूपसिंघ अनोपसिंगेत ८५५ वीकानेर अनोपसिघजीरी गादी देवळियारो भाणेज सरूपसिंघजी बैठा छव महीना राज कियो. सीतळासू मुवा । सुजाणसिंघ अनोपसिंघोत ८५६ पर्छ अनोपसिंघजीरी गादी सुजाणसिंघजी बैठा सुजाणसिंघजी अणदसिंघजी दोनू कछवाहा नरवदरा भाणेज राजा गजसिंघजीरा दोहिता। ८५७ अणदसिंघजी रिणी काका केहरसिंघजीरै खोळे गया । जोरावरसिंघ सुजाणसिंघोत ८५८ जैमलसररो रावत खीवो भाटी, नापासर वेळासररा साखळा प्रोहित सीवड नागोर महाराज वखतसिंघजीसू मिलिया आ कनै वीकानेर आयो आ कयोवीकानेररा किळामें राजाधिराजरो अमळ कराय देसा, जोरावरसिंघजी वीकानेररो राजा ज्यानू सुपनामे में समाचार श्री करनीजी फरमाया जोरावरसिंघजी आठा साखळानू मारिया प्रोहित भाज गया खीची सुदरो खालो पड भागो वीकानेरसू चीधड़ारो लोक ताकीदसू किळामे आय गयो राजाधिराज देसणोक परासू पाछा पधारिया नागोरन वीकानेररो गढ हाथ आयो नही। Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८ वांकीदासरी ख्यात [ ७५९-७६८ ८५९ राजा जैसिंघजी जैपुरमे राजा जोरावरसिघ वीकानेररो धणी जिणनू फुरमायो - थारै देसमे मुख है या कही लालमिघ दोडै है सेखावतारो लोकनै बीकानेररो लोक भादरा माथै गयो लालसिंघनू पकड जैपुर आणियो चीलरै टोळे चढायो ईसरीसिंघजी पाट बैठा जद महाराज अभैसिंघजीरा फुरमावणसू लालसिंघ छूटो । ८६० राजा जैसिंघजीसू वीकानेर- पति जोरावरसिंघ सुजाणसिघोत मिळियो जद भूकरकारो सिरदार कुसळसिंघ जिणसू मिळ जैसिंघजी फुरमायो - डणारी जिती बहादुरी सुणी ही उती जद हरनाथसिंघ नरूकै दीपसिंघ कुभाणी अरज किवी - रजपूतरै मूडै थोडी मूछ हुवै जिकोही काम पड़ियां माठी जणावै आरै मुहडै तो वाथ भरी मूछा है । अँ जणावै जिणरो काइ इचरज है ? ८६१. वीकानेररो राजा जोरावरसिंघजी बणाड़रा डेरा महाराज जैसिंघजीसू मिळिया जद कुसळसिंघजी भूकरकारा धणी, सांडवारो धणी इद्रसिंघ, महाजनरा घणीरो भाई छोटो भीमसिंघ - औ सिरदार साथै हुता । गजसिंघ अणंदसिंघोत ८६२ वीकानेर राजा गजसिंघ अणदसिंघोत खडेळारा भाणेज कवर राजसिंघ गजसिंघोतरी बेटी सिरदारकवर जैपुर राजा प्रथीसिंघजीनू परगायी महाराज गजसिंघजी ओ व्याव आछो कियो । ८६३ गजसिंघजीरी वेटी पनैकवर बूदीरा रावराजा विसनसिंघजीनू परणायी । ८६४ राजा गजसिंघजीरी वहन इदरकुवर रावराजा उमेदसिंघजीरा वेटा सिरदारसिंघजीनू परणायी । ८६५ वीकानेर प्रिथीसिघजी परणिया जद वरवाडारं राव माचेडीरं धणी प्रतापसिंघजी सेखावत डेरा लुटाया । ८६६ चित्रकवर, विचित्रकवर, सुखकवर - तीन वेटी वीकानेररा राजारी राणा राजसिंघजीरा कुवर सिरदारसिंघजी, सुरताणसिंघजी, जैसिंघजीनू परणाया । ८६७ महाराज गजसिंघजीर भाई तारासिंघजी अणदसिंघजीरी जायगा रिणी दाव वैठा जद मुहतो वखतावरसिंघ फोज ले रिणी गयो काधळोत ळाळसिंघरै हाथ तारासिंघजी रह्या । ८६८. नारासिंघजी महाराज गजसंवजीरा छोटा भाई रिणी दाव वैठा मुहतो ववतावरसिंघ महाराजरी विना मग्जी रिणी माथै गयो तारासिंघजी फोज Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६८-७८१]: राठौडारी वातां सामा आया कह्यो-मोनू कुण मारसी ? जद काधळोत लालसिघ तारमिघनू मारिया। ८६९. तारासिंघजीरी बेटी गजसिंघजी परणायी . उमेदसिंघ रावराजारा बेटा सरदारसिघजीनू परणायी। सूरतसिंघोत गजसिंघोत ८७०. नव दुर्गारा नव मदिर महाराज सूरतसिघजी कराया वीकानेर । ८७१ सवत १८८५रा चैत सुद ८ वीकानेर सूरतसिंघजी देवलोक हुवा सवत १८८५ रा चैत सुद १४ उदैपुरमे राणो भीमसिंघजी देवलोक हुवा । ८७२ वीकानेररी हदमें गाव परमारसररो धणी परमार माधोसिंघ तिणरा भाणेज तीन महाराज सूरतसिंघजीरा कुवर तीन – रतनसिंघ १, मोतीसिघ २, लिखमीसिंघ ३ । वीकानेररा राजा काम आया ८७३ लूणकरण वीकावत ढुसियै गाम काम आयो जैतसी लुणकरणोत काम आयो रायसिंघ कल्याणमलोत बुरहानपुर देवलोक हुवो. छतरी तापी उपर है वर्ष तिहत्तररी ऊमर हुई सूरसिंघ रायसिंघोत दिखणमें सहर आभीरी जठ देवलोक हुवो राजा करण सूरसिंघोत औरगाबाद देवलोक हुवो राजा अनोपसिंघ करनसिंघोत आदूणी देवलोक हुवो . दिखणमें आदूगी अनोपगावमे छतरी है पदमसिंघ करणसिंघोत कोकणमे काम आयो। फुटकर ८७४ वीकानेररो राजा मूनरो नाम ले सोझवळीरा नाम कहावै । ८७५ वीकानेर लक्ष्मीनारायणजी धूड्डजी औ सेन साळिग्राम है। ८७६ वीकानेर राजाजीरै सेवामे करडमे करनीजीरी मूरती रहै करनमहलमे सेवा हुवै पाछो करड निजसेवामे थापित हुवै । ८७७ वीकानेर पुस्तकसाळामें अक देवी विराज है । कांधलोत राठोड़ ८७८ खाटी काधळजीके बाधी वीका। ८७९ वीका वीकानेर दमोडी काधळा राठानू मार कांधळजी जमी दावी . वीकानेरसू अस्सी कोस उतराधनू धमोरो गाव जठ काधळजी ठाकुराई बाधी। ८८० काधळ रणमलोत हसार काम आयो। ८८१ चूरूरा काधळ वणवीरोत है। Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Re ८० ८८२ जोधायणमे साख वहै - वांकीदासरी ख्यात वीदावत अजीतजी स वरदायी, वसुधा जोधै भली वसायी । [ ८८२-८९४ ८८३ अजीत मोहनू मार रावजी जोधैजी जमी लिवी जिका वीदाजीनू दिवी गाँव १७० वीदाहदरा छै, वीदावत द्रोणपुरा कहावै द्रोणपुरो हमें सूनो छै । ८८४ राठोड वीदा जोधावतरा बेटारी विगत - उदैकरण १, हरीचद २, सहसारचद ३, भीमराज ४, भोजराज ५, वैरसल ६, डूगरसी ७। ८४५ वीदा जोधावतरै वेटारी विगत - उदैकरण १, हरचद २, भोजराज ३, भीवराज ४, ससारचद ५, वैरसल ६, डूगरसी ७। ८८६ वीदावत द्रोणपुरा कहावै । जींजणियाळी ८८७ जीजणियाळीरो सिरदार भाटी उदैसिंह रामसिघोत जिण वोगनी आईरा मिसणारो भाणेज रतनू राजो मारियो राजै सगा मायानू बोगनी आईमे मारियो इण खून | ( जाट ) ८८८ जाखाणपट्टीरा गाव वीदावतारै पटै जाखड जातरा जाट रय्यत । ८८९. सीहाकोटीरा गाव १४० महाजनका सिरदारकै सीहाक जाट रय्यत । ७९० गोदारा जाटारा गाव १४४ भडाणरा वीकानेररा राजारै खाळसारा । किसनगढ किसनसिंघ उदैसिंघोत ८९१ किसनसिंघ राजा उदैसिघोत जोधपुर हुता जद आर पटै गाव दुधण्ड हुतो । ८९२ राठोड घडमी वोत मेवासी हुता ज्यानू मार किसनसिंघ उदैसिंघोत धरती ले किसनगढ बसायो । ८९३ किमनसिंघजी किसनगढ वसायो जद गुदैळाव कनै गाव वसी १, जिर २, मीरारा मालक मेर किननसिंघजी इण जमीरा मालक हुवा जद उवा मेरासू मनव मेट मारवाडमे मुमळमानांसू सबंध करणा सरू किया जात माजवी उवारी है । ८९४. अजमेर राजा किमननिघ उदैमित्रोत काम आयो जद करनसिंघ उदैसिंघोतरो यो राठोड करमसेन उग्रसेनोत नागपीठ सौ घाव लागा । Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८९५-९०२] राठौडांरी वातां रातै पूछ कमो वड रावत , ___ कल्लै मुख धोळे केवाण ॥ ८९५ सवत १६७१ जेठ सुद ८ राजा किसनसिंघजी काम आया । ८९६. किसननू छोड नह जाय किरतो । ८९७ किमनसिंघजी उदैसिंघोत ज्यानू सोनगिरै उदै रतनसिंघोत राजसिंघ कूपावतरै प्रधान मारिया वळूदरि धणी जगनसिंघजी व सूरसिंघजीसू मालम किवी । ८९८ राजा किसनसिंघोत उदैसिंघोतरै बेटा च्यार हुवा-सहसमल १, भारमल २, हरिसिंघ ३, जगमाल ४ भारमलजीरो वस रह्यो तीन निरवस गया । ८९९ सहसमल १, भारमल २, हरिसिंघ ३, जगनाथ ४ - अ च्यार बेटा राजा किसनसिंघरै, सहसमल सात वरस राज कियो । ९०० हरिसिंघ, सहसमल, जगमाल-आरो वस रह्यो नही । रूपसिंघ भारमलोत ९०१ राठोड रूपसिंघ भारमल किसनसिंघोतरो सवत १७१४ घोळपुर राड हुई दारा सिकोहरै नै औरगजेब मुरादबग सरै जठे काम आयो साहजहारी तरफ. वडो डील हो। ९०२. रूपसिंघ भारमलोत पातसाहजी...... 'सू जागीर पावै जिणरी विगत .५०,०००) परगनो किसनगढ ८२,५००) परगनै अराई ३५,०००) सलेमावाद २५,०००) बाघल सीदरी. १८,८४६॥ परगनै अजमेररा गाव ६८,७५०) परगनै हमनपुर खोहरी ५७,५००) पटी इदाणारी परगनै नागोररी - १,८७,५००) परगनो नैणवाय ५४,४०३।। परगनो जीडोतो पखळास २०,१४७०) परगनै पीपळाज. २,००,०००) परगनै माडळगढ. २,००,०००) परगनै अकबरावाद ९,९९,६४७०) री कुल जागीर । Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૮૨ बांकीदासरी ख्यात [ ९०३-९१२ वीरसिंघजी ज्यांरै "बहादुरसिंघजी ९०३ सूरसिवजी हाथा चीरो लियो - बंदोवस्तमें हीज रह्या वेटा अमरसिंघजी कीरकेर्डो छोटा बेटा सूरतसिंघजी ' किसनगढ राज वावियो भाटियाँरी साखलारी, जोइयांरी, मोहेलारी, राठारी जमी वीकानेर हेठे दीवी । 57 बहादुरसिंघ ९०४ किसनगढरा राजा बहादुरसिंघजी लवाणरा वीकावतारा भाणेज हुता । ९०५. हिन्दुस्थानी मुसलमान और मरहठा मुजरो सलाम करता जद वहादुरसिंघजी माथै हाथ लगावता | 2 ९०६. वहादुरसिंघजी नागोरी धमाको खवामे रहतो लोहरी मूठ लोह रातै नाळरी तरवार गलडवै रहती अधोडीरो गलडवो रहतो. नव पलारो मीथों रहतो दम पलारो लवायचो रहतो जाडी पीडिया ताई काछ रहती । ९०७ महाराज वखतसिंघजी जोधपुर ले सिणगारचौकी विराजिया जद घाघळ कनैसू चवर ले वहादुरसिंघजी चवर करण लागा देवीसिहजी चाप अरज कीवी - बहादुरसिंघजीरी निगाह कीजै जद राजाधिराज वहादुरसिंघजीरो हाथ पकड वहादुर सिंघजीने बैठाया । ९०८ गाजूदीनखा नबावरे सामा कोस महाराज वहादुरसिंघजी पधारिया किसनगढ दीचाणखानामे गाडी मायँ गाजू दीनखा बैठो, बिछायत मायै बहादुरसिंघजी वैठा महाराज चत्ररी हाथ मे लीत्री जद गाजूदीनखा पाल दिया । ९०९ महाराज वहादुरसिंघजी फुरमावता - गाजूदीनखा सरीखो सहूरदार जावनी भासा मे प्रवीण दीठो नही । 1 ९१० सवत १८३८ बहादुरसिंघजी देवलोक हुवा जद विरदसिंघजी चाळीस वरसमे हुता, प्रतापसिंघजी २१ वरसरी वयमें हुता । ९११. किसनगढ राजा वहादुरसिंघजी पाच वेटी- गुलावकवर नरखररा राजानूं परणायी १, अखैकुवर बूदी अजीतसिंघजीनू परणायी २, रूपकवरबाई जेसलमेर रावळ मूळराजजीनू परणायी 3, वार्ड ओक उदैपुर राणा अड़सीजीनू परणायी ४, बाई ओक देवळिये दिवाण सावतसिंघजीनूं परणायी ५ । विड़दासंघ ९१२ किमनगढ विदभिघजीरै च्यार वेटी हुई - येक उदैपुर राणा अडसीजीर कुंवर हमीरसिंघनू परण यी १, जेक जेसळमेर रावळ मूळसजजीरा कुवर रावजीनू परणायी २, ओक वणहडै राजा हमीरसिघजीनूं परणायी ३ | Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९१३-९२४] राठौडारी घातां ९१३. किसनगढ विरदसिंघ मद पीतो पण मास खातो नही । ९१४ चमाळीसै विरदसिंघजी विरदावतामै देवलोक हुवो किसनगढरो राजा। . . सामंतसिंघ (नागरीदास) . ९१५. महाराज राजसिघजी ज्यारा वडा बेटा सामतसिंघजी नागरीदासजी कहाणा। ९१६ .. फतेसिंघजी उण ठिकाणे फतैगड वाधियो डूगरपुरसू परणीज महीरै तट आय डेरो कियो उठे देवलोक हुवा हाडीजी सत कियो ।। किसनगढरा राजावांरा मोसाळ __ ९१७ किसनगढ मानसिंघजी चूडावतारा भाणेज राजसिघजी देहचियारा सीसो दियारा भाणेज बहादुरसिंघजी राणावतारा भाणेज विडदसिंघजी गोडारा भाणेज प्रतापसिंघजी सायमुरारा राणावतारा भाणेज. कल्याणसिघजी नरवररा धणीरा भाणेज़ । ईडर ९१८ सवत १७८६ रायसिघजीरो आणदसिघजीरो अमल ईडरमे हुयो। ९१९ सरकोटैरो धणी परमार उदसिंघ बेरा जिणरा हाथरी बरछी महाराज अणद सिंघजीरै लागी खेत रहिया । ९२० महाराज अणदसिघजीरी बेटी उदैकुवरवाई रावराजा उमेदसिघजीने परणायी रायसिंघजीरी बेटी भानकुवरवाई रावराजारा छोटा भाई दीपसिंघ जिणनू परणायी। आंवझरा ९२१ आबझरा राठोडारी पीढिया लिखते-रात्र.गागो १, राव मालदे २, राम ३, कलो ४, राव जसवतसिंघ ५, राव जगन्नाय ६, राव केसरीसिंघ ७ । ९२२ जुजारसिंघ ११, राव सवाईसिंघ १२, राव अजीतसिंघ १३, हम आबझरे राज करै है। ९२३ केहरीसिघ जगनाथोत आबझरारो धणी जैतगर लियो । रतलाम ९२४ रतलाम राजारी पीढिया लिखते-उसिघ १, दळपत २, महेसदास ३, रतन ४, छत्रसाल ५, केहरसिंघ ६, मानसिंघ ७, पदममिघ ८, परवतसिघ ९ । Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४ वांकीदासरी ख्यात [९२५-९३४ ९२५. राजा दळपतसाहरो भोपतसाह भोजपुर जिणरो नाम पातमाह जहागीर मुकट मणि दियो पच सही हुवो मुकटमणिरो दुरजणसिंघ साहजादा सूजारै चाकर। ९२६ मेडतै राड हुई जद महेसदास दळपतोत आपरी छाती आगै जगरामजीनू राख दिखणिया माथै चलाया आ कही-आज काकाजी जगरामजीनू सारां सिरे करसू महेसदासरा घोडा वाग उपड़ी जद ओ निसर गजसिंघपुरै आयो। ९२७ महेसदास दळपतोतरै गढ गाढो करणरी, गढमे लड मरणरी सदा मनमें रहती। दूहो-मध करका जूझारमल, राजड जिसा निगेम । अ पाचू दळ साहरा, पांचू पाडव जेम ॥ ९२८ दळपत उदैसिंघोतरै झै पाच बेटा-महेसदास १, कनीराम २, जुझारसिंघ ३, गजसिंघ ४, जसवतसिंघ ५ । ९२९. चहुवाण वळू सामतसी मेहकरणोतरो महेसदास दळपतोतरो चाकर सवत १६८५ महेसदास मोहनखारै वसियो जद वळ अदो मोहवतखारो चाकर रहियो. दिखण मेत्यो हाथ पछै महोवतखां मुबो तद बळू महेसदास दोनू पातसाहरै चाकर रहिया महेसदासनू जाळोर, वळूनू साचोर दिराणी । ९३०. रतन महेसदासोतरा बेटा दस -- रामसिघ १, रायसिंघ२, नाहरसिंघ३, करणसिंघ ४, सत्रसाळ५, उखैसिंघ६, प्रिथीसिंघ७, केहरसिंघ८, सगतसिंघ९, जैतसिंघ १०॥ ९३१ रतलामरो राजा प्रिथीसिंघजी ज्यारी बेटी सुखकवर राणा राजसिंघनू परणायी। ९३२ भणायरा धणियारी पीढी – राव मालदे १, चद्रसेण २, उग्रसेण ३, कर्मसेण ४, स्यामसिंघ ५, उदैभाण ६, केसरीसिंघ ७, तखतसिंघ ८, कवर वखतसिंघ ९, सालमसिंघ १०, दलेलसिंघ ११, उदभाण १२, सूरजभाण १३ । भिणाय, देवळिया, वघेरा ९३३ देवळियारी जोधारी पीढी लिखते - राव माल १, चंद्रसेण २, उग्रसेण ३, कर्मसेण ४,स्यामसिंघ ५,उदैभाण ६,नाहरसिंघ ७,रघुनाथसिंघ ८,मोहवतसिंघ ९, दुरजसिंघ १०, सिवदानसिंघ ११, अजीतसिंघ १२, अखैराज १३, कवर सादूळसिंघ १४ । ९३४. वघेरारा सिरदारारी पीढी-उदैभाण १, नाहरसिंघ २, देवकरण ३, कंवर मालमर्मिघ ४, उदैसिघ ५, कंवर जोरावरसिंघ ६, कुमेरसिंघ ७, रणजीतसिंघ ८। Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९३५-९४६ ] ८५ राठौडांरी वातां ९३५ मोहबतखान कर्मसेण उग्रसेणोतनू सोजत दीवी छव महीना अमल कर्म से रो सोजत रह्यो । ९३६ विना वैर राठोड धर्मसेण कर्मसेण उग्रसेणोतरी, बूदीरात्र सत्रसालरो चाकर, जिणनू हार्ड बिहारीदास मारियो । ९३७ रामसिंघ कर्मसेणोत वडो दातार, वडो भुजाइयो हुतो राणा जगतसिघरै वास घणा वरस रह्यो गाव जोजावर घणा गावासू पटै हुवो देवळिये रो धणी रावत जसवंतसिंघनू मारियो राणाजीरा कहणासू 1 ९३८ राठोड रामसिंघ कर्मसेण उग्रसेणोतरो वडो दातार वडी भूजाइया हुती राणा जगतसिंघरो चाकर गाव जोजावर पटै हुतो । ९३९ इण जगतसिंघ राणारा हुकमसू देवळियारो धणी रावत जसवत मारियो पछै पातसाहजी रै, चाकर रह्यो पछै वरवाडो पायो पछै सवत १७१३ काती माहे जगनाथ ईडरियो मूवो जद पटै ईडर पायी सवत १७१४ रा जेठमे घोळपुर काम आयो । ९४० रामसिंह कर्मसेणोत दोय हजारी जात दोय हजार सवार । ९४१ राठोड सेरसिंघ रामसिंघ करमसेणोतरो जिण सवत १७१६ ईडर पायो सवत १७१९ ईडरियो गोपीनाथ आयो भीलानू ले नं ईडर घेरो दियो बुरै हवाल सेरसिंह धर्मद्वार नीसरियो । ९४२ सामसिंघ करमसेणोतरै पटै रेण भिणाय पातसाह अंक वर सालेर मालेर पटै दियो थो 1 ९४३ किसनसिंघरै विसनदास, इद्रसिंघ औ दोनू बेटा हुवा इद्रसिंघ दारासाहर काम आयो । पीसांगण ९४४ उदैकरणरो सगतो, सगतारो मनोहरदास स० १६७२ महाराज सूरजसिंघजी मनोहरदासनू पटै पीसागण दीवी । ९४५ · पछै वीकानेरिया राजा सूरसिंघ मनोहरदासनू मरायो इण ठाय जोधपुर वीकानेर धण वध वधियो हो । ९४६ पीसागण सुजाणासिंघ केहरसिंघोतरो कुवर किसनसिंघ वीजैपुररै धणी गोड गरीबदास मारियो वघेरै पछै सुजाणसिघ गरीबदासनू मार वैर लियो किसन सिंघ सुसरो गरीबदास गोड । Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात [९४७-९५३ ९४७ तीनू गावासू पीसागण सुजागसिंघरै पिता केसरीमिंघ अपणायी. केकड़ीरी चमाळीसी सुजाणसिघ अपणायी। ९४८ सुजागमिधरो पोतो राजसिंघ जिण सपोतरारा ठिकाणा जूनिया महरु वगैरा केकडीरी चमाळी भीमे सुजाणसिघोत जोधा ज्यारा मुहडा आगे आद खांपरा गठोड है-पुनावत, वाळावत, पातावत सतावत । ९४१ जोधो राजमिघ किसनमिघ सुजाणसिंघोन जिणनू पातसाह - पुर माडळरो परगगो दियो जगावतारो ठिकाणो पीथावमपुर माडळरो है जगावता जमने दिवी राजसिंघ पीथावस आय झगडो करना ललहाणी कोसीयळरा धणिया सहित पीयावसरा धणीनू मारियो । ९.५० किसनसिघ सुजाणसिंघोतरा जूनिया जुझारसिंघ सुजाणसिंघोतरा पीसागण आरै करणसिंघ सुजाणसिंघोतरा वडी खिहरु । . ९५१ राजा उदैसिंघ १, माधोसिंघ २, केहरसिंघ ३, सुजाणसिघ ४, किसनसिंघ ५, राजसिंघ ६, सिसिंघ ७, ववतसिव ८, रूपसिंघ ९, हरनाथसिंघ १०, वैरीसाल ११- जूनियारा सिरदारारी पीढिया । मसूदो ९५२ मसूदै परमाल सादूळरै वेटै कुवर भोपत मोटा राजा उदैसिंघजीरो जिणरो ठावो आदमो हुल माडो वीकाउत जिणनू बोली-चाली में वाद वध मारियो । प्रकीर्ण ९५३ आली १, मोहण २, उदैपुर ३- मै तीन ठिकाणा गुजरातमे राठोड़ारा पावागढ कनै है। Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [३] गहलोतारी वातां ९५४ गुजरातमे तिलगापुर पाटण अठै राजा ग्रहादित्य हुवौ तिणसू गहलोत कहाणा। ९५५ गहलोतारै वायण चुडाय दीप देवी तिलगापुर पाटणसू उठिया । ९५६ चौईस साख गहलोतारी लिखते- गहलोत १, मागळिया २, डाहलिया ३, टीबाणा ४, चद्रावत ५, सीसोदिया ६, आसावत ७, मोटसीरा ८, मोहल ९, वला १०, आहडा ११, केलवा १२, गोदारा १३, तिवडकिया १४, बुटिया १५, पीपाडा १६, मगरोपा १७, भाषला १८, धीरणिया १९, गोतम २०, हुल २१, मेर २२, बूटा २३, गुहिल २४ । ९५७ मोरी वस इद्रसू प्रगट हुवी चित्राग मोरी चित्तोड किलो करायो सीसोदियै रावळ वापै मोरिया कनैसू चित्तोड लियो जद मोरी भाज सोरठ देमनू गया। ९५८ राणारी वसावळी- रागो महप १, रागो महिपाळ २, राणो गुरवी ३, राणो रूपदेव' ४, राणो हरसूर ५, रागो नरसूर ६, रागो नगपाळ ७, राणो तेजपाळ ८, राणो भुवनसिघ ९, राणो भीमसिंघ १०, राणो अजैसी ११, राणो लखमसी १२, राणो अरसी १३, राणो हमीर १४, राणो खेतो १५, • राणो लाखो १६, राणो मोकल १७, राणो कुभो १८, राणो रायमल १९, राणो सागो २०, राणो उदैसिंघ २१, राणो प्रताप २२, राणो अमरसिघ २३, राणो करण २४, राणो जगतसिंघ २५, राणो राजसिंघ २६, राणो जैसिंघ २७, राणो अमरसिंघ २८, रागो सप्रापिह २९, रागो जगतसिघ ३०, राणो अरसी ३१, राणो भीमसिघ ३२ । गुहादित्य १, विजयादित्य २, केशवादित्य ३, भोगादित्य ४, आसावरादित्य ५, श्रीदेवादित्य ६, महादेवादित्य ७, गुरुदेवादित्य ८, रावळ बापो ९, रावळ काळभोज १०, रावळ खुमाण ११, रावळ श्रीगोविंद २२, रावळ आळू १३, रावळ सिंघ १४, रावळ सगतकुमार १५, रावळ शाळिवाहण १६, रावळ नरहण १७, रावळ अबप्रसाद १८, रावळ श्रीकीरत १९, रावळ करणादित्य २०, रावळ भादो २१, रावळ गोतम २२, रावळ प्रियहस २३, , : रावळ जोगराज २४, रावळ भैराडू २५, रावळ वरसिघ २६, रावळ तेजसी २७, रावळ समरसी २८, रावळ रतनसी २९, पछै राणो हुवो थो। ९६० चापो चाहडदेरो करण रावळरो देव राणो १, नरू राणो २, राहप राणो ३, 'हरसूर राणो ४, जसकरण राणो ५, नागपाळ राणो ६, पुण्यपाळ राणो ७, Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८० वांकीदासरी ख्यात पीड रागो ८, भुवणसी राणो १, भीमसी राणो १०, लखमसी रागो १२ । [ ९६० - ९७३ अजैसी राणो ११, ९६१ स० ४२० रावळ वापो हुवो स० ७३१ राजा भोज हुवो स० १२१२ रा सावण वद १२ अदीतवार रावळ जैसे जैसळमेर वसायो सं० १४८६ राणापुर प्रसाद मडायो कोट वावडी कराया स० १४११ रा आसोज वद १३ रात्र चूडै गाव चामड वा चामडरो देहरो करायो । ९६२ हारीत रिख बापा रावळने वर दियो इकलगजीरो लिंग प्रगट हुवो पैतीस गज वापारो सरीर वधियो । ९६३ भोगादित्य वापो रावळ वापारो खुमाणं रावळ । ९६४ आणददे वापा रावळरो वेटो जिणरा मागळिया । ९६५ चित्तोडरो धणी रतनसेन प्रथम पश्चिमरा समुद्रमे जहाजा वैस दक्षिणरा समुद्र में सिंघळदीप जठै कण्टसू पुहतो महाकप्टसू पदमावती लायो । ९६६ सत्रत १३५५ राणा रतनसेनरा उमराव गोरो वादळ अलाउद्दीनसू जग कर चित्तोड काम आया । राणा साखा ९६७ चित्तोड भुवणमी राणो कहाणो पैला चित्तोड रावळ कहीजता. भुवणसीरो राणो भीमसी । १६८ चित्तोड सीमोदियो कहायो जठैमू चित्तोड़-मति राणा कहीजै भुवणसीरो भीवसी, भीवसीरो तेजसी, तेजसीरो भड लखमणसी | हमीर अड़सीहोत ९६९ चित्तोड राणो हमीर चदाणा भोज वणवीरोतरो दोहितो चंदरावरा चंद्रावत कहावै । ९७० सवा पहर दिन चढतो जिने राणा हमीररा माथारा जूडा माहसू गगाजळ नीसरतो । · ९७१ हमीररो भाई चद्रराव सिरोहीरा रावत वीजड पातावतरो दोहितो. चंदरावरा चंद्रावन कहावै । दुर ९३२ राणा अडमीगे दोहितो चाद राव अडसी हेम सिरोही रावत वीजड़ पातावत जिगरी दोहितो चंद्रराव रात्र चंद्रावत | खेतो हमीरोत ९७३. राणो खेती हमीगेत जाळोर मालदे मूळाळा सावतमीहोतरो दोहितो । Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७४-९८७] गहलोतारी वातां ९७४ राणो खेतो जाळोररा धणी चहुवाण मालदे मूछाळो सावतसीहोत जिणरो दोहितो। ९७५. राणा खेतारै करमा खातण खवास. जिणरै बेटा तीन हुता - चाचो १, मेरो २, अखैराज ३। - ९७६. राणा खेतारै मेदनीमल खातीरी बेटी करमा खातण खवास हुती जिणरा बेटा चाचो मेरो । . लाखो खेतावत ९७७. राणो लाखो खेतावत खीची जायळरा धणी धारु आनलोतरो दोहितो राणो - लाखो जायळरा धणी खीची धारु आंदलोतरो दोहितो। मोकळ लाखावत ९७८ राणो मोकळ लाखावत मंडोवर चूडा वीरमदेवोतरो दोहितो. राणो मोकळ राठोड़ मडोवररो धणी चूडो वीरमदेओत जिणरो दोहितो। ९७९ नागोरी खानरी सिरकारमें देसमें जिता ही वछेरा हुता उवै राणा मोकळरी 'नजर हुता, चित्तोड़रै तवेलै बंधीजता नागोरी खान राणा मोकळरी ताबदारी करतो। ९८० मोकळरो भाई चूडो सिरोही सलखा लूभावतरो दोहितो । ९८१. चूडो लाखावृत सिरोही रावत सलखो लूभावत जिणरो दोहितो। . .. कुंभो मोकळोत १९८२ राणो कुभो मोकळोत रुण सांखळा राणा राजा घड़सीहोतरो दोहितो राणो कुभो रूणरो धणी साखळो राणो राजो घडसीहोत जिणरो दोहितो। ९८३ पेडूरा डूगर माथै राव रिडमलजी चाचा मेरानू मार कुभानू चित्तोड माथै " राणारो टोको दियो। ९८४ राणे कुभै समसखा दंदानी नागोररो धणी जिणरी मदत किवी पनर लाख रुपया लेनै नागोरसू हणुमानजीरी मूरत उठाय कुभळमेर पधरायी । ९८५ जोगी नरहर रावळ जिणरी दवाखू राणो कुभो मुवो। . . १९८६ खीमो:मोकळोत वागडियो चहुवाण पाता वीसलोतसे दोहितो । ९८७ महाराज खीमो मोकळोत वागडियो चहुवाण पातो वीसलोत जिणरो दोहितो। Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकीदासरी ख्यात [९८८-२००३ रायमल कुमावत ९८८ राणो रायमल कुंभावत अजमेर गौड मोटमराव नरसिंहोतरो दोहितो। ९८९. राणो रायमल अजमेररो धणी गौड मोटमराव नरसीहोत जिणरो दोहितो। ९९० ऊदो कुंभारो बूदीरो हाडो राव वैरो वरसिंहोत जिणरो दोहितो। ९९१. ऊदो कुंभारो बूदीरा राव वैरा नरसिंहोतरो दोहितो। ९९२ राणा रायमलर बेटा-प्रथीराज १, सांगो २, जैमळ ३, किसनो ४ । ९९३ राणो सांगो, प्रथीराज, जैमल तीन हळवदरा झाळा जोधा वाघौतरा दोहिता। ९९४. राणा रायमलरो वेटो प्रथीराज उडणो कहाणो इणरी खवासरै बेटे वणवीर चित्तोड राज कियो. उण कनैसू चित्तोड़ उदसिंघजी लियो। ९९५ जैमल रायमलोतनू मार सांगा रायमलोत उवार वीदो जैतमालोत सेवंत्री काम आयो। ९९६ प्रथीराज, जैमळ, सांगो से तीन राणा रायमलरा कंवर नै साळो काम आया. पर्छ काठलैरो प्रगनो दवायो काकै सूरजमल खेमावत उगमसी भाटी राणी रूपादेरो गुर। सांगो रायमलोत ९९७. राणो सागो हळवदरो धणी झालो राणो जोधो वाघौत जिणरो दोहितो। ९९८. स० १५६६ रा जेठ सुद ५ वुध राणो सांगो पाट वैठो। ९९९. सलूवररो धणी रतनसी, सादड़ीरो राणो अजोजी, डूगरपुररो रावळ उदै करणजी, मेड़तिया रतनसीजी, रायमलजी दूदावत इत्यादिक सीकरी काम आया । १०००. रागो सागो दस करोड़ी वाजतो लाख घोडो चाकरीमे रहतो। १००१ स० १५३८ रा वैसाख वद ८ जनम राणा सांगारो. सं० १५८८ भाद्रवा सुद ११ जनम राणा उदैसिंघरो. सं० १६२८ राम कह्यो । १००२ राणा सांगानू कुवर वाघा सूजावतरी बेटी तीन परणायी. धनबाईरो बेटो रतनसिंघ सं० १५३८ रा वैसाख वद ८ रो जनम सागारो सांगारी गादी वैठो। १००३. वाघ सूजावतरी वेटी धनवाई चित्तोड़ राणा सांगानू परणायी. वाईरै बेटो हुवो रतनसी सं० १५३८ रा वैसाख वद ८ जनम सांगारो। Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००४-१०१६] गहलोतारी वातां १००४. हाडो राव सुरजण नरवदोत बूदीरो धणी जिणरी बेटी सांगो राणो परणियो. हाडांरा भाणेज सांगारै बेटा तीन- विक्रमादित्य १, उदैसिंघ २, भोज ३ । १००५. राणो उदैसिंघ, विक्रमादित्य, राणो भोज तीनू भाई बूदीरा नरवद भांडावतरा दोहिता। विक्रमाजीत सांगावत १००६. सं० १५७७ जेठ सुद १२ मांडवगढरै पातसाह चित्तोड बादरसाहजी विक्रमपाळ राणा कनांसू लीवी जद राठोड़ उदैदास मूजावत सीसोदियो वाघो सूरजमलोत काम आया। १००७ सं० १५८९ राणा विक्रमादित्य कनांसू चित्तोड लियो पातसाह बहादुरसाह मांडवरै धणी। उदैसिंघ सांगावत १००८. राणो उदैसिंघ बूदीरो धणी राव नरवद भाडावत जिणरो दोहितो। १००९. सं० १६२४ पातसाह अकबर चित्तोड लियो जद राठोड जैमल वीरमदेवोत नै पत्तो सामल काम आया । १०१०. चित्तोड़ माथै पदमणीरो तळाव, जैमल पत्तरो तळाव है। १०११. चित्तोड़ माथे कूकडेसररो कुड अति ऊडो है. जैमल पत्तै साको कियो जद तोपा सिलहखाना खजाना वगैरै इणमें नाखी। १०१२ अकवर चित्तोड़ लागो जद चित्तोडरा किलानू सुरग लगाडी सुरग पाछी फूटी अकबररो घणो लोक उणसू जान हुवो। १०१३. चित्तोड ऊपर अकबररै झिलमरै गोळारी फेट लागी । १०१४. हजार मैखी दसतो हाथमें पहरियां जैमळजी रातरा तीनू पहरारी चोकीमें चित्तोड़में आप फिरता. सग्राम नामा बदूक अकबररा हाथरी छूटी. गोळी जैमलरै लागी। १०१५ अकबर चित्तोड भेळियो जद पहलां बावन हाथी मधकर दळसिंगार वगेरै गढरा दरवाजानू चलाया. पहाडखा वगेरै महावत हाथियां चढिया हाथिया माथै जगी हौदा. जंगी हौदामें तमचा, कडाबीणा, तीर, कबाण, जाळिया सिपाह बैठा हाथियासू झगड्या राठोड ईसरदास वीरमलोत कीनो निराट आछो झगड़ो कियो। १०१६ चित्तोड भिळियो जद साढे तीन सै लुगायारो जवर हुवो। । Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९२ वांकीदासरी ख्यात [१०१७-२०२८ १०१७. चित्तोड़ भिळियो जद्र चाळीस हजार सिपाह अकबर पातसाहरो काम आयो, अठार हजार लोक राणाजीरो काम आयो जिणमे आठ हजार सिरकाररा तावेदार नै दस हजार रअय्यत । १०१८ दोय हजार लोक गढ माहलो गढ भिळता चोजकर निसर गयो. मेक मेवाड़नू मुसळमानरै भेख दूजे मेवाडै पकड लियो. इण तरह दूजासू निसरिया। १०१९. राणे उदैसिंघरै कंवरारा मामलांरी विगत - प्रताप पाली सोनगरा अखैराज रणधीरोतरो दोहितो। उदैसिंघरा वेटारी विगत- परताप सोनगरीरो. पाच वेटा भटियाणीराजगमाळ १, साह २, सगर ३, अगर ४, पंचायण ५. वीजा कंवरसगतसिंह १, रामजी २, कान्ह ३, सादूळ ४, रायसिंह ५, कल्याण ६, रुद्रसिंह ७, नगो ८, जैतसिंघ ९ ।। १०२१. जगमाल १, सगर २, अगर ३, साहजी ४, पचायण ५, राणा उदैसिंघरा वेटा जैसळमेररा रावळ लूणकरण जिणरा दोहिता । १०२२ जगमाल १, सगर २, अगर ३, साहजी ४, पचायण ५, अ पाचू जैसळमेर रावळ लूणकरण जैतसिंहोतरा दोहिता!' १०२३. राणो प्रताप १, सगतो २, सगर ३, अगर ४, जगमाल ५, साहजी ६, पचायण ७, रुद्रसेण ८, नगो ९, कानो १०, जैतसिंह ११, सुरताण १२, नेतसी १३, वीरमदे १४ इत्यादीक राणा उदैसिंघरै बेटा। प्रताप उदैसिंघोत १०२४ राणो प्रताप सोनगरा अखैराज रणधीरोतरो दोहितो। १०२५. राणो - प्रताप स० १५९६ रा जेठ सुद ३ जनम . राणा प्रतापरै बेटा, अमरसिंह १, सेखो २, सहसो ३, पूरो ४, मानसिंघ ५, कल्याण ६ । १०२६. संवत १६६२ सावण वद ७ कछवाहो मान भगवंतदासोत अकबररी फौज ले आयो हळदीघाट राणे प्रताप वेढ कीवी पातसाहरा उमराव तीन काम आया. राजा रामसाह ग्वालेररोधणी १, रामसाहरो बेटो साळवाहण २, राजा वीठळदास ३ । १०२७ हळदीघाटी राणा प्रतापरा चाकर काम आया ज्यारी विगत- कान्ह १, कलो २. दोय भाई प्रतापरा काम आया। १०२८. मेड़तियो रामदास जैमलोत जणा ९ सू काम आयो। .. Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२९-१०४३] गहलोतारी वातां १०२९. सोनगरो मानसिंह अखैराजोत जणा ११ सू काम आयो। १०३० राठोड साईंदास पचायणोत जैतमल जणा १३ सू काम आयो. सीधल वागो . १, नै जैमल २, चहुवाण दुरगो ३, वागडियो ४, मेघो खावडियो ५ । १०३१ सं० १६३२ पातसाह अकबररै उमराव सहबाजखा गढ कुभळमेर लियो 'जद सीधल सूजो सीहावत, सीधल कूपो भाडावत, सोनगरो भाण अखैराजोत, मुहतो नरवद गढरो सिलदार, मागळियो जैतो जैमळ काको नै भतीजो इत्यादीक काम आया। १०३२. सं० १६१३ पातसाह अकबररी फौज कुभळमेर लियो . सीधल कूपो भांडावत, सीधल सूजो सीहावत, सोनगिरो भाण अखैराजोत काम आया। उदैसिंघरा दूजा बेटा १०३३. सगतो तोडो सोळकी प्रथीराज सुन्द्रसेनोतरो दोहितो। १०३४. भाण सगतावत मोटा राजारी बेटी राजकवरवाई परणियो भाणजीरी बेटी महाराज गजसिंघजी परणिया जसवतसिंघजीरै सगो मामो सामसिंह भाणावत। १०३५ गोकुळदासरा बेटारी विगत- सुंदरदास १, जुझारसिंघ २, दूदो ३, अजबसिंघ ४, फतै सिंघ ५, रुघनाथ ६, जगनाथ, वीरमदे ८, कल्याणसिंघ ९, हाथीसिंघ १०, हिम्मतसिंघ ११ । १०३६. सूदरदास जुझारसिंघ दोनू पातसाहरा चाकर। १०३७ रुघनाथसिंघ काम आयो रामसिंघ भीम अमरसिंघोतरै आगै । १०३८. केसोदास भाणावत मोटा राजारो दोहितो . भाटियाणी सजना नानी हुती . औ केसोदासजी घणा वरस नानी कनै रह्या गाव सेरेचो मोटा राजारो दियो पटै हुतो। १०३९ अचळदास सकतावत रावत कहावै, वेगमरो धणी हुतो इणन राणे अमरसिंघ कह्यो-तू ही मोनू दुखदायक सगर ज्यू ही है। '१०४० अचळदासरा बेटांरी विगत-नरहरदास १, नारायण २, राणो सगर नारायणदासनू रावताई दीवी। १०४१ वळ सगतावत ऊटाळे काम आयो, राणा अमरसिंघजीरो उमराव । १०४२ भगवानदास सगतावत राणाजी बूढ पटै दीवी। १०४३. जोधो सगतावत । Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९४ वांकीदासरी ख्यात [१०४४-२०५८ १०४४ माडण सगतावत मऊ खीचियारो चाकर । १०४५. सवत १६१६ रा भाद्रवा वद ३ सीसोदिया सगर उदेसिंघोतरो जनम. पातसाह जहागीर मया कर अजमेर नागोर चित्तोड दे राणाई दीवी . वाराहजीरो मदिर पुष्कर इण करायो। १०४६ सगर उदैसिंघोतनू पातसाह रावताई दे पूरवमें जागीर दीवी, राण अमरसिंघजी चाकरी कबूल कीवी जद । १०४७ सगररा वेटारी विगत- इद्र सिंघ १, मानसिंघ २, आसकरण ३, मोहणसिंघ ४, हरीराम ५ इंद्रसिंघ सेखावतारो भाणेज कुंवरपदै मुवो . मानसिंघ सेखावतांरो भाणेज । १०४८ सं० १६३८ माह सुद १४ रो जनम सगरजीर पाट रावताई पायी, पूरवमें जागीर पायी। १०४९. महोकम मानसिंघोत मानसिंघरै पाट काबुल उरै पेसोर जठे धारयो छ। १०५० मोहसिंह कवरपदै देवलोक हुवो इणरो बेटो मदनसिंह जिणनूं महोवतखां कह्यो - मै तोकू जागीर दू पिण तेरा काका मानसिंघ वरजै है आ वात सुण मानसिंघ पेट कटारी खाय मुवो। १०५१ खीचीवाड़े परै उमरी भोदारो औ ठिकाणा सीसोदिया सगर उदसिंघोतरा छोरुआरा है। १०५२ अगर राणो उदैसिंघजीरो, जिणरो जसवत पहला राणा सगरर चाकर हुतों पर्छ रावळे चाकर रह्यो स० १६७२ सोजतरो सिणलो गांव पटै हुतो. सं. १६७३ वुरहानपुर छाडियो महोवतखारै वसियो स० १६७२ रावळ वेसियो सोजतरो धवळहरो गाव ११ सू दियो पछै महोवतखा कहायो इण कुमत राखी जद सं १६८० सीख दीवी। १०५३ साहजी राणा उदैसिंघरो, जिणरै दुरजणसिंघ कछवाहा राजा वडा जैसिंघजीरो मामो। १०५४ साहजीरा बेटारी विगत - दुरजसिंघ १, माधोसिंघ २, मथुरादास ३। . १०५५ नगो वीकानेरिया कल्याणमल जैतसिंहोतरों दोहितो । १०५६ कानो राणा उदैसिंघरो परमार करमचदरो भाणेज । १०५७ कान्ह मेदडेचा चहुवाण नैधण अमरावतरो दोहितो। . १०५८ रुद्रसिंघ १, जैतसिंघ २, हळवद झाला सजा राजधरोतरो दोहितो। Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०५९-१०७१] गहलोतरी वातां १०५९ कानो राणा उदैसिंघरो परमार करमचंदरो भाणेज। १०६० रुद्रसिंघ राणा उदैसिंघरो जिणनू सुरजण वालीसै मारियो जद नाणवे डावा ले सास छूटो। १०६१ सुरताण १, सादूळ २, चद मेहराजोत खीचीरा दोहिता । राणा प्रताप १०६२. राणा प्रतापरा कंवरारा मामला विगत -- अमरसिंघ १ पूरविया परमार मयारखखा असोकमलोतरो दोहितो। अमरसिंघ प्रतापसिंघोत १०६३. राणो अमरसिंघ पूरवरो परमार मयारखखा असोकमलोत तिणरो दोहितो। १०६४ राणो अमरसिंघ पवारारो भाणेज पातसाह जहागीर अजमेर आयो जद साहजादा खुरमनू अजमेर मेलियो साहजादै गोगूदै तखत करायो राणो अमरसिंघ गोगूदै खुरमसू मिलियो। १०६५. राणो अमरसिंघ सं० १६१६ रा चैत सुद ७ जनम स० १६६६ उदैपुर पाट बैठो। १०६६ सं० १६६६ रा फागण सुद ११ वेढ हुई नवाब अबदुल्लाखारै नै राणा अमरसिंघरै जद इणारा इता उमराव काम आया- मेडतियो मुकददास जैमलोत १, जैतारणियो हरिदास वळू तेजसिंघोतरो २, सीसोदियो दूदो सांगावत ३, झालो भोपत ४ । १०६७ स० १६७१ राणा अमरसिंघजी गोगूदे राजा सूरसिंघजी नबाब अफजलखारी वाहसू खुरमसू मिलिया चाकरी कबूल कीवी जद सगरनू रावताई दे पूरबमे जागीर पातसाहजी दीवी । १०६८. स० १६७४ रा फागुण सुद २ राणौ अमरसिंघ साहजादासू मिलियो जद साहजादारा दरबारमें मिलिया नै तीन बैठा-राणाजी, राजा सूरजसिघजी, नबाब अफजलखाजी। . १०६९. राणारा कवर करणनू ले खुरम अजमेर आयो सवत १६७१ रा फागणमे करण जहागीररै पगा लागो। १०७०. सं० १६१६ रा चैत सुद ७ अमरसिंघरो जनम सवत १६७६ राम कह्यो। राणा प्रतापरा दूजा कंवरांरो १०७१. सीहो राणा प्रतापरो भोपतसीहोत राणा जगतसिंघरो मेलियो पातसाहजीरी Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६ वांकीदासरी स्यात [ १०७१ - १०८० हजूर रहतो वडो दातार वडो ठाळवरो सिरदार हुवो. उणरै बेटा केसरीसिंघ । १०७२ कचरो वेदळे पुरविया चहुवाण परवर्तसिंघ रूपसिंघोतरो दोहितो | १०७३ सहसो गोपाळदास तोडे सोळकी रामचद प्रथीराजोतरा दोहिता । १०७४ पूरो होथी जोधपुर भोजराज राव माल मालदेवोतरा दोहिता । १०७५ पूरणमल राणा प्रतापरो जिणनू हजूरसू सवत १६६४ मेडतारो गाव डोभड़े पाचांसू दीवी स० १६६६ गाव ढाही मेडतारो गांवा पाचासू हजूर वगसियो । १०७६ कल्याणदास मालपुरै परमार पचायण करमचदोतरो दोहितो | राणा अमरसिंघरा कंवर १०७७ राणो अमरसिंघ स० १६१६ रा चैत सुद ७ जनम कंवरांरी विगतकरण १, भीम २, सूरजमल ३, वाघ ४, उरजण अपतियो ५ । १०७८ राणा अमरसिंघरा कंवरारा माळरी विगत - करण तुवर साळवाहण रामसिंहोतरो दोहितो । राणो करण तूवर साळवाहण रामसिंघोत जिणरो दोहितो । भीम वीरपुरा अखैराज कान्हावतरो दोहितो वाघ १, सूरजमल २, हळवदरा झाला मानसिंघ जैतावतरा दोहिता । सीसोदियो वाघ राणा अमरसिंघरी सवत १६६५ आगर रावळासू सर गांव दूघोडगाव २० सू पटै देता हा पिण इण वात न मानी. वाघरो सवळसिंघ । सूरजमल सुजाणसघ राणा अमरसिंघरो वेटो डीलायती पटै फूलियो । राणा अमरसिंघ सूरजमल सूरजमलरो सुजाणसिंघ वडो डील, पटै फूलियो । उरजण देवडा भानीदास हरराजोतरो दोहितो सीसोदियो अरजणजी राणा करणरी तरफसू पातसाहरी चाकरी रहतो राणाजीरो साथ लिया । करण अमरसिंघोत १०७९. संवत १६४० रा सावण सुद १२ जनम राणा करणरो सवत १६७६ उदैपुर पाट बैठो सवत १६८४ फागुणमें देवलोक हुवो 1 राणा करणारा कंवर १०८०. राणो करण सवत १६४० रा सावण सुद १२ जनम वेटारी विगत - जगतसिंघ १, गरीवदास २, छत्रसिंघ ३ । *2-2 Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७ १०८१-१०९५] गहलोतांरी वातां १०८१ राणा करणरा कवरारी विगत-जगतसिघ महेचा जसवत कलावतरो दोहितो। १०८२. महेची जमना कला मेघराजोतरी राणो करण परणियो जिणरो बेटो राणो जगतसिघ । १०८३ राणो जगतसिंघ महेचा जसवंत कलावतरो दोहितो। जगतसिंघ करणसिंघोत १०८४ स० १६९० मे राणो जगतसिंघजी देवळियारो धणी रावत जसवतसिंघ जिणनू चूक कराय मरायो राठोड रामसिघ करमसिंघोत मुडासै राणारो भाणेज उमराव दूजा ही राणाजीरै साथै हुता रावत जसवतसिंघ राठोड सुजाणसिंघ भगवानदासोतरै हाथ रह्यो । १०८५ राणो जगतसिघ करणसिघोत सं० १६६४ रा भाद्रवा सुद १२ रो जनम सवत १७०९ काती बदी ४ वार रवि घडी ५ पाछले दिन थका राम कह्यो। १०८६ राणिया सत कियो ज्यारी विगत - छपनीजी राठोडी १, राणी वालोतणीजी चहुवाण २, छोटी मेडतणीजी ३, राणी परमारजी ४, राणी ईडरेची ईडर सत कियो ५, राणी झाली हरदासरी बेटी झालावाडमे सत कियो ६। १०८७ लालजी वागड़िया चहुवाण जसवतरो दोहितो। १०८८ गरीबदास हलवद झाला भोपत जैसावतरो भाणेज । १०८९ रागो जगतसिघ सवत १६६४ रा भाद्रवा सुद २ जनम कवर - राजसिंघ १, अरसी २। १०९० राणा जगतसिघरा कवरारी विगत -- राजसिघ अमरसिंघोत मेड़तिया राजमिह विसनदासोतरो दोहितो। राजसिंघ जगतसिंघोत १०९१ राणो राजसिंघ स० १६८६ रा काती वदी १ जनम । १०९२ सवत १६८६ रा काती वद १ राणा राजसिंघ जगतसिंघोतरो जनम सवत १७०९ रा माहमें टीकै बैठा । १०९३ मानजी जती राजविळास नाव रूपक राजसिंघरो वणायो। १७९४ सवत १७३२ रा माह सुद १५ राणै राजसिंघ राजसागररी प्रतिष्ठा किवी। १०९५ अंक हजार गाय, छियासी हजार रुपया, च्यार गाव सासण ब्राह्मणानू कृष्णार्पण दिया प्रतिष्ठारै दिन । Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वांकादासरी ख्यात [१०९६-११०७ १०९६. तुळा रूपारी पाच हुई जिणरी विगत – रूपारी तुळा १, राणाजीरी राणी परमारजी किवी रूपारी तुला १ ऊदावतजी टूक तोडारो राजा राम सिंघ भीमरो जिणरी मा नूतै आया उवा कीवी रूपारी तुळा १ सौदै वारट केहरीसिंघ खीमराजोत कीवी रूपारी तुळा १ पुरोहित गरीवदासरै वेट किवी। १०९७ सोनारी तुळा दोय – अक पुरोहित गरीवदास किवी अक राणै राजसिंघजी कीवी, आवधा सूधा तुळा बैठा । १०९८ वूदीरो रावराजा भावसिंघजी ज्यारो प्रधान सावतसी सौनू तो लै आयो च्यार घोडा, २०००) रुपया हाथीरा, ३५०० ) रुपया रोकड़ टीकारा।। १०९९ राजा रायसिंघ भीम अमरसिंघोतरो जिणरी मा नूतै आयी छै घोड़ा निजर किग, २०००) हाथीरा निजर किया। ११०० रामपुरसू नूतो आयो घोड़ा च्यार, हाथी अक संदरूप, रुपया १५०००) रोकड़ नूतो। ११०१ हीरै टोकडिय राणा राजसिंघजीनू बकाय राजसिंघजीरा कुवर सुरताण सिंघजी सिरदारसिंघजी राणाजीग हाथसू मराया। ११०२ पछै कुवर भीमसिंघजीनू राज देणो तेवडयो नै राणाजीनू कुवर जैसिंघजी-नू चूक तेवडायो साह दयाल नूरपुरीमें हीरारो चाकर राणाजीस् मालम कीवी राजसिंघजी कुपित कर व हीरानू मरायो हीरो मामधीहो कहीजै है। ११०३ उदैपुरमू आय राणा राजसिंघरो कवर औरंगजेवरा पगां लागो दरगाह आया. जद पातसाह भारी सरपाव मोती दिया, राणानू सिरपेच जडाऊ भेज्यो । जैसिंघ राजसिंघोत ११०४. राणा जैसिंघजी घाणेराव पधारिया जद आडावळामे कोठारिया वड़ जठे डेरा किया रावत केहरसिंघजी केळवाडारी स्याहजी साथ हुतो। संग्रामसिंघ अमरसिंघोत ११०५ राणो सग्रामसिंघ अमरसिंघोत कोठारियारो राव वखतसिंघजी ज्यारो भाणेज। ११०६ राघो हरी पागियो दिखणी अड़सीजी फौज सामल हुतो पटैलसू राड़ हुई जद। ११०७ राणे अडसीजी कोठारियै डेरा क्यिा अमरचद वडवान फुरमाया - विना हांसल चुकाया श्रीजी द्वारै रसत मोल गयी उदैपुरसू सो श्रीजीद्वारासू Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११०७-१११७] गहलोतारी वातां खेचल करणी, जद पीरोजखा, चदर, मलंग वगेरै सिंधी विदा किया - उवै श्रीजीद्वारै रोडिया सिधवी भीवराजजी दरबारसू श्रीद्वारै हुता मै चढिया झगडो हुवो. सिंधी मलंग देवडा सवाई नोसरा वाळारी गोळी लागी. मुवो फतै जोधाणनाथरी हुई। ११०८ राणारी सवारीरो घोडो वेराड दलेळसिघ लियो नै छत्र चवर ही इण लियो। ११०९ राणारा घोडा कनै वहण वाळा चोपदार दोनू हायानू जोर करी अजीतसिंघ जीरै माथै सोनारी छडीरा टुकडा किया अजीतसिंघजीरै माथो ऊपरसू जोजरो हुवो। १११० रूपोजी १, जीधोजी २, कीकोजी ३ औ तीन सगा भाई गूजर राणा अडसी जीरा धायभाई। ११११ रूप धायभाई रूपनारायणरो मदिर करायो उदैपुर उरै नदी वहै जिणरी पुळ बंधायी। १११२ राणा भीवसिंघरी बेटी देवकुवर कल्याणसिंघजी परणियो सिवदानसिंघ . महाराजारी बेटी सिणगारकुवर मोतीसिंघजी परणियो। १११३. कूमारी मोती राणा भीमसिंघरै मरजीरी खवास है । १११४ मखदूम गुलाम मुहम्मद भीमसिघजीरै वखत आयो हो उवलारी हो। १११५ स० १८८५ चैत सुद १४ उदैपुरमे राणो भीमसिंघजी देवलोक हुवा। १११६ पूनारो उकील राणाजीरी तरफसू पीपलियारो धणी सगतावत राणोजी दूसरा वारो सिरपाव देता सो पेसुआनू कनै जाय देता, पेसवो सामो आय लेतो । १११७ राणाजीरै मेवाडरा परगनारा गावारी विगत - चित्तोड गाव ३०१, गोढवाड ३६०, जसावरा गाव ५२, गरवारा गाव १४०, मदारीरा गाव २००, कुभळमेररा गाव ७००, देवळियारा गाव १२०, भैसरोडगढरा गाव ५००, छपनरा पाच परगनारा गाव १६०, पटारा गाव ३६० । मेछल भीलवाडारा गाव परगना दोय उदैसिघ राण गमिया अकबर पातसाह चित्तोड लियो जद - बूदी १, रामपुरो २, गाव १५०० रामपुरारा, गाव १००१ बूदीरा, गाव १३५१ डूगरपुररा, गाव १३५० वासवाळारा, गाव ३६० वधनोररा, गाव ८४ वेगमरा, गाव २४० माडळरा, गाव ३६० भीमचरा, गाव परगना रै पाच पातसाह जहागीर राणा अमरसिंघनू Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० वांकीदासरी त्यात [ १११७-१२२६ दिया, कुवर करण अजमेर पातसाहरा पगां लागो, राणो अमरसिंघ गोगूदै साहजादा खुरमसू मिलियो जद चाकरी वदळ · ·। १११८ दसरावारा दिनामे कोठारियारो राव, सादडीरो राजा, वेदलेरो राव, सलूबररो रावत मै च्यार सिरदार ज्यारै डेरै श्रीटीवाण पधार । १११९ उदैपुर चाकरारी लुगायां राणियारै पगा लागै नही, ओढणारो पल्लो हाथमें लेनै तीन वार हाथ जमी लगाय सलाम करै । ११२० उदपुर राणाजी ही चाकरानू विदा करै जद बीडा दै राणियां रणवासां चाकरारी त्रियानू वीडा दे। ११२१. राणाजी देवलोक हुवै जद पाटवी कुवर पछेवडा ओढ लै राणाजीनूं दाग दे पाछा आवै तरै उमराव दरवारमे जद कोठारियरो राव कुंवर माथासू पछेवडो दूर करै। ११२२. उदैपुर नगर सोमवार चहुवाणारी चोकी वेदळारो राव नांव नै पारसोली कोठारियारो राव चौकी आवै मगल राणावत चोकी आवै वुधरै दिन प्रधान कानोड़रो रावत वीजोळियांरो राव और अरग जो चोकी आवै. गुरुवाररै झाला चोकी आवै सादडीरो राजा जीम डेरै जावै देलवाडो गोगुंदो चौकी रहै शुक्ररै दिन राठोड चोकी आवै शनीचररै दिन सगता चौकी आवै। ११२३ उदैपुर उमराव राणेजीरै चोकी आवै जिणरी विगत - रवी चूडावतारी चोकी, सलूवररो धणी पातिय जीम डेरै जावै. बेगम, आवेट, देवगढ चोकी रहै। ११२४. उदैपुर सोळे उमरावान सात सीकरो वीडो दिरीजै देसनिकाळो दै जिणनू तीन सीकरो वीडो दै। ११२५. उदैपुर आवदारखानो पाणैडो कहावै कपड़ारो कोठार निकारी ओडी कहावै. दवाखाना ओखधरी ओरी कहावै तवोळ खानारी ओरी वीडा वर्ण सिंघळखानारी ओरी ससतर रहै। मेवाड़रा सरदार बनेड़ो ११२६ वणहडारी राजारी पीढी लिखते - राणो राजसिंह १, भीमसिंघ २, सूरजमल ३, सुरताणसिंघ ४, सिरदारसिंघ ५, रामसिंघ ६, हमीरसिंघ ७, भीमसिंघ ८। Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२७-११३८ ] गहलोतांरी वातां ११२७ वीकानेररा राजारी बेटी रायसिंघजी वणहडारो राजा परणियो । ११२८ रायसिंघजी वणहडा कनै राजपुर वसायो उजैण घावा पडियो, मारगमे मुवो । १०१ वणहडारो राजा रायसिंघ ११२९. जगमालोत राणावत रतनसोत जोधा औ आठ उमराव वणहड़ासू अढाई कोस गाव बामणियो जठारा जोधारी भोम पैला वणहडामे हुती । ११३० ओसवाळ डागळिया खीवसरा वणहडे कामेती है । ११३१ ओसवाळ वरढिया वणहडै कामेती है, भडारी कहावे । झाला ११३२ सादडीरो राजा झाला जिणसू राणोजी राणो लिखे दूजारा नगारा देवारीमे न वजै छै इणरो नगारो ईकरको दहवारीसू जगन्नाथरायजीरा मंदिर ताई वजतो जाय, छत्र चमर ही उडता जावे । वेदळो ११३३ वेळा घणी राव रामचदजी जिणनू राणजी वीडो छै सीकरो दियो इण वेदळा पट्टी निजर कियो राणजी फुरमायो तबोळीनू लावो, सजा कर करो छव सीकारो बीड़ो क्यो वणायो आ खबर पाय तबोळीरा राव रामचदजीरा घोडारै सरणै गयो रावजी तबोलीरो गुनो माफ करायो । ११३४ वेदळे आबा औ पहाड सजळ है सिकार राजनू उढे घणा है आरासरी अवाय कहावै । कोठारियो ११३५ चूडावत जगै सीधावत चहुवाण ठाकुरनू बहिन परणाय कोठारियो आपर पटै हो सो परो दियो, मदारियो आपरै राखियो । ११३६ चूडावत जगो सीधावत वागडमे चहुवाण मारियो । ११३७ सहर सूरत में राणो प्रताप गोसरे हियो विखामे उमरावा कुवरा समेत सूरतरा सूबैदारनू मार घोडा चलाया राणारा हाथरी बरछीसू सूबेदाररा अग रही कोठारियारं राव जायने आणी ऊ दिन दसरावारो गाहणा समेत सिरपाव राणोजी कोठारियारा घणीनू दियो । जिणसू हर दसरावै राणोजी दसरावारो सिरपाव गहणा समेत कोठारियारा रावनू वगसै । ११३८ कोठारियारो धणी कुरब वेदळारा धणीनो दिराणो है राणाजीरा दरवारसू । Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ वांकीदासरी ख्यात [१९३९-११४७ सलूंबर ११३९ मठूबर रा रावतारी पीढी लिखते-राणो लाखो १, चूडो २, काधळ ३, रतनसी ८, सांईदास ५, खगार ६, किसनो ७, जैतो ८, मानसिंघ ९, रघुनाथसिंघ १०, रतनसी ११, काधळ १२, केहरसिंघ १३, कुवेरसिंघ १४, भानसिंघ १५, भवानीसिंघ १६, पदमसिंघ १७ । ९१४० सिसोदिया मिघ काधळ चूजावतरा वेटा तीन हुवा- जगो १, सुरताण २. महाराजकुवार गजमिघजी तो. कछवाहा जगन्नाथरी वेटी परणिया तोडा थका सीतळा नीसरी वण स्या पडिया कवरजीरै वडो खेद जद भाटी गोइददास मानावतरो वेटो मोहणदास मर गयो । ११८१ चूडावत मानसिंघ जैतावतरा रजपूत मानसिंघ मूजावत तेजो वोलियो . रागाजी कनैसू पटौ लिखाय वभौरी सारगदेओता कनासू ले लियो . रावत मानसिंघरो अमल बभोरीमे कियो ईडररा धणीरा उमराव छपनियो राठोड मार छपनडी प्रगनो राणाजीरै घरै आणियो। ११४२ गुदोच सेरसिंघरी बहन अभैकवरवाई सलूबर रावत भीमसिंघजीनूं परणायी। वीजोलियो ११४३ हम वीझोळिया राय केसोदास सुभकरणोत है. इणरी वेटी राणा भीमसिंघजीरा कवर अमरसिंघनू परणायी उणनै सत कियो। देवगढ ११४४ देवगढरा रावतारी पीढियां लिखते - राणो लाखो १, चूडो २, काधळ ३, सिंघ ४, मागो ५, दूदो ६, ईसर ७, गोकळदास ८, द्वारकादास ९, सग्रा मसिंघ १०, जसवसिंघ ११, राघोदाम १२, अनोपसिंघ १३, गोकळदास १४ । ११४५. देवगढरा रावतारो वडेरो ईसरदास जिगनूं मेर मोट कीट मारियो हो कीट कटारी चालवी, खटकी खूमाणाह । मोटै ईमर माग्यिो , डाकी भरडाणाह ।। ११४६ सागो गीघोत नळाधूवानरा पीर कनै गयो जद पीर लखमीनाथ बाबाजी घोडी दीवी, कटारी दीवी, कह्यो-यारो नांव वधसी देवगढ लखमीनाथरी नामती रहै घोड़ी पायगामें । ११४७ राणोजी घटावळीजीरै मगर वाघ मारण गया जद सागै वाघनू मारियो. अंक हाय मागारो जवमी हुवो राणाजी केळवो दियो। Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४८-११५६ ] गहलोतांरी वातां १०३ ११४८ पुर माळरै पीर जाने सागानू नगारो दियो कही - थारा वसरो माझी काम आसी तरफ हुसी । सिरै दुहू सग्रामरा जसवत नै जैसिंघ जसवत देवगढ, जैसिंघ सग्रामगढ । ११४९ वेगू ११५० वेगमरा रावतारी पीढी लिखते - राणो लाखो १, चूडो २, काधल ३, रतनसी ४, साईदास ५, खगार ६, गोइद ७, मेघ ८, राजसिघ ९, महासिंघ १०, अनोपसिंघ १९, हरिसिंघ १२, देवसिघ १३, मेघसिघ १४, प्रतापसिंघ १५ । ११५१ वेगम वाळो चूडावत वल्लभकुळ- सेवक है द्वारकानाथजीरा मदिररो । देलवाड़ो १९५२ गुदोच सेरसिंघरी बेटी उदैकवरबाई देलवाडै राजा कल्याणसिंघजीनू परणायी । आमेट ११५३ आंबेटरा रावतारी पीढिया लिखते - लाखो १, चूडो २, काल ३, सिघ ४, जगो ५, ६, करण ७, मानसिंघ ८, माधोसिंघ ९, गोवरधन - सिघ १०, दूलैसिघ ११, प्रथीसिंघ १२, मानसिंघ १३, फतैसिंघ १४, प्रतापसिंघ १५ । कानोड़ ११५४ कानोडरा रावतारी पीढी लिखते राणो लाखो अजो १, २, सारगदे ३, जगो ४, नरवद ५, नेतो ६, भाण ७, जगनाथ ८, मानसिंघ ९, महासिंघ १०, सारगदे ११, प्रथीसिंघ १२, जगतसिंघ १३, जालमसिघ १४, अजीत - सिंघ १५ । -- भींडर ११५५ भीडररा महाराजारी पीढिया लिखते - राणो उदैसिघ १, सगतो २, भाण ३, पूरो ४, सबळसिंघ ५, मुहकमसिंघ ६, अमरसिंघ ७, जैतसिंघ ८, उमेदसिंघ ९, कुसाळसिंघ १०, मुहकमसिघ ११, जोरावरसिंघ १२ । ११५६. भीडररा महाराजरी मा वाई राजबाई जे मोटा पली तीने लीकी पातसाहरी दीवी है दसरावारो डूगलो, गणगोरीरो सिपराव, बलाणो घोडो सलूवरसू भीडर - महाराज पावै । Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ वांकीदासरी ख्यात [११५७-१९२७ ११५७ पानसलरो सगतावत भीडर खोळे आयो है । ११५८ साबररो धगी सगतावत इद्रसिंघ जिणरो दोहितो वधनोर अखैसिंघ । ५१५९ मेडतिया पदमसिंघ प्रतापसिंघोतनू उदैपुर हवेली ऊपर राणाजी साथे मेल मरायो नवेगडीरो सिरदार राणाजीरो उमराव जिण उदैपुरसू आय काहणारा तळाव माथै डेरा किया गोठरै मिस कवर किसनसिंघनू घाणेरावसू तेड़ अकत ले डेरामे मारियो. चीणो चाकर किसनसिंघरो कूजा वरदार काम आयो जातरो डागळियो जिणरी सोराणजीरी मुतसदी कुंभळमेरसू घाणेराव आयो राणाजीरो अमल कियो । ११६० पदमसिघजीरा कवीला वसी धण ले कूपावतारै गया उणा आछी तरहस राखिया। ११६१ मेडतियो उरजण रायमलोत चित्तोड काम आयो जैमलजी ईसरदासजी साथ । ११६२. जैमलरै टीकै सुरताण जिणनू सवत १६४२ पातसाह अकबर मेड़तो दियो। ११६३ सुरताणरै कईक दिन परगणो मलहारणो पिण रह्यो । ११६४ सीळ भाखरी स्वेत पाखाणरो स्वरूप मेड़तिय दाणीदास गोपाळदास सुरताणरै काविलरी हदसू आणी पधरायो । ११६५ जगन्नाथ गोइंददासरो १, सावळदास गोइददासरो २, सुदरदास गोइंददास रो ३, गोइददास जैमलोत । . ११६६, वानसीरा सगतावता माहला सगतावत दोय कलावत दोय वला। ११६७ पारसोली माहेला चहुवाण । ११६८ वीदा जैतमालरो वेटो नैतसी राड़धारासू मवाड़ आयो . राणोजी पटो दियो . उणरा हमै केळवै है। ११८९ किसनदास जैतमालोतरै पटै वर्गल थी, पछै देसूरी पटै पायी पछै केळवो पटै पायो। ११७० सवळसिंघ रामसिंघोत वेदळे राव . केहरीसिघ रामसिघोत पारसोली राव । ११७१. अदळ लियो वदळो नक राखिज्यो वधारी। ओ गीत आसिया हरराम उदैभाणोतरो कह्यो है। ११७२ कोटा सुरसा भास्कर सोळखी. प्रतापसिंघ बेटी वीरमदे समेत उदपुर आयो जद टीकड़ियो तुळछीदास जात सोळखी राणाजीरै मनीजै . इणरी हवेली जाय प्रतापसिंघ उणारो होको पियो इण देसूरी दिरायी। Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५ १९७३-१९८४] गहलोतारी वातां गहलोतांरा दूजा राज देवलियो-प्रतापगढ़ ११७३. नव लाख रुपयारी पैदास देवळियारा धणीरै हुती ही डूगरपुररा धणीर इती ही वांसवाळारा धणीरै। ११७४. साहपुरो देवळियो दोय पाख उदैपुररी है। साहपुरो ११७५. साहपुरारा राजारी पीढिया लिखते- राणो अमरसिघ १, सूरजमळ २, सुजाणसिंघ ३, दोलतसिंघ ४, भारतसिंघ ५, उमेदसिंघ ६, हमीरसिघ ७, भीमसिंघ ८ । ११७६. सायपुरै राजाई भारतसिंघजी पायी । ११७७. गेरसिंघजी १, सिरदारसिघजी २, कुसळसिघजी ३, उमेदसिंघजी ४, जसकरणसिंघजी ५ औ पाच बेटा सहापुरारा राजा भारतसिंघजीरै । ११७८. साहपुरै उमेदसिंघजी पिता भारतसिंघजीनू कैद किया हा साहपुरा राजा उमेदसिंघ पिता भारतसिंघन कैद कियो हो सो छोडियो नही । ११७९. पाटवी कवर उदोतसिंघनू जहर दे मारियो उदोतसिघरा बेटा रणसिंघनू मारण सिपाही मेलियो उणरा हाथरो घाव रणसिंघरा मूडा माथै लागो जद चवदै वरसरो भीमसिंघ रणसिंघरो कवर जिणरी तरवार चली ऊ सिपाही मार राखियो बेटा जालमसिंघनू साहपुरै मालक करणरी उमेदसिंघ विचारी ही। ११८० जगमाल उदैसिंघोतरै वसरा राणावत १, कानावत २, कछवाहा सुरताणोत राजावत ३, राठोड चादावत ४, औ च्यार उमराव साहपुरै । ११८१ कोठिया धनोप अ चादावतारा ठिकाणा साहपुरा हेटै पडिया। ११८२ देवळियारा रावतारी पीढी लिखते राणो मोकळ १, खेमो महाराज २, सूरजमल ३, वाघ ४, रायसिघ ५, वीको ६, तीजो ७, साखो ८, जसवतसिघ ९, हरीसिंघ १०, प्रतापसिंघ ११, प्रथीसिंह १२, गोपाळसिंघ १३, सालमसिंघ १४, सावतसिंघ १५ । ११८३ देवळियारो धणी रावत कहीजे गाव सात सौ है हजार घोडारी साहवी । ११८४ देवळियारा धणी सीसोदिया ज्यारे नानाणारी विगत लिखते-सूरजमल खेमावत सोनगरा रणवीर वणवीरोतरो दोहितो। Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६ वांकीदासरी ख्यात [११८५-१९९९ ११८५ सूरजमलरा कवरारी मामलरी विगत वाघ १, संसारचद २, सहसमल ३, रणमल ४, कलो ५, पाचू ६, बीकानेर लूणकरण वीकावतरा दोहिता। ११८६, रावत सूरजमल खेमावतरै वेटा - वाघ १, किसन २, वीको ३, रावत वाघरै तेजो. तेजारै मानो रावत वरस दोय राज कियो पछै सैद उमरावसू लडाई हुई मानो रावत काम आयो. इणरै वेटी अक ही जिका सिरोही राव अखै राजनू परणायी मानारो टीको भाई सीयानै आयो रावत सीयारो जसवंत । ११८७. रावत वाघरा कवरारा मामलरी विगत - रायसिंघ वागडियो चहुवाण वीरसलदे वरसिंघोतरो दोहितो। ११८८ रावत रायसिंघ रा कवरारा मामलरी विगत-वीको वेगम हाडा जीतमल देवावतरो दोहितो। ११८९ रावत वीकारा कवरारी मामालरी विगत-तेजमाल छपनिया राठोड़ जैमले जैचदोतरो दोहितो। ११९०. किसनसिंघ मेडतै रायमल दूदावतरो दोहितो। ११९१. रावत जसवतसिंघनूं स०१६९० राणे जगतसिंघ चूक कराय मरायो। ११९२ राठोड रामसिंघ करमसेणोत बीजो ही साथ विदा कियो हो रावत जसवतसिंघरै साथ वडो वेटो महासिंघ काम आयो। ' ११९३. रावत जसवतसिंघ राठोड़ सुजाणसिंघ भगवानदासोतरै हाथ रह्यो। ११९४. संवत १६९० मे राण जगतसिंघ देवळियारा रावत जसवतसिंघन चक कराय मरायो जद मुदै चूकमे राठोड रामसिंघ करमसेणोत और ही उमराव राणाजीरा साथै हुता रावत जसवतसिंघ राठोड सुजाणसिंघ भगवानदासोतरै हाथ रह्यो। ११९५. सवत १६९० मे राणे जगतसिंघजी देवळियारो धणी रावत जसवंतसिंघ जिणनू चूक कराय मरायो राठोड रामसिंघ करमसिंघोत मुडासै राणारो भाणेज उमराव दूजा ही राणाजीरै साथै हुता रावत जसवंतसिंघ राठोड़ सुजाणसिंघ भगवानदासोतरै हाथ रह्यो। ११९६. रावत जसवतसिंघरो पाटवी कुवर महासिंघ रावत साथै काम आयो । ११९७. जसवतसिंघरो वेटो हरसिंघ जसवंतसिंघरै पाट वैठो। ११९८. जसवंतसिंघरी गादी रावत केसरसिंघ । ११९९. देवळियारा दीवाण सावंतसिंघजीरो कुवर दीपसिंघजी पहलां भिणाय परणियो हुतो पछै फतैगढ परणियो। Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२००-१२११] गहलोतारी वातां १०७ १२०० देवळिय दीपसिघ सावंतसिंघोतरो वडो वेटो केसरीसिंघ भिणायरो भाणेज। १२०१. दीपसिंघरो दूजो बेटो दळपतसिघ फतैगढ रो भाणेज डूगरपुर-रावळ जसवत सिंघरै खोले। १२०२ देवळियै च्यार सिरायत-रायपुर १, साकधजी २, झातळा ३, धमोतर ४। डूंगरपुर १२०३. डूगरपुररा रावळारी पीढी लिखते-समरसी १, कालीकान्ह २, पातो ३, गोपीनाथ ४, सोमदास ५, गगेव ६, उदैकरण ७, प्रथीराज ८, आसकरण ९, सहसमल १०, करमसी ११, पूजो १२, गिरधर १३, जसवंतसिघ १४, खुमाणसिंघ १५, रामसिघ १६, सिवसिंघ १७, बैरीसाळ १८, फतै सिंघ १९ । १२०४ डूगरपुररा रावळारी वसावळी-करमसीरो रावळ कानडदे श्रीमन्नारायणसू १२९ पीढियां छै । १२०५. कानडदेरो परतापसी, परतापसीरो गेपो जिण डूगरपुर गैबसागर तळाव करायो, गेपारो स्यामदास, स्यामदासरो गागो, गागागे उदैसिंघ, उदैसिघरो प्रथीराज, प्रथीराजरो आसकरण, आसकरणरो सहसमल । १२०६. रावळ आसकरण प्रथीराजोत राव मालदेजीरी बेटी पुहपावती बाई परणियो हुतो. विखामे चद्रसेण मालदेवोत डूगरपुर गयो. रावळ आसकरण वडा हीड़ा किया। १२०७. डूगरपुररो धणी रावळ उदैकरणजी सागा राणारी मदत सीकरी काम आयो कुवर जगमाल घावा उपडियो उणरै वसरा वाँसवाळारा रावळ । १२,०८ चावडा गोपाळदासनू मारियो पछे प्रतापसी रायमलोत डूगरपुररा रावळरी सभामे बैठा चावडानू मारियो पछे राव चद्रसेणजी विखामे डूगरपुर गया जद कुवर आसकरणजीनू चावडा परणाया। १२०९. रावळ सहसकरण आसकरणोत डूगरपुररो धणी जिणरी बेटी महाराज सूर सिंघजी परणिया कुवर सवळसिंघजी सहसमलरा दोहिता। १२१०. साढी सतरैसौ गाव सेवाय सगवाडी सहरवटमे आयो डूगरपुररा रावळरै - सगवाडा वदळे आडाईरो तळाव वासवाळारै रावळरै आयो । वांसवाड़ो १२११ वांसवाळारा रावळारी पीढी लिखते-समरसी १, काळीकान्ह २, पातो ३, गोपीनाथ ४, सोमनाथ ५, गगेव ६, उदैकरण ७, जगमाल ८, जैसिंघ ९, Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८ बांकीदासरी ख्यात [ १२११-१२२१ कल्याणमल १०, अग्रमेण ११, उभाण १२, समरसी १३, कुसळसिंघ १४, अजवसिघ १५, भीमसिंघ १६, विसनसिघ १७, प्रधीराज १८, विजयसिघ १९ । १२१२ वासवाळे रावत प्रथीसिघरो रावळ विजैसिघ, विजैसिंघरो उमेदसिंघ, उमेदसिंघरो भवानीसिंघ हम है । १२१३ वासवाळै रावळ कुसलसिंघजीरा मोता चाकर राखिया पूणा दो सो गाव पटै दिया वागडिया चहुवाण छाड गया था जद रामोतारो मुदै ठिकाणो कुसळ - गढरो धणी महीपडरो राज कहावै है । १२१४. वांसवाळारो रावळ सिंघ वाहण देवी जिणरी आण काढ 1 गोहिल १२१५ साळवाहण गोहिलरो वेटो सुद बुद सावलिंगारै सासरे पारानगर जोगीरो भेख आयो हुतो । १२१६ राजपीपळी रो धणी गोहिल भीम जिणरा वेटा अरजुण-हमीर सोमहिया महादेवरी वाहर खूनी अलाउद्दीनसू जग करि जाळोर काम आया । १२१७. यारो छोटो भाई कलो जिणरै वसरा रामोत वरसिंहोत मेडतिया है । ओळी १४ रा राजपीपला है । १२१८. हमीर - अर्जुणरै साथ दातीवाळरो घणी कोळी वेगरो रात काम आयो आटियो वाणियो, रुद्रवो वामण, धूडियो भील । रामपुरारा चंद्रावत १२१९ श्रीराम - उपासक चद्रावत राव महोहकसिंघ अमरसिंघ सुत - अ आखर रामपुरारा रावरी महोरमे । १२२० आवड़सू उठ चद्रावत रामपुरो जीवदानोजी भदाणो १, भाट २, खेड़ी ३, मुळेरी ४, पाहेडी ५, करडावावण ६, अजैपुरो वगेरा रामपुरारा राव उमराव जारा ठिकाणा । फुटकर १२२१ गाव दोय सौ गहलोतारा दिली - मडळ मे है राणो नरपतसिंघ उठे हुवो, हमै ओक राणो वा दूजा गहलोत चौधरी वाजे । Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [४] यादवांरी वातां भाटी १२२२. भाटियारी खाप लिखते-जेचद १, जेतुग २, बुध ३, केलण ४, सरूपसी ५, सीहड ६, लेना ७, छीकण ८, पोहडे ९, पाहू १०, नहु ११, वारुसी १२, जेतसी १३, हमीर १४, ऊनड १५, धुवड १६, रायधर १७, राय १८, सामतसी १९, अणगा, २०, अडकमल २१, वरसिंघ २२, खीया २३, जेहर २४, अरसुरमोत २५, वारणरासोत २६, तेजमालोत २७, विहारीदासोत २८, उदैसिंघोत २९ मालदेओत ३०, सगतसिंघोत ३१, पचायणोत ३२, देरावरिया ३३, पूगळिया ३४, गुगजी ३५, सोम ३६, मूल ३७, सिधराव ३८, वानर ३९, जेड ४०, गोपाळदेओत ४१, हडवा ४२, लूणराव ४३, सभा ४४, सागेजा ४५, कदल ४६ । १२२३. मेहामल, देवत, सीधत, औ भाटियारी खापा है। १२२४. करनोत, धनराजोत # दोय धडा आय वसियो । १२२५ नानग छाबहडो वरदायी हुवो पोकरण आय वसियो । १२२६ जैसळमेर पाट बैठा ज्यारी विगत अनुक्रमसू-वछू १, म · २, दुसाझ ३, वीजो ४, जैसळ ५, साळवाहन ६, केल्हण ७, चाचग ८, करण ९, लखणसेन १०, पुनपाळ ११, जैतसी १२, मूलराज १३, दूदो १४, घडसी १५, केहर १६, लखमण १७, वेरसी १८, चाचगसी १९, देवीदास २०, जेतसी २१, लूणकरण २२, मालदे २३, हरराज २४, भीम २५, कल्याणदास २६, मनोहरदास २७, सबळसिंह २८, अमरसिंघ २९, जसवतसिघ ३०, जेतसी ३१, अखैसी ३२, मूळराज ३३, गजसिघ ३४ । १२२७. रावळ जैसल १, वेल्हण २, लूणकरण ३, चाचिग ४, तेजराव ५, रावळ जैतसी ६, मूळराज ७, देवराज ८, रावळ केहर ९, लखमण १०, वैरसी ११, चाचो १२, देईदास १३, जैतसी १४, लूणकरण १५, मालदे १६, हरराज १७, कल्याणमल १८, मनोहरदास १९, रावळ मनोहरदास निरवस गयो। १२२८. धरणीधर वराहरी बेटी नाम होरड सिंघ देवराजनू परणायी. धरणीधर वराहरी राणी नाम रवाब टावरी १, वोडाणा २, सिधराव ३, सोळकी च्यारू खापा बीकमपुर राजपूता माहे मुख्य है । Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११० वांकीदासरी ख्यात [ १२२९- १२३६ १२२९ पहला भाटियारी राजधानी लुद्रवै हुती भाटी साळवाहणरै टीकै भोजदेव बैठो भारी जैसळ दिल्ली फोजा आणी भोजदेवनू मार लुद्रवै धणी हुवो. जैसळ लुद्रवै कोट करावण लागो जद ब्राह्मण नाव इसो अक सौ बीस वरसरी ऊमरमे तिण जैसळतू कह्यो - म्हारा खेत कनै रडो है, जठै श्रीकृष्ण गदासू पाणी प्रगट कर पाडवानू पायो नै कह्यो कलूमे म्हारो वस इण ठोड रहसी, सो तू उठे कोट कराय जेसळ वात मानी गदासू कूप कृष्ण कीनो जिण कूप ऊपर सिला हुती सो दूर कीवी और वधायो. नाव दियो जैसळो कूवो गढ अठ करायो गढरो नाव दियो जैसलमेर । १२३० जैसळ १, काल्हण २, लूणकरण ३, चाचिग ४, तेजराव ५, जैतसी ६ । वडो रावल १२३१ भाटी जैसळरो कालण भाटी काल्हणरै वेटा दोय हुवा - लूणकरण १ सीहड २. लूणकरणरो चाचिग, चाचिगरो तेजराव, तेजरावरो वडो रावल जैतसी । १-२३२ जैतसी ऊपर दिल्लीरी फौज आयी बारह वरस विग्रह रह्यो जैतसी रावळ विग्रहमे मुवो पर्छ मूळराज जैतसिंघोत रावळ हुवो । १२३३. मूळराज रावळरै आगे राणो रतनसी हुवो आगे जैसलमेर आ मरजाद हुती रावळरा मूडा आगे ओक राणो रहै । १२३४ रावळ मूळराज ऊपर तुरकांरी फोज आयी घेरो गढरै लागो घेरासूं जैसळमेररा गढरो सामान खूटो जद रावळ मूळराजरो कंवर देवराज और राणा रतनसीरो कवर घडसी दोय जणा तो औ नै जणा तीन दूजा जुमलै पांच तुरकानू अमान सूपी जैसळमेररा गढरा दरवाजा खोल मूळराज रतनसी काम आया । १२३५ मूळराज रतनसीनू मार तुरक परा गया. जैसळमेररो गढ सूनो पडियो जद रावळ मालो जैसलमेर आपणावण आपरी फोज मैली फोज उठे गयी सामान भार जिनसा खजानो प्रभातरो गढ माथै चढाय दियो नै राव मालारा भडां कह्यो - कपडा धोय आप साझरा गढ माथे जासा मोमत्तो मन वोवर घवै लागा । १२३६ वडा रावळ जैतसीरै वारह वरस घेरो रयो जद भाटी जसहडरा वेटा पाच दूदो १, तिलोक २, आसकरण ३, सीधण ४, वागण ५, ज्यांनूं जुगतसू घेरा मायसू काढिया हुता ओक जणो दम खीच मड़ो वणियो हो ने चार जणा Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२३६-१२४३] यादवांरी वातां साचिया के उणरा माचासू उपाड गढसू बाहर नीसर वचिया हुता उठे पाचू ही साठा जणासू गढ माथै चढिया औ तोला पाहू कनै हुता. तोला पाहू ही आं साथै आयो. गढ रावळ मालारा साथरै हाथ न आयो। १२३७. गढ या पाचा अपणाय लियो तोला पाहून झै वदै नही, तोलो हियासू खराई करै. अक दिन तोलारै तिलोकसी झटकारी दीवी तोलारो माथो कटीज दर पडियो काटियै माथै तोलै पाछो झटको वाह्यो सो थाभो कटाणो, थांभो अजैस है । १२३८ जसहडरा बेटा वरस २१ राज कियो पछै पातसाही फोज आ माथै जैसळमेर आयी आसकरण तुरकानू भेद दियो गढ भिळियो दूदै तिलोकसी साको कियो पाचू भाई काम आया. गढमे तुरकारो थाणो बैठो।। १२३९ देवराज रावळ मूळ राजरो बेटो नै घडसी राणा रतनसीरो बेटो झै दोन मूळराज रतनसी काम आवणरै तुरकानू सूपिया सू औ मोटा होय पातसाहरा . . . • सू नाठा घडसी महेवै रावळ माला कनै गयो रावळ मालारी बहन विवली घडसी घरमे घाली, रावळ माले आपरो साथ मेल वीकमपुरमे घड़सीरो अमल करायो। १२४० घडसी आपरी वसी वीकमपुर राखी, सिंधरा पातसाहरी चाकरी लागो सिंधरा पातसाहसू जग हुवो जद घडसी पहला पातसाहरी असवारीरो सफेद हाथी जिणरी सूड काटी, सिंधरै पातसाह राजी हुय घडसीनू जैसळमेर दियो। १२४१ देवराज पातसाहरा । सू भाज घाट थर पारकरमे गयो, उठे परणियो, इणारै बेटा दोय हुवा केहर नै हमीर । १२४२ देवराजनू धाटरै दहइयै मारियो, पछै जैसळमेरसू रावळ घडसी केहर हमीरनू तेडणनू थाट मिनख मेलिया, आप तळेरी हुतो, जसहड भाटिया आसकरणरा बेटा घोडै सवार घडसीनू झटको कियो, घडसीरो माथो दूर पडियो, घोडो धडन ले गढ माथै गयो, घडसीरै बेटो नही हुवो, रावळ मालारी वहन विवली केहरनै टीको दे घडसीनू चूक हुवा पछै नवमै दिन सत कियो। १२४३ केहररो रावळ लखमण, लखमणरो वैरसी, वैरसीरो चाचो, चाचारो रावळ देईदास, देईदासरो भीम पछै भीमरो छोटो भाई कल्याणमल रावळ हुवो, कल्याणमलरो रावळ मनहरदास निरवस गयो। Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२ वांकीदासरी ख्यात [१२४४-१२६१ १२४४ रावळ चाचानू परणाय सोढां मारियो हुतो सो देईदास चाचारो चाचारै पाट वैठो सोढानू मार वापरो वैर लियो । १२४५ रावळ जैतसी देवीदासोतरै राणी भावकदे राठोड हाफा वरसिघोतरी बेटी मेहव १। १२४६ जैमळमेर रावल जैतसीरै वेटारी विगत-लूणकरण १, भीवराज २, जगमल ३, प्रथीराज ४ । १२४७ भाटी रावळ लूणकरण भाटी रावळ जैतसी देवीदासोतरो वेटो वाडमेरारो भाणेज । १२४८ रावळ लूणकरणरै बेटारी विगत-मालदे १, सिवदास २ । १२४९. रावळ मालदे लूणकरणोत सीसोदिया अखैराज कुंभकरणोतरो दोहितो। १२५० रावळ मालदे लूणकरणोत राणी महेची महमादे मेघराज हाफावतरी। १२५१ रावळ मालदेरै वेटारी विगत-हरराज १, खेतसी २, नेतसी ३, सहसमल ४ । १२५२ रावळ हरराज जोधपुर राठोड नाथो राव सूजारो बेटो जिणरो ओ दोहितो। १२५३ खेतसी रावळ मालदेरो बेटो कोटड़ियारो भाणेज। ' १२५४ खेतसी मालदेवोत राव जैतसी वीकानेरियारो दोहितो मोटा राजाजीरी बेटी रभावती परणियो हुतो। १२५५. मालदेरो खेतसी वीकानेरिया राव जैतसीरो दोहितो. खेतसीरो दयालदास, दयालदासरो सवळसिंघ, सवळसिंघरो अमरसिंघ, अमरसिंघरो जसवतसिंघ, जसवतसिंघरो जगतसिंघ, जगतसिघरो अखैसिघ, अखैसिघरो मूळराज, मूळ राजरो गजसिंघ। १२५६. रावळ हरराजरै वेटारी विगत-भीव १, कलो २, सुरताण ३। १२५७ रावळ भीम हरराजरो वेटो जोधपुररा राव मालदेजीरो दोहितो। ' १२५८ सवत १६१८ रा मिगसर वद ११ भाटी भीम हरराजोतरो जनम. संवत १६७० जैसळमेर देवलोक हुवो। १२५९. सवत १६५४ पोस वद ६ जहड गोपाळदास जैमलोत नै जैसळमररै भाटियां वेढ हुई भाटियारो घोडो डोढ हजार हुतो. गोपाळदास रजपूता पैतीससू खेत कर पडियो कोटणसू अधकोस । १२६० रावळ मेघराजरी बेटी महेची वाला रावळ भीमर राजलोक । १२६१ वाला महेची बना मेघराजोतरी रावळ भीमरै राणी । Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६२-१२७७] - यादवांरी वातां [११३ १२६२ भीम ऊत गयो भीम पछै कल्याणमल हरराजोत जैसळमेर रावळ हुवो। १२६३ रावळ कल्याणदास हरराजरो बेटो कोटडियारो भाणेज। १२६४ सवत १६७२ रावळ कल्याणमल अजमेर पातसाह जहागीररी हजूर आयो हो । १२६५ रावळ भीमरै भाई कल्याणमलरी बेटी महाराजकुवर गजसिंघजीनू परणायी सवत १६६८ जैसळमेर। १२६६ रावळ भीवर बेटा हुवा नही रावळ कलो हरराजरो जिणरो बेटो मनोहर दास पाट वैठो। १२६७ भाखरमी हरराजोत आछो राजपूत हुवो । १२६८ रावळ मनोहरदास कल्याणदासरो कोटडियारो भाणेज । १२६९ जैसळमेर रावळ मनोहरदास महेवे रावळ दूदा मेघराजोतरो दोहितो । १२७० इणरे मामा महेचो तेजसी दूदावत. जैसळमेर भेळी गोठ कीवी तेजसी तेजसीरै पुत्र हुवो नही । १२७१ रावळ मनोहरदास जैसळमेररो धणी जसोळ माथै आयो जसोळ भिळी जद जसोळियो वीरम काम आयो । १२७२ सवत १६९३ रावळ मनोहरदासरी बेटी महाराजकवर जसवतसिं घजी परणिया। १२७३ रावळ मनोहरदासरै बेटी महाराज जसवतसिघजी गजसिंघोत परणिया पुत्र मनोहरदासरै हुवो नही । १२७४ सवत १७०७ रावळ मनोहरदास जैसलमेर देवलोक हुवो भाटी रामचद टीक बैठो। १२७५ जैसळमेर रावळ मनोहरदास कल्याणदासोत मुवो अपुत्र जयसिघरो बेटो रामचन्द गादी बैठो जैसळमेर पछै महाराज श्री जसवतसिघजी जेसळमेर सबळसिंघनू ले दिया जद सबळसिंघ रामचन्दनू डेरो दियो । डरिया भाटी रामचन्दोत है । १२७६ रावळ सबळसिंघ दयालदासोत राठोड कला रायमलोतरो दोहितो। १२७७ रावळ मालदे १, खेतसी २, दयालदास ३, सबळसिंघ ४, अमरसिंघ ५, जसवतसिघ ६, जगतसिंह ७, अखैसिंह ८, मूलराज ९, गजसिंघ १० । Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४ ainदासरी ख्यात [ १२७८-१२८८ १२७८ रावळ मालदेरो खेतसी जिणरै बेटा प्यार ईसरदास १, दयालदास २, सगतो ३, सामदास ४ | १२७९. भाटी दयालदास खेतसीरो बेटो राठोडा वीदावनांरो भाणेज । १२८० रावळ दयालदासरो बेटो सवळसिघ । १२८१ सवन १७१० ग भाद्रवामे रावळ सवळसिंघ जैसळमेररं धणी सोढा ईसरदाम राणानू उमरकोट मा काढियो सोढा जोनिगदेनू राणो कर उमरकोट वैसाणियो । १२८२- जैसलमेर रावळ अखैमिघ खावडियारो भाणेज इकमायो इणरै भाई जोरावरसिघ । १२८३ रावळ जसवतसिघ जैसलमेररो धणी जिणनू परणायी नगर गवळ भारमल जिरी वेटी रूपाबाई जिणरे बेटा च्यार हुवा जगतसिंघ १, सरदारसिंघ २, तेजसिघ ३, ईसरीसिंघ ४ । १२८४ रावळ जमवतसिंघरो तेजमिघ, जिण जगतसिघरी गादी जगतसिघरो बेटो बुधसिंघ रावळ सगो भतीजो उणनू गर लातु मारी । आय रावळ होय गादी बैठो निर्जळा इग्यारसरै दिन घडसीसररी लासमे तेजसिघरो काको हरीसिघ अमरसिंघोत जिण पिला लाला नामो परधान जिणनू मारी तेजसिंघनू मारियो - अखैराज जगतसिहोत जैसलमेररा किलानू न गयो, ठाणनू भागो । - १२८५ जैसलमेर रावळ जगतसिंघरो वेटो अखैसिघरो वडो भाई बुधसिंघ रावळ तो उणनू मार तेजसी जसवर्तामघोत मारियो घडसीसररी पाळ माथै । १२८६ सवत १७५१ रा मिगमर वद १४ अखैसिघजीरो जनम सवत १७८१ रा सा० सुद ८ दिल्ली राजतिलक हुवो । १२८७ मम्हे जाणतै मेलियो, विसहे ऊपर पात्र | होवो माया कारमी, भवै साची थाव || इण दूहारी पैली झड जैसळमेररै रावळ कही तीन झडा तेमडा रावरी कृपासू साठियारं वीठू वोहाड कही रावळजी सावेरं गया ठकुराणियां माह तेडिया महलरी देहली अर्तन नाग सोभित कियो लवायमान रावळ इरै माथै पग दियो उण वेळा झड वणायी मैं जाणतै मेलियो । - १२८८ सीसोदियो जगमाल राणा उदैसिंघरो दत्ताणी काम आयो जणा १६ सू लुगाया छव सती हुई । Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८९-१३०१] यादवांरी वातां [ ११५ १२८९ जैमळपेर अनपूरणारो कोठार रावळ भीम करायो. जनाना महल, गोख हरराज कराया सूरजपोळ, वाडीरा महल रावळ लूणकरण कराया। १२९० मकराणारा पाहणरी मूरत नवी देवी चडेस्वरी घळाव मूळराजजी जैसळमेर मदिर नव पधरायी। १२९१. पची धाय नाथीरी जिण जैसळमेर वडा कमठाणा कराया लखमीनाथजीरी दोनू आखमे माणक जडाया। १२९२ रतननाथजीरा कानारा दरसण जैसळमेर है. रावळजी नित दरसण करै । १२९३ चौरामी गाव जैसळमेररा रावळ रै पालीवाळारा है ज्यारो हासल आवै । १२९४ सालमसिंघ मुहतो जैसळमेर जिणरी मा बीकानेररी हुती उवा वीकीजी कहीजती। १२९५ जैसळमेररा कामदारारा बापरी महेसगणी त्रिया बायेची कहावै, पोहकरणरी त्रिया पौरणजी कहावै घाटमै परणीज जैसळमेररा मुहता त्रिया घरा आणे उवा घाटणजी कहावै । जैसळमेरा सिरदार वरसलपुर १२९६. वरसळपुररो भाटी राव मान जिगरी भाणेजी महाराज सूरजसिंघजीरी बेटी गुलाबकवरवाई। १२९७ भाटी केलणरा राजमे तुरक जैसळमेररो गढ घेरियो जद भाटी चरढो कोट कूद माह आयो जद केलण कह्यो – स्याबास | म्हारा वानर, भलो आयो जदसू चरढो वानर कहाणो। १२९८ वानर साळवाहणरो बेटो । १२९९ भाटी केलणरै तेरै बेटा जारी विगत - रणमल १, चाचो २, अको ३, दीपो ४, हरभय ५, भोज ६, वीकम ७, सोहड ८, लूणो ९, करन १०, नादो ११, खुमाण १२, धीरो १३ । १३०० भाटी केलण केहररो. केहर देहरो देह मूळराजरो मूळराज जैतसीरो । १३०१. केलण भाटीरा बेटा दोय धीरो १, खुमाण २, मुसळमान हुवा ज्यारा वसरा राठ। Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६ यांकीदासरी रयात [१३०२-२३२० १३०२ गाव बारह माडमे केलणाग हे आबा गावाम रणमल केलणोतरा पोतरा है ने आधा गावामे अक्का केलणोतरा पोता है । १३०३ सोमसी भाटी गायारी वाहर काम आयो गाय खोसी जद लोक कह - सोम भाई सोम । १३०४ सोम भाटी राठोड जैसिंघ जारा गाव फळोदीरी पट्टीमें आग घणा हुवा । १३०५. भाटी मुलवाणी वीकानेररो गाव खानूमर जठारी मगरो भाटी रावत भदो परणियो इणमे देवतपणो हुतो। १३०६ गाव लाठी जमोडारा पैतीस गाव ज्या मालो है पर्छ गवळजी ले लियो। १३०७ सायबखान वाह इमेरासू वचन लेय वीकमपुररो राव हरनाथसिंघ मगयो. टुटिया हाथरो किमोईकी। १३०८ सं० १६९० भाटी गोपाळ दाम आसावतरी माडिया नीवरा खारिया कनै चरती चाणरा मैणा ले गया। १३०९ माडमे वारह गांव जडा भाटियारा जडे कहावै माडमे अडकमला भाटियारा गाव बारह भभारो कहावै। १३१० गाव पैतीस माडमे जसोडा भाटियारा, ठरडासू आथमणा खाडाळमें गाव हवूर भाटी ऊनड ज्यारा। १३११ चाहड ग्राव छपाळो गाव दोय माडमे हमीरा भाटी धीरा सीहडा भाटियारो गाम अक ब्रह्मसर जठै ब्रह्मकुड है। १३१२ माडमे गाव दोय पाहू भाटी ज्याग है । १३१३ गाव अक काछो रूपमिया भाटियारो है। १३१४ मावत सीहा भाटियारो गाव अक कोटडी माडमे है । १३१५ सोमगाव वगेर आठ गाव गोगली भाटी ज्याग माडमें है। १३१६ मेक गांव साहको अणगा भाटियारो है। १३१७ घाणली १, सूजियो २, दहो 3, औ तीन गाव रायधरा भाटियारा है। १३१८ भीरमदेवोत भाटी ज्यारै पट जाणियाणो सराणो हुता जाणियाणौ तेजसिंघ आईदानोत ले लियो सराणो रुधनाथसिंघ मुजाणसिघोत ले लियो। १३१९ वीकमपुर कनै गाव ढारियाळो टावरिया रजपूतारो है। १३२०. देवराज समरोटू ठिकाणा बावल खानखाने में खारखखा भाटिया कनांसू लिया। Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२१-१३३०] . यादवांरी वातां [११७ जादू १३२१ जादू राजपूत केईक मुसळमान है . जाटवारो वडेरो पीर हुवो है जिणरो नाव लोड। करोली १३२२ करोलीरो राजा मानपाळजी जादव महराज प्रतापसिंघजीरो सुसरो जैपुर आयो जिण कही अभैकुवरवाई म्हारी भाणेज है । खेजड़लारा भाटी १३२३ खेजडलारा सिरदारारी पीढिया लिखते - जेसळमेर देवराजरै बेटा दोय हुवा - वडो केहर सो तो रावळ , दूजो हमीर। १३२४ केहररै बेटा तीन- लखमण १, कलकरण २, केल्हण ३ रावळ केहरर भाई देवराजरो बेटो हमीर, हमीररो लूणकरण, लूणकरणरो सतो। १३२५ हमीर १, लूणकरण २, सतो ३, अरजुण ४, सावळ ५, सीहो ६, रायपाल७, आसो ८, गोपाळदास ९, दयालदास १०, केहरसिंघ ११, सूरसिह १२, हठीसिंघ १३, किसनसिंघ १४, देईदास १५, जसवतसिंघ १६, सादूळसिंघ १७ । १३२६ भाटी रायपाळ सीहावत राव मालदेजीरै चाकर रहतो पटै खीवसर. अटवडो, खेजडलो नागोररा गाव इतरा हुता रावजी बद्रसेणजीरी चाकरीमे रह्यो रायपाळ । १३२७ भाटीरायपाळोत राजा भगवानदास कछवाहेरो चाकर । १३२८ भाटी गोपाळदास आसावत पातसाही चाकर हो सो सवत १६७१ रावळे वसियो किताईक गावासू दुधोड पट पायी। १३२९ दयालदास गोपाळदासोत सवत १६७७ रावळे वसियो डलवीरो पटो दियो पछै मवत १६७८ भाद्राजण गावा २४सू परै दिवी पछै जाळोररी हाकमी दिवी। १३३० जाळोर हाकम जद दयालदास महेचा रायमल उदैसिंघोतन पकड रोकियो थो पछै छोडियो दुधोडसू वाहर गुडो दियो हो उण गुडामे दयालदास हो रायमल मेवाडसू महेचा चादा वाघावतनू ले दुधोड दयालदास माथै आयो दयालदास माराणो दयालदासरो वडो डील हो। Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९८ बांकीदासरी ख्यात [ १३३१-१३१७ १३३१ भाटी दयालदासरा बेटारी विगत - केमरीसिंघ १, राजसिंघ २. छीतरदाम ३ तेजसी ८, भगवानदास ५ । १३३२ भगवानदास दयालदास भेळो काम आयो । १३३३ छीतरदाम पहला गोपाळदासजीरे वदळे चाकरी करतो सवत १६९२ छाडाणो कर अमरसिंघजीरै गयो पर्छ जोधपुर आयो भाद्राजण राजसिंघ भेळी पटै पायी. पछै गजमिघ छीतरदामन मारियो। १३३४ केमरीमिंघ दयालदासोन ग्वेजडलो पटै पायो । १६३५ केसरीसिंघरा बेटारी विगत - हरीसिंघ ? मूरसिंघ २, उदभाण 3, चतुरभुज ४, वोडारो भाणेज ५, सुजाणसिंघ ६, हरिमिघ ७ । १३३६ केसरीसिंघ राव रायसिघोत सममिघोनरे चाकर रह्यो। १३३७ हरिसिंघरै वेटारी विगत - वीरमदे १, लाखो २, दुरजणसिंघ : । १३३८ भाटी आसा गयमलोतरा वेटारी विगत - नारायणदाम १, रूपसी २, डूगमी ३, ठाकुरमी ८, सुरजण ५। . १३३९ नराणदाम रायमलोतरो कछवाहा राजा मानरै आवेर चाकर रह्यो । १३४० भाटी रायमल सीहावतरा बेटारी विगत - जैसो १, राणो २, अखैराज ३, भाखरसी ४, किसनदास ५ । १३४५ जैतमाल सीहावतरै काम आयो छोरू न हुवो । १३४२ मावत उरजणोतरे वेटो आपमल, आपमलरै आल्हण, कुपो महाराजोतर चाकर हुवो सो कूपं माथै काम आयो। १३४३ आपमलरो वीरम मोहलामू झगडो कर काम आयो लाडणू सीहाजीरं वैर । १३४४ भारमल मावतरो। ___ लवेरारा सिरदारांरी पीढियां १३४५ कलकरण १, जैसो २, आणद ३, नीबो ४, मान ५, सुरताण ६, रघुनाथ ७, भीम ८, इद्रभाण ९, साहबखान १०, सुजाणसिंघ ११, अणदमिघ १२, दोलतसिंघ १३, जैमिंघ १४, केसरीसिंघ १५, उमेदसिंघ १६ । १३४६ भाटी केहररो कलकरण, कलकरणरो जैसो जैसारै चार वेटा हुवा - अणद १ जोवो २, भैरूदास ३, वणवीर ४ । १३४७. पहला लद्रवो भाटियारो वाम हुतो पछै गोइददास मानावत आवादान कियो नाम लवेरो प्रसिद्ध हुवो। Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४८-१३६२ ] यादवांरी वातां १३४८ भाटी जेहो हडबू साखलारो दोहितो । १३४९ जैसाजीरी बेटी लखमीबाई रावजी सूजाजीरी राणी कवर वाघाजीरी मा । १३५० अणदरै नीवो, नीबारै मानो मानारै गोइददास । } [ ११९ १३५१ लवेरारा सिरदाररो वडेरो भाटी नीबो जैताजी कूपाजी साथ समेळ काम आयो । १३५२ महाराज सूरजसिघजीरै कवरपदे ही गोडददास प्रधान हुता । १३५३ सवत १६६३ लवेरो आसोप दोनू महाराज सूरजसिंघजी गोइददासजीनू पटै दिया । १३५४ सवत १६७१रा जेठ सुद ८ अजमेर काम आया । १३५५ पतो भादावत वडो डील हो गोइददासजी साथ अजमेर काम आयो । १३५६ गोइददासर बेटो जोगणीदास पटै गावा च्यारासू गाव वीजवाडियो महाराजा सूरजसिंघजीरो उमराव जिणानू राजा मान कछवाहारा चाकररो हाथी मस्त जिणा घोडासू उठाय सूडसू दातासू सालियो जोगणीदास दातामे पोयोडै तीन कटारी हाथीरै कुभाथल वाही राम कह्यो सवत १६६८ पातसाहरी फौज दिखणमे आवै जद । १३५७ रामसिंघ १, प्रथीराज २ गोइंददास मानावतरा बेटा महेची पूराबार्डरी कूख उपन्या पाचवो वेटो वेणीदास गोइददास मानावतरै । १३५८ भाटी नरहरदास गोइददास मानावतरो साता गावासू डावर पटै । १३५९ ओ हाथी राजा मान राजा सूरजसिंघजीरी निजर कियो किताईक वरमा पर्छ ऊ हाथी उदैपुरमे साहजादा खुरमरी निजर सूरजसिंघजी कियो । " १३६० भाटी सुरताण मानावतरो मुहतो केसो जिणनू गोइददास मानावत रावळ₹ वापो सवत १६६८ महाराज सूरजसिंघजी दिखणमे हुता उठासू वीख सुरताणजी घरै आय केसो मुहतानू मारियो गोयंददामजी सुरताणजीनू धरती माहेसू कढाया । १३६१ सुरताणजी नागोर राणा सगररो चाकर रह्यो . सगरजी भीवडा दिवी राठोड नरसिंघदास कला रायमलोतरो सूरसिंघ सुदरदास रामसिघोत आसू भावका खानाजगी हुई नरसिघदास सूरदास सुदरदासनू मार मुवो सुरताणजी सवत १६६८ रा जेठ सुद ८ । १३६२ भाटी रुघनाथ उजैण धावो पाडियो जद बुदेलै भावसिंघ सुखपाळमे घाल उठायो जतन किया. किसनो पातो रुघनाथरे साथ घावा पडियो हो । Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० वांकीदासरी ख्यात [१३६३६३७३ १३६३ भाटी प्रयी राज गोइददामोतरी सोढा मोठे भगवानदास लिवी सोढारी वार झगडो कर भाटी मुंदरदास काम आयो । १३६४ नरहरदास गोयददासोन जिणरं पटै डावर गावा मातस् । १३६५ वेणीदास गोयददामोतरै पुरामे है निणस् बेटा दोय हुआ - सामसिंघ १, प्रथीगज । १३६६ भाटी सुदरदास मुरताणोन काम आया निणरो उवाको सवन १७०४ वरसे माह वद ५ हुवो। १३६७ नागोररो गाव डेह भाटी सवळदान सुदन्दाम सुरताणोतरो मत्ताईस जणांस काम आयो गाव डेह लाडण सू जोधो इदरभाण केहरसिंघोन मार्थ आयो जद । १३६८ उग हीज दिन मवळसिंघरा रजपूना जोधा इद्रभाणनू मारियो । वीकमकोररा भाटी १३६९ भाटी सुरताण १. अबळास २, महेमदाम :, किसोरसिघ ४, जैतसिंघ ५, गुमानसिंघ , हिंदूसिंघ ७, पहाडमिघ ८, जुझारमिघ ९ - अ वीकमकोरग सिरदारारी पीढिया। बालरवारा भाटी १३७० भाटी जैसो १, जोवो २, गमो ३, किसनो ४, कान्ह ५, हरिदास ६, मुकद दास ७, गमसिंघ ८, रणछोडदाम ९, उदैभाण १०, जैतसिंघ ११, रतनसिंघ १२, बुर्मिघ १३, कवर सादूळसिंघ १४- बालरवारा सिरदारारी पीढियां । माणकलावरा भाटी १३७१ भाटी जैसो १, भेरूदास २, मूरो ३, साकर ४, डूगरसी ५, हरदास ६, ईसर दाम 3, कूभो ८. राम ९, जैमिघ १०, सूरतसिघ ११, सगतसिघ १२, रतन- सिंघ १३ - अ मागकळावरा भाटी भाया भैरूदामोतरी पीढिया। १३७२ राम कूभावत भाटी गाव रामपुरो वसायो। वालरवो १३७३. मुहते पातारा विसर वणाया हुता जिणम् पाता रुघानू मारियो. वालरवार सिरदार रुघनाथसिंघ भाटी रुघारा वैरमे पातानू मारिया । । Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३७४-१३८५]. यादवांरी वातां [१२१ सरढ १३७४. रावजी जोधाजीरी वारमे सरढरो धणी जसाभाई भाटी रावत भादो हो. हमै सरढ वरसिंघा भाटियार है । सेत्रावो १३७५ रावत लूणो सेत्रावारो धणी रावजी जोधाजीरो माहडो जिण सारण घोडी जोधाजीनू दिवी। गुडो १३७६ ईसररो ठाकुरसी जिण दुरगदासरी मदतसू चवरी पोतरारा किंवाड गुडै आणिया, राणाई पायी। १३७७ ठाकुरसी १, सायवखान २, भाखरसी ३, मालदे ४, जीयो ५, जैसिंघ ६, ठाकुरसिंघ ७ । १३७८ सवत १७४० रो जनम कनीराम रामसिंघोतरो संवत १८३२ रा जोधपुरमे रामसरण हुवा बरस तयाणूरी ऊमर हुई सवत १८२५ कानीरामजी मनीवज बीकानेरसू जोधपुर आया।। १३७९ राठोड प्रथीराज प्रभुओत, राठोड महेसदास दळपतोत, ऊदावत भीम कल्याणदासोत - या तीनानू ओक सरीखी लिखावट महाराज शिवजीरा खास रुकामे पछै महेसदासजी जाळोर पायी, गढपती हुवा जिणसू लिखावट आगे न रही प्रथीराजरै मनसब घणो हो जिणसू वचनात् नही नै लिखावतू - लिखीजतो। जसोल १३८० रावळ तेजमाळ भारमलोत फाटा तळाव माथै सातवीसू जसोळ ठाकुराई कीधी। समा यादव १३८१ वेळावल समो सिंधमे बडो दातार हुवो। १३८२. समारै जिसी सखावत किणमे ही न हुयी। १३८३ वगो वलार भेळा वतळायीजै । जाड़ेचा यादव १३८४ माहोरमे । .. १३८५ सिकदर फीरोज फतैखा वगेरा प्रतापीक जाम हुवा जामा कनासू भाटी ' ऊनड सिंधा सात ही लिवी ऊनड जाम कहाणा। Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२]. वांकीदासरी ख्यात [१३८६-१४०० १३८६ जाम ऊनड साढा तीन करोड़ रुपियारो सिंघासण छत्र दे सात ही सिंध सूधा कवी सावळनू दिवी। १३८७ जाम ऊनडरा बेटा चावडा कनासू कछ लिवी। १३८८. जाडेचा हमीररा बेटा तीन - खगार १, राहिव २, साहिब ३ । १३८९. रावळ जामरै नै राव खगाररै बडो जग हुवो है। १३९० झारो सिरहर डूगरा, कारो वेकाणाह । माझी खेगो वकडो, नमै न सुरताणांह ।। १३९१. समहर छूटो सिंघ ज्यू, बूटो बडी बलाय । चोखी करि-करि चाकरी, खाग-तण वळ खाय ।। १३९२. मुसळमान बूटो चचर राव खगाररी चाकरीमे रह्यो पबो, मोकळसी - अही राव खगाररी चाकरीमे रह्या । १३९३ राव खगार हालानू कछ माहेसू काढिया उवै जाय हालाहर वसिया । । खाटी राव खगार, भारमल भुगती धरा। १३९४ भारमल दिलीरा पातसाह आगै बाघ मारियो, पातसाह राजी होय मोरवीरो परगणो दियो। १३९५ जाडेचामें साहव थाटरो धणी, खगार पाटरो धणी । १३९६ भुज सहर राव खंगार वसायो । १३९७. भुजरा रावांरी पीढी लिखते - फूलो १, लाखो २, हमीर ३, सूमल ४, लाखो ५, ऊनड ६, सिधराज ७, जाम ८, लाखण ९, भीम १०, अमर११, जेहो १२, हमीर १३, नगराज १४, खगार १५, भारो १६, मेघ १७, तमायची १८, रायधण १९ पराग २०, गहडर २१, देसल २२, लाखो २३, गहडर २४, रायधण २५ । १३९८ पावर कछरो परगनो है। १३९९. चवदै चाळा कछ चवदै पडगना है पडगनानू चाळ कह कछ धरा खावै परा जीतै नगों कोम. आसापुरारो वर हो कछनू कोई जीतसी नही । सरवहिया यादव १४०० सरवहियो नवघण गिरनार-पती जिणरी धाय वहन नाम जायल, अहीरण जात, अति रूपवती, देवीरो अवतार, घणो वित्त ले सिंधमे गयी सोरठ त्रिण-काळ पडियां सिंधरो पातसाह सूमरो जिण जायलनू घरमे घालणी Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१२३ १४००-१४१०] कछवाहारी वातां विचारी औ समाचार जायल नवघणनै लिखिया. नव लाख घोडासू नवघण सिंधमे आयो नव लाख लोवडियाळरी क्रासू सूमरानू मार सिंध लिवी । १४०१. आधो अरब सरवहियै राव खगार लूणपाळ मिहडनै दियो। । १४०२. गिरनार राव खगार सरवहियो हुवो जिण पचास कोड नै नवमी सोरठा महडू लूणपाळनू दिवी दूजो राव खगार जाडेचो हुवो जिण भुज वसायो । १४०३. जूनागढरो धणी राव खगार जिणनू वावळरी डाळ माशै बैठे छुमण चारण दया पाळण तयार कियो हूं जाणू द्रह वज्रडी, जिण भाखे जिण लग्ग । ओ दूहो सुणाय नै। १४०४. राव खगार गिरनाररो धणी सरवहियो हुवो. कछरो धणी जाडेचो हुवो। कछवाहां १४०५. कछवाहारो राज थेटू पूरवमे रोहितासगढ जठे उठासू नरवर वसिया नरवरसू दोसै ठकुराई बाधी दोसासू आबेर आबेरसू जैपुर । १४०६ आबेररा राजारी पीढिया लिखते-राजा दूलै राय १, राजा काकिल २, राजा हणुमतसी ३, राजा महड ४, राजा पजून ५, राजा मलसी ६, राजा वीजळसी७, राजा राजळ ८, राजा कल्याणसी ९, कुतल १०, जूणसी ११, उदैकरण १२, वीरसिंघ १३, वणवीर १४, चद्रसेन १५, प्रिथीराज १६, भारमल १७, भगवतसिंघ १८, मानसिंध १९, जगतसिंघ २०, महासिंघ २१, जैसिंघ २२, रामसिंघ २३, किसनसिंघ २४, विसनसिंघ २५, सवाई जैसिंघ २६, माधोसिंघ २७, प्रतापसिंघ २८, जगतसिंघ २९, सवाई जैसिंघ ३० । १४०७ राजा उदैकरण कछवाहो आबेर-पत जिणर तीन बेटा हुवा - वरसिंघ १, नरसिंघ २, वालो ३. वरसिंघ आबेररी गादी बैठो जिणरा राजावत. नरसिंघरा नरूका. वालारो मोकळ, मोकळरै सेखो सेखारा सेखावत । १४०८ कछवाहारी वसावळी-कुतल १, जीवणसी २, उधरण ३, चादणो ४, प्रिथिराज ५ राजा प्रिथीराजरा राजावत कहाणा १४०९ राजा प्रिथीराजरै बेटा तेरह-भारमल १, रतनसी २, भीव ३, सागो ४, बळभद्र ५, सुरताण ६, परताप ७, जगमाल ८, रूपसी वैरागर ९, डूगरसी १० कल्याणमल ११, गोपाळ १२, चत्रभुज १३ । नाथो गोपाळरो जिणरा नाथावत कहीजै जगमालरो खगार तिणरा खगारोत कहावै । १०१५ Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२४] बांकीदासरी ख्यात [१४११-१४२८ १४११. कछवाहा राजा प्रिथीराजरो भीव, भीवरो राजा आसकरण । १४१२. प्रिथीराजरो राजा भारमल संवत् १६३० सीकर मुवो, सती हुई। १४१३ राजा भारमलरा बेटा- भगवतदास १, भगवानदास २, राजा जगनाथ ३, सिलहदी ४, सुदरदास ५, सादूळ ६ । १४१४ राजा भारमलरा बेटा - छत्रसिंघ १, हिंदूसिंघ २ । १४१५ सूरसिंघ १, माधोसिंघ २, प्रतापसिंघ ३, राजा मान ४, औ राजा भगवंत सिंघरा वेटा। १४१६ भारमलरो राजा भगवतदास भगवतदासरो गजा मान राजा मानरै बेटा जगतसिघ १, भावसिंघ २, सगतसिघ ३, दुरजणसिंघ ४, सवळसिंह ५, कल्याणसिंघ ६, हिम्मतसिंघ ७, स्यामसिघ ८ ।। १४१७ मानसिंघ भगवतसिंघोत परमार पचायण करमचंदरो दोहितो। १४१८ कछवाहो राजा मान राव मालदेजीरो रायमल जिणरी वेटी सतभामावाई परणियो । १४१९. महाराजा रायसिंघजीरी वेटी अहजनकवर जैपुररो राजा मानसिंघ जिण परणायी । १४२० कछवाह राजा मान वाधूगढरा राजा रामसिंघ कनासू पेसकसी लीवी नहीं। १४२१ अटकरो किलो कछवाहै राजा मान करायो अकवररै नवाव । १४२२. कंवर जगतसिंघ मानसिंघोत कछवाहै खुरासाणियारै तरवारा लोहरी मूठ दूर करायी, काठरी मूठ दिरायी। १४२३ मान राजा कछवाहो जिणरो वेटो जगतसिंहजी जैतारणरो धणी रतनसिंघ खीवा ऊदावतरो दोहितो कुवर पदै देवलोक हुवो। १४२४ मानसिंघ भगवतसिंघोत महासिघ जग (त) सिंघोत । १४२५ सवत १६७३ महासिंघजी देवलोक हुवा जद घोसारो टीको जैसिंघजी पायो, छव वरसरै चोसो पायो । १४२६. संवत १६७८ भावसिंघ मानसिंघोत राम कह्यो जद इग्यारै वरसरै बडै जैसिंघ आंबेर पायो । १४२७. सवत १६७८ राजा भावसिंघ राम कह्यो जद आंवेर जैसिंघ पायो। १४२८. राजा जैसिंघ महासिंघोत सवत १६६८ जनमियो आसाढ वद १ वार सुक्र सवत १६७३ राजा महासिंघ राम कह्यो जद घोसारो टीको राजा जैसिंघ पायो, आंवेर राजा भावसिंघ मानसिंघोतरै हुवो । Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४२९-१४४६] कछवाहारी वातां [१२५ १४२९. मंवत १६६८रा प्रथम आषाढ वद १रो जनम कछवाहा राजा वडा जैसिंघरो। १४३०. मानसिंघ भगवतसिघोत महासिंघ जगतसिघोत मेडतिया मधोदासोत जैमलोतरो दोहितो जैसिघ महासिंघोत सीसोदिया साहजी उदैसिंहोतरो दोहितो जैसिंघ विसनसिंघोत खेरवै जोधो कासीदास जिणरो दोहितो। १४३१ कछवाहै राजा वडै जैसिंघजी दिलीमें जैसिंघपुरो वसायो । १४३२ आबेररो राजा जयसिंघ महासिंघोत राजा सूरजसिंघजी उदैसिंघोतरी बेटी मरगावतीबाई परणियो जोधपुरमे । १४३३ बुरहानपुर हाडा राव रतनरी हवेली कनै डेरा हुवा वडा जैसिघजीरै मास दोय असमाध रही, पक्षाघात हुवो। १४३४ संवत १७२४रा आसोज वद ५ बुधवार रात घडी ६ पाछली हुती जद सहर बुरहानपुरमे राजा जैसिंघजी राम कह्यो पक्षाघात हुवो हो, दोय महीना खेद रही। १४३५ सवत १७२४रा आसोज वद ५ बुधवार रात घडी ६ पाछली रही जद राजा ___ कछवाहै वडै जैसिंघ राम कह्यो बुरहानपुरमे । १४३६ तपती नदीरै माथै मोहणी-सगमरै घाट दाग दिराणो। १४३७. राजाजीनै दाग पडियो तपती नदी ऊपर मोहणी-सगम जठ । १४३८ हाडा राव रतनरी हवेली कनै डेरो हुतो राणी अक राठोड वीकावतजी सत कियो वडारण पातर खवास मे ११ बळी । १४३९ राणी अक राठोड वीकावत साथ बळी इग्यारै पातर खवास साथ बळी । १४४०. राजा जैसिंघ सात हजारी जात सात हजारी अरदुअस्पा सह अस्पा मनसब हो । १४४१ जैसिंघजी देवलोक हुवा जद आपरै सात हजारी मनसब हो च्यार हजारी मनसब कुवर रामसिंघरै हुतो दोय - हजारी मनसब कुवर कीरतसिघरै हुतो। १४४२ कवर रामसिंघ जैसिंघोत मनसब च्यार - हजारी जात च्यार हजार असवार । १४४३ कवर कीरतसिंघ जैसिंघोत मनसब दोय - हजारी जात अठारह सौ सवार । १४४४ कुल मनसबरा दाम वीस करोड इकताळीस लाख ज्यांरा रुपिया इकावन लाख अठाईस हजार। १४४५ जैसिंघ विसनसिंघोत खैरवै जोधो कासीदास जिणरो दोहितो। १४४६ सवत १७८८ सवाई जैसिघ जैपुर वसायो आवेर राज करता कछवाहान हजार वर्ष हुआ जठा पछै जैपुर राजधानी ठहरायो । Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६] वांकीदासरी ख्यात [१४४७-१४६३ १४४७. राजा सवाई जैसिंघजी वैरागणियानू परणाय मथुरामें, वृदावनमें वैरागपुरो वसायो। १४४८ विवाह करम जान करमादी करता देख हित राधा वर लेलियानू बंदावन माहेसू सवाई जैसिंघजी काढ दिया हा । १४४९ सवाई जैसिंघ हाडा महाराव भीमसिंघजीनू भीमडो कहनो। १४५०. पछै गोपाळसिंघ भदावररो जिणरो वेटो भदोरियो राजा जिण कनै अठार लाख रुपया ले सतारै गयो। १४५१. पर्छ सवाई जैसिंघजीरा लिखण वाजेराव उजीण आयो. उजीणरा सोवेदार नागर ब्राह्मण छवीला वहादुर, दया वहादुर ज्यां दोनानू मार मालवा सतारा. लारै घालियो। १४५२. दीपसिंघ कुभाणी पुसकरजीमें महाराज जैसिंघजीरै हाथरो संकळपरो जल ले रतनवारो सासण नागल जवत हुवोडो वहाल करायो । १४५३ गगवाण राजाधिराजरै नै सवाई जैसिंघरै राड हुई जद सेरसिंघजी कुसळ-. सिंघजी राजा जैसिंघजीरै काम आया। १४५४. जैपुररो राजा माधोसिंघजी हाथरी दसही आळियामे वीटियां राखता, आ राणाजीरी चाल। १४५५ जिलायरा राजावतजी राम-सरण हुवा माधोसिंघजी काण करावण आया.7 राघवसिंघ सभामें नाला मारिया । १४५६ तुवरावाटीरो गांव मांवड़ो मडोली जठ जाटरै जग हुवो कछवाहांसू । १४५७. धुलारो धणी दलेलसिंघ रथसूं उतरतो हो गोळारी लाग रज-रज हो गयो। १४५८ बार हजार घोड़ो जाटर कनै हुतो कछवाहासू जग हुवो जद । १४५९. सवत १८२४ जाटसू कछवाहां राड कीवी । १४६०. मालपुरारो गाँव इंदोळी झगड़ो हुवो लखुआ आगे राजा प्रतापसिंह भागो जैपुररो धणी। १४६१ हकीम पैदरुसजीनू आगरासू महाराज जैसिंघजी आणिया जैपर. वां फिरंगीरो दारू काढियो। १४६२. जैपुररो राजा पाट वैसे जद मैणो तिलक करे १४६३. आवेरमें मुदे मानका केकान केकानरा पोता पारीक पुरोहित कछवाहारा Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४६४-१४७९] कछवाहारी वातां [ १२७ १४६४ जैपुररो राजा सदा रामानुजरो तिलक करै गोविंद-देवजीरै मदिर जावै जद माधव सप्रदायरो तिलक करै गोकुळचद्रजी १, मदनमोहनजी २, गोकळनाथजी ३, आरै मदिर जावै जद वल्लभकुलरो तिलक कर. सिव . सकती, गणेसरै दरसण जावै जद छव तिलक करै । १४६५. वेस्यारी, भाडांरी चौथाई जैपुर राज्यमें लिरीजै आ रीत जैसिंघजीसू बंधी. उण चौथाईरो पईसो वार-तिहुवार वेस्यावानूं दिरीजतो. राजरै हराम हुतो। १४६६. आंबेर थाप-उथापरा धणी खगारोत नाथावत है सेखावत नरूका नगारारा चाकर है। १४६७ आबेर सात उमराव जिके साता किलेदार है किलेदारी उतरै नही । १४६८. ढूढाड़में बारहे कोटडिया है जिके लिखीजै है नाथावत १, खगारोत २, . सुरताणोत ३, कल्याणोत ४, कुभाणी ५, पूरणमलोत ६, बळभद्रोत ७, सिव ब्रह्म-पोता ८, पचारसोत ९, वाकावत १०, भारमलरा ११ । १४६९. वांडी नदीरो उगवणो तट तो राजावतारो, आथमणो सेखावतरांरो। १४७० जैपुररा सारा उमराव जैपुर राजारी खिदमतमे रहै, उणियारै राव राजा रहे। १४७१. नगरसू उठ रावत ईसर गोडोन वसायो । १४७२. राजावत सग्रामसिंघरै पाच बेटा हुवा – गजसिंह १, विजैसिंघ २, अणदसिंघ ३, रूपसिंघ ४, हिम्मतसिंघ ५ ।। १४७३ कछवाहो राजावत फतेसिंघ मूळी कहीजतो मूल नक्षत्रमे जनमियो हो '. तिणसूं वरवाडा वगेरै ठिकाणा राजावत फतै सिंघोत है । १४७४. वरवाडै राजावत मोहनसिंघोत विक्रमादितजी हुलकर मल्हारावसू आछो 'लड़ियो जद महाराज माधोसिंघजी राव पदवी दीवी । १४७५, विक्रमादीतरो जवाहिरसिंघ, जवाहरसिंघरो रामसिंघ, रामसिंघरो सलामत सिंघ हमें वरवाडै भलो दातार है। १४७६. धुलारा राजावत दुरजसिंघोत । १४७७. नराणारो धणी खगारोत भोजराज पातसाही चाकर दिखणमे गढ नळदुर्ग जठे काम आयो। १४७८ गीजगढ़ ठिकणो ढूढाडमे चापा सामसिंघ देवीसिंघोतरो। १४७९. खाचरियावासरा सिरदाररै पहला रामगढ हो, खाचरियावास ढूढाडरो है । Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८] वांकांदासरी ख्यात [१४८०-१४९१ १४८० मनोरपुररो घणी सेखावत लूणकरणजी ज्यांरो छोटो भाई रायसलजीनें मेक गाँव दियो. रायसलजी पातसाहरी चाकरी लागा दिलीरै पातसाह वारहहजारी मनसब दियो गयसलजीन । सेखावत रायसलजीरै बारा बेटा जिणमे पांच निरवस गया, सातारो वंस रह्यो । १८८२ गिरधरजी १ भोजराजजी २, लाडखानजी ३, ताजखानजी ४, हमीरमलजी ५, फरमरामजी :, हररामजी ७ - आ सातारो वस रहयो। १८८३ निरमलजीरा सेखावत रावजीका बाजे निरमलजी रावजी कहाणा सीकर रावजीरा है। १४८४ लाडखानजी, ताजग्वानजी औ पातसाहरा दिया नाम है । १४८५. खडेलारो राव सेखावत केहरसिंघजी नवाव अवदुल्लाखासू जग कर काम आयो-जद साथ नव चारण काम आया ज्यामे दोय वारट, दोय नगरीरा काम आया । १४८६ खडेले राजा केहरसिंघ अबदुल्लाखा नवावसू जग कर काम आयो. इण साथ नव चारण काम आया १४८७ सीकररा घणीरी पीढिया - रायमल १, निरमलराव २, गंगाराम ३, सामराम ४, जसवतसिंघ ५, दोलतसिंघ ६, सिसिंघ ७, चांदसिंघ ८, देवीसिंह ९, लिछमणसिंघ १० । १४८८ सेखावत सिवसिंघ सीकररो धणी जिण नवाव कनासू फतैपुर लियो वीकारो भाणेज सेखावत सादोजी जिणनू मासीरै धणी जूजणूरै घणी दिवाणजी पुत्र कर राखियो दिवाणजीर पुत्र नही जिणसू जूजणू सादाजी अपणायी। १४८९ सेखावत सिसिंघ फतैपुर लियो जिण ठाय फतैपुररो नवाब कयामखानी जानी साहब तीन महीना सीकर लडियो, सीकर छूटी नहीं। १४९० सेखावत सादा महाराज वखतसिंघजीरी तावीतमें रामसिंघजीस झगडो हवो जद गाव रिया डेरा सेखावातांनू खवर आयी- क्यामखानी गुड पाखर फतैपुर आया, मदत करण वेगा आवज्यो, हाल तो म्हे गंतिया छै. जद कुवर चांदसिंघ सिवसिंघोत नै किस सघ सादावत दोनू पांच हजार लोक ले चढिया क्यामखानी भागा सेखावता वटका कर वगाय दिया। १४९१ तीस हजार सिपाही ले पठाण भो. चढ मुरतजाखां दिलीसू खिलत ले . ढूंढाड़ माथै आयो. सीकररै धणी सेखावत देवीसिंघ भायानू साथ ले खाटू Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४९२-१५०३ ] नरूकांरी वातां [ १२९ कजियोकियो रिख - पूनम दिन. तीन हजार दादूपथी काम आया. वलारारो धणी खेतावत काम आयो देवीसिंहरा भुजरै तीर लागो मुरतजाखा भागो. पठाण घणा माराणा फौज लूटी गयी फतै सेखावत कीवी । १४९२ इण चाकरीसू पचास रूपिया देवीसिंघरी थाळीरा रोजीना जैपुरसू कर दीना । १४९३ सीकर सेखावत सिवसिंघरो बडो बेटो समरथसिंघनै अंक बाई जोधारी भाणेज बाईनू साहपुरै उमेदसिंघजीनू परणायी १४९४ . कीरतसिंघ १, उमेदसिंघ २, पालीरा चापावतारा भाणेज सेखावत सिवसिंघरा कवर वडा जोरवान ज्यानू सिवसिंघ मराया समरथसिंघरं हाथ । नरूका १४९५. पाधररा पातसाह - ओ नरूकारो विरद । १४९६ राजगढ १, प्रतापगढ २, रामगढ ३, लिछमणगढ ४, गोवदगढ ५, किसनगढ ६, वळदेवगढ ७, पिरोजपुरी ८, गाजीरो थाणो ९, माला खेडो १०, अलवर ११इत्यादिक बावन गढ माचेडीरा रावराजारै है । १४९७ माचेडीरो रावराजा प्रतापसिंघ जैतावतरो भाणेज बारणा वालारो । १४९८. रावराजा बखतावरसिंघ माचेडीरो पहला कुचामण परणीज पछै त्रिसिंगिया वडगूजरांरै परणियो । १४९९ कुछी सिंधरी गाया, कछरी साढा, पटियाळ ह्यरफरी भैसिया, घोड़िया काठियावाडरी, हजारा रावराजा वखतावरसिंघ मगायी । १५०० पथ हर देव ओजो १, माणक मेथीलनी २, सबळनाथ जोगी ३, पालावत बारट उमेदजी ४–आ च्यारानू रावराजा वखतावर सिंघ मानिया । १५०१ समरथसिंघ मर गयो सीकररो धणी नाहरसिंघ समरथसिंघोत जैपुर हुतो जद चादसिंघ बुधसिंघ वैरीसू आया पठाण मसतेखानू मार मैसरी चितलागियो जात नाव दीपचंद नाहरसिंघरो कामेती जिणनू मार सीकर लीवी । १५०२. मेडतियो सेरसिंघ लुळवारो धगी जिणरी बेटी साहिबकवर सिवसिंघजी परणियो चादसिंघ, बुधसिंघ दोय बेटा हुवा | Son १५०३. भडैचसू कजियो हुवो जद परमरामजीको उमेदसिंघ और चादावत भाई जालमसिंघ दोनू आछा हुवा सीकर देवीसिंघजी आनू ववाया । १७ Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३०] वांकीदासरी ख्यात [ १५०४-१५१९ १५०४ जूंजणूंरा भोजराजोत ज्या हेटै नव सौ गाव है । १५०५. खलारै सलार ठिकाणो. गुवाररै जैसिंघ, जैसिंघरो वाको, वाकारो वीरम, वीरमरो रतनो, रतनारो भुजबळ, भुजबळरो साकर. ठिकाणो मांडो । १५०६ साकररो साडल, साडलरो सावळ, सावळरो देईदास पट मोडी । १५०७. सेखावाटीमे करनोतानू नीबावत कहै । १५०८ झटकैरो मारियोडो साकररो जानवर सेखावत न खावै सूर न खावे. ___ नगारारै झालरी नीळी राखै ऊटारी जुन नीळी राखै नीलां निसाण राखै. सेख बुरहानरी दवासू मोकळजीरै सेखो हुवो जिणसू । १५०९ सौ गाव कासलीरा तीन सौ गांव फतैपुररा, दोय सौ गांव खडेलारा, छव सौ गाव सीकर हेटै छ। टोडा १५१०. रामसिंघ तोडारो राजा भीव अमरसिघोतरो, राठोड जेतारणिया नराणदास पता डूगरसिंघोतरो दोहितो - तोडा-बाळा रसिया | म्हारै अमल किया घर आव । पड़िहार १५११. पडिहारारै गोत्रजण देवी । १५१२ पडियार नाहडराय मडोवर गढ करायो, पुसकरजी बधायो । १५१३. पड़ियारा कनैसू रायपाळ धूहड़ोत मडोवर लियो, छूट गयो । १५१४ अह न मदची रूपडा, वुध घर पडियार । १५१५ पडियार रूपडिय राणै अग्यारमी बेटी वुधा भाटीनू परणायी। १५१६ पडियार राणो रूपडियो जिणरै वारै बेटी हुई गयाजीमे इण कही - बार ही कन्या वारै रावानू परणावसू इग्यारै कन्या तो इग्यारै रावानू परणायी. वारमी कन्या राब न मिळियो जद भाटी राव केल्हणनू बारमी बेटी परणायी उण दिनसू पडिहारा भाटियारै सनमध हुवो । १५१७ पडियार वेळो वीकाजी साथै गयो बीकानेर उठे वेळासर गाव वसायो । १५१८ पडियार अक भाई तवेलारो, दूजो भाई तोपारो दरोगो जोधपुर । १५१९. पडियार नाहडराय पूरवसू आय गजणरो वर पाय मारानू मारि मारवाड लिवी । Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५२०-१५३३] ईदा पड़िहारांरी वातां [१३१ ईदा पड़िहार १५२०. इंदारी वसावळी- नाहडराय १, रूपदे २, मालदे ३, दूलहराव ४, जीवराज ५, भीमो ६, काकू ७, सूर ८, ईदो ९-ईदादा इँदा कहाणा । १५२१. इंदो सूररो बेटो नाहडरावजी उरै आठ पीढिया हुवो जिणरै वसरा इंदा कहावै । १५२२. सूझै पडियार ईंदारा बेटा गोपाळनै मारियो गोपाळसर गाव जठे - गोपाळ इंदारो देवळ है जाझैरीरो जुहार कहावै । १५२३ जाझरी झगडो हुवो, चित्तो वाग ग्रहह । सूजो माग झोडकी, भट गोपाळ न देह ।। १५२४ इंदो १, वीजळ २, महासिंघ ३, बूटो ४, राणो ५, भीमाळियो ६, टोहो ७ तुरका कनैसू मंडोवर रोहै ले दीधो चूडाजीनू । १५२५ गोगूदे उगूणावत जैतमाल सलखावतरो दोहितो नै रावजी चूडाजीरो सुसरो। १५२६ भीमलियारै बेटे इंदै टोहै रावजी चूडाजीनू मडोवर ले दियो । १५२७ टोहो रावत कहाणो टोहारो लाखणसी राणो कहाणो । १५२८ राणो १, वूटो २, भूमळियो ३, रावत ४, सगरामसी ५, अभूणो ६ जिण उगूणरै सगरामसीहोतनू रावळ माल टीको दियो - लाखणसी टोहावनर आठ ही बेटा कपूत हुआ जिणसू । १५२९ राणा बूटावतरो बेटो हरभू, हरभूरो लाखो वीका जोधावत साथै इंदावाटीसू बीकानेर गयो लाखो १, राजधर २, रूपसी ३, गोगादे ४, दूवो ५वीकानेर रिया रामसिंघरै जोधपुर हुतो जद इंदो दूदो गोगादेओत सीकदार हुतो । १५३० दूदारै बेटो हरदास वीकानेरसू छाड जोधपुर चाकर रह्यो पछै नबाब खानखानै माग लियो वडो डील, वडो धरमातमा, वडो पाटावध ठाकर हुतो सवत १६७७ बुरहानपुर राम कह्यो । १५३१. कानो राणो उदैसिंघरो परमार करमचदरो भाणेज । १५३२. इंदा जैतसिंघरै बेटै विजैसिंघ भगू सोढानू मारियो चारण वणि पर्छ वडलरा ऊहडारै परणियो हुतो सासरै गयो ऊहडा मार नाखियो जदसू इंदार ऊहडारै वैर छ । १५३३. कलो हरराजोत सायजादारै चाकर रह्यो। Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२] वांकीदासरी रयात [१५३४-१५४८ १५३४ कुभो हरराजोत करीमग्वार चाकर रह्यो सू इयर साय काम आयो। १५३५ दयालदास हरदासोत अमरसिंघजीर चाकर रह्यो । १५३६ कूकड़ १, केचवाळ २, देवळ ३ अ रजपूत पटियारिया रजपूता माहेसू निसरिया। १५३७ रामचद देवळा तणो राजा। १५३८ लोहियाण राणो प्रतापसिंघ देवळ, जिणरो रामचद, रामचदरो सेरसिंघ, सेरसिंघरो पन्नो छोटी-मोटी बावन कोटड़िया सुधामें देवळारी है । सोळंकी १५३९. सोळकियारे भारदवाज गोत्र, खेत्रज चामुडा दोय देवी, महिपाळ पितर, परवर तीन, खिडियो चारण, वागडियो भाट, कंडारियो ढोली । १५४० सोळकियार कुळदेवी कटेस्वरी । १५४१ वहीचरा देवी अरथ कुक्कटवहणी लोक वहचग कह ।। १५४२. सोळकियारी साखरी विगत - दारिया १, भाणगोती २, वाघेला ३, लराहा ४, वालणोत ५, वीरपुरा ६, नाथावत ७, वाराह ८, खाजीय ९ - इत्यादिक है। १५४३. सोळकियारी पीढिया लिखते - सोळ क्यिारी राजधानी मैलणपुर पाटण गुजरातमे. वागला १, सुकर २, अरजण ३, अजैसिंघ ४, देपाळ ५, मूळराज गुजरातरो राजा चावडो सामतती मामो नगो जिणनूं मार भाणेज सोळकी मूळराज अलणपुर पाटण लिवी, गुजरातरो राज लियो । १५४४ मूळराज १, दोणगिर २, राव वळ ३, भीम ४, करणसिंघ ५, राव जैसिंघ ६, ईनपाळ ७, कीरतपाळ ८, बाळपसाव ९, दहोडो १०, गोइदराज ११, कान्हडदे १२, मिहला १३ । १५४५ आगे गुजरात चावडारै हुती मावतसिंह चावडो गुजरातरो घणी जिणनू मार सोळकी मूळराज गुजरात लिवी सावतसिंघरो भाणेज मूळराज । १५४६ मूळराज १, चामुंडराव २, वलभराज ३, दुर्लभराज ४, भीमराज ५, कर्णसिंघ ६, राव जैसिंघ ७ । १५४७. भीमदेवरो खेमराज, खेमराजरो देवप्रसाद, देवप्रसादरो त्रिभुअणपाळ, त्रिभुअणपाळरो कुमारपाळ । १५४८. सिधराव जैसिंघ भीमदेवरो पोतो करणरो बेटो. इणरै मरजीरो हाथी सिकळस नामै. धजाआमे कूकड़ारो चिह्न । Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५४९-१५६५] वाघेलारी वातां । [१३३ १५४९. आडावळामे लखमीनाथ जोगी तापतो हो उणरी क्रपासू सोळकी राजा करणरी राणी कवळावतीर पुत्र सिधराव जनमियो । १५५०. सिधराव जैसिंघरी मा कजीजर तळाव खणायो, सहर बाबर वसायो, आडावळा नजीक । १५५१ जैसिंघरै पुत्र हुवो नही जद कुमारपाळ राज पायो। १५५२ सो सवत ११९९रा मगसर वद ४ पुख नखत्र सूरजवार जद अलहणपुर पाटण सोळकी कुमारपाळ सिधराव जैसिघरी गादी पायी। १५५३ सवत ११९२ कुमारपाळ जनमियो सवत १२१५ कुमारपाळ राज पायो. संवत १२३९ कुमारपाळ रामसरण हुवो । १५५४ दही थळी वारै गावासू त्रिभुअणपाळरै हती इणरो बेटो कुमारपाळ अठार देसांरो राज कियो। १५५५. सोळंकी कुमारपाळ- सात वसनरा परतला करा चढाय अठारै दिसा बाहर काढिया । १५५६. कुमारपाळ राज - रखी चवदै चमाळीस जिन मदिर कराया। वाघेला १५५७. वाघेला भीलउरा उठियोडा है । १५५८ पांच पीढी वाघेला अणहलपूर पाटण राज कियो । १५५९ वसतुपाळ तेसठ जग जीतो मोजूदीन पातसारी फौज आबूरी घाटीमें कतल कीनी जद आबूरो घणी परमार धारावरस हुतो। १५६० वसतुपाळ घोळकारा राजा वीरधमळ वाघेलारो मत्री हुवो। १५६१. वाघेला भास - नरेस कहीजै ज्यारा ठिकाणा पाच - कोठ १, पीथापूर २. गामर ३, सागर ४, गाघारी ५ । १५६२ बाधूगढ राजा रामचद वीरभाणरो वाघेलो वडो दातार हवो. च्यार कोड़पसाव एक दिन किया- नरहर महापात्रनू अक, भइया मधुसूदन नरहररो पुत्र जिणनू · , कलावत मिया तानसेननू .. । १५६३. बाबूगढरो वाघेलो राजा जैसिंघदेव जिणरी बेटी विजैकवरबाई राणा भीवसिंघरा कवर जवानसिंघजी परणिया । १५६४. विस्वनाथसिंघ, बलदेवसिंघ, लछमणसिंघ मे तीनू कवर जैसिंघदेवरै । १५६५ खानजी मोरवाड़ियो वाघेलो। Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४] चांकीदासरी ख्यात [१५६६-१५७८ वालणोत १५६६ माडळगढ आगै वालणोतां सोळकियारै हुतो । वीरपुरा १५६७ सोळकी अणहलपुर पाटणसू लूणावाड़ा कनै वीरपुर है जठ वसिया जिणसू वीरपुरा कहाणा। १५६८. लवणेस्वरी कपासू पाच सै गावामें अमल कियो पावागढरा सुतरामपुररा, रावणपुररा गांव वीरपुरा दबाया । १५६९. वीरपुरारी वेटी अवस्य पतिसहगवन कर, वर है। नाथावत १५७०. हाडोतीमे नाथावतां सोळंकियारो ठावो ठिकाणो पतारां । १५७१. हाडोतीमे नाथावतां सोळकियारो ठावो ठिकाणो पतारा है. राव राजा वडो मुलायजो राखै है । १५७२. तोडे मिहलू वास कियो. मिहलू १, दुरजणसाल २, हरराज ३, सुरताण ४, ऊदो ५, वैरो ६, ईसरदास ७, दळपतिराव ८, आणदराव ९, राव साम १०, वतन तोडडीजी। १५७३ बहूजी गोडजी कवरजी श्रीपिरथीसिंघजीरो राजलोक ज्यारो नानो राव स्याम । १५७४ राव स्यामरो राव महासिंघ जिणरा बेटारी विगत - जसवत १, भीव २, अरजण ३, हरराज ४। १५७५. सोळकियारी ख्यात लिखते सगरो १, सगरारो देवो २, देवारो त्रिभुवण ३, त्रिभुवणरो भोजो ४, भोजारो पतो ५, पतारो रायमल ६, रायमलरो सावतसी ७, सावतसीरो देवराज ८, देवराजरो वीरमदे ९, वीरमदेरो जसवत १० । १५७६ जसवत वीरमदेओतर वेटा च्यार - दळपत १, दयालदास २, अचळदास ३, चतरभुज ४ । १५७७ सोळखी रायमल पतारो पाटणथी राणा रायमल कनै आयो मेवाड माहे जद पहला भोज गांव दियो थो पछै मादड़े सोथा आल्हण अमरानू मार देसूरी लिवी। १५७८. सोळकी सावतसी रायमलोतरी बेटी मोटो राजा उदसिंघजी परणिया. सावंतसीरो दोहितो कुवर नरहरदास । Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५७९-१५९५] नाथावतारी वातां [१३५ १५७९ सोळंकी वीरमदे देवराजोत राणाजीरो चाकर पटै देसूरी हुती अक वार रावळे चाकर रहतो जद पटै धणालो दियो हो पछै राणोजी मनाय लियो। १५८०. वीरमदे सोळकीरै बेटा आठ हुवा - जसवत १, आसकरण २, सादुल ३, अखैराज ४, किसनसिंघ ५, भावसिंघ ६, हिंगोळदास ७, वीजो ८ । १५८१. जसवत बीरमदेवोतरै पटै देसूरी हुती सवत १७०२ विस हुवै मुवो। १५८२. जसवत वीरमदेवोतरै बैटा च्यार - दळपत १, दयालदास २, अचळदास ३, चतरभुज ४ । १५८३ सोळकी सादूल वीरमदेवोतनू मेरा मारियो । १५८४ सोळंकी किसनसिंघ वीरमदेवोत रावळे चाकर रहतो जद पटै मोसरो दियो हो । १५८५ किसनसिंघरै बेटा ७ – राजसी १, उरजण २, बळ् ३, पीथो ४, राघोदास ५, सूजो ६, सबळसिंघ ७ । १५८६. राघोदास काम आयो सबळसिघ काम आयो । १५८७. सोळकी गोपाळदास देवराजोतर कचरो १, कचरारो रतनो २ जसवतरै वास । १५८८ सोळकी सावळदासोत देवराजोतरै बेटा दोय -- धरमराज १, पचाइण २, पचाइणरै मोहणदास । १५८९. सोळं की खेतसी सावतसिंघोतरै राजा सूरसिंघजी परणिया कवर गजसिंघजी भाटी गोइददासजी फौज लें गया जद खेतसी सावतसिंघोत राणा अमर सिंघरै काम आयो। १५९० सोळकी सागो खेतसीरो नै सोळकी भोपत खेतसीरो राठोड रामसिंघ करमसेणोन बालीसा माथै फौज ले गयो जद भोपत राजा जगतसिंघरै काम आयो। १५९१ सोळकी पूरणमल खेतसिंघोत रावळे रहतो पछै सिरियारी दिवी हुती । १५९२ सोळकी वैरसी खेतसिंघोत रावळे चाकर । १५९३. पूरणमलरै बेटा - हरीदास १, केसोदास २ । १५९४ सोळ की वैरसीरै बेटा - सूरजमल १, उरजन २ । १५९५. सोळकी कचरो खेतसीरो प्रथीराज कचरारो, भलो रजपूत, राणाजीरै चाकर। Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६] वांकीदासरी ख्यात [ १५९६-१६०८ १५९६ सोळकी खान सावतसिंघोत सो खभणोर राणा प्रतापरै नै पातसाह अकवररै वेढ हुई जद राणाजीरै काम आयो । १५९७ हमीर सावतसिंघोत सोमेसररो धणी ।। १५९८. हमीररो राणो काधल राणारो, भोपत राणारो, मोहणदास राणारो, सहसमल राणारो, महेसदास राणारो, लाखो राणारो, कान्ह राणारो। १५९९ दुरजणसाल हमीररो दुरजणसालरा बेटा - अमरो १, सुंदरदास २, भाण ३ रतनो ४। १६०० सोळकी साकर रायमलोत जैसिंघजी साकररो. नारायणदास जैसिंघरो। १६०१ नारायणदासरा बेटारी विगत - जगमाल १ मैरा मारियो, जोधो २, भावसिंघ ३, कान्ह ४ पटै जवडिया । पंवार १६०२ परमारारै यजुरवेद माध्यदिनी साखा, वसिस्ट गोत्र, धारायसचियाय दीप देवी, मालाहेत पितर, पीपळरी पूजा। १६०३ वाकळ १, सचियाय २, सालण ३, कल्याण कुवर ४, कपादे ५, जोग ६-अ छव देवी परमारांरा वसमे हुई। १६०४ परमारारी पैतीस साख लिखते - परमार १, पाणीस २, बलसी लोदा ३, परिया ४, सुर ५, गोहलडा ६, सोढा ७, वहिया ८, जेपाळ ९, भाथी १०, ढल ११, कलोळिया १२, साखला १३, वाला १४, फागुआ १५, कछोटिया १६, टेवल १७, कूकणा १८, भाभा १९, छाहड २०, काला २१, जागार २२, पीथळिया २३, भायल २४, मोटसी २५, ऊमर २६, कालमुहा २७, दूठा २८, सूवड २९, धंध ३०, खेर ३१, डोड ३२, पेल ३३, गूगा ३४, फाबा ३५ ।। १६०५ परमार राजा श्रीहरस जिणरो बडो बेटो मुज छोटो बेटो सिंधुराजरो भोज । १६०६ करनाटकरो राजा तेलपदेव जिणा म्रणालवती वहनरा कहासु घर घर भीख मंगाय मुजनू सूली दियो। १६०७ परमार राजा मुज मत्रिया वरजता गोदावरी उलाघि करणाटकरा राजा तेलपदेव माथे गयो जगमे तेलपदेव इणनु पकड लियो भाखसीमें दियो. किताईक वरसा वहन म्रणालवतीरा कह्यासु आपरा सहरमे घर-घर भीख मगाय मुजन सूळी दियो। १६०८ रिख कपाट जडि गुफामे बैठो हुतो राजा जाय कह्यो - किंवाड खोलो. जद रिखि कह्यो - कुण है ? राजा कह्यो -हू राजा छू जद रिखि कह्यो - Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६०९-१६१९] पवारांरी वातां [१३७ राजा तो इद्र है. जद भोज कह्यो- किंवाड खोलो, हू दाता छू . जद रिखि कह्यो - दाता तो करण हुवो. भोज कह्यो - किंवाड़ खोलो, हू क्षत्रिय छू . जद रिखि कह्यो - क्षत्रिय तो अर्जुन हुवो. जद भोज कह्यो- खोलो किंवाड़. रिख कह्यो- कुण छ ? भोज कह्यो मिनख छू . जद रिखि कह्यो - मिनख तो धारापति भोज है. तो हाथ लागा विना खोलिया किंवाड़ खुल जासी यूं हीज हुवो। १६०९ सालवीनू धारारै कोटवाल कहायो- अमुको कवि भोजराज पास आयो सो पावसमें थारै घरे उण कविरो डेरो हुसी. तू कवि नही जिणसू थारो घर कविनू दिरीजै सालवी राजा कनै जाय काव्य' सुणाया कवयामि वयामि यामि च । १६१०. आबूरै धणी पाल्हण परमार सरब धातू माहे भरतरो भरियो थीतकररो वीख हुतो सू मलाय अचळेसर है. नादियो भरायो जिण विख घालणरा पापसू पाल्हणरै कोढ उघड़ियो जीददेवरो नावो लिख भराय थापित कियो जद कोढ मिटियो. । १६११. राव जगमलरो बेटो मेहाजळ जिणरा बेटारी विगत- रायमल १, पचायण २, जैतमाल ३, कान्ह ४, करण ५, परबतसिंघ ६, परबतसिंघरो सूजो ७, सूजारो लूणो ८. धीगाणे रहे। १६१२. रायमलरो बेटो केसीदास राणाजीरै चाकर । १६१३. पचायणरो लिखमण जाळोर रहै । १६१४. कन्हरै केसरीसिंघ । १६१५. परमार मालदेरो सादूळ जिण सार्लरै बेटो रायसलरा बेटारी विगत' - जुझारसिंघ १, गजसिंघ २, अजबसिंघ ३, बखतसिंघ ४, आणदसिंघ ५, केसरीसिंध ६। १६१६. परमार आणदसिंघनू राठोड गिरधरसिंघ करमसिंघोत मारियो राणाजीरी धरतीमें। १६१७. परमार सत्रसाल सादूळरो। १६१८ परमार कलो मालदेओत जिणरा बेटारी विगत - रामचद १, भानीदास २, गोइददास ३, किसनदास ४, भगवानदास ५, वीठलदास ६, सामदास ७। १६१९. मालदेरै वडो बेटो कलो । Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . १३८]. वांकीदासरी ख्यात [ १६२०-१६३३ १६२०. भानीदास कलावतरा वेटारी विगत - नारायणदास १, नरवद २, अखैसिंघ३, मेवाड माहे छै, सूरसिघ घोड़ारो चाकर देईदास जगरूप मेवाड़ माहे छै । १६२१ परमार आसकरण मालदेरो अऊत गयो । १६२२ परमार सुजाणसिंघ मालदेरो काम आयो कछवाहा मानसू वेढ हुई जठ। १६२३ परमार रावत जैसो पचायणरो जिणरै ठाकुराई जैतरै हुती. पुत्र किणर ई हुवो नही । १६२४ परमार रावत उदैसिंघ पचायणोत जैसा पछै पाट पायो संवत १६५२ रा सावण सुद १ । १६२५ रणथभोर चहुवाण हमीरदेव साको कियो । १६२६ परमारांरी ख्यात – रावत सागो १, उणरो रावत महपो २, उणरो रावत राघो ३, उणरो रावत करमचद ४, उणरो पचायण ५, राजा कछवाहा मानरो नानो । १६२७ सवत १५८९ विक्रमादीतजीतूं चितोड़ पळटियो जद जैठ सुदी २ पचायण काम आयो। १६२८ पचायणरो रावत मालदे पातंसाहसू छाड राणा उदैसिंघरै वसियो, जाजपुर राणाजी पटै दियो। १६२९ सादूळ माळदेरो सागो ही माळदेरो जिणरी बेटी सूरजसिंघजी अराई जाय परणिया इणरी दोहिती आसकवरवाई। १६३० परमार सादूळ मालदेरो जिण श्रीनगर वसायो पातसाह जहागीर अजमेररो सोवो इणनू दियो. सीसोदियो भीम अमरसिंघोतरा कहणासू साहजादा खुरमरी आण मे वापराअजमेरय खुरम सामल हुवो। १६३१ सादूळरै रायसल. रायसलर जुझारसिंह श्रीनगररो धणी १, रायसल २ । १६३२ श्रीनगररो राजा परवतराज कहावै आग लाख पायदळरी ठकुराई हुती पहाडमे राजा उमराव सरव झपानमे बैसै वासरी करड़ी झपान कहावै. च्यार जणा उपाडै । १६३३. परमार राजा कलसाह धारा नगरीसू उठ कमाऊरो राजा लखमीचंद जिणरी चाकरीमें रह्यो लिखमीचद लोहवोगढ इणनूं पटै दियो पछै कलसाहवे फरमावरदार होय कमाऊरी आधी धरती दबायी, लोहयोगढ अपणायो. गढ़वार कहीजै । Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३३४-१६४५ ] पवारांरी वातां [ १३९ १६३४. कलसाहरा वंसमे महीपतसाह हुवो जिणरी राणी चहुवाण करणावती जिण पातसाहांरा उमरावा नीजाबतखा पहाडा माथै आयो, तुरकांरा नाक काटिया जिणसू नकटी राणी कहाणी. करणावती महीपतसाह मर गयो हो, बेटो छोटो हो, जद करणावती फतैसिंघ १६३५. कलसाहसू चोथी पीढी सहजसाह हुवो जिण श्रीनगर वसायो । १६३६. कमाऊरो राजा गुसाई कहावे । १६३७. परमार राजा दूलहराव उजीणसू उठ भोजपुर वसियो. भोजपुर पटणा उर कोस पचीस । सांखला १६३८ परमार चाहडरावरै घरवासै अपछरा हुती जिणसूं बेटा दोय इणरै हुवा सो दोने बाघवां सख वजायो जिणासू वाघरे वसरा साखला कहाणा । १६३९ परमार चाहडदेरा बेटा दोय - अक सोढो, दूजो साखलो. बेटी मायदे सत हुई । १६४० तीजी बेटी देवी कल्याणकुवर अपछरासू हुई । १६४१ रासीसर साखलो खीमसी रायसलरो बेटो रहे. दहिया जागळू राज करें. दहियारो ब्रामण गूजरगोड केसो है जिग दहियानै कहियो - थे कहो तो हू जांगळू अमकै ठिकाणै तळाई खिणाऊ दहिया कह्यो - अमको ठिकाणो तो घोड़ा दौडाबारी सराडो है, अठै तळाई मत खिणाव जद खीमसी साखलासू केसो मिलियो खीमसी कनैसू दहिया मराय जांगळू खीमसीरो अमल करायो. पर्छ केसो केसोतळाई जागळू खिणायी रायसल रो खीमसी चरूसू गाळ गाळ जिण वीठूनू दोयड पसाव दिया, पोळपात थापियो इणरी बेटी ऊमा गढ गागरण खीची अचळदासनू परणायी । १६४२. खीमसीरो कवरसी, कवरसीरो जैसो, जैसारो मूजो, मूजारो ऊदो, ऊदासू साखला पतळा पड़िया । सोदा १६४३. परमार धरापसावरो बेटो आसराव जिणरै वसरा सोढा पारकरा दूजो बेटो धरापसावरो दूजणसल जिणरै वसरा सोढा घाटेचा । १६४४. पारकरा सोढा ज्यारै प्रोळपात मिहड १६४५. सुबेरामे पुरलांरै गांव ७०० है धणी परमार राणो पदवी राणा रतनसिंघनू वागडियै चहुवाण उदेसिंघ मारियो गंभीरसिंघरा वैरमे परमार मदनसिंघनूं राणो कियो । Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४० ] वांकीदासरी ख्यात १६४६. पारकर राणो चंदण गोईंदरावरो वाघेलारो भाणेज । १६४७. दूहो पडे छवाहड़ पाच सी, सोढा वीसा सात । अकण तीतर वासते, इण राखी अखियात ॥ [ १६४६-१६६० १६४८ छवाहडांनूं मार पारकरा सोढा मूळी लीघी । १६४९ मूळीरै घणी रतन सोढै उवा साथ विया विचै परवत मीसणनै दीनो, पचास लाख नगद, पचास लाख भरणो । १६५०. ऊमरकोटरा सोढा पदवी राणा ज्यारी परियावळी - राणो गागो चांपारो, पातो गागारो, चंद्रसेण पातारो, महाराजा सूरजसिंघजी राणा चंद्रसेण रै परणिया हुता, भोजराज चद्रसेणरो, ईसरदास भोजराजरो सवत १७१० रा भादवामे भाटी रावळ सवळसिंघ ईसरदासने ऊमरकोट मांहेसू काढियो. सोढा जैसिंघदेने ऊमरकोट राणो कियो । १६५१ गागो १, मानसिंघ २, जोघो ३, जैसिंघदे ४, राणा गांगारो पड़पोतो जैसिंघदै । १६५२. सोढो रतनसी राणा गागारो जिणरी बेटी भाटी रावळ मनोहरदास परणियो । १६५३ सोढो करण राणा चांपारो तिणरो खीवो, खीवारो भाणो, भाणारी मनोहरदास - पातसाही चाकर, ऊमरकोट परसोरण जठै रहे । १६५४ गोडै चापारै गळे सोढा तणी सरम । १६५५ ऊमरकोट सोढा सुरताण ज्यांरो ठिकाणो छाछरो १, फागलियो २ । १६५६. सोढा भोजराज ज्यारा ठिकाणा तीन - छोळ १, खुहडा २, ठिगारी ३ - अ । १६५७ सोढा गागदास ज्यारा ठिकाणा व्यार - राडरातो कोटू खीपरो मुथूण २, अवरसिया ३ | १६५८ सोढारा ठिकाणा पाच - सुरताण उवुल वार सोढा राम ज्यारा छै । १६५९ अक दिन घोड़ा सातवीस ऊमरकोट राणै खीमरा चोपडा मइयानू दिया विसूरीजी । १६६०. वीरवावरा सोढारी पीढी - कावल १, कांधल राम २, रामरो मनहर ३, मनहररो नोतो ४, नोतारो सतो ५, संतारो वीजो ६, वीजारो मोडो ७, मोडारो पजो ८ - ओ हमै वीरवावरो सिरदार है । Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६१-१६६८] चौहाणारी वातां [१४१ १६६१. मनहररो पांचो, पांचारो अजो, अजारो जेहो जिण सताजी कनांसू गोडीजी लिया, विरावाव लिवी। १६६२. पछै मोडाजी सताजीरै पोते जेहाजीनूं जेहाजीरा बेटा दुरगजी हाथीजीनू मारियो वीरावाव. गोडिया रस माथनू लिया जगतसिंघ चहुवाणनू मदत आने। . १६६३. प्रछ सोढो तेजमालजी हारो भतीज सहेत यह राणे सोढा वाकीजोरै सरण गयो वीरवावसू निसरनै । १६६४. गोडीजी इष्ट सोढारै जिणसू वीरवाव' कोटमे मद-मांस वापर नही. जेहा सोढारो बेटो हाथी गुडै सूरजमल राणारी बेटी परणियो हो अक दिन सूरजमलरी बेटी बोली मोनू म्हारै बाप वाणियानू परणायी उण दिनसूं हाथी मद-मांस छान आपरै महलमे वपरायो जेहाजी माथै गोडीजी कोपिया नै मोडजी खानपुर हुता उठसू पत्र दियो पछै जेहाजीनू मार मोडजी वीरवाव लियो। भायला पंवार १६६५. भायल पदमसीरो सजन वडो रजपूत हुवो सीधल चापारी बहू देवडी इणरा घर माहे पैठी पछ किताहीक वरसां माहोमाह लड़ चापारे हाथ सजन रह्यो, सजनरै हाथ चापो रह्यो. देवडी सती हुई हाथ वाढ नै चापार धड़मे नाखियो नै वळी सजनरै साथै । १६६६. सिवाणे सजनरा गिर छै सजनरै रावळ, चहुवाण सिवाणारो राव सातल जिणरो दोहितो इण अलाउद्दीनसू मिल सिवाणो मिळायो पातसाह सिवाणो इणनू दियो पछै रावळनू पातसाह मरायो । चौहाण १६६७. चहुवाणारी चोईस साख लिखते - हाडो १, खीची २, सोनगरो ३, बाली ४, सोभादर ५, चोमालहण ६, गोरवाळ ७, भदोरिया ८, मीरवाण ९, वाकुर १०, चील ११, थेथा १२, दूदळोत १३, सेपटा १४, गरावा १५, पबइया १६, पावचो १७, सतवाळ १८, चाभुलेया १९, खेवर २०, चाहिल २१, मोहिल २२, भडारी २३ वाणियामें, चीतामेर २४ राठोडारा भाट रामचद कनै लिखी। १६६८. सोनगरा माहेसू देवडा निसरिया देवडां माहेसू वोड़ा निसरिया. वालोत २, चीवा ३, अबीह ४-औ खापा निसरी । Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४२] वांकीदासरी ख्यात [१६६९-१६८४ १६६९. चहुवाणांरै कुळदेवी अवाय है,माणकदे चहुवाणनू साख भरी. तूठी लाखणसीनू. आसापूरी तूठी जदसू लाखणसीरा आसापूरानू पूजे है। १६७०. सवत १६०८ सांभर चहुवाण माणक हुवो। १६७१. संवत ८२२ वीसळदे चहुवाण अजमेर पाट बैठो। १६७२. वीरपाळ साहरी बेटी गौरज्या विधवा वरस तेरहरी पुसकरजी ऊपर तप करती. नवे वरस च्यार हुवा जद जवरीसुं वीसळदे इणसू रत कियो. गोरज्या वाणियाणीर पुत्र वीसळ देसू हुवो नाव आनो. गोरज्यारा सरापसू वीसळदे सकस हुवो। १६७३. प्रथीराजरा सामत ज्यामें दोय सावत खीची - पीळपीजर १, प्रसंगराव २।। १६७४. हम्मीरदेव रणथभोररा किलामे लड़े जद हमीरदेवरा उमराव रणमल १, प्रतापसी २, पातल ३, चाहडदे ४, इत्यादिक अलाउद्दीनसूमिल गढसू निसर अलाउद्दीन कनै आया हमीरदेव काम आया. पछै अलाउद्दीन आनू मराय नाखिया । १६७५. चोहाण गोगाजीरी मा वाछगंदे, पिता जीवराज, घोड़ो नीलो, हरद देवरो। १६७६. खीचियारै वारठ नाथू, मोठियो ढोली, प्रोहित काथड़ियो, भाट तिलवाडियो, आसापूरा देवी। १६७७ राघोगढ १, बजरंगगढ २, खिलचीपुरो ३ - खीचियारा ठिकाणा। १६७८. खिलचीपुररो खीची दिवाण कहीजतो। राघोगढरो खीची राजा कहीजतो। १६७९. खीचिया' • • पको कोट करायो हो, पछै उवा पथररो पको कोट करायो हो. पाछै उवा पथररो पको कोट फळोधी हमीर नरावत करायो। १६८०. खीची थारू जायलसूमे तीन कोट कराया. खीची गोपाळदास । १६८१. मोटा राजारी वेटी जतसिंघरी वहन परणियो । १६८२. खीची सारगदेरो जीदराव बारूरॉ वुधारो भाणेज। १६८३ जावल खीची गोरधन वायारो व्याव कियो जद चारणा कह्यो- पा कर गीत कहो ज्यामें जायल ठिकाणो वरस गुणचाळीसौ डायज हाथी दियो इतो वरणन जरूर करसी। १६८४ गांगुरणरो धणी खीची भोज जिणरै राणी सकळादे जिणसू अचळदास पुत्र प्रगट हो। Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौहाणारी वातां १६८५-१६९५ ] १६८५. खीची अचळदासरी मा सलहदे । १६८६. राणा मोकळरी बेटी पोहपावती अचळदास खीचीरो राजलोक । १६८७. मांडवरो पातसाह महमूद बेगडो माथै आयो जद संवत १४८२ खीची अचळ - दास गढ गागरण साको कियो । १६८८. खीची अचळदास राणी पोहपावती चितोडरा राणा मोकल लाखावतरी बेटी । १६८९. चापो १, माधो २, सादो ३- अं चारण अचळदास कनै घेरामें । १६९० गागो १, तिलोकसी २- दोय वाणिया अचळदास कनै राऊ १, सेऊ २ - अ डूब घेरा । [ १४३ १६९१. पीपाजूके वंसमें, पीपा सम नृप लाल । भरम भजावै के प्रगट, केहरि बुद्धि विसाळ ॥ १६९२. खीची राजा केहरिसिंघ भाखा ग्रंथ सीतारामचरित्र नामा अठारे प्रबंध करि बणायो. रामायणरी कथा है । हाडा चौहाण १६९३ हाडारी पीढिया लिखते - सोमेसर १, प्रथीराज २, जोधो ३, हाडो ४, ब्रह्मपाळ ५, माणकराव ६, अणखपाळ ७, साधारण ८, विजैपाळ ९, वाघो १०, बूदी वाघै लिवी वाघारो देवो ११, केलण १२, केलणनू तूठो केदार समरसी १३, पटो १४, हामो १५, वरसिंघ १६, वैरो १७, भाडो १८, नरवद १९, अरजुण २०, सुरजण २१, भोज २२, रतन २३, गोपीनाथ २४, चत्रसाळ २५, - भावसिंघ २६, अनिरूधसंघ २७, बुद्धसंघ २८, उमेदसिंघ २९, अजीतसिंघ विसनसिंघ ३१, रामसिंघ ३२ । ༣༠. १६९४. हाडारी वसावळी लिखते - चहुवाण राजा सोमेसर १, प्रथीराज २, जोघो ३, हाड ४, हाडाथी हाडा कहाया. हाडारो ब्रह्मपाल ५, माणकराव ६, अणखपाळ ७, साधारण ८, विजेपाळ ९, वाघो १०, बूदी वाघो वसियो. बाघारो देवो ११, केलण १२, समरसी १३, पटो १४, हामो १५, वरसिंघ १६, वैरो भाडो १८, नरवद १९, अरजुण २०, सुरजण २१, भोज २२, रतन २३, गोपीनाथ २४, चत्रसाळ २५, भावसिंघ २६, अनरूपसिंघ २७, बुधसिंघ २८, उमेदसिंघ २९, अजीतसिंघ ३०, विसनसिंघ ३१, रामसिंघ ३२ । १६९५. राव भाडारा बेटारी विगत - नरवद १, नराणदास २, साडो ३, नरसिंघ ४अ च्यारूं भाई अंक माया । Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४] वांकीदासरी ख्यात [१६९६-१७०८० १६९६ बूंदी राव भाडारो १, नारायणदास २, सूरजमळ ३, प्रथीराज ४. भांडा दुख दियो जिणसू हाडा प्रथीराजनू गादीसू दूर कियो । १६९७ हाडो राव नरवद भांडावत गोड़ मोटमरावरो दोहितो। १६९८ बूदीराव नरवद भाडवतरा बेटारी विगत - उरजण १, भीम २, अखैराज ३, पूरो ४, हरराज ५, मोकळ ६-औ छव वेटा नरवदरै बेटी करमावती चितोड़ सागा राणानू परणायी। १६९९ औ सातू सूरजमल खेमावतरा दोहिता। १७०० वूदीराव नारायणदासरो बडो भाई नरवद, नरवदरो उरजण । १७०१ राव हाडा नाराणदास भाडावत जोधपुर सावतसी जोधावतरी बेटी खेतूवाई परणियो खेतूवाईरो वेटो सूरजमल राणा रतनसीनू मार मुवो। १७०२. सूर १, मलो २ - मै दोय सोलंकी, असोकमल परमार चहुवाण पूरवियो पूरणमल अंक पग माहेसू सांकळारो काढणहार राणो रतनसी ४-इता, मार हाडो सूरजमल मुवो।। भळको लीघो भूखियो, चाव करै चहुवाण। सूजै धनस सभाळियो, अत समै अवसाण ॥ १७०३ भूखियो भळको ओ ही त्रियाबियो कहीजतो। १७०४ सूरजमल नाराणदासोतरो वेटो प्रयीराज बूदी राव जिण उथप हाडां अरजण नरवदोत वूदी राव कियो। १७०५ हाडो राव उरजण नरवदोत' देवळियो सीसोदियो सूरजमल खीमावत जिणरो दोहितो। १७०६. हाडा राव उरजणजीरै बेटारी विगत - सुरजण १, रामजी २, काधल ३, अखैराज ४। १७०७ हाडे सांवत सेरसाहरी असवारीरो घोड़ो मैणा कनै चुराय मगायो. पातसाह खवर पाय हाडोती माथै आयो सावत मरण माडियो. पर्छ बूंधळीमलजी वर दियो-तू जाय नै सेरसाहरी फौजमें तरवार चलाय, फौज बिगड़ जासी यूं हीज हुवो जद सेरसाहर समररा जैतवार - ओ विरद हुवो सावतरानू । १७०८. राव सुरजण उरजणोत गहलोतारो भाणेज । Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७०९-१७२१] चौहाणारी वातां [१४५ १७०९. संवत १६२५ पातसाह अकबरनू सुरजण रणथभोर सूपवी। १७१०. राव सुरजणरा वेटारी विगत – दूदो १, भोज २, रायमल ३ । १७११. दूदो सुरजणोत चापावत जैसिंघ भैइदासोतरो दोहितो राव सुरजनरै कवर दूदो वडै डील वडो रजपूत हुतो उणनू उणरा झारीवरदार बिरामण जिगर हाथ कवर भोज सुरजणोत जहर दिरायो दूदारै बेटो नरहरदास । १७१२ बूदी राव सुरजण जिणरो वडो कवर दूदो जिणनू विख दे कंवर भोज मरायो राव सुरजण उदास रूप कासी गयो मणकरणकामें सिनान करता देह तजियो। १७१३ हाडा कवर दूदा सुरजणोतनू पातसाह अकबर सिरपाव दियो । १७१४. राव भोज सुरजणोत अहाडा राव जगमाल उदैसिंघोतरो दोहितो। १७१५. संवत १६६० पातसाह अकबररी मा मुयी आगरा माहे जद सारा राजा राव भद्र हुवा. राव भोज हाडौ नै राव दुरगो चद्रावत औ भदर हुवा नहीं। १७१६ बूदी राव भोज वडो अडपदार सिरदार हुवो हाथीरो वडो असवार हुतो. पातसाहरा मसत हाथी किणीसू ही पकडीजता नही उवां हाथी राव भोज चढतो अकवर ज्यू । १७१७. राव भोज सुरजणोतरा बेटारी विगत – रतन १, रिदैनारायण २, केसोदास ३, मनोहरदास ४- अ च्यार बेटा भोज सुरजणोतरा । १७१८. राव रतन भोजरो बालोत सोळंकी ज्यारो भाणेज । १७१९. रावराजा रतन राव भोजरो बेटो बूदी वडो ठाकुर हुतो साहजादो खुरम पातसाह जहागीरसू वागी हुवो जद संवत १६८० साहजादो परवेज नै नबाब महोबतखां बुरहानपुरसू पूरवनू रवाना हुवा खुरमनू हरावण तद बुरहानपुररो सूबो राव रतनन भोळायो पचहजारी मनसब दियो तदसू ठाकुराई बूदीरी वधी. पछे वादसाहजी दिखणमें खानजहा लारै बुरहानपुर गया सवत १६८७ बालासुर माहे राव रतन रामसरण हुवो। १७२०. कवर गोपीनाथ राव रतनरो कछवाहा भगवानदास भारमलोतरो दोहितो। १७२१ कवर गोपीनाथ राव रतनरो राव बैठा राम कह्यो राव सत्रसाल गोपी नाथोत राव रतन आप बैठा इणनू रावाई दिवी. पातसाह बूदीरो टीको सत्रसालनू दियो राव रतनरी अरजसू सवत १६६३. राव सत्रसालरा बेटारी विगत । Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४६] चांकीदासरी ख्यात [ १७२२-१७३६ १७२२. कवर गोपीनाथरै वेटा - सत्रसाल १, राजसिंघ २, इंदरसाल ३, महोकम ४, महासिंघ ५, वैरीसाल ६, सूरजी ७, केसरीसिंघ ८, स्यामसिंघ ९, काकील काम आया। १७२३ राव चत्रसाल गोपीनाथोत सुनेर सोळकिया भिलै ज्यारो दोहितो। १७२४ वूदीरो धणी हाडो चतरसाल गोपीनाथोत सवत १६६२रा आसोज सुद १५ जनम संवत १७१४ जेठ सुद ८ आगरासू नजदीक धोलपुर वेढ़ हुई साहजादा दारासाहरै नै औरगजेबरै जद दारासाह साथै हुतो राव चत्रसालं औरगजेवसू लड काम आयो। १७२५ छव सतिया हुई राणिया. खवासा ३४ सती हुई. चत्रसालरी राजलोकां वासे रही ज्यारी विगत - जादम भारथसिंघरी मा १, सीसोदणी वहजी __ हाडीजीरी मा २, कछवाही भगवतसिहजीरी मा ३।। १७२६ हाडो भारथसिंघ चत्रसालोत चत्रसाल साथै काम आयो । १७२७. बूदी रावराजा चत्रसालजीरो करायोड़ो महल चत्रमहल कहावै । १७२८ सत्रसालरा वेटारी विगत - भावसिंघ १, भीव २, भगवंतसिंघ ३, भारथसिंघ ४ भावसिंघ राठोड़ारो भाणेज, भगवतसिंघ नरूकारो भाणेज, भारथसिंघ यादवारो भाणेज । १७२९ वूदीरो धणी रावराजा सत्रसालजी ज्यारी बेटी कल्याणबाई महाराज ___जसवतसिंघजी परणिया सासरारो नाव जसवतदेजी ज्या कल्याणसागर तळाव करायो नाव श्रीमाळियारो नाड (?) दियो । १७३० वूदी रावराजा भावसिंघ राणा जगतसिंघरो दोहितो । १७३१. रावराजा भावसिंघ चत्रसालोत राठोड़ दळपत राजा उदैसिंघ सालदेवोतरो जिणरो दोहितो। १७३२ वूदी अजे रावराजा भावसिंधजीरी आण कहीजै । १७३३ रावराजा बुधसिंघ अनरूपसिंघोत नाथावत सोळकी ज्यारो भाणेज । १७३४ रावराजा उमेदसिंघजी १, दीपसिंघजी २, दीपकवरवाई ३ - तीनू वेगमरा घणीरा भाणेज। १७३५. रावराजा उमेदसिंघ वुधसिंघोत वेगमरा चूडावतारो भाणेज । - १७३६. रावराजा उमेदसिंघजी जोधपुर परणिया आया जद चवदा दिन नोलक रह्या दिन पाच फतैमहलमें रह्या. दिन ११ तळेटी रह्या। ... Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१४७ १७३७-१७४४] चौहाणारी वातां १७३७. ईसरीसिंघजी पाट बैठा जद हाडा रावराजा उमेदसिंघजी बूदीमे अमल कर जैपुररो नायब नारायणराव जिणसू जग कियो पैली जैपुररी फौज भागी पछै उणियारारै रावराजा सिरदारसिंघजी घोडारी वाग उपाडी उमेदसिंघ रावराजारो लोक काम आयो, पग हाडारा छूटा. घोडो· · · · · रावराजा . उमेदसिंघजीरो काम आयो । १७३८ उमेदसिंघजी तेरै घोडासू इदरगढ गया देवीसिंघ इदरगढरो धणी सत्रु वहे निवडियो बूदी अपणाय देवीरी पूजारै मिस कबीला सहित इणनू उमेदसिघ मारियो । १७३९. विखा माहे रावराजा उमेदसिघजी हा जद ईडरिया राठोडा डोळो मेलियो. ओ पैलो व्याव उमेदसिंघजी कियो । १७४० श्री जी उमेदसिंघजी देसूरी सैल करण पधारता जद भमरा वा कीपलारी कावड़ा जळेब वैती गावरा डावडा मागता ज्यानै कीपला भमरा दिरीजता। १७४१ सिलामयीरो नै गोविंददेवजीरो दरसण कुंवर उमेदसिंघजी जैपुर पधारिया. महाराज प्रतापसिंघजी सामा पधारिया सनान कर अपर्समे होय गोविंददेवजीरो दरसण कियो फूल ठाकुरजीनू चढावण श्री जी वागमें गया, साथ महाराजा प्रतापसिंघजी जद श्रीजी आकोडियासू वक्षरी डाळ नमायी, फल प्रतापसिंघजी वीण लिया जद श्रीजी बोलिया कयाहीक दिना फल भुगतियो वीण तो प्रतापसिंघजी कह्यो - म्हारै तो आप ईसरीसिंघजी माधोसिघजीरै ठिकाणे हो। १७४२ कापणरो महाराजा दीपसिंघजी जिकारी बेटी प्रतापसिंघजी परणिया श्रीजीरै भतीजी जिणसू मिलण श्रीजी जैपुररा रावळामे पधारिया. प्रतापसिंघजीरी राणिया सरबनै उमदा पौसाक दिवी सारी राणिया श्रीजीरो दरसण कियो छोटा भाईरी बेटीरै माथै हाथ फेरियो। १७४३ प्रतापसिंघजी श्रीजीरै डेरै आय कह्यो - आप कहो तो कोटा-बूंदी माथै '' - फौज ले हू आपरै सग चालू श्रीजी कह्यो - इण कामसू तो म्हारा धोळामें धूळ पडै, दोनू ठिकाणा दोनू म्हारा पोता है जिका माथै काई कोप करू ? “१७४४ पूरबरा तीरथ कर श्रीजी बूदी पधारिया जद केदारनाथजी कनै आपरा डेरा उठासू प्यादल थका काधै गगाजळरी कावड लिवी, पगामे खडाऊ, हाथमें आसो सरब परिगह सहित रगनाथजीरै मदिर पधारिया रगनाथजीनूं . गगा-जळ चढावणनू । Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૫૮ } वांकीदासरी स्यात [ १७४५-१७५९ १७४५ श्रीजी साहब देव पूजता आ निसचै नही, आरै मुख इस्ट कुण देवता है ? अक दिन रगनाथजीनू श्रीजी पुसप चढावे है, पोतो रावराजा छानो थको लारै ऊभो जद दुरगारो मत्र पढ नै श्रीजी तुळसी दल रंगनाथजीनू चढायो पर्छ देखे तो पोतो ऊभो है जद फुरमाया - भगतियाने मंत्र सुणियो कांई ? आ अरज किवी - सुनियो आप फुरमाया - विखामे में ओ इस्ट धारण कियो हो, पाचूही देव अक करि जाणां छा । १७४६ उमेदसिंघजीरै आठ राणिया हुई । १७४७ रावराजा उमेदसिंघजीरा कवर अजीतसिंघजी, वहादुरसिंघजी दोनू रासरो धणी ऊदावत केसरीसिंघजी जिणरा भाणेज । १७४८ अजीतसिंघजी, वहादुरसिंघजी दोनू रावराजा उमेदसिंघजीरा बेटा रासरा ऊदावत केसरीसिघजीरा भाणेज । १७४९ वळवतसिंघजी वहादुरसिंघजीरो बेटो केसोरायजी पाटण कोटा वाळा चूक कर मारियो । १७५० उमेदसिंघजीर बेटा मिरदारसिंघजी, रायसिंघजी ईडररा धणी जिणरा दोहिता । १७५१ रावराजा अजीतसिंघ उमेदसिंघोत वांसवाळारा रावळरो दोहितो । १७५२ हाडै रावराजा अजीतसिंघ अड़सी राणानू मारियो सो प्रसग लिखते. लालस पीरदान कह्यो हुई सर चेलो अल्लारो वारटनू । १७५३ अजीतसिंघजीरी वूहरे यी वरछी दे मारियो सू राणारी पीठ फोड़ छाती फोड़ घोडाका धेरै आणी वरछी लागा राणो बोलियो कीका लागां. जद की धाभाई अजीतसिंघजी माथै तरवार चलायी अजीतसिंघजीरो कमरaat कट चीलगत कट अजीतसिंघजीरै पसवाडारै खाणी । १७५४ अजीतसिंघजीरी तरवारसू कीकारा घोड़ारो पग कटाणो । १७५५ रावराजा पदवी अजीतसिंघजी तीन वरस भोगवी पछै राम-सरण हुवा | १७५६ रावराजा विसनसंघ वासवाळारा रावळरो दोहितो । १७५७ रावराजा रामसिंघ विसनसिंघोत किसनगढरा राजा प्रतापसिंघ वहादुरसिंघोतरो दोहितो । १७५८. हाडो हालू हरराजरो आंरै रजपूत हुवो । १७५९ वूदी डावी मिसल नाथावतां सोळकियारी जीवणी मिसल हाडारी । Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७६०-१७७३] चौहाणारी वातां [ १४२ १७६०. बूदी मीरांजी जागतो पीर है. राव घणी मानता राखै जिणसू बूदीरा राव आगै सूर खावता. विखामे श्रीजी सूर खायो जिणसू हमै बूदी राव सूर खावै है। १७६१. हाडो राव बूदी तखत बैठो सो दारू न पीदै, भाई बेटा दारू पीवै । १७६२ सथूर बूदी कनै स्थान जठे अदंतिका देवी विराजै है । १७६३. आगै बूदीरा रावराजा नवाब दरियाखारा नगारा खोस लिया अकरो नांव वैरीसाल, दूजा नगारारो नांव रणजीत केसरिया निसाण उण नबाबरो लियो जदसू बूदी केसरिया निसाण रहै है । १७६४. बूदी तळहटीरा महला विवाहादिक महोत्सव हुवै । १७६५. कोटारा महारावारी पीढिया लिखते - राव रतन १, माधोसिंघ २, मुकुंद सिंघ ३, किसोरसिंघ ४, रामसिघ ५, भीमसिंघ ६, दुरजणसाल ७, चत्रसाल ८, अजीतसिंघ ९, गुमानसिंघ १०, उमेदसिंघ ११, किसोरसिंघ १२ । १७६६. कोटारा महारावरी पीढि लिखते - राव रतन १, माधोसिघ २, मुकदसिंघ ३, किसोरसिंघ ४, रामसिंघ ५, भीवसिंघ ६, दुरजणसाल ७, सत्रसाल ८, अजीतसिह ९, गुमानसिंघ १०, उमेदसिंघ ११, किसोरसिंघ १२ ।। १७६७ माधोसिंघ राव रतनरो रावजी बैठा पातसाहरी चाकरी लागी. रावजी काळ कियो जद कोटो. पलाइतो पातसाहजी दियो सवत १६५६रा जेठ वद ३ जनम । १७६८. राव माधोसिंघरा बेटारी विगत - मुकदसिंघ १, मोवणसिंघ २, जुझार सिंघ ३, राम ४, सूरसिंघ ५, राणो उमेदसिंघ ६ उदैपुर वसायो, उदैसागर तळाव करायो. सवत १६२८रा फागुण १५ राम कह्यो राण उमेदसिंघ । १७६९. हाडो मोवणसिंघ माधोसिंघोत जिणरा वेटा पाच कछवाहा मारिया । १७७०. महा बूदी हेटेसू कोटा हेटै महाराव जीवसिंघजी घालियो । १७७१ इण तरै महाराज अजीतसिंघजी कोटै रावराजा दुरजसिंघजीरी गादी कोटे महाराव हुवो। १७७२ चत्रसालजीरो बेटो न हुवो जद चत्रसालजीरी गादी चत्रसालजीरो भाई गुमानसिंघजी बैठो। १७७३ महाराजकवार फतैसिंघजी जोधपुरसू पधार कोटै गुमानसिंघजी महारावरी बेटी परणिया महाराव त्याग आछो चारणा-भाटा। दियो घणा घोडा सिरपाव दिया. जस लियो। Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५०] वांकीदासरी स्यात [१७७४-१७८४ १७७४ रामदत्त नै विजमाणक दोनू हाथी कोटारा महाराव गुमानसिंघजीरा लड़िया। १७७५ अजीतसिंघजीरो तीजो बैटो सरूपसिंघजी अणतै रह्यो । १७७६. धधवाड़िया भोपतरामनू कोटार माहरावजी कोटासू तीन कोस गाव कोटड़ी, ___ तीन हजार घरारी वसती, उवा तावापतर कर दिवी. कोटारा राजमें जालमसिंघ पहला भोपतराम मुसाहिब हुतो।। १७७७ दिखणियांरी फौजसू जगमे भागो सायद – भोपड़ो गूधरा तोड़ भागो। सोनगरा १७७८ चहुवाण कान्हड़दे सावतसिंघरो वेटो जिण संवत १३६८ वैसाख सुद६ गुरुवार जाळोरगढ साको कियो। १७७९ सवत १३५६ सोनिगरै कान्हडदे साको कियो जाळोर अलाउदीन लियो जद। १७८० साचोर १, थिराद २, काकरणधर ३, वाराही ४, कछ ५, गेहडी ६, ऊमरकोट ७, वीकमपुर ८, जेसळमेर ९, वधनोर १०, पारकर ११, पूगळ १२, मारोठ १३, साळकोट १४, जांगळू १५, जाजासहर १६, सारण १७, हासेर १८, वावरो १९, सोजत २०, डोडियाळ २१, रीणक २२, काछेल २३, त्रिसीगडो २४, आव २५, भीलडी २६, सिवाणो २७, तारंगो २८, राडद्रह २९, सूधो ३०, मेहवो ३१, भाद्राजण ३२, मंडोवर ३३, सूराचंद ३४ - इत्यादिक ठिकाणासू कान्हड़दे भड तेडाया। १७८१ सोनगरा कान्हडदेसू जाळोररा महाजनां अरज कीवी. रामो साफड़ियो वोलियो - मूग चोखा जव काठा गेहू साठ वरस ताई हू पूरीस.जैतसी दोसी कहै - कपडा साठ वरस हूं पूरीस. भोळे साह कह्यो - असी वरस तेल हूं पूरीस मोलहण साह बोलियो-तीस वरस ईधण हू पूरीस भीमैसाह कह्योम्हारै इतो गुळ है, अठारै वरस ताई ढीकली गुळरा हीज गोळा चलावो. सादूसाह कह - म्हारै व्हीरा पहल भरिया है। १७८२ जाळोररो गढ दहिये वीकै भेळायो अलाउदीनरा नायबांसू मिलने । १७८३. सोनगरा कान्हडदेरै भड- भाई मालदे १, वेटो वीरमदे २, जैत वाघेलो ३, जैत देवडो ४, लूणकरण माल्हण ५, सोभित देवडो ६, अजैसी ७, सहज पाळ ८ - इत्यादिक । १७८४. वीरमदे वांस सुण काज, अउठ दिहाडा कीघो राज। .............॥ Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७८५-१७९३ ] चौहाणारी वाता मुवा न मूकै माण 1 तणो विसलहू आण | जळ तिरिया परवाण । दूजो अह परमाण || अबराजा, अबराजारो खेमसी, खेमसीरो जै सुकलीण साहसी, मसतक उपराठो हुओ, अक असभव सुण लियो, मुवां अपूठो सिर फिरयो, १७८५ कान्हडदेरे भाई मालदे, मालदेरो अखैराजसू खत्री हुवो । [ १५१ १७८६ सिवाणै पहाडरी डाग ऊपर गढ चढता जीवणी तरफ गढरो नव चोकियारो गोख त्रिकळस कहीजै जूनी ख्यातामे अलाउदीन आयो जद चहुवाण सात त्रिकळस ग्राम बैठो हुरकणियारो नाच करायो हो । १७८७ सोनगरारी वसावळी - चाचगदेरो सावतसी, सांवतसीरो मालदे, मालदेरो वणवीर, वणवीररो रणधीर, रणधीररो लोलो, लोला नै राव रिडमलजी जेसलमेरसू आण वाई परणाय पटै पाली दिवी । १७८८. चाचगदे १, सावतसी २, मालदे ३, वणवीर ४, रणधीर ५, लोलो ६, सतो ७, - खीवो ८, रणधीर ९, अखैराज १० राव मालदेजीरै काम आयो सूर पातसाहसू जग कियो जैताजी कूपाजी सामल समेळरै खेत । मानसिंघ अखैराजोतरो वंस १७८९ मानसिंघ अखैराजरो राव चदरसेणजीरा विखामे राणा प्रतापरं गयो हो. पातसाही फौजासू हळदीघाटी राणारे वेढ हुई सवत १६६३ जद मानसिंघ राणा काम आयो । १७९० राम मालदेवोत सवत १६२१ चैत वद ४ हसनकुलीखानू पाली माथै ले आयो जद मानसिंघ अखैराजोत राणाजीरै गयो । १७९१ जसवत मानसिंघोत वडो सिरदार हुवो मोटै राजा राणाजीरासू आणियो संवत १६२७ गावा २७ सू पाली पटै दिवी । १७९२_ पालीरो गाव देईखेडो मागळियो धनराज पटे इण काय अहमदावादमे जसवतजी मोटा- राजाजीसू अरज करायी जद हजूर फरमायो - इण गाव बदळ दूजो गाव देसी आ वात सुण सवत १६६५ राणाजीरें गया उठै हीज राम कह्यो । १७९३ सोनगरो जगनाथ जसवतोत सवत १६७७ राणाजीरासू आयो जद गांव मिणियारी विसीनू दिवी पछे गाव ११ पटै जगनाथजीने दिया मणियारीसू सवाय दिया । Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ १७९४ - १८०८ १५२ ] वांकीदासरी ख्यात १७९४. दळात जगनाथोत, भोजराज जगनाथोत । १७९५ भाखरसी जसवतरो १, वाघो जसवंतरो २, माधोसिंघ जसवंत ३, सोनगरो स्यामसिंघ जसवंतरी ४, रामचंद्र जसवंतरो । १७९६ राजसिंघ जसवतोत राणाजीरासू आय जोधपुर चाकर रह्यो जद संवत १६६६ गुदोचरा पटारो गांव कुडनी दिवी । १७९७ सवत १६७९ सिवाणारो गाव निवाई सोनगरा भाखरसी जसवंतोतर पटे हुई । भाण अखैराजोतरो वंस १७९८ सवत १६३३ अकवररो उमराव सहवाजखा कुभलमेर लियो जद सोनगरो भाण अखैराजोत काम आयो राणा उदैसिंघरै । १७९९ मोटा-राजा सोनगरा भाग अखैराजोतरी वेटी परणिया हुता सो मोटा-राजा साथ वळी । १८०० सोनगरी नारायणदास भाणरो पहला पातसाही चाकर हुतो. पछे मोटाराजाजी कनै आयो जद सवत १६४१ भाद्राजण पटै दिवी । १८०१ सोनगरी नारायणदासजी राणाजीरै चाकर गांव खोड पटै जद जाळोररो साथ खोड़ माथै आयो नारायणदासजी निसरिया तुरका वसी वद किवी जद वंदमे चतरभुज नमियो वंदसू छूट दिन पाय महोवतस्त्रारं चाकर रह्यो. पछै महोवतखारासू छूट पातसाही चाकर हुवो पूरवमें जागीर पायी । १८०२. मोटा-राजा सवत १६४५ सिरोही माथै पधारिया जद राव सुरताण कागद मेल नाराणदासजीनू वुलाया. नाराणदासजी राणाजीरं गया खोड़ पायी. उठ ही राम-सरण हुवा | १८०३. सोनगरो सावत नाराणदासरो भीम सावतसिंघोत राणाजीरै काम आयो । १८०४ प्रताप १, सुजाणसिंघ २, अरजुण ३ - अही सावतसिंघरा वेटा । १८०५ सोनगरो सातल नाराणदासोत रावळे चाकर सवत १६८६ भाद्राजण गाव २१ सू पटै पायी पछै सवत १६८३ नवसरो गाव १० सू दियो पर्छ सवत १६८८ वुरहानपुररा डेरा छाड गयो । १८०६. जैतसी सातल १, सूरसिंघ सातलरो २, जैसिंघ सातलरो ३ | १८०७. सोनगरी किसनसिंघ सातलोत । १८०८. सोनगरो मालदे नाराणदासोत, नाराणदास भाणोत । Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८०९-१८२४] चौहाणारी वातां [१५३ १८०९. सोनगरो चतुरभुज नाराणदासोत । १८१० पातसाह साहजहार हिंदू चाळीस मनसबदार ज्यामे सोनगरै चतरभुज नाराणदासोत ही गिणीजै है । १८११. चतुरभुजरै गरीवदास । १८१२. सोनगरो प्रथीराज नाराणदासोत रावळे चाकर सवत १६७८ गुदोचरा पटारो गाव अदळा पटै सवत १६८९ कुरनो गुदोचरो गाव ४ सू पटे पायो। १८१३ सोनगरो केसोदास भाणोत । १८१४. माधोदास केसोदासोत भलो राजपूत हुवो. सवत १६९४ रावळाथी गांव भवराणी गावां १० सू दिवी हुती इणरा चाकर जैमल मुंहणोत खानाजगी किवी जद भवराणी छोड सवत १६८८ मोहवतखार वसियो पछै अमर सिंघजीरै पछै राजा जैसिंघरै वसियो माधोदास । १८१५ सोनगरो कल्याणदास भाण अखैराजोतरो। उदैसिंघ अखैराजोतरो वंस १८१६. सोनगरो उदैसिंघ अखैराजोत. जिणरै सगतसिंघ, सगतसिंघरै मुकनदास हुवो. सवत १६८४ गाव दामण जाळोररो पटै पायो । १८१७. सोनगरो सूरजमल उदैसिंघ अखैराजोतरो जिण सवत १६५७ पालीरो पटो भाई सगतसिंघ उदैसिंघोत सामल पायो। १८१८ सोनगरो देवीदास सूरजमलोत वणवीर सूरजमलोत । भोजराज अखैराजोतरो वंस १८१९ सोनगरो भोजराज अखैराजोत कूपाजीरै वास थो सो कूपाजी साथ काम आयो। १८२०. भोजराज अखैराजोत कूपाजीरै वास हुतो सो कूपाजीरै साथ काम आयो। १८२१ सोनगरा अखैराज रणधीरोतरो भोजराज, भोजराजरो सिंघ, सिघरो जसवत राजा दळपत रायसिंघोतरै काम आयो भटनेर । १८२२ भोजराजरो सिंघ, सिंघरो जसवत भटनेर दळपत रायसिघोतरै काम आयो। जैमल अखैराजोतरो वंस १८२३ सोनगरो जैमल अखैराजोत वीकानेर चाकर रह्यो । १८२४ जैमलरो अचळदास, अचळदासरो केसोदास जाटुझे मारियो । २० Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५४] वांकीदासरी ख्यात [ १८२५-१८३८ १८२५. वळभद्र १, पिराग २, अनरूध ३ - मैं ही अचळदासरा । १८२६ सोनगरो सारगदे जैमलोत सारगदेरो नरहरदास । ___ रतन असैराजोतरो वंस १८२७ रतनसी अखैराजोत कानो रतनसीरो । देवड़ा १८२८ सोनगरा महणसीरै घरवासै देवी रहै उणरै पुत्र हुवो नाव देवो देवरा वसरा देवडा कहाणा । १८२९ महणसी रावरै दूजा च्यार वेटा हुवा ज्यारी विगत - वालोजी १ जिणरा वालोत, चीवो महणसीरो २ जिणरा चीवा है, महणसीरो अभो ३ उणरा अभा, वोडो महणसीरो ४ तिणरा वोडा- अ च्यारू वेटा। १८३० सिरोहीरा रावारी वसावळी - कीतू १, समरसी २, महणसी ३, पतो ४, वीजड ५, लूभो ६, सलखो ७, रिडमल ८, सौभो ९, सैसमल १०, राव लखो ११, ऊदो १२, रणधीर १३, भाण १४, सुरताण १५, राजसिंघ, उसिघ, चत्रसाल, मानसिंघ, जगतसिंघ, वैरीसाल, हमै सिवसिंघ । १८३१. कीतू १, समरसी २, पतो ३, वीजड ४, लूभो ५, सलख ६, रणमल ७, सोभो ८, सहसमल ९, राव लाखो १०, ऊदो ११, रणधीर १२, भाण १३, सुरताण १४, राजसिंघ १५, अखैराज १६, उदैसिघ १७, सत्रसाल १८, मानसिघ १९, जगतसिंघ २०, वैरीसाल २१, सिवसिंघ २२ । १८३२ देवडारी पीढिया लिखते - सवत १२१६ माह वद ११ परमारा कनासू देवड़े कीतू आबू लियो। १८३३ सवत १५८९ राव सहसमल सिरोही वसायी. सीहनू मार वसायी जिणसू सीहरोही नाव दियो आगै देवडा ईडररी चाकरी करता। १८३४ सिरोहीरो धणी आग ईडररी चाकरी करतो। १८३५ लाखोराव १, राव जगमाल २, रतनसी ३, गोपाळदास ४, केसोदास ५ ।। १८३६ केसोदासरो नरहरदास जिण कुल खानत देवडा राम भेळी राख अखैराज मरायो। १८३७ कुवररा चावमे हरीदास नरहरदासोत, चापो प्रिथीराजोत सामल रै। १८३८. जगमाल १, हमीर २, साकर ३, माडण ४, ऊदो ५ - औ पाचू राव लाखारा वेटा । Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८३९-१८५४] देवड़ारी वातां [१५५ १८३९. जगमाल १, हमीर २, साकर ३, माडण ४, ऊदो ५ - सिरोहीरा · · · · राव लखारै। १८४० देवडो हमीर राव लाखैरो जिण राव जगमाल कनासू आध वटाय लियो. ____ हमीरनू जगमाल मारियो । १८४१ हमीर अपुत्र हुवो। १८४२ देवड़ारै अक अखैराज उडणो घणा भील मारिया घणा भोमियारी धरती लिवी घरतीयांरा मरापसू मुवो। १८४३. उडणो अखैराज राव मालदेरो मामो । १८४४ अखैराजरै पाट दूदो अखैराजोत जिणनू ऊदै रायसिघोत भतीजै मारियो. दूदो कहिय कसानीयो हो । १८४५ सवत १५७५रा पोस सुद ८रो जनम रापसिघ अखैराजोतरो. इणरी गादी उदैसिंघ बैठो सवत १६१६रा चैत वद ६ नै। १८४६ राव उदैसिंघ, रायसिंघ अखैराजोतरो रावजी गागाजीरी बेटी चपाबाई जिणरो बेटो ओ मुवा मानसिंघ दूदा अखैराजोतरो सिरोही राव हुवो। १८४७ सवत १६२०रै आसोज सुद ११ पेट दूख उदैसिंघ मुवो सिरोहीमे । १८४८ देवडो वीजो १, हरराज २, दूदो ३, तेजसी ४, आल्हण ५, भीवो ६, गजो ७, ___ झाझो ८, डूगर ९, रावत सहसमल १०, सोभो ११ । १८४९ ढीकरी देवो आयो कलो मार राव मानसिंघनू मारियो. मानसिंघ मरतै वीजा हरराजोतनू कयो- सुरताण भाणरानू राव कियो। १८५० मानसिघ पछै राव कलो सिरोहीरो धणी हुवो राव सुरताण देवडै वीज गाव कालदरी राड किवी कलान कुभळमेरीमे हराय नै काढ दियो वीजै राव सुरताणनू रावाईरो टीको दियो। १८५१ सवत १६४१ गाव नोसरा गाव २२ सू मोटो राजा दियो । १८५२. सवत १६६६ मोटै राजाजीनू परणाया सवत १६६७ सूरजसिघजीनू मथुरा जीमे परणाया राव कलै सवत १६६१ भाद्राजण राम कह्यो। १८५३ भाणरो सुरताण गाव पमैरा जठासू आण देवडै वीजै हरराजोत सिरोही राव कियो. भाणरो सुरताण पामैरासू आण वीजै हरराजोत सिरोही राव कियो। १८५४ राजा रायसिघ बीकानेरियै राव सुरताणरा कहणातूं देवडा वीजा हरराजोतनू Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५६] वांकीदासरी ख्यात [ १८५५-१८६६ सिरोही माहेसू काढ दियो पछे वीजो जगमाल उदैसिंघोतसू मिलियो. जगमालजी पातसाह कनासू सारी सिरोही ही लिखाय दिवी । १८५५ सवत १६४६ मोटा राजा पातसाही चाकर जामवेग जिणनू साथै ले वीजा हरराजोतनू साथै ले राव सुरताण ऊपर गया, राव रायसिंघजीरो वैर वालण। १८५६ वीजाजी आपरा साथसू आबूरी गाळमे गया राव सुरताणरै साथरा मारिया। १८५७ राव सुरताण सवत १६६७ रा असाढ वद ८ रामसरण हुवो नै राणी ७ रजपूत ५ साथै बळिया। १८५८ राव सुरताणरी गादी राजसिंघ । १८५९ देवडो भैरव समरारो वडो रजपूत हुवो। १८६० महादेवजी जातानू राव राजसिघरी वारमे देवड़ा प्रथीराज सूजावतरा भाई भतीजा मारियो। १८६१ राव सुरताणरो बेटो सूरसिंघ जिणनू राव कियो अहमदावादसू दिखणर ___ मुहिम पधारता महाराज सूरजसिघजी सिरोही पधारिया सवत १६६९ जद सुरताणरी गादी राव रायसिंघ हुतो जिणनू काढ दियो । १८६२ पछै राव रायसिंघजी सिरोही लिवी सूरजसिंघनू देस मायसू काढ दियो। सवत १६७२ रावळासू भाद्राजण पटै दिवी गाव २५ सू सवत १६७५ राव सूरसिघजी भाद्राजण रामसरण हुवो । १८६३ सूरसिंघरै वेटो सवळसिंघ' गावा २४ सू भाद्राजण पटै पायी पछै सवत १६७७ भाद्राजण छूटी जद सबळसिंघ राव अखैराजरै चाकर रह्यो गाव काछोली दियो । १८६४ जगमालरो अखैराज उडणो राजसिंघरो अखैराज पाडरो कहाणो । १८६५ सिरोही राव अक्षराजरो कवर उदैभाण, महगसिया राठोडारो भाणेज जिण रावनू पकड कैद कियो। १८६६ कवर उदैभाण गाव मठाड थाणो हुतो उठे रजपूतानू लालच दे आपरै अधीन किया मुदै ठाकुर पाच - डूगरोत रामो भैरवोत १, डूगरोत ठाकुरसी मैरावत २, डूगरोत उगरो जसवत वीजावतरो ३, राजसी चीबो ४, उदैसिघ दूदाणी ५, वीजा ही डूगरोत सौ, चीवा सौ, देवळ वाघेला जेठुआ भेळा. सीसोदियो साहिवखान, महेसदास गोपाळदासोत आधाइक मालणसू आने अवसी भेळा हुआ नही कवर उदभाण मठाडसू चढ राणकवाड़े डेरा किया. Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८६७] देवड़ारी वातां [१५७ रावनू लिखियो- भीलवाड़ा माथै जाऊ छु, सोर, सीसो मेलावसी राव' मेलियो पछै हजार सवारासू चढिया सवत १७२० पोस वद १२ घडी अक रात पाछली थका सिरोही आयो. रामा भैरवोतरो पोतरो साथ रामारो मेलियोडो सारा जिणसा लिया थका सिरोही पोळमे बैठा, हडबडाट सुण जाळीमे मूढो काढ रावजी पूछियो- साथ किणरो? जद नारखान परबतोत बोलियो - साथ कवर उदैभाणजीरो है राव' कह्यो अठी कठी जावो हो? परबतोत कह्यो - कवरजीरा हुकमसू आवा हा, राव' कह्यो - लालै म्हासू आ विचारी, कोई रामजीनै सदै सोदै नाहरखान कह्यो- रामजीरो पोतरो साथै है सारो साथ महलरै चीगिर्द फिरियो महलरै नीसरणी लागोडी राव ऊची खैच लिवी महल। किंवाड आडा जडिया जिणसू रावनू मार सकिया नही. पछै रावरा सारा माणस उण घरमे घालिया राव आडो ताळो जडियो ऊपर महोर छाप दिवी. कवर उदैसिंघन दूजा महलमे कैद कियो सूतो हो जठै हीज ताळो दे महोरछाप किवी पछै रामजी तिरवाडी, भगोतीदास पटणी हुजदार हुता सो यानू कैद किया, आपरी तरफरा नव' हुजदार खडा किया रावजी सात दिन धान न खायो उदैभाण विचारियो - रामो भैरवोत रावन मरण न दै जिणसू कैदमे हीज बैठा राखणो ठोड-ठोड कागद लिखिया ज्यांमे लिखियो - जमीमे भोमिया, ग्रासिया धध मचायो, रावजी देसरी निगै राखै नही, जिणसू पाचा ठाकुरा मोन चाटी भोळायी है सो ह करु छु पर्छ सवत १७२० रा माह बद ८ टीकारो महोरत हुतो सो रामो टीको होण दियो नही यू करता महीनो डोढ बतीत हुवो जद राणाजीनूं चूक तेवडियो घोडा पाच ठाकुरान दिया नै कडो जण पीठन हजार रुपिया देस राम भैरवोतनू, साहवखान परवतसिंघोतनू, ठाकुरसी चीवानू, उदैसिंचनू, उगरानू साठ सिरपाव दूजानू दिया आढो रुपो, आढो भीमराज दुरसावतरो, आसियो सुरताण मेघराजरो, चाचाळो देदो – मैं चारण च्यार ज्यानू सिरपाव' दियो, भाट सहसमलनू सिरपाव दियो सारा ही सलाम किवी हसमरो डोढो रातब कियो. रोज रुपिया ३००) भुजाईरा लागै सिसोदिया नाहरखान' दुरजण सालोतनू घोडो-सिरपाव दे मठाड थाणे मेलियो। १८६७. सीसोदियो साहबखान परबतोतनू राणैजीरा सारा समाचार लिखिया जद घोडो सिरपाव पाछा फेर पिंडवडै गयो. देवल वाघानै घोडो- सिरपाव दिया, नगारारी जोडी दिवी, डूमाणी गाव वधारै दियो जद रामो भैरवोत वेराजी हवो - मो बरोवर देवळरो समाधान कियो ठोड - ठोडरा कागद रामाजीनू आया - रावजीनू बाहर काढो. रामाजीरी ठकुराणी राडधरी. Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५८] चांकीदासरी ख्यात [ १८६८-१८७३ जिणरी रावजीनू कह्यो - रावजीनू वाहर काढो. जद रामो भैरवोत सिरोही आयो माह सुद ११ कवर उदैभाण दारू पी नै जिण महलमे सूतो हो उण महलरै ताळो जड राव कनै रामो आयो जद राव जाणियो मोनं मारण आयो जद राव पेट मारण कटारी काढी. जद रावर राणी वाघेली अणमानैती तिण कह्यो - यूं काई करो हो, रामो थाने मारसी तो हूँ रामानू मारसू जद रामो हथियार छोड जाय रावर पगा लागो कवर उमिघ छूटो. दूजा ही रावरी तरफरा कैदसू छूटा. कवर उदभाणनू कैद कियो. दूसरा उदभाणरा त्राकर माय हुता जिणनू अटकिया - उगरो जसवतोत १, ईसरदास नीवावत २, सीसोदियो नाहरखान परवतसिंघोत ३, सीसोदियो नाहरखान दुरजणयालोत ४, मोहणदास मैरावत ५, माधो राजसीरो , जैसिंघदे नाराणोत ७ औ दिन सात कैदमें रह्या. कवर उदैभाण च्यार दिन जीमियो नही. सातवें दिन राव कंवर उदैसिंघनू विदा कियो इण जाय कवर उदैभाणनू मारियो. उदैभाणरा बेटा दोय माग्यिा अक सीसोदिणी सुजाणसिंघ सूरजमलोत राणा अमरसिंघरो पोतो तिणरी बेटी जिणरै पेटरो कवर कल्याणसिंघ वरस छवरो उदैभाणरो वेटो उदैसिंघ मरायो, दूजो बेटो उदैभाणरो च्यार मासरो जिणनूं उदैसिंघ मारियो पछै सीसोदणीनू राणजी वुलाय लोधी अखंगजरी गादी उदैसिंघ सिरोही धणी हुवो सो आबू माथ मुवो सवत १७३२ रा आसाढ सुद ११ । १८६८ सिरोही डावी मिसल राणावतारी, जीवणी देवडारी देवडांमे सिरै पाडीवरो धणी, उण हेटै कळदरी, उण हेटै प्रभूजीरा गाँवरो धणी, नेजावाळरो धणी बैस । १८६९ तेजावत १, सागावत २, प्रथीराजोत ३, कलावत - इत्यादिक देवडा लाखा वतारी खापा है। १८७० रणधीर देवडो जिणरै वटा तीन - भाण १, सूजो २, प्रताप ३ । १८७१ सवत १६३० देवडो लाखावत सूजो रणधीरोत प्रथीराजरो पिता जिणनू डेरै बैठानू देवडै वीजै हरराजोत मारियो। १८७२ देवडो प्रथीराज सूजावत वखेला परणियो हुतो जिणसू सिरोहीरा राव छाडणो कर वेच लेनापर हुयो राव अखैराज देवड़ा जीवराजसीनू महल प्रथी राजनू चूक करायो। १८७३ चादै अखैराज राव कनै सिरोहीरो आध लियो । Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८७४-१८९०] देवड़ारी वातां [१५९ १८७४ रणधीर १, पतो २, तेजो ३, मेघराज ४ । १८७५. मेघराजनू राव अक्षराज राम साईदासोत भेळो मारियो. मेघराजरा भटाण । १८७६ मेघराज सीसोदियो परबतसिंघरो जवाई । १८७७. देवडा मेघराजरा बेटारी विगत - नाटो १, भाखरसी २, डूगरसी ३, नरहरदास ४. नाटान राम देवड़ारै बेटै मारियो भाखरसी चादा प्रथी राजोत कनै छै नरहरदासनू राव भटाणो दियो। १८७८ राव लखो १, जगमाल २, मेहाजळ ३, कलो ४, पतो ५, हरिदास ६ । १८७९. देवडो मेहाजळ राव जगमालरो भाख र माथै अखैगढ जठै रह्यो राव मानसिंघ मेहाजळनू मरायो मानसिंघ मुवो जद कलो मेवाजळरो सिरोही राव हुतो. काळदरी वेढ कर विजेजी राव सुरताण कलासू भाजियो। १८८० मेहाजळग वेटारी विगत - कलो १, रायसल २, पचायण ३, जैतमाल ४, परवत ५। १८८१ देवड़ा मेहाजळ जगमालोतरा बेटारी विगत - राव कलो १, परबतसिघ २, जैतमाल ३, रायसल ४। १८८२. लखावत राव कलो मेहाजळोत देवडो जिणरा बेटारी विगत - पातो १, आसकरण २, महेमदास ३ । १८८३ पातारा वीमळपुर, आसकरणरा वाकली नै कोटडे, महेसदासरा अके गावमे है कोरटो जुआचार है। १८८४ देवडा पता कला मेहाजळोतर बालीसानू मार वीसळपुर लियो। - १८८५ देवडो डूगर १, रुदो २, नरसिघ ३, सिखरो ४, भैरव ५, रामो ६ । १८८६ डूगर १, रुदो २, हरराज ३, वीजो ४, रामसिंघ ५।। १८८७ हरराज रूदावतरा बेटारी विगत - वीजो १, लूणो २, मानो ३, अजैसी ४, वणवीर ५, धनो ६, जैमल ७ । १८८८. देवडा हरराजरा बेटारी विगत – वीजो १, वणवीर २, धनो ३, अजैसी ४, भगवानीदास ५, मानो ६, लूणो ७ । १८८९ देवडा वीजारा बेटारी विगत - रामसिघ १, अमरो २, जसवत' ३, भोजराज ४ । १८९० वीजैजी महाराणा जद जाम वेगरा भाईरै लहोडा लागा राव चद्रसेणरी बेटी जामवतीवाई वीजाजी लारै बळी । Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / १६० ] वाकीदासरी ख्यात १८९१ वीजारा वेटारी विगत - भोजराज १, खीवराज २, अमर ५ । १८९२ देवडो केसोदास खीवराज वीजावतरो राव राजसिंघ साथै माराणो । १८९३. अमरावत १, वीजावत २, सूरावत ३, सिखरावत ४, मैरावत ५, कुंभावत ६ - अ खापा देवडा डूगरोतारी सिरोहीमे । १८९४. रहवाडै अमरावत डूगरोत है । [ १८९१-१९०८ जसवंत ४, ३, रामसिंघ १८९५ उथपण माचाळ वगेरै ठिकाणा डूगरोता मेरावतारा है । १८९६ रामपुरा तीन कोस वररायो ठिकाणो देवड़ारो मालमराव वाजे से देवडा सामतसीहोत है चद्रावतारा चाकर । १८९७. राव पातसाह कनै गयो जद देसमे लूगा हग्राजोतनू राख गयो हो. कटार मारी. अकवर राव सुरताणसू कहायो - लूणानू मार नाखजे राव सुरताण सिरोही महलामे लूणा हरराजोतनू मारियो मानो हरराजोत ही लूणा साथै माराणो. १८९८ लूणारो महेस, महेसरो भोपत । १८९९ मानारो सादूळराव रायसिंघ साथै काम आयो. राव मया घणी राखतो । १९०० सादूळरो ईसरदास । १९०१ वणवीर हरराजोत राव सूरसिंह सुरताणोतर काम आयो । १९०२ घनो जैमल माहो - माहरी वेढमे माराणा । १९०३ देवडो डूगर १, रुदो २, नरसिंघ ३, सिखरो ४, भैरव ५, रामो ६ । १९०४ डूगर १, रुदो २, नरसिघ ३, सूरो ४, सावतसी ५, जसवत ६, करण ७ । १९०५ देवडा सूरा नरसिंघोतरा वेटा तीन - सावतसी १, तोगो २, पतो ३, वगडीरा धणी जैतावत वैरसल प्रथीराजोतरा वचनसू हटे मोटै राजा मारिया आप सिरोही ऊपर पधारिया तरै । १९०७ आबू मत कर और तोपा, देखे फोजा डाणै । जव लग ऊभो पातडो, तव लग मूछा ताण ॥ ओ दूहो पता सूरावतरो है । १९०६ सवत १६४४ मोटो राजा सिरोही माथै गयो जद देवडो सावतसी सूरावत, पतो सूरावत, देवडो तोगो सूरावत, राडधरो हमीर कूभावत, राडघरो वीदो सिखरावत, नेतो चीवो - अ मारिया । १९०८. नरसिंघ देवडारो वैटो कूभो, कूभारो मेगळ जिण देवडा वणवीरनू बाह दे आण मारियो । Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९०९-१९२२] चहुआणांरी वातां १९०९. डूगर १, रुदो २, नरसिघ ३, सूरो ४, कलो ५, मैरादो ६, ठाकुरसी ७ । चीवा देवड़ा १९१० चीबो १, खीमो २, जैतसी ३, दूदो ४, उदैसिघ ५, देवडा चीबारा बेटारी विगत - खेतसी १, खीवो २, रूपो ३, राजसी ४। १९११ चीवा चहुआण भीले सिरोही गाव महेसर जिणरो धणी चीबो खीमो जिण लखावत देवडा कलानू सिरोही रावाई दे गादी बैसाणियो। १९१२. खीमारो जैतो, जैतारो करमसी राव अखैराजरो उमराव करमसीरा बेटा दोय - गोयंददास नै भगवानदास । निरवाण देवड़ा १९१३. देवड़ो निरवाण जिणरै वसरा निरवाण कहावै । कुकारसी डाहलिया कनैसू खडेलो लियो । वागड़िया देवड़ा १९१४. सिरोहीमे अक खाप देवडा वागडिया कहीजै । १९१५ देवड़ो केसरसिंघ वैजनाथोत सिरोहीरै गाव फळवद हुवो. बडो सतपुरस. इणरै रसोलो चाकर हो। बोडा चहुआण १९१६. बोडो चहुवाण, बोडारो लाखो, लाखारो बीकलदे, वीकलदेरो महीपाल, महीपालरो करमो, करमारो वीजो, वीजारा बेटारी विगत - वाघो १, वैरसाल २, सीहो ३। १९१७ वाघा वीजावतरी बेटी फूलाबाई महाराज सूरजमलजी परणिया। १९१८ सवत १६७४ गावा १० सू गाव सवाणो नाराणदास वाधावतनू महाराजा दियो। १९१९. नाराणदासरै बेटा दोय - केसरीसिंघ नै कल्याणदास, राव रतन महेसदासोत जाळोररो धणी हुवो जद कल्याणदास कनासू सवाणो खोस लियो। १९२० हरीदास कल्याणदासोत सिरोही राव अक्षराजरै चाकर रह्यो। १९२१. चहुवाणा के काल वार रजपूतानं मार दोय सौ पैतीस गावासू वाव लिवी। १९२२ चहुवाण बीकमसी राणुआ जातरा रजपूत मार पाच सौ सत्ताईस गावासू सूराचद लियो। Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२] वांकांदासरी ख्यात [ १९२३-१९४० १९२३. चहुवाण हाफो वीकमसी सगा भाई हाफै कालवा मार साचोर लिवी. वीकमसी राणुवानू मार सूराचद लिवी । १६२४ भीनमाळ चहुवाण भिलै लाखणसीरा वसमे है । राणा नींबावतरो वंस १९२५ चहुवाण राणो नीवावत राव मालदेजीरै चाकर रह्यो. सिवाणारो गाव समदरड़ी पटै पायो। १९२६ राणारे वडो वेटो लूणो बडो रजपूत हुवो. १८९० चहुवाण माडण राणावत । १९२७ चहुवाण मेहकरण राणावत दळपत उदै सिंघोतरो नानो तुरकाणीमें काम आयो। १९२८ चहुवाण महकरण राणावतरा बेटारी विगत – सिखरो १, देवीदास २, रायसल ३, रतनसी ४, रावत ५, सावतसी ६ । १९२९. दळपत उदैसिंघोतरो सगो मामो सावतसी। १९३०. चहुवाण सिखरो महकरणोत महाराज गजसिंघजीरो सुसरो। १९३१. सिखरा महकरणोतरा बेटांरी विगत - दयालदास १, रामसिंघ २ । १९३२ पीपरली चहुवाण देईदास महकरणोतरा है। १९३३. चहुवाण सावतसी महकरणोतरा बेटारी विगत - सादूळ १, गोपाळदास २, वळू ३, अचळदास ४, भीव ५, कलो ६, अजो ७ । १९३४ सादूळ महोवतखानरै चाकर. दिखणमें काम आयो, गोपाळदास दोलतखान आगै दोलतावाद काम आयो । १९३५. भीव जुझारसिंघ दळपतोत आगै काम आयो। १९३६ वळू सामतसीहोतरा तीन बेटा- नरहरदास १, सहसमल २, वेणीदास ३ - आ तीनारै वसरा साचोररै परगनै चहुवाण है । १९३७ साचोरीमे वळू सावतसिंघोतरा बेटा तीन ज्यारी तडां तीन - नरहरदा सोत १, सहसमलोत २, वेणीदासोत ३ । १९३८. ईडरमें चहुवाण फतैसिंघोत है - देईदास १, फतैसिंघ २, प्रथीराज ३, दयालदास ४॥ १९३९ कागनडै चहुवाण भोजराज दयालदासोतरा है।। १९४०. चहुवाण जैसिंघरो भैरूदास, भैरूदासरो जाजण, रावजी मालदेवजीर चाकर पहोकरण रहतो देवराजोतसू वेढ हुई जठे काम आयो । Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९४१-१९५३] चहुआणांरी वातां । १६३ तेजसी वरजांगोतरो वंस . .. . १९४१. वरजाग १, तेजसी २, प्रथूराव ३, वाघो ४, सिंघो ५, वणवीर ६, सूजो ७, रामो ८। १९४२ राव वेगड़ो बरजाग, वरजागरो तेजसी, तेजसीरो प्रथमराव, प्रथमरै रावजी सूजोजी परणिया सेखोजी, देईदासजी प्रथम रावजीरा दोहिता। १९४३ प्रथूरावरो बाघो जिण कोढणावाटीमे वाघावास गाव वसायो वाघार सिंघो, सिंघारै वणवीर, वणवीररै मोटो राजा परणियो । १९४४. वणवीररो सूजो, सूजारो रामो वडो सीकाई वडो रजपूत हुवो थोभरी . । खारडी पट रही। '१९४५ चहुवाण अजो प्रथूरावरो बेटो, देईदासजीरो मामो चित्तोड भिळता देईदासजीरै काम आयो। वागड़िया चहुवाण. १९४६ सरणो देवी कुळदेवी वागडिया चहुवाणारै । - १९४७ कालो भीमसिंघजी ईडर परणीजण जावै जठ महीरै घाट जान आयी. वाग_ . डिया प्रण माडियो उण घाटानू छोड दूजै घाटै जान उतरी. १९४८ मही नदीरो अक घाट वागडिया चहुवाण तोलक है उण घाट माथै वागड़िया .... काम आया ज्यारी छत्रिया है। १९४९ राकसिया चहु वाण लवेरै भाटियारै पेटसू ठावा आदमी है। १९५० दूहो रिपु भगतणरो राडियो, जाजक रिपु सी जाण । कोयलरो रिपु कागलो, चारण' रिपु चहुवाण ॥ ___ मै पूरबिया चहुवाण। चाविडा १९५१. चावड़ा जादवामे मिलै सुणीजै है। १९५२ अणहल ,ग्वाळेरा कहणासू वनमे वनराज चावडे नगर वसायो. नाव अणहल पुरो पटण. मुसळमान पीरान पटण कहै।। . . " .. १९५३. चावड़ारा ठिकाणा च्यार-माणसा.१, वरोहीडो २, लाकरोडो ३, वसी ४, वा आदमी है। Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ ] वांकीदासरी ख्यात [ १९५४-१९६६ १९५४ चावडो रावळ आसो जिगरी लुगाई वाघेली उघळ नै राव मालदेजीरो बेटो . गोपाळदासजी हेडर जाय रह्या जिगरा घरमे बैठी । तुंमर १९५५ तुवर चद्रवसी ज्यारी साख नव - जनवारीअट १, चांद २, लवो ३, डाणा ४, कळपा ५, भमर ६ - इत्यादिक । १९५६. यजुरवेद माध्यदिनी साखा, पच प्रवर यग्योपवीतरा, व्याघ्रपद गोत्र, चील कुळदेवी खेजडी सहित आसोज सुद ८ ₹ दिन पूजीजै तुवरारै । १९५७ खतान जातरो ढाढी, सीवोरो जातरो भाट, श्रीमाळ जातरो पुरोहित तुवरारै ॥ १९५८ दिलीमडळमे तुवरारी चौरासी है गाव दोयसी गहलोतारा दिलीमडळमे है. राणो नरपतसिंघ उठै हुवो हमै ओक राणो वाजै, दूजा गहलोत चौधरी वाजै । अरजुणवंसी १९५९ डूगरपीठामे नूरपुर सहर है उठारो राजा चंद्रवसी है अरजुणरा वसमे निसाण झडामे कपिरो चिह्न मांडीजै । कठोछ १९६० चद्रवसी सुसर्मा राजा जिणनू पाडव पकूडियो आ कथा महाभारतमे है. सुसर्मारा वसज खत्री कठोछ कहावै है ज्वाळाजीरै राजा कठोछ है । १९६१ ससारचद कठोछ ज्वाळाजीरो राजा जिणरा निसाण झडामें त्रिसूळरो चिह्न महुवै। १९६२. सहसारचदरी गादी सहसा रचदरो बेटो अनिरुधचद्र हमे है । झाला ( मकवाणा ) १९६३ मारकडे मुखर वसमे हुवा जिणसू मकुआणा कहाणा । १९६४. उत्तरमे कुतळपुर जठै राज कियो किताईक पीढी. उठासू उठ करांटा ठिकाणी जठे राज कियो पछै केहर मकुआाणो गुजरातमे आयो केहर देहर पाळवण गूजरखड आया आसापद है । १९६५ वाकानेररो घणी झाळो राजा कहावै. धागधडे झालो महाराणी कहावै. नीवडी वढवाणरो घणी झालो ठाकुर कहावै । १९६६. हेम झालारै राजधानी धागधड़ी ह्हेल वदनी । Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९६७-१९७९] चंहुआणांरी वाता [१६५ १९६७ झाला जालमसिंघरो दादो माधोसिंघ झालावाडमे वढवाण ठिकाणो है जठासू सावर सगतावता कनै आयो सावररै धणी मोडी नावै गाव दियो सायद मोडी माधोसिंघरी, वतै न ऊजड थाय । १९६८ छोटी धांगड मुहरा सगतावत ज्यारो भाणेज झालो जालमसिंघ। . १९६९ पछै कोटारा महारावजीनू बेटी परणायी कोटै नानतो ठिकाणो पटै पायो. सायद माधो अटक न ऊतर, माधो कटक न जाय । बेटी साट वेगडो, घर बैठो घर खाय ॥ १९७० झालो जालमसिघ कोटासू जाय राणा अडसीजीरै चाकर रह्यो जद सगता वतारो ठिकाणो गाव चीताखेडो पटै पायो। . १९७१ उजैण माह राडसू झालो जालमसिंघ भागो मैदपुरमे दिखणिया पकडियो पछै ईगाळियै त्रवकजी छोडाय कोटै पोचतो कियो। १९७२ वढवाणरा धीरै बेटो हुवो नाम जालमसिंघ दियो आ वात सुण राजा जालमसिंघ कोट वेराजी हुवो - मो बैठा जालमसिंघ कवररो नाव वढवाण दिरायो सो अनुचित काम कियो। १९७३. बडवो मुसलमान जिणरी बेटी झालै जालमसिंघ खवास किवी. वा जवारण कहावती उणरो बेटो गोरधनदास । १९७४ हुलसार, हुलसाररै सीमाल, सीमालरै वाघल, वाघलरै जैतसी, जैतसीरै हरो, हरारै गैनो, गैनारै मेलो, मेलारै सिखरो, सिखरारै कीतो, कीतारै करण, करणरै भादो, मादारै पतो, पतारै केसोदास । १९७५ हुलसार १, सीमाल २, वाघुल ३, जैतो ४, हरो ५, गैनो ६, मैलो ७, . सिखरो ८, कीतो ९, करण १०, भादो ११, पतो १२, केसोदास १३ ।। १९७६. हल करण कीताउत बडी वेढमे काम आयो। गोड १९७७. गोडारै कुलदेवी नारायणी केळमे विराजै है केळा गोड न -खावैः केळारा पानरा दोनामें जीमै नही। १९७८ लाखण गोड भाट हुवो जिणरै वशरा लाखणोत भाट गोडारा व्रतेसरी। १९७९- करसाण जातरो ढोली गोडारो व्रतेसरी। . . . . Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६ वांकीदासरी ख्यात [ १९८०-१९९० १९८०. ढाकासू गोड राज बावनजी कछ राज दुवारका गया. पाछा आवता पुसकरजी कन दहियानू मारियो प्रथीराज चहुवाण वहन परणायी दिली प्रथीराज गयो जद अजमेर गोडानू दे गयो । १९८१ कुतल आव न चक्खिया, थिरराज कटाया । आव काटि आवेररा, .मारोठ मगाया । थिरराज गोड मारोठ हुवो। प्रकीर्णक राजपूत वंश वालीसा १९८२ हाथी, सूजो, मूजो, तोगो, रणभू - मे वालीसांमे ठावा हुवा खीमरो वालीसो नामजादीक हुवो । वाला १९८३ वाले धव, पहला कुतवखाननू मारि पछै पुरदलखांनू सिवाणचीमें मारियो । १९८४. धवेचा दासारै भाखरसी हुवो दहियारो भाणेज जिणनू पातसाह अकवर सांचोर सिवाणो अ ठिकाणा दिया । १९८५ अभल वालो पडवाज घोड़े चढि सेवड़ा मेह, हिरणांरा सीगड़ां वधो जिको छुडावण गयो। १९८६ कावारो पड़गनो लूखो कहावै. सताईस गावांरो. आवातरी कावारो दत्त सावळांरो गाव. सावळ कावारो बारट । बुंदेला १९८७. राजा हरदेस बुदेल वंसीधर कनांसू उदारा लडणरा दूहा कराय रामचद्रिकामे धराया. केसोदासरा वणायोडा नही है । कासी १९८८. कासीरो राजा वळवसिंघ तगो, जिणरी मूछ मार्थ कागदी नीवू ठरतो। , १९८९ वळवडसिंघ सूजा वुधौलारी सभामे गयो सूजा वुधोलो बोलियो - वनसीनद वळवडसिंघ समझियो नही मुनसी बोलियो नवाब फरमावै है बैठो वळवडसिंघ वैठो उण दिनसू फारसी पढणी सरू किवी किताईक वरसां फारसी वोलण लागो वळवडसिंघ। . . १९९० वरान राजा कासीरो धणी नित्य पाच जवनारै गळे कराय 'उवारी--छाती माथै पग घर पछ जमी माथै--पग धरतो. जवनां काळपीरै खेत वराननूं Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९९१-१९९८] प्रकीण राजपूत वंश [१६७ हटायो कासीरा कोटमे घालियो. पछै पीरां हल्लो कियो कासीरो कोट भेळण जद वरानरी तिरिया ‘दासिया नगन कागर माथे चढी. पीरारै सनमुख हुई. पीरा पीठ फेरी कासीरो किलो पडियो. जमी भेळो हुवो. वरान परियह सहत दटि मुवो. कासीरी वसती विगड गयी। तिरहुत १९९१ वारै पुसकर तिरोहितमे राजा सिवसिंघ वणायो जळ तळजीरी हुवो. तळाव घोडा दोड अक कोसरी गिरदमे वणायो उणमे कमळा नदी आय पड़ी। १९९२ तिरोहितरै राजा सिवसिघ औराकी घोडार अॅड लगायी, ताजणारी दिवी, डोर काढी. घोड़ो सिवसिघनू ले भागो सो आज आवसी । नेपाल १९९३ गणेसप्रसाद, भैरूप्रसाद, विष्णुप्रसाद इत्यादिक हाथियारा नाम नेपाळरै राजार। नेपाळ माथै चीणरो लसकर आयो हो जिणरो पार नही हुतो- नेपाळरा कहै । मुसळमान रजपूत १९९४ परमार १, पडिहार २, खीची ३, तुवर ४, सोळकी ५, भुट्टा ६, सम्मा ७, जोइया ८, दहिया ९, मोहिल १०, जझा ११, चहुवाण १२ -- इत्यादिक रजपूत मुसळमानामे है वरसिंघ भाटी मुसलमान हुवा ज्यारा घर , पूगळमे है । १९९५ जैतमाल राठोड मुसळमान हुवा ज्यारा घर छै-सात नागोरमें है। १९९६ वाघेलो वेट दहियो देसोत दीठो नहीं । जाट १९९७ कछवाहासू जग कर जाट जवारसिघ अठारै दिन अलवर रह्यो जद अलवर जाटरै हुती। मराठा १९९८ दिखण डभोळथी सूरत खुसकीरै राह कोस १३० तठी सिवा दिखणीरो चाकर नैमूजी जादोराय तीन हजार असवार पाच हजार पाळा ले साथै नै सवत १७२० रा माह वद ५ सूरत मारी पाच' दिन रह नै गाव लूटियो, वाळियो पचास लाखरी मता ले गयो केईक अधकी कहै छै ।। Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८] वांकीदासरी ख्यात [ १९९९-२०१४ १९९९ विलदा अगरेजियारी कोठी वची औ सभ ऊभा रह्या । २००० गाव वुदडादे सौ वाळियो पातसाही थाणादार हुतो जिण कोट पकड़ियो सो पातसाहजी दूर कियो पातसाहजी फुरमाया- च्यार लाख रुपया लगाय सूरत दोळो कोट करावगो अक वरसरी जगात वोपारियानू माफ किवी । २००१ बालाजी पडितरो बेटो पेसवो वाजेराव पिंगळिया जातरो मरहटो छत्रपतीरै पेसवो हो वाजेराव पहला। २००२. कोकणरै नै गुजरातरै विच डाभाडारो अमल हुतो। २००३ त्रबकजी डाभाडानू वाजेराव पेसवो मारियो । २००४ त्रवकजी डाभाडानू वाजेराव पेसवो मारियो हैदरावादरो नवाब आपरै माथासू पाग उतार दिवी कह्यो – हमारा दस्तार भाई बकरावकू मारा जिणकू मार मै पाग बाधूगा पछै वाजेराव नबावसू मिलियो है. नवावनू राजी कियो जद नवाब कह्यो - माग, तूठो. इण कह्यो - पाग बाध लीजे नवाव पाग बाध लिवी। २००५ साहू राजारो नव बाजेराव सवा लाख रावत ले वगालै गयो. सरजंगनूं भजायो, पछै लखणेऊरो नवाव मनसूरअली वसीण कनै अढार लाख रुपया पेसकसीरा लिया। २००६ पूनै दिखसु आनि वाजेरावर तीन बेटा हुवा – नानो १, भाऊ २, रुघनाथ राव ३। २००७ नानारो वेटो वडो विसवासराव काका भाऊ साथै गिलजारी राड़में काम आयो। २००८ सवत १७७२ छठ बुधवार दिखणी भाऊ माराणो अहमदसाह दोजथी जीतो। २००९ अजमेररो सूवैदार सताजी वावळियो दिखणी भाऊरा जगसू कंगालरै भेख किसनगढ छतरीमे आय बैठो हो. माळी कनासू मूळा मांग खाधा। २०१० पेसवा नानारी गादी नानारो छोटो वेटो माधोराव बैठो। २०११ पेसवा माधोरावरी गादी माधोरावरो बेटो नारायणराव बैटो। २०१२ पेसवा नारायणरावरी गादी नारायणरावरो गरभावास छोटो माधोराव बैठो। २०१३ नानो फडनवीस रात -दिनमे दोय घडीरी नीद लेतो। २०१४ दोनू पेसवाका उमराव अम्रतरावजी कासी रहै, वाजेरावजी विठूर रहै । Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०१५-२०३२] मराठारी वातां [१६९ २०१५. मानकरी उमराव' सवा से पेसवार हुता. २०१६ उभाड गायकुहाड़ा जोडैज हुता। २०१७. नागपुरका भोसळा श्रीवतका दिया हुआ मुलकमे मुहम मालकी कर. गाय कवाड ही में से सीधिया हुलकर पेसवारा अमलमें सर्वत्र मुहम मालकी करै । २०१८. नागपुररा धणी वडा रघूजी, ज्यारै तीन बेटा हुवा - जानूजी १, मूधाजी २, सोबाजी ३ । २०१९. मूधाजीरा वेटा तीन - रघूजी १, चिमना बापूजी २, मानिया बापूजी ३ । २०२० रघूजीनू जानूजी खोळे लिया जानूजीरी राणी दरियाबाई । २०२१. सोबोजी खोळो उथामणने फोज ले आया जगमे मूधाजीर हाथरो घमाको लूटो हाथी चढिया महावत नूरमोहमदरा कह्यासू सोबाजीरै गोळी लागी. हाथीरै होदै खेत रहिया। २०२२ लालप्यारो घोडो, नगीनो हाथी नागपुररा राजारी मरजीसू हुवा । २०२३. दस हजार घोडो सासतो नागपुर तबेलै हुतो। २०२४ सिंधिया दिखणी सावतारा पायपोस वरदार नै हुलकर सावतारा उमराव है। २०२५ सिंधियारो सेस - कुळ कहावै झडामें सरपरो चिह्न है आरै।। २०२६ सिंधिया मानाजी फाकडा वडा बहादुर हुता टीपूरी नोकरी करी. करणा टकसू दरब रोजगारको जबरीसू दिखणमे लाया । २०२७ मानाजी फाकड़रा बेटा अगदराव फाकडा धाडा किया सिरजीत रावरा मारणमें सामल हुता गुजरातमें गया, उठे हीज मुवा. अणदराव फाकड़ारा बेटा मुकदराव हम दोलतरावजीर खोळे गादीनसीन हुवा। २०२८ कनेर खेडासू उठ चमार गूदो सिंधिया अपणायो चमार गूदारो नाव श्रीगूदो प्रसिध दायो कियो। . २०२९ दिखणमें किनेरखेडी उतन सिंधियारी जयाजी, जोत्याजी, दत्याजी तीनू राणोजीरा बेटा राणोजी जनकूजीरा, जनकूजी दत्याजीरा। २०३० जयाजीरै लुगाई सखूबाई, जोत्याजीरै लुगाई सगुणाबाई, दत्याजीरै लुगाई भागीरथीबाई। २०३१ सिंधिया जमायानू लोक आपो कहै । २०३२ दोलतरायरी वायकू बायजाबाई, सरजैरावरी बेटी, हीदूरावरी बहन दूजी वायकू रुकमाबाई। २२ Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७०]] वांकीदासरी ख्यात [२०३३-२०५१ २०३३ सिधिया राणोजीर खवासरो बेटो पटेल माघजी केदारजी. सिंधियारी लुगाई मेणावाई जिण पुत्र प्रगट हुवो दोलतराय । २०३४. माघजी पटेळरी त्रिया पारवतीवाई जिण दोलतरायस् जग कियो। २०३५ भाऊगरदी हुई जद पटेल माघजीरो पग कटाणो. पठाण राणखां आपरै घोड़े चढाय ले निसरियो पून गया पछै पटेळ बडो भाग पायो । २०३६ दिखणी जगू वापूजी ओ दादोजी लखू ओ दादो किसनजी गोपाल भाऊ रायजी पटैल राणोजी वायठाण वगेरै माघजी पटैलरै ठावा आदमी हुता ।, २०३७ हुळकर मलारराव दिखणमे वेटीरो व्याव कियो जद भेळपरै ताबै बुलायोडा व्याव ऊपर बूदीसू उमेदसिंघजी रावराजा दिखणमे गया हुता। २०३८ सवत १८२३ रा वैसाख वद ११ मलारराव मुवो। २०३९ धनगर नराणराव वारगळ री वेटी गोतमावाईन विला. दिवाण मोहणदासरी वेटी ननूवाई दोनू हुलकर मलाररावरी त्रिया सत कियो। २०४० हुलकर मलाररावरी लुगाई गोतमावाई बेटी वेटो खाडेराव भरतपुररा जाटा मारियो खाडेरावरै अहल्यासू पुत्र भालेराव पुत्र हुवो महा नीच उण मुवा तकूजी खोळे आया। २०४१. अहल्यारै मूकतावाई वेटी फणसियानू परणायी। २०४२ अहल्यारी बेटी ऊदावाई फणसियानू परणायी हुती। २०४३. कासीराय १, मलारराय २ - दोय वेटा तकूजी हुलकररै । २०४४ माधवारो वेटो वापू हुलकर । २०४५ सतावारो वेटो भीखाजी । २०४६ तकूजीरी तिरियारो नाव रुकमावाई। २०४७ तकूजीवा १, माघजीवा २, सताजीबा - अ तीत सगा भाई । - २०४८. पाटणकर आभाजीराव वडो उमराव हुवो है पेसवारै उठणरो कुरब हुतो। २०४९ गढमडळामे गूडरो राज हतो सो दिखणिया खोसियो। २०५०. सोलापुररो राजा ढेढ है सो वेडर कहावै हमै हैदरावादरै नवाब सोलापुर ले लियो। पिंडारा २०५१ पिंडारा करणाटकरा कदीमसू पछै करणाटकसू आया सावतारै चाकर रह्या आ हिंदुसथान माथै हुलकरानू विदा किया जद पिंडारा तईनात किया जदसू हुलकरारा चाकर ठेरिया पिंडारा । Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०५२-२०६८] सिखारी, जोगियांरी वातां । [ १७१ २०५२. पिंडारारी बाईस ढाल हुलकररै तावीतमे हुती खरडारी राडमें हैदराबा दियानू लूटी पिंडारा धनाढय हुवा । सिख २०५३ गुरु नानगरै बहन हुई नानगी। २०५४ चमार तेगबहादुररै सामल माराणो उणरा सिख रैदास कहावै रैदास गुरदे पास । २०५५ मिरासी नाम मरदानो तेगवहादुररै साथ माराणो, जिणरा मिरासी मर। दानारा पथरा सिख रवाबी है सिख हजारीरो माल उणानू दैवै । २०५६ चडाळ तेगबहादुररै साथ काम आयो उणरा सिख रगरेटा कहावै रगरेटा गुरुदा बेटा। २०५७ लाहोररो राजा सिख रणजीतसिंघ जिणरै दोय कपू तिलगारा, मेक कपू गोरखियारो, अक कपू हिदुस्तानियारो, जुमले च्यार कपू। २०५८ सिखारी हाल दस लाख बदूक है । २०५९ सिख मसीतमे ग्रथसाहब पधराय मसीतनू मसूगढ कहै सेवापथी सिख दया वत विसेस' हुवै, सबकी सेवा करै, दुखीकी विसेस सेवा करै भीख न माग वडी वट नै आजीवका करै। २०६०. गुरु नानकरा भेखमे अकाली हरामजादा हुवै । २०६१ सिख सिखनू कहै - मुडितका विसवास न करणा। २०६२ सिख चक्रवर्ती हुसी – ग्रथसाहब कहै है । २०६३ सिखारै ग्रथसाहवमें कहै हे - चवदै सौ वरस ताई सिखरो प्रताप वधबो करसी। २०६४ चक्दै सौ वरस सिखारो राज रहसी - यू सुणीजै है। जोगी २०६५ द्वादस गुरू, द्वादस शिष्य, जुमलै चौबीस कापाळिक हुवा है । २०६६ उगरभैरव कापाळिकरै नै शंकराचार्यरै विवाद हुवो है। २०६७. जोगी गरीबनाथ सिववाडी आयो भागढभूतड थका रहै कहै हमीर पतर पुरो जिणकू सिववाडीका राज दै। २०६८ अक दिन चापै पेटियो गरीबनाथजीनू दियो आं कह्यो तू सिहवाडीरो मालक हुसी आ वात सुण रणधीर सिववाडी माहेसू चापानै काढ दियो. ओ नगर जाय रावळ वीदारी चाकरीमे रह्यो । Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७२] वांकीदासरी ख्यात [२०६९-२०७९ २०६९. जोगी गरीवनाथजी सोव आसण वाधियो चापा दूदावतरी वारमें. नागुड़दो भाडरवे गरीवनाथजीरा जोगी है। २०७०. गोरख टीलासू पीर नदीनाथजी अखड वस्ती अटकर तट वार तट जठ आण आसण वांधो. सवा लख हिंदू आरा सेवक है अटकसू किलासू मखड नजदीक है। २०७१ मखडा नवीनाथजीरी गादी पीर सीतळनाथजी. सीतळनाथजीरा चेला हुसियारनाथजी जोधपुर आया सवत १८८५रा सावण सुद १२ । २०७२ मखडा सीतळनाथजी पीर कहता-जोगी हमारे वरसमे अक वार आवै सो हमेसा गुरूने वरसमें दोय वार आवै सो हमारो गुरुभाई। २०७३. सवत १८८४रा आसोज सुद १५ आयसजी महाराज श्री लाडूनाथजी महा मदिर हाथी पचीस दिया. ज्यारी विगत- हाथी १ भाडियावासरा आसिया वाकीदासन दियो, हाथी १ मूदियाडरा वारट अनाडसिंघन दियो, हाथी १ कोटडारा वणसूर भैरानू दियो, हाथी १ लोलावसरा वारट गोकळदासनूं दियो, हाथी १ मोरटउकारा वारट चालगदाननू दियो, हाथी १ भदोरारा सांदू गिरवरदाननै दियो, हाथी १ कवाळियारा खडिया जालानू दियो, हाथी १ मिहरूरा महियारिया नदलालनू दियो, हाथी १ मथाणियारा वारट वगसीरामनू दियो, हाथी १ खुरलारा सुरताणिया वीजानू दियो, हाथी १ घड़ोईरा रतनू केहरानू दियो, हाथी १ खारावाररा वोगसा सुरतानूं दियो, हाथी १ कसूवलारा वारट सिवदासन दियो, हाथी १ धबकड़ारा गूगा उदैरामनू दियो, हाथी १ भोजग मनोहरदास जोधपुररो जिणनू दियो, हाथी १ जोधपुररा भाटनू दियो, हाथी १ जोगियांरा भाटनू दियो । २०७४ नाटेस्वर पथरा जोगेस्वर सतोखनाथजी अंजा भादारो कोढ गमायो । २०७५. राजेन्द्रगिरजीरो चेलो उमरावगिरि, उमरावगिरिरो बेटो रूपगिरि खिताब दिलावरजग, रूपगिरिरो वेटो रामलालगिरि । २०७६. कोटै उत्तमगिरजीरा विसणूगिरजी, वखतगिर दोया चेलां भंडारो आछो कियो आं लारै। २०७७ विसणूगिरिरै चेलो दयागिरि वखतगिरिरो चेलो गैवगिरि । २०७८ सूळी घोडी कठपीजरो नागोर आग्या करि प्रभातगिरजी दूर करायो। २०७९. सन्यासी धूणीगिरि धूणीनाथ कहायो वीकानेर सूरतसिंघजी आनूं गुरू कर मानिया । Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०८०-२०९२] वैरागियां वातां [ १७३ २०८०. चितोड माथै रावत भीमसिंघजी जद आ आगे समीचा खेडारा सध्यागिरिजी मनीजता । वैरागी २०८१. पूरबमे मकसूदाबाद चद्रकाणै रामावतारा वडा असतळ है. दोय से वैरागी सासता रहै, वडा सदावर्त दिरीज है । २०८२ पूरबमे पढै वैरागी टकसाळी कहावै, अपढे अडबगी कहावे । २०८३. वरघमान, अरणघटा आ दोना ठिकाणा नीबावतारा वडा असतळ है, वडा सदावर्त दिजै है | २०८४. झालारो वाकानेर जठे कूबावतारो ठाकुरदुवारो है । २०८५. कबीर सवत पनरासैमे हुवो. दादू पहला सौ वरसा पातसाह सिकदरनू परचो दियो सिद्धपुरादिक ठिकाणा नेमीस्वर विहारादिक जिन-मंदिर सप्रति कराया गजधर, अस्वधर, नरधर मडित जोतिसिया अरज किवी - आपरी आयु सौ वरसरी है सौ वरसरा छत्तीस हजार दिन हुवा छत्तीस हजार जिन - मंदिर सप्रति कराया मातारा उपदेससू आपरी ऊमररा दिना जिता जिन-मदिर कराया. जुमलै सवा लाख जिन-मंदिर कराया राजा सप्रति नवासी हजार जिन-मदिर जीर्णोद्धार करायो सगती राजा परमार कलो भरत क्षेत्र राती क्षेत्र जीतो सिंघ सोवीर देसरो राजा उदई नाम सो साधू वो जैनी । 0 जैन साधु २०८६ हीरविजय सूरि तपगछमें श्रीपूज, जिनचद्रसूरि खरतरगछमे श्रीपूज, अक समैमें हुवा अकबरनू परचा दिया | २०८७ विद्या खरतरारै विसेस, धन तपारै विसेस | २०८८ तपागछमें तेरै बैसणा है, खरतरगछमें इग्यारै बैसणा है । २०८९ विजयदेवसूरिरा वसरो श्रीपूज जिणरा जती तपामे घणा है उण पछे विजयाणद सूरिरा वसरा श्रीपूजरै जती घणा है । २०९० तपगछरो जती जानविजै महाराज अजीतसिंघजीरो विद्यागुर । २०९१ ग्यानविजै तपगछरो जती महाराज अजीतसिंघजी रे विद्यागुरू पळासणी पटै हुती. उणरै सारा चेला कपूत हुवा । - २०९२. ग्यानविजै अजीतसिंघरो गुरू, जिणरो चेलो वीरमविजै, घरमे त्रिया घाली ही उणरी बेटी फळोधीरा मथेण श्रीचंदनू परणायी । Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७४ वांकीदासरी ख्यात [२०९३-२१०६ २०९३ हीरविजै जिनमतरो टीपणो वरतियो हो पछै सवत १८४१ रै वरस नागोरी लूकारा गछरा श्रीपूज हरखचद जिनमतरा टीपणारो वरतारो कियो । २०९४ कछ देसमे कच्छी ओसवाळ करूखसूरी किया उवै हमै आधाईक आंचळियामें वस है, आधाईक तपामे बस है। २०९५ वीकानेरमे सात सौ घर खरतरगछरा स्रावकारा है । २०९६ जिनदत्तसूरि परचा घणा दिया देवानुग्रहात् । २०९७. जिनदत्तसूरिरो पोतोचेलो जिनकुसळसूरि दादागुरू पोतोचेलो दोनू दादाजी कहावै । २०९८ रूपो-रगो गुरू भाई रूपारा वडा खरतरा, रगारा रगविजया । २०९९. खरतरो जीवण जती अक महाराज अभैसिंघजी आगै मनीजतो चुगली घणी करतो चेला इणरै कपूत हुवा। । ओसवाळ २१०० रतनप्रभ सूरि पछै कवळेगछ कक्खसूरि हुवा ज्या बहतर गोत्र ओसवाळ किया वाघरेचा, वाघसार इत्यादीक । २१०१ कवळेगछ रतनप्रभसूरी गाव ओसियामे अठारै गोत्र ओसवाळ किया - तातेड़ १, वापणा २, करणावट ३, वलह ४, मोराक ५, कुळहट ६, विरट ७, लोहडे साजने ८, श्रीश्रीमाळ ९, श्रेष्ठ १०, सचेती ११, आदित्यनाग १२ इत्यादिक । २१०२ श्रेष्ठ गोत्र साखा- वैद्य १, विरट गोत्र साखा भुरट २, बहल गोत्र साखा चोरडिया ४। २१०३ साह भैसो माडूगढ, हमीर लालाढो इलवर तजार, सुराणो सोम सैंभर, लोढा रामो भैरव दोनू भाई आगर, कोठारी रणधीर मेडतै, मुहणोत जैमल जाळोर, कोठारी आसकरण मेडतै, परवत लूणियो जालोर, कांकरियो वाली कुभळमेर, रतनसी गाधी जाळोर, मलकसी विहारी आगरै, थिरो भंडसाळी जेसळमेर, वछावत करमचद सगरामोत बीकानेर, कावड़ियो भाभो. भार मलोत उदेपुर- आछा दाता हुवा । २१०४ जगदेव परमाररो वेटो मधुदेव, मधुदेवरो सुर जिणनू श्रीपूज धरमघोसा चार्य वाणियो कियो सुररै वसरा सुराणा कहाणा । २१०५ सवत १११५ सुराणा नागोर बसिया । २१०६ नागोररै सुराण सहदेव चूहडमलोत लाख रुपिया आफ्रा घरसू राजमे भर मुहणोत नैणमी सुदरदासरा छोरू कबीला कैदस कढाया। . Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१७५ २१०७-२१२१] ओसवाळांरी वाता २१०७ नागोररो सुराणो पूजो, पूजारो कुजो, कुजारो सतीदास, सतीदासरी बेटी सुसाणी जिणरी सगाई दुगडारै किवी ही उवा कवारी हीज बीकानेररै गाव मोरखाण जमीमे प्रवेस कर गयी इणरो वडो देवळ है - मूरखाणे इणनू सुराणा दुगड दोनू पूजै है। २१०८ खाटूरो परमार खीवसी जतीरा उपदेससू वाणियो हुवो उणरै वसरा खीवसरा वीसळपुर अकण जोधपुररा अकणरा उदेपुर राणाजीरा कामेती है। २१०९ पूगळियो मुहतो फळोधी राव हमीररो कामेती राव हमीररी सभामे बैठो उणरै बेटो हुवो जद वधाई दिवी उण वेळा भैरवी बोली. रावजी पूगळिया मुहतान कह्यो - इणरो नाम कोचर दीजो, इणरो घणो परवार बधसी, ओ भागधारी हुसी, यू हीज कियो कोचर मुहतारा हमै मारवाडमे तीन सै घर है। २११० अक जगडू वधमानरो, दूजो जगड सोलावत हुवो। २१११. विमळसा उदै भाणरो पोरवाळ । २११२ वसतुपाळ, तेजपाळ, मालदे, लूणा - च्यारू आसराजरा बेटा । २११३ वस्तुपाळ तेजपाळ देलवाडै जिणमदिर करायो जिणनू अठार करोड रुपिया लागा। २११४ आबू माथै गाव देलवाडो विमळसाह जिनमदिर करायो जिणनू नव किरोड नै किताईक लाख रुपिया लागा है। २११५ खरवै तपरो बेटो भैसोसाह आभानगरी हुवो । २११६ माडूरो नाम आभानगरी है । २११७ भैसोसाह जातरो गधइयो हो जिण सवत ९८८ २११८ अणलपुर पाटणमे गुजरातरा वाणियानू वैक छकिया। २११९ रायमल वैद मुहतो सोजत हुवो वीरमदेजीरै काम आयो सिर पडिया जूझियो कबध हुय बेटानू मारियो सायर - मुहता माटी मारका, घररा गणे न पारका । २१२० पतो वैद मुहतो सिवाणै कला रायमलोतरै काम आयो । २१२१ वैद मुहतो पतो अजावत सिवाणै कलाजीरै काम आयो सायर - पडियै सिर दीधो पातो कुभट गिरवर । Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७६] वांकीदासरी ख्यात [२१२२-२१३४ २१२२ पता वैद मुहतारै नराणदास । २१२३ पळसी वैद मुहतो महाराजकुमार गजसिंघजी जाळोर लियो जद विहारियांरै काम आयो। २१२४ सवत १६८५ (?) करमचद डोसी सत्रुजयरो जीरणोद्धार कियो उदेपुरवासी। २१२५ मुहणोत नैणसी जाळोर आमल जद वाडमेररो कामदार कुमो जिणरी बेटीरी सगाई नैणसीजीसू किवी नैणसी परणीजणनै गयो, खाडो वाडमेर मेलियो कमो मूसळ खडग सामो मेलियो डावडी औरठे परणायी जिण कारणसू नैणसी वाडमेर हदवाट मेलियो वाडमेर प्रोळरै कगाररै काठरा किंवाड हुता जिके आण जाळोर गढरी पोळ चढाया. सायर ___वाहडमेर जुगा लग डूबो, कमला - तणी कमाई । २१२६ महणोत सुदरदास जैमलोत गाव कवळे सीधल सीधलारा आदमी कट पाच सै जणा मारिया पचीस सती हुई वडो राहचक हुवो । २१२७ गाव सूजासररो वाणियो जात भडसाळी करणीरै दरसण आयो इणरो रग ___ भूरो हुतो आप फरमायो - आव म्हारा भूरिया | जदसू उणरो नाव भूरो प्रसिद्ध हुवो भूरारै वसरा भरा कहावै देसणोकमे माताजीरा खजानारी कूचिया आ कनै रहै छै । २१२८ जगनाथ १, रायमल २ - अ दोय बेटा लूणा गोरावतरा । २१२९ भडारी जगनाथजीरा वेटा दोय - अक जीवराज, दूजो हेमराज । २१३० चतुरभुज भडारी जीवराजोत है। २१३१ गगारामजी नै बछराजोत भडारी- अ हेमराजोत । २१३२ सिवाण भडारी मेघराज रावडैरारी पीढिया लिखते - लूणो १, जगनाथ २, हेमराज ३, वछगज ४, खीवराज ५, जुझारमल ६, मेघराज ७, जीवमल ८। २१३३ मेडतारो लूणियो तिलोकचद जिण रुपिया तीन हजार आपरा घरसू दिख णियान दे नै पुरोहित हरजीवण, भडारी सोभाचद नै मुहणोत ग्यानमल, मुहता वाकीदास वगेरै जोधपुररा मुसद्दी आगर ओळिया हुता ज्यान छुडाया । २१३४. भडारी भगवानदास रायमलोत वीठळदासरो पिता खैराडू राड़ सईदासू हुई जठे काम आयो। Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१३५-२१४९ ] सरावगियांरी और ब्राह्मणांरी वातां [ १७७ २१३५. साहजी सय्यद पटैलर मुखतार हो जिणरो वेटो मोहमद मीरखा" दिली फिरगीरी सिरकारसू पाच सो रुपिया महीनारा - महीने पावै. सिकल अकल आछी है । २१३६. सोघोजी वाघोजी दोनू भाई मारवाडमे आया. सींघोजीरं पारसजी नै चापसीजी दोय वेटा | २१३७ पदमोजी राणोजी. भैरूजी, सोभोजी दोनू पदमाजीरा । २१३८ सुखमालजी १, रायमलजी २, रिडमलजी ३, प्रतापमलजी ४, प्रिथीमलजी ५, नथमलजी ६, सुखमलजीरा । २१३९. प्रिथीमलजीरा बेटा दोय - विजैमलजी १, 1 २१४० सीघोजी १, पारसजी २, पदमोजी ३, सोभोजी ४, सुखमलजी ५, प्रिथीमलजी ६, विजैमलजी ७, तखतमलजी ८, धीरजमलजी ९, तिलोकमलजी १०, सुमेरमलजी ११ । २१४१. भीमराजोत चापसीजीरा जोरावरमलोत राणाजीरा । २१४२ फतैचदजीरा रायमलोत पीपाडरा सिघवी । २१४३ चैत वद ९ सिंघवी धनराज चलियो चैत सुद ९ सिघवी भीमराज चलियो । २१४४ वनो वाघनेर हालाकूडी इत्यादिक ठिकाणा सिंघमे ओसवाळ रहै है । सरावगी २१४५. जैपुर सरावगी मनीराम टूकियो वडो धनाढ्य रहे दोलतरामरा लसकरसूं वाधियो । ब्राह्मण २१४६ सुध द्राविड पचधा वडम द्राविड १, अकडतिमड द्राविड २, वृहच्चरण द्राविड ३, अष्ट सहस्र द्राविड ४ इत्यादि । २१४७. श्रीमाळी ब्राह्मण ज्यारा चवदे गोत्र चौरासी अवटक है श्रीमाळिया अणहल्लपुर पाटणसू आणि भीनमाळ सोळकियानू वसाया । २१४८ श्रीमाळियारै च्यार फेरा वीद-वीदणी साथ परण जिण दिन फिरें दूजै दिन कसाररा लाडूरा कवा सात वीद वीदणीरा मुखमे दिये, इता ही कवा वीदणी वीदरा मुखमे देवै छै वीदणीनू कळाया माथा लेने चार फेरा फिर । - २१४९ किणहीक सहरमें पाच जणा श्रीमाळी श्री माळियारी पचायती करता उवै देवाजोगसू पाचू ही सरीरपात हुवा किताईक वरसा माहोमाह मतो कियो - २३ ० Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७८ ] वांकीदासरी ख्यात [ २१५०-२१६३ पंचायती कियांनू आपानू घणा वरस हुवा सो हमै निचो करो, पचायती करणी आपै भूला क न भूला इत्तामे एक ब्राह्मण विनती किवी - आज म्हारै घर आरोगजो जद आं कह्यो - थारी मा डाकण है जिणसू थारं घर न जीमां. जद उण कही - इण वातरी मोनू प्रतीत नही आं कही तू जागतो सोय घोरावजे, आ थारो रातरै समै मूडो सूघसी 1 २१५० त्रिवेदी १, चतुर्वेदी २, जैठी ३, धीरेजा ४ - इत्यादिक खट मोढ | २१५१ नेड़ियाभू पीपरलो पीयराई - औ पलीवाळारा गांव तैमडा कनै है | २१५२ पलीवाळ जाट घाम नाम तोतो जिण वीकमपुररी हदमे गाव बाप वसायो. तोनारा वेटारी विगत - भवड़ो १, लखो २, वेहरो ३, मेथो ४ - बापमे मेघड़ासर तळाव करायो । २१५३ कनोजियामे व्यास पदवी नही, सरवरिया व्यास कहावै है | २१५४. गौतम गोत्री श्रीमाळी, गर्ग गोत्री पोहकरणा । २१५५. महेस्वरियारी साठी सात जातरी विरत पोकरणा छोगाणियारे है हाल तक । २१५६. व्यास तेजो, गंगो, तिलोकसी तीनू सगा भाई तेजारो तापी, गगारो गिरधर, तिलोकरो करो । २१५७. गंगाराम - सुतेनाऽयं द्विजेन हरिशर्मणा । कृतस् तार्क्ष-पुराणस्य सारोद्धार - समुच्चय ॥ २१५८ गगारामरो वेटो पारीक हरदेव ज्यारा वंसमे प्राणनाथ वीकानेर दरवारमे कथा करे हमै । २१५९ हरजीजी, हरदेवजी सगा भाई. मेड़तै लोकमणजी आर कडवं भाईभतीज लागे । २१६०. डडी श्रीधर चितोड़ा नागररो दूध हुतो । २१६१ पारख गोकळ मोढ जातरो वाणियों हो गुजरातरा सेठ खुसालचद अभया - दासरो गुमासतो दोलतराय आगै कुलकुलां । २१६२ भागरा जातरा रैवारी खारोडा हुवा. उवारै हाथ देवळजीरा खजानारी कूचियां रहती । २१६३. मारोतरा जातरा, मलिक खिताव, सगा भाई दोय ललू १, जगता २ वडा वनाढ्य मुलतानमे हुवा ज्या खत्रियारै वहन वेटीरो नातो होण दियो नही, पातसाही आग्या उयापी । Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१६४-२१७८] चारणारी वातां [१७९ २१६४. नाहर डैररा भील सिंदूररी आड किया, कमरे गूघरमाळा बाधिया बैस नै पगा धुणामे पाल तीर चलावै. झगड़े गाढा अलवाणा पगा अक वैत च्यार आगळ भाळ तीररी, अढाई आगळ भोई । । २१६५. पहाडमें नीवार जात हिंदू भैसो मार खावै है. नीबारानू मार नै सिसोदियां नेपाळ लियो । २१६६. धनगरारी जाता लिखते - हुलकरी १, वारगल २, वाघ ३, वाघमारिया ४, ढमढेरिया ५, भागवत ६, सैनगिया ७, खोळिया ८, गाडला ९, धोरापत १०, खटकिया ११ इत्यादिक गाडरी धनगर कहीजै । चारण २१६७. दागल १, गोलमा २, मीसण ३ -- औ तीनू भाई है । २१६८ टापरिया १, मिहड २, केसरिया ३-तीनू मकुआणा माहेसू निसरिया. माहेमाहे सवध हुवो छ । २१६९. रोहडियारी वारै साखा - रोहडिया १, घूना २, कुरड़िया ३, पाथेड ४, धीरण ५, सावळ ६, मीकस ७, कळहट ८, हाहणिया ९, वीठू १०, भाणू ११, गूगा १२ । २१७०. महियारियांमे सुदरवाई बैलाई कहावै कदीमसू कुळदेवी जाणराव सांदुवार महमाय वरदेवी छ । २१७१ पहला नरूका मुजरो करै, पछै आढा सुभराज करै । २१७२. सोरठिया वडा चारण है सासणारा धणी। २१७३ बारट ईसर सूरावत, सूरो दीतावत । २१७४. सीचाणो १, हाफा २, वीरवद्रका ३, राजपीपळा ४, कुहाटिया ५, इत्यादीक ईसर पोतारा गाव हालाहारमें। २१७५ सांदू गोयद १ राव गागाजीरै काम आयो । २१७६ सांदू चागारो गोयद, गोयदरो ऊदो, ऊदारो मालो, मालारै च्यार बैटा हुवा जसवत १, सावतसी २, ईसरदास ३, आसकरण ४ । २१७७ लाडणू परै गाव जोगलिय सामोरारो वास जठारै सामोर महेसदास महाराज गजसिंघजीनू राजी कियो । २१७८. इणरो भतीज हेमो गणेसदासरो बेटो जिण जोबनेर जाय महाकाळीरो वर पायो, चत्रभाख रूपग वणाय गजसिंघजीनू रिझाया । Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८०1 बांकीदासरी ख्यात [२१७९-२१९१ २१७९ भीमराजरा वसमे आसिया हरराम उदभाणोत हुवो। २१८० गाव जोगलियारो सामोर महेसदास जिण महाराज गजसिंघजीनूं जीभ दिखाडी महाराज सामोरारी जातसू ऊदावत हुवा. महेसदासरो भतीजो हेमो, गणेसदासरो वेटो जोबनेर जाळपादेवीरी क्रिपासू विद्यावान हुवो भाखा चत्र रूपग महाराजरो वणायो । २१८१ वेलारो अमरो, अमरारो राणो, राणारी सूरो, सूरारो करमसी, करमसीरो वैरो नै काधल, कावलरै भीमराज जिण दारोली नै जीतावास दोय सासण पाया। २१८२. वैलो १, अमरो २, राणो ३, सूरो ४, करमसी ५, कावल ६, भीमराज ७, अखैराज ८, उदैभाण ९, हरराम १० जीतावत हुवो। २१८३ भारमल १, सादूळ २, जगमाल ३, किसनो ४, कमो ५ - पांच बेटा आढा दुरसारै हुवा। २१८४ भारमलरा गाव पेसुवै १, जगमालरा गाव झारवा २, सादूलरा गाव लुगीमे, किसनारा गाव पाचेटिय, रायपुरियै । २१८५ भारमल दुरसावतरै च्यार बेटा हुवा - रूपजी १, भीमजी २, नदोजी ३, चदोजी ४, वडी डोढी रूपजीरी चालक नै चरोमढ रूपजीरो डोढीमे । २१८६ वरायळ १, हीगोळो २, लासोळ ३, पाचेटियो ४ - च्यार गाव किसने दुरसावत पाया किसनारै बेटा दोय - महेसदास १, मेघराज २. वरायळ, हीगोळो मेघराजरै रह्या पाचेटियै । २१८७ पसायत गाडणरी वेटी नाम मेली आढानू परणायी मेलीरो सावकुत वेटो हो __ जिणनू मार पसायतरा बेटा आढारी जमी अपणाय गाडणा वसायी वाय कनै । २१८८ लालस पीरदानरी बहन नाम कामळ उवा गाव खारडै महेवामे वारट कुभानू परणायी हुती वडो धन हुतो लालसजी कहाणी. वडा लाहा लीधा। २१८९ सवत १७८४ जेठमें राणै अजैसी सोदा वारूनू प्रोळपात कियो चितोड्।। २१९० महपैरा धववाडिय धधवाडासू चितोड जाय सागा राणानू रिझाय गाव ढोकळियो लियो सवत १५५३ सासण पायो । २१९१ मूळीरै धणी सोढै रतन ऊगा-आथविया ताईं मीसण परवतनू कोड़पसाव * दियो पचास लाख नगद, पचास लाखरो भरणो नै लाख रुपियारो माल नवैनगर वाई सोढीनू मेलियो। Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१८१ २१९२-२२१२] चारणांरी वातां २१९२ गाव राडहरो दुगहदो महिरेळण रायपाळ धूहडियारो दत्त चंद पायो। २१९३. महावड निकस काछेलानू कूपै मलीनायोत दियो । २१९४. कपार तळाव मडावर काछेलारो वीत जीवण सादू कूपैजी खिणायो। २१९५. राणे परताप लखा वारटनू गाव मनसुओ दियो। २१९६ कवियो गगादास रूपसिघोत गाव वासणीसू उठ गोड वीठळदासजी कनासू गाव कुभारियो तावापत्र दियो। २१९७ रावत वळू नगर हुवो जिण देवानू गाव मुडरवळो दियो । २१९८ गाव धूधाउर रावत खीमकरण जैतमालोत रोहड़िया कान्हनू दीनो। २१९९ गाव बोर रावत खीमकरण जैतमालोत चारण कूपानू दियो । २२०० गाव पड़गनै वडगाव सासण चारणानू गाव कुहाडी आसिया दला सोभावतनू देव. राम मेघराजोत दियो। २२०१ गाव डोडवाडियो सक्त १६९१ देवड़े चतुरै चारण पता जोधावतनू दियो। २२०२. गाव जालहेड़ो देवडा राव मानसिंघ, दूदा, अखैराजोत, जगमोतरो दत __ चारण त्रिभवणनू । २२०३ गाव पुळियो राव सुरताण भाणरै दियो। २२०४ महियारिया लिखमीदासनू रावजी माधोसिंघजी चोईस गावासू तुणपुर दियो। २२०५ कोटार राव माधोसिंघ चौईस गावासू तुणपुर लखमीदास महियारियानू दियो। २२०६ मीसण ईसरदासनू गाव बाटासू हीरणा कवरपदै भोज दिवी हाडावा नेग दियो । २२०७ ठीकरियो मिहडू वळूनू रावराजा चत्रसाळजी दियो । २२०८ नीलराहडो कविया गगादासजीरै पटै हुतो सो श्रीजी उमेदसिंघजी मिहडवानू दियो । २२०९ बारा गावसू गाव हिरणा मीसण ईसरदासनू दियो भोज कवरपदै बूदीरा नेग दिया। २२१० कवियो गगादास रूपसिंघोत वासणीसू उठ गौड वीठळदासनू रिझाय गाव कुभारियो मालपुरारो सासण पायो । २२११. इणनू गाव मोरटहूको राजा भोज सासण दियो. नीलहडो पटै दियो। . २२१२ सेसपुरी बाबी वनबा - मैं बूदीरा रावराजारा दियोडा गाव सर्गेलिया भावूनू । Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८२] वांकीदासरी ख्यात [२२१३-२२२८ २२१३ मीसणनू सासण खडेला खडीसो अक, पुररा घोडा दो वूदीरी हईन गांव हरियाणा हाडारो दियोड़ो। २२१४. चावड़ पूजै वनरलोत सासण देवरा हरण दियो। २२१५. राव गार कछमें तूवेरानू साठ सासण दिया । २२१६. मोरो १, संग्रावडो २, पीपार गुडो ३, माणको ४ -- इत्यादिक गांव कल हरारा घाणावारमे विहारियारा दियोडा। २२१७ हरभमरो पातल, पांतलरो दासो, दासारो भाखरसी जिण गाव आगडाऊओ रोहडियानू दियो। २२१८ दूदा जोधावत कनै वारट पातो महराजोत खोरीसूं गयो जद चारणवास दूदैजी पाताजीनू दियो। २२१९ नागोररो गाव डेहरवो सूंडायचांनू राणै सगर उदैसिंघोत दियो । २२२०. सरवाडर परगनै गांव गुंदाळी भादायूँ परमारा दियो । २२२१ सेखावत मनोहरपुररै राव पालावत वारट गिरधरदासन गोविंदपुरो दियो. भूधरदासनू हणमतियो दियो, केसवदासजीनूं किसनपुरो दियो, वनमाळी दासजीनूं कल्याणपुरो दियो। २२२२. कछवाह रूपसी वैरागर कविया अलूजीनू गांव जसराणो सासण कर दियो. सो मारोठरा गेडां जसराणो वैताळीस जवत राखियो. पछै मेड़तिया रुघनाथसिंघजीनू मारोठ पटै हुई जद रुघनायसिंघजी जसराणो कवियानूं दियो। २२२३ मकराणारो घणी कछरो करमचंदोत जिण चौरासी गावरी चौथाई चारण, भाटा, बामणांनू दिया। २२२४. हरळायां वघाउडै घोडारणिय दासोड़ी भोजा रतनू है । २२२५. मीसण अणंदनू घायलजी पोळपात कियो । भाट २२२६. राजोरा भाटानू सुरताणपुरो वेदळारा रावरो दियोड़ो है, सुरजणियावास राणाजीरो दियोड़ो है।। २२२७. टाक जातरा भाट ज्या माहे पाळूपोता सेखावतांरा ताटीसेवी । २२२८. टाक विष्णुदासोत राजावतांरा ताटीसेवी. टाक काळू करमसीरा नरूकारा ताटीसेवी। Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकीर्णक और मुसलमानांरी वातां प्रकीर्णक २२२९. अक सौ तुरी अकै दिवस सूरै सपलाण दिया, जठै गलूडियो सूरो नगराज हासावतरो जिण दिन दिया । २२२९-२२४४ ] [ १८३ मेवाडरो गाव आदोळो भोजगानू सो घोडा अक २२३०. मगतो ओसवाळ ओसवाळारो है जिको वीकानेरमे भ्यारियों कहावै । २२३१. म्रतक ओसवाळ आगे झालर बजावै. उवै ओसवाळ उवानू पुप्परो दै । मुसलमान २२३२. नजूमियां अगाऊ नजूमरी किताबामे लिखियो हो - आखर जमानारो पैगंबर सुतर सवार होसी । २२३३. सो मुहम्मद हुवो मक्कास कुरेसी तीन से तेरह मुहम्मदरै साथ मदीने आया. उवे शेख मुहजर कहाया । २२३४. अगाऊ नजूमिया किताब मे लिखियो हो इत्ता वरसां आखर पैगबर जनमसी, सुतुर सवार होसी । २२३५. नबियामें सुतर सवार महमद हुवो । २२३६. नजूमिया प्रमुख मेछा ज्यारो वचन है - आसमानरी जबरी देखो मसूरान्न खाना वाळो, ओठो दूध पीबा वाळो अरबरो आदमी आपरी किवी किताबरो जहानमे मत चलावण लागो । २२३७. मौलवी इग्यारै कबीला सहित महसद साथै मदीने आय वसिया । २२३८ तीहामा गावरो वासी महमद पैगबर मक्कासू महमदरै साथ आया मदीन उवै सेख मुहाजर मदीनारा सेख अनसारी कहावै महमदरी उमत । २२३९ मदीनारा सेख अनसारी कहावै । २२४० दुहु कुतुव आसमानरा आधार है - नजूमी कहै । २२४१ जवनारा नजूममे कहै है - आसमानरो बारमो है सो बुरज खरबूजा है लकीर ज्यू यू आसमानरै बुरज है रासरो नाव वुरज जावन्या । २२४३. मक्कारो नाम अरबीमे असरब । २२४४. मदीनारो नाम वतहा । २२४२ मुसलमानरै किताबामें लिखे है - अगरेजारै आगे रूमरो पातसाह भाजि हिलबमे जावसी, पर्छ इमाम महदी हुसी, कित्ताहीक वरस पातसाही करसी, पछै अगरेजारै हाथ ओ सहीद पछै कयामत हुसी । Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८४] वांकीदासरी ख्यात [२२४५-२२६० २२४५ मुहमद मुवा पछै छटै महीनै खातून जन्नत हुई। २२४६ मुरकब सैपुर कैवरारी लडाईमे महमदरै आयो हो सो महमद मुबां पर्छ घास दाणो पाणी तज तीजै दिन मुवो। २२४७ अलीरा खुदा न मे दानम अज खुदा जदो न मे दानम । २२४८ अहमद महमूद औ दोय नाम पेकवररा फरेस्ता पढे. महमद ओ नाम पैगवररो जमी ऊपररा लोक पढे । २२४९ फार कलीता ओ महमदरो नांव तोरेतमे है, याजुन माजुन ओ नाव महमदरो अजीलमे है। २२५०. मैहम नवीनै वडै पीर किणनू ही सराप न दियो मुहम्मद ईसम, अवुल ___ वासुम लकव, मुस्तफा खिताव । २२५१ सूरत नूर १, सूरत फिजर २, सूरत इखलास ३, सूरत तुलवर ४ इत्यादीक सूरतां कुरानमे है। २२५२. कुरानमे खुदा कहै है - बोल महमद खुदा १, खुदा किसीसे पैदा हुवा नही २, खुदासू कोई पैदा हुवा नही ३, जात जमातसू पाक खुदा ४ । २२५३ कुरानमे कहै है - रोजा राखै, नमाज पढे, नित खुदारो जिकर करै सो खुदा कहै, म्हारो वदो। २२५४ कुरानमे कहै है - मुसलमानरी त्रिया विधवा हुवां पछै मनमे आवे तो च्यार महीना दसा दिना पछै अन्य पुरससू निका करै, दूसण नही । २२५५ सेख, मुगल, पठाण - तीन खांपारै आ रीत है - कुराणरी अग्या मुजव पितारो चाळीसो कर अवृद्धा मातानू पुत्र जाय कहै - म्हारो पिता थारो भरतार मर गयो उण माथै ईमान राख तू वैठी रहै तो भला ही, नही तो थारा मनमे आवै जिणसूं निका कर पछै उणरीमातारै मनमे आवै ज्यू करै। २२५६. अळी जीवता खातून जनमता मर गयी जिणसू सईदार आ रीत नही । २२५७ मुसळमानारै कह है किनावमे - पुरख आपरी त्रियासू भोग करै गुदा तरफ तो उणसू कियो तिका सो टूट जावै । २२५८. यवनरै चाळीस हाथ कपडो चाहीजै म्रतक सरीरमे. जनाजा कहै म्रतक रथीनू यवन । २२५९ ईदुलजुहा वकरीदरो नाम ईदुलफितर रोजा ईदरो नाम। . २२६० चित्र लिखणो, मूरत वणावणी मुसळमानारै मनै है । Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२६१-२२७१] मुसलमानांरी वातां [ १८५ २२६१, यमनरा पातसाहरी बेटी परीजादी, बलकिस नाम, जिणनू पातसाह सुलेमान परणियो। २२६२. बलकिसरी भुवारी नजर घणी दूर पहुचती ऊची जायगा माथै बैठी निगा राखती, कित्ताईक कोसा नजर पहोंचती पर चक्ररी खबर देती. अक समै सत्रुवा वृक्ष काटि हाथमें ले लिया इण देखि भाई पात जिणानू कह्योवृक्षारो लसकर आवै है उण वात न मानी पर चक्र सहरमे आयो फतै पाय ऊभो बलकिसरी भुआनू पकडी पूछियो - इत्ती रोसनी चसमरी किण कारणसू इण कह्यो - पहला म्हारी मा आखामे सुरमो घालियो जिणसू दूर नजर दोडै सत्रुवा इणरी आखा काढि निगै कीवी आखारै हेटै सुरमारो दळ जमियोडो हो। २२६३ याकूत जजीरामे आदमनू खुदा पैदा किया उठ गेहू पैदा कियो उठासू काढि सरनदीप जजीरामें आदमनू राखियो । २२६४. याकूत जजीरामे रूमरा पातसाहरो अमल है आगै तुरगारी वढी आफत हुती इण जजीरामे। २२६५ अथ यवनारा तीर्थ लिखते - मक्को १, मदीनो २, करबलो ३, बगदाद ४, स्थान जफ ५, काजमैन ६, मसहद ७, रुकनावाद ८, वैतुलमुकद्दस ९, तखत रखुल आलमीन १०, कोहनूर ११, दमिस्क १२, कोहे लुवनान १३। । २२६६ अथ नवी पीरा प्रमुख यवनारो प्रसग दोलतावादरो जामे पीर जरजरी जर वकस १, दोलतावादरै किलामे पीर साकडै सुलतान २, औरगाबादमे पीर बुरहानुद्दीन ३, अलचपुरमे पीर रहमान सादुला ४, गिडदमे पीर बाबा फरीद ५, अलवरमे पीर ईमानसाह ६, वासममे पीर दावलसाह दरियाई ७, हैदरावादमे मुरतजा अली ८, मिरचमे पीर मीदासमत्ता ९, पूनामे सेख सलाउद्दीन १०, पूनामें बुरहानसाह ११, वीजापुरमे पीर अमीनुद्दीन आला १२, नजरवागमे पीर आमानसाह १३ । २२६७ गोरा १, कलदर २, कुतब ३, अबदाल ४ -- इत्यादीक अवलियारा भेद है । २२६८ अउलियाकी करामात पैअबरकी मोज जो कहावै लात मन्नात उजाती तीनू वोत मकामे होती। २२६९ नासीरुद्दीन चिराक दिहलवी दिली अवलिया हुवा है । २२७० सुरतान तारकीन कुतुब साहिब दोनू मुरीद खाजा मुईनउद्दीनरा। २२७१ नागोर हीरावाडीरी पौसाळामे हमीनुद्दीन रह्या तिण जतीरा भेखमें ऊमर पूरी करी इणनू दफनायो हमीनुद्दीन नागोरी । Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૬૮૬૬ वांकीदासरी ख्यात [ २२७२-२२८४ २२७२. सेख हमीदुद्दीन रेहानी १, सेख हमीदुद्दीन खोही २, सेख हमीदुद्दीन खालिस ३, सेव हमीदुद्दीन मुवैलिस ४, सेख हमीदुद्दीन कासालेस ५ - यां हमीदारी रैलत नागोरमं हुई सेख हमीदुद्दीन नागोरीरी रैलत दिलीमे हुई जवन कहै सातू हमीदारी रेलत नागोरमे होती तो नागोर खुर्द मक्को होय जातो । २२७३. खाजाजीरै चौरासी सागिर्द ज्या माह तरकीनजी गिणीजै सारासू छोटा । २२७४ खाजैजी सुलतान, सुलतान तारकीन कहि वतळाया अरथ पातसाह त्यागियूका । २२७५ खाजैजी जमान सहित नमाजमे रजू होते जद तारकीनजी इमाम होते नमाज गुजरा मरवा दवा मागि ऊचो जोवते जद अरसको काग़रो साराकै नजर आवतो ओ भेद पाय खाजैजी सुलतान तारकीननू कह्यो - तुम हमको ठगे सो हम आपका सागिर्द न किया आप हमारे सागिर्द होय ने फेर कह्यो - तुमारी औलाद अर हमारी ओलादकै परसपर परणीजणा परणावणा होहिगा । २२७६. खाजाजीरा पोता नै खाजा जीरा मुजावर सारा सीया होय गया हमै आगे च्यार वारी हुता । २२७७ गुजरातमे तुरकिया वोहरा सारा सीया है मुसलमान कहें - सीयारै मुकर दोलत होय, सुन्नी फतैन सीव होय । २२७८ इलवरस्याई रमूलस्यारी गादी हिनीफस्या, हिनीफस्यारी गादी फिदाहसन, फिदा मनसू खलना कीवी रावराजा वखता वरसिघ । २२७९ पातसाह लोदी वहलोलखा जिण मुलतानमे मोलवी सेख यूसफनूं बेटी परणाय दिवी ने कह्यो - वन्य भाग म्हारी बेटीरो जिणरै इसो विद्यावान भरतार | २२८० मित्रमे लकारी सइयदारी मानता विसेस है । २२८१ अमान हजरत अघासकू लखनऊरो नवाव विमेस मानै । महदी २२८२ पूरवमे जीवणपुर सहर जठै महदी हुवो नवीअत महमद ऊपर खतम हुई. व वलायत महूदी ऊपर खतम हुई । २२८३ महदवी कहै - कुराणमे आयत है महमदकी रैलतसूं नव से पाच वरसां महूदी दावो करनी । २२८४. कितावमे महदी कहँ - जिण दुनिया मे महमदनू भेजियो उणरो भेजियोड़ो हू ही दुनियामे आयो छू । Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२८५-२२९७ ] मुसलमानांरी वातां [ २८७ २२८५. नवाज गुजारनै हाथ पसारै नही महदवी । २२८६. रमजानरी सत्ताईसवी तारीख सारी तारीखामे उत्तम माने । २२८७. दूजा मुसळमान सारा महीनारी सत्ताईसवी तारीख उत्तम गिनु । २२८८ महदी नावमे बैठा तरीरै राह किणही विलायतनू जावै इणरा मुरीद नाव बैठा किताईक कोस गया नाव' दरियावमे डोलण लागी नावमे बैठा जिका धूजिया. महदी कह्यो- यूनस पैगवरनू मच्छी सात दिना पेटमे राखियो, पछै खुदारी आग्या उगळ दियो, मोनू निवाजस हुई नही जद वही हुई - महदीरो तोनू दीदार होसी इण वचननू साचो करण खुदा नावनू ऊची करै है, मच्छी जळ माहेसू परवत परिमित सरीर जाहिर कियो है सो मोनू देखी जलमे लीन होय जासी, नाव डुलनी रह ज्यासी यूहीज हुवो । २२८९ महदीरी औलादसू आल बहोत है महदीरै वंसरा पीरजादा कनै महदवियारा दिनरी किताव है। २२९० पठाण महदवी विसेस है । २२९१ कुराणरा हदीसरा सरारी विद्दत मेटण महदी जनमियो- महदवी कहै । २२९२ महदवी दरवेसारो थान दायरो कहावै, तकियो कहावै नही । २२९३ गुजरातमे महदवी घणा रहै दिखणमे घणा रामराजारा देसमे. देसमे महदवी है। २२९४. कपडा वगेरै चीजारो व्यापार ज्यादा करै। २२९५ रातरो भजन विसेस करै ईरानी तूरानी गैरमहदी कहै महदवियानू । २२९६ हैदरावादरा नवावरै कानडी वेगम उणरो गुरु मौलवी महदविया मारियो. चदूलाल हैदरावाद माहेसू लोक चढायो महदवियारो गाव चतुर गुडा माथै गयो महदी मारिया गया लाखा रुपियारी दोलत लुटाणी । पठाण २२९७ वनी इसराइल यूसफरो भाई जिणरै वसरा पठाण - पठाणरी जात लिखते - रूरी १, सरवानी २, किरवानी ३, लोदी ४, बाबर ५, गिलजी ६, . मीराजी ७, तोपा ८, करमली ९, करली १०, लंगा ११, मोहा १२, अमालजई १३, ईसपजई १४, महमदजई १५, बारकजई १६, सदोजई १७, कमालजई १८, दबाजई १९, काकडजई २०, तोआजई २१, उसतरानी २२, समानी २३, गोरी २४, खिलजी २५, आकोज २६, उमरबेल २७, आफरीदी २८, खद्दक २९, बगस ३०, नूरजई ३१, लोहानी ३२, बाबी ३३; Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८८] वांकीदासरी ख्यात [२२९८-२३१० विहारी ३४, पणी ३५, गजफूर ३६, तरनी ३७, मुसाखेल ३८, बुदैलवार ३९, दिलाजाक ४०। २२९८ अक समै हसनवसरी १, वीवीरा विया २, सेखमकी कबलकी ३, मालिक दीनार ४ -- च्यारू अवलियारो मिलबो हुवो हो । २२९९ पणी पठाणारी वावन खेळ है । २३०० पणी सेरसाहरै बखतरो है विलायतसू हिंदमे आया । २३०१ पणी नागड भाई है। सीदी २३०२ अबर कवर अयाज रयाज बगेरै सीदियारा नाम है । २३०३. अयाजनू केई कह सीदी केई कहै कसमीररा राजारो कवर, खूबसूरत । - . ख्वाजैजादा २३०४. कासमीररा उठियोडा मुसळमान ख्वाजैजादा कहावै । तुरकारी जात २३०५ उजमक १, किलमाक २, कजलवास ३, ताजी ४, चगेजखानी ५, हस्तर खानी ६, सीरानी ७, ऊव ८, मुगल ९, चिकता १०, गुरगानी ११, सुवतगी १२ । अलाउद्दीन खिलची। २३०६ अलाउद्दीन कहो - गोड १, चोळ २, गाजणो ३, कनोज ४, मरहट ५, पलाड़ ६, सिंध सपादल ७, गूजर ८, सोरठ ९, माळवो १०, चदेरी ११, मांडव १२, सारगपुर १३, रणथभोर १४, चितोड १५, नागोर १६, मणिपुर १७, मथरा १८, अतरवेद १९, काकपुर २०, भुजपुर २१, उडीसो २२, हिंदुसथान २३, जाळघर २४, कसमीर २५, कामरू २६, हिमाचळ २७, खुरासाण २८, ठठा २९, मुलताण ३०, चीण ३१, भोट ३२, तिलग ३३, वग ३४, विदरभ ३५ - इत्यादिक ठिकाणा अलाउद्दीन जीतो । २३०७ तुवां बतै हिंदुआं गमियां न जाय २० वतै हुत । २३०८ रळियो भायल आगेवाण होय भीनमाल माथै अलाउद्दीनरी फोज ले गयो पैताळीस हजार श्रीमाळियारा घर धनाढ्य चहुवाणारी वणायी ब्रह्मपुरी। २३०९ देवगिरिरै राजा रामदे वेटी दिवी अलाउद्दीननू । २३१०. अलाउद्दीन गिलची लोक खिलची कहै । Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३११-२३२१] मुसलमानांरी वातां तैमूर २३११ अमीर तिहमूर बलख सहरमें पाट बैठो । २३१२ अमीर तिहमूररो बेटो मीरासाह साहजादो थको मुवो । २३१३. जात मुगल बरलास नख चकता गोरगा। बाबर २३१४ हिंदरो पातसाह लोदी इब्राहीम, सुलतान सिकदररो बेटो, सुलतान बह लोलरो पोतो, जिणनू बाबर मारियो। २३१५ सुलतान इब्राहीम दाना वजीरनू मारियो, अनहरखा काकानू उदास कियो, कोल तोडन लागो, झूठ बोलण लागो, दारू पियै थो, पर स्त्रियासू गवन करतो, जगतनू बेराजी कियो. बाबर जिसी आफत इब्राहीम माथै आयी। २३१६ पांच हजार बरकदार, वारै हजार सवार उजबक मुगलारा साथ ले काबुलसू पाणीपत आयो उठे ही सुलतान इब्राहीम आयो. सात हजार पठाणासू खेत पडियो सुलतान इब्राहीम फतै बाबररी हुई। २३१७. बीकानेर, सिरोही, मेडतो, गागुरण, बूदी, भीलवाडो, आंबेर, मेवाड, माळवो, रायसेण, चदेरियारा ठिकाणारा मालक, अजमेररा जमीदार, मेवाड़रो लोक...सू सागै सीकरी बाबरसू जग कियो जोधपुररो धणी साथ नही हुतो जिणसू फतै हुई नही सागा राणारी सुलतान इब्राहीमरो साहजादो, डूगरपुररो रावळ - मैं पिण सागा राणा कनै हुता। २३१८. सेरसाह तमाम पठाणासू अको कर विहार देसम फिसाद किवी दिलीरो राह बंद कियो हुमायू में समाचार सुण चाकरारी सलाह लोपी, वरसातमें सेरसाहस जग करण चालियो सेरसाह जग करि जण.नै खिस गयो पर्छ पाछली रात प्रभातरो पाछडी ऊपर आय पडियो हुमायू सभाय सकियो नही कवीला छोड भागो नीठ लाघि नीठ बचियो घणो लोग नदीमे डूब मुवो। २३१९. माळवा-गुजरातमें, बगालमें पहलै हुमायूरो अमल होय गयो हो गुजरातरा थाणा छोड हुमायूरो भाई मिरजा असकरी जाय सेरसाहसू मिळियो । २३२० हुमायू दिली आयो भायारी फूटसू नै सेरसाहरा डरसू सिंधमें गयो भाई इणरो लाहोर पातसाह होय बैठो। २३२१. सेरसाह दिली आय पातसाह हुवो पछै लाहोर गयो लारै घर माहस हुमायूरा भायानू काढ दिया सिंध मुलतानां ई जबत किवी। Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९०] चांकीदासरी ख्यात [२३२२-२३३१ २३२२ हुमायू सिंघसू राव मालदेजीरो बुलायो फळोवी चिराई आयो वात दगा भरी देखी उमरकोटन गयो पछै सिंध लाघि ईरानमे इसपाहन गयो । २३२३ ईर, नरै पातसाह खधार गजनी कावुलमे बदखसां हुमायूरो अमल कराय दियो । २३२४ गुजरात घघ विण सौ देस लडि-लडि लिया सेरसाह । २३२५ काळिजररै गढ लागो सेरसाह उरड़ आघो गयो गढ माहला हल्लारै वखत सोररा होका उपरसू नाखिया नीचे सार हुतो सू आरा पडनासू भभकियो सोरसू वळ सेरसाह मुवो। २३२६ सेरमाह साचो, सीळवत, आदिल, नेक, नीतवत, खबरदार अवलियो रैतरो पीहर, सिपाहरो मित्र, चाकरा ऊपर मिहरवान वडो पातसाह हुवो । २३२७ । पाट इसलामसाह बैठो बडो पातसाह हुवो सो देस वारे पजवनमे रह्या. इण मुवा इणर पाट इणरो बेटो गढ गवालेर बैठो पछै इण डावड़ारो मामो सेरसाहरो भतीज नै जमाई सो इसलामसाहरा वेटानू मार गादी बैठो जिणसू दिली, लाहोरमे से रसाहरा भतीजजवाई पातसाह होय बैठा पूरबरा ठोड-ठोड जुदा-जदा पठाण आप मत हवा जद पातसाह हमाय सोळे वरसरो विखो काढ दिली ऊपर आयो. सिकंदरसाह जंग करण आयो. सो जगमे घणा पठाण मराय भागो । २३२८ हुमायूं दिली आय तखत वैठो कितोईक कनलो देस जबत कियो सिकंदर साह लाहोररा पहाडामें पैठो इण ऊपर साहजादो अकवर नै बहरामखा हुवा जाय लाहोर लिवी पहाड़ां ऊपर चलाया उण समै पातसाह हुमायू दिली पुराणीरा कोटरी मैडीतूं पडि मुवो आ खबर लाहोर पहोची कला नोरमे अकबर तखत बैठो। २३२९ दिलीमे सूवै उमराव हुमायूरा हुता। २३३० गवाळेर मवारजसाह अदली पातसाह हतो तिणरै सारो चलण वाणिया हेम ढूसररो हुतो तिको वडो दातार, जूझार सिरदार हुतो तिण वडी-वडी लडाया करी पठाण जेर किया मवारजसाह दुखी हुतो जिणसू वडो सामान करि दळ वळ करि हेमू ढूसर दिली ऊपर आयो । २३३१ दिलीतूं अकबररा ऊमराव दळ ले हेमु सामा आया युद्ध हुवो आखर हेमू जीतो अकवररा उमराव हुमायूरी लोथ ले, पातसाहरा कबीला ले, अकबररी तरफ चालिया हेमू दिलीमे अमल कियो मवारजसाहरै पूत नही हो नै आप चाकर नही हुतो जिणसू हेमू ढूसर दिली तखत बैठो राजा विक्रमाजीत कहायो ओ खिताव पायो । Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३३२-२३४४ | मुसलमानांरी वातां [ १९१ २३३२. आ खवर पाय अकवर आगे फोज मेली दिली तरफ वहरामखांरी सलाह उदी अकबर पाछै आवै हेमूनू खबर हुई उण समै हेमू कनै पचास हजार सवार, वीस हजार पाळा, हजार हाथी, हजार गाडी तोपखानारी । २३३३ अकबरनूं दूर जाणि मसलत चूकि तोपखानो अकबररी फोज सामो पहला वहीर कियो सो तोपखानो दिलीसू तीन कोस पाणीपत पायो हेमू चढणरी त्यारी करतो हो उण समै अकवररी फोजरा हरोळ हलकार करि अजाणिया तोपखाना माथै आय पडिया लोक तोपखानो छोड भागो । २३३४ पातसाह अकबर आपरी जणणीनू काध दियो हो । २३३५ सिपहसालार खानखानारो खिताब । २३३६. सिपहसालार ओ खिताब खानखानाने अकबर दियो । २३३७ मुमारज नाम पहलवानरो है मुमारजुद्दीनखा खानखानारो खिताब है । २३३८ अंतजादुलमुलक खिताब खानखानारो अतभुजरी अंतजाद कहावै । २३३९. उम्दतुलमुलक राजा टोडरमलरो खिताब । २३४० सवत ९९० पातसाह अकवर फिरगरा पातसाह कनै सय्यद मुजफ्फरनू वकील मेलियो, खत लिख दीनो, तोरात अजील जबूर आ कितावारो तरजुमो मगायो । २३४१ सिपहसालार खानखानारो खिताव मुमारज पहलवान मुमारजुद्दीन खानखानारो नाम । २३४२ वीरवल माराणो जद पातसाह अकबर कसमीर हुता खानखा गुजरातमे हुता खानखानू खत इनायत कियो अकबर जिणमे लिखियो - म्हारी सभानू नजर लागी जिणसू म्हारी सभारी जेब वीरवल माराणो हू वीरवलरी लोथ का ले बाळतो तो उणरी चाकरीसू उरिण होतो खुदा - तालारी ऋपासू वीरबल मोनूं मिळियो हो म्हारा दिल माहली बात बाहर आणतो दारु ज्यू म्हारा सुखनबाण सवारणनू खुरासाण हुतो वीरबल जीव तन रुप मागियोडो पड त्यजने दो अधल पडदा मोनू हमें सामो कनैसू निवाजस पाया करो हू तो फायदा लेबो बरु हमेसा खुदारी महरसू म्हारी नजर तो माथै पडे म्हारा जलाल महलरो तू थभ है वीरबलरो जीव तन रूप मागियोडो पडदो त्यज अधल पडदामे दाखल हुवो । २३४३ पेसवा अगसर खिताब है । २३४४ बड़ी फोज जैस जावन्या । Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९२] वांकीदासरी ख्यात [२३४५-२३५४ २३४५ खानखानारी अरज कसमीर आयी गुजरातरो मालक मुजफ्फर गुजराती चाळीस हजार सवा रारो धणी जगमे पकड कैद कियो है सेख इब्राहीमखा सीकर वाळनू अठै मेलसी सो ओ सूबो उणनू भोळायनै हू दिखण माथै जाऊ। २३४६ च्यार गुजरातरा उमराव ज्यानू मै वचन दिया है सो उवानू नवाजस कीजै. जाम' खगार १, ऊदो २, जगन्नाथ ३, साहिमखा ४. आप दिखणरा हाथी मगाया सो दुरस्त पिण प्रतीत वाळा हाथी - महावत अठ मेलजे साथ हाथी मेल देमू । २३४७ पातसाह अकबर वेराजी हुवो खानखानासू जद खानाखान राव कल्याणरै सरण वीकानेर आयो हुतो। २३४८ अकवर कसमीरमे जद खवर मक्कारी हज करण मुसळमान जाता हा हिंदसू ज्यान वलोचा लुटिया. आ वात सुणता ही अकवर नाक सळ घालियो तीरै मार वफादार राजा वीरवल बलोचां माथै विदा होतो हुवो। २३४९ नीराह १, विजो २ वगेरै च्यार ठिकाणा जवर बलोचारा वडा पहाड़ारा घेरमे राजा वीरवल फोज ले गयो पहाडारा घाटा भाजिया बलोचानू मारिया पकडिया, गाव लूटियो फोज धनसू अभरी हुई फतै कर पाछी वली बलोच पहाडा चढिया. घाटा वद किया मारगमे खाडा खणिया फोज ले वीरवल घाटामे आयो जद तीर, गोळी, गोफणासू पत्थर वलोच' लावता हुवा भाठारी लाग वीरवर मुवो सिपाह वेसुमार माराणो आ बात सुण अकबर राजा टोडरमलनू जैस दे नै विदा कियो इण बलोचारो देस ले लियो बलोचारा ठिकाणा तोड़िया। २३५०. तिरीह १, विजोर २, किकली ३, दतोर ४-अ च्यार ठिकाणा बलोचारा जैस वडी फोज, तीराह, तरवारा, आछी घडीजै है । २३५१. मिरजो सरफुद्दीन अलवर किलेदार हुतो, अकवररो उमराव आवेररा राजारा भाईवेटा दोय सरफुद्दीन पकडिया। २३५२. घोसारा डेरा भगोतसिंघजी, जैमलजी, जगमालजी, आसकरणजी वगेरे सात कछवाहा पातसाह अकबररा पगा लागा। २३५३ माहम नगा नामा अकवररी धाय जिणरी मारफत सैभररा डेरा कछवाहा अकबरनू डोळो दियो। २३५४ दोय वडी नोवत, दोय वडी देग रकवाई घडियाल, सोनारी पीलसोज, रुपारा किंवाड चितोडसू आण अकवर अजमेर ख्वाजजीरै भेट किया। Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३५५-२३६६ ] मुसलमानांरी वातां [ १६३ २३५५ जोरागढ अकबररा उमरावा लियो जद राजा वीरसिंघ गढपतीरी राणी कळावती भली तरै गढ भिलता काम आयी. आऊ गढ हम नागपुर हेट है । २३५६ पातसाह अकबरर वारह सूबा हुता। २३५७ भारतरो तरजुमो फारसीमे अकबर करायो, नाम रजवनामो रसायणरा सोनारी लाखा मोहरा अकबर पडाय अक ही ओरियामे राखी हुती, आखरवत दान सारु अकबर अकसमात मर गयो जहागीर वागी थको प्रयागमें हतो मोहरा धरी हीज रही धरे धराये रह गये, चौकुटे अर गोळ । २३५८ अकवर कुटवाळानू लिखियो - लुगाईनू घोडा माथै चढण मत दीजो। २३५६ विन घगरो नगरो गये, अकबर साह जलाल । लाल कहै इक तालम, भये विराणे माल ।। २३६० सवत १६७८ साहजादा खुरम भीव सीसोदियानू मेडतो दिरायो। २३६१ राजा ईदो राड सवत १६६१ काती सुदमे भीम परवेजसू मोहबतखासू जग कर काम आयो खुरम आगै । २३६२ भीवरै कुवर किसनसिंघ मेडतै रामसरण हुवो। २३६३ सवत १६८३ परवेज वुरहानपुर मुवो । २३६४ दसहजारी दारासिकोह नवहजारी साहसुजो नवहजारी औरगजेब. पाच हजारी मुरादवकस। २३६५ साहजादा दारासिकोहरो बेटो सुलेमान सिकोह । २३६६ हरिवसरो, योगवासिस्टरो, सिहासणवत्तीसी वररुचि कृत जिणरो फारसीमे तरजुमो दारासिकोह करायो नाम गुलपसा ग्रन्थ राजावळी मिस्र विद्याधर ऋत, ग्रन्थ राजतरगिणी पडित रुघनाथ क्रत फारसीमें तरजुमो दारासिकोह करायो। २३६७ श्रीमत भागवतरो ही फारसीमे तरजुमो दारासिकोह करायो राणा रतनसेनरो नै पदमावतीरो अहवाल फारसीमे करायो दारासिकोह. नाम किताबरो रतनसेन-पदमावती। २३६८ भिदारिय राजा ओरगजेबनू चाबळ पगार वतायी उणरा चाबळ उतरि धोळ पुर आ ओरगजेब जग कियो साहजहारी फोजसू ।। २३६६ धोळपुररा झगडामें गोळासू पजि हाथी भागो, चावळमे पैठो ओरगजेबरो साहजादो जहादारसाह हुतो सो चाबळरा पाणीमे डूब मुवो। Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २३७०-२३८४ १६४ ] बांकीदासरी ख्यात २३७०. गुमा वीवी नोरगजेबरै मरजीरी वेगम हुती । २३७१ सवत १६७३ रा फागुण सुद १ ओरगजेब फोत हुवो । २३७२. नादिरसाहरो वकील दिली हो उण नादिरसाहुनू लिखियो - वेगा पधारिजे मारगमे काटो भाटो है नही । २३७३ नादर पातसाहनू महमदसाह मिरजा कहतो महमदसाहनू नादरसाह मिरजो कहतो | २३७४ ईरानिया धन वास्तै दिलीरी जायगावा अति ऊडी खणी, जमीरा हाड काढ लिया हा । २३७५. अहमदसाह दुरानी लाल किलामे विलायती याकूबखानू राखियो पातसाह अलीगोहर जद पूरवमें हुतो याकूबखा कनै पनरै हजार सिपाह हुतो । २३७६ साहग्रालम नाम अलीगोहररो है । २३७७ दिलीरा हिंदुवानू लाल किला मांहली जायगावा पातसाही वाग, याकूबखां दिखाया, जस लियो । २३७८ ईब्राहीमखा और मल्हारराव हुलकर भाऊ सामल न हुवा अजी तै अहमदसाह अबदाली भाऊसु जग न कियो । २३७६. दोयसै तोपा बारह हजार गारदां इवराहीमखा तालकै हुती । २३८० च्यार दस्ता साह कनै हुता जुमलै चाळीस हजार असवार साह कनै हुता । २३८१ हाफिज रहमतखा नजीमखा रूहेलो, अहमदखा बगस लगड़ा बावन हजारी सुजा बुधोलो इत्यादिका मिल भाऊसू झगडा किया फतै न पायी अहमदसाह अवदाली मदत आया जव न जीता । २३८२ दिलीसू नजदीक साहरी फोजसू दिखणियारै जग हुवो साहवसिंघ १, दत्ता २, काम आया जनकू भरतपुर आयो पेसवानू अरज लिखी - म्हारी मदत कीजै नही तो साह दिखण मायै कमरवधी करसी । २३८३ आ बात सुणनै पेसवै विस्वासरायनू नै भाऊनू हिंदुस्थान माथै बडी फोज दे विदा किया दिखणसू दिली आया जुमा मसजिद ऊपर इबराहीमखा गारदी तोपा चढायी लाल कोटमे गोळा पडण लागा याकूबखा मरहटारी बाह लेने लाल किला वारै निसरियो लाल किलामे भाऊरो अमल हुवो. भाऊ दिखणी नारूसकरनू लाल किला राखियो । २३८४ दिली लाल किलामें खास दिवाणरी छत मोनारी हुती उवा नादिरसाह लेगो. आम दिवाणरी छत रुपारी भाऊ ले लीवी । Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३८५-२३६५ ] मुसलमानांरी वातां १६५ ] २३८५. भाऊ दिली निगमबोधरा घाट ऊपर यग्य करायो. देवीरी आग्या हुई हमै भाऊ पाछो दिखणनू परो जावै, दूजे महीनै आय साहसू जंग करै तो भाऊरी फतै हुवै. विरामणा ओ व्रत्तात्त भाऊनू सुणायो. भाऊ न मानियो । २३८६ साहरी फोज भाऊ माथै अायी भाऊ विसवासराय सामा मोरचा माडिया. बहरामखा गारदी आरावो दागियो. अहमदसाहरो लोग गोळास घणो खेत पडियो खधारियारै भाजणरी ताकीद ही. इतै सुतरनाळरो गोळो लाग विसवासराय हाथीरा होदामें मुवो आ खबर पाय भाऊ विसवासरायरै मोरचे जावणनू हाथीसू उतरियो लोका जाणियो भाऊरै ही सुतरनाळरो गोळो लागो खधारिया घोड़ा उठाया भाऊ काम आयो. दिखणी घणा माराणा भाऊरी कतल भाऊ-गरदी कहाणी । [पातसाहां, वजीरां, नबाबांरा प्रसंग] सिंध २३८७ सिंधरो मिया नूरमहम्मद जिणरो नाम स्याहकुली नादरसा दियो । २३८८ अखैराज १, हदराम २, जगतसिंघ ३, अभजी ४, सेरसिंघजी ५, महमद ६, अलीपास सिंधमे आयो सरासू नूरमहमदरो वडेरो। २३८६ आरै मुहमदस्या इनायत फकीरनू मारनै झोक नामै ठिकाणो लियो । २३६०. स्या इनायतनू लोग इनायतुल्ला कहै ओ बारह सय्यदारो मुरसद हो । २३६१ पैगबररो काको मीर हमजा जिणरी औलादमें बलोच है। २३६२ मीर बहरामरो बेटो मीर बीजड, दूजो मीर सोभदार. सोभदाररो बेटो पर मीर फतैअली बीजडरी बेटी परणियो। २३६३ इलायरो धणी माडणोत हरनाथसिंघ १, करणरो धणी पातो मोहकमसिंघ २, लाडणरो धणी गैनू साखलो ३, धीरो सहलोत ४, मथाणियार बारट जोगी दास - आ पाचा खुदाबादमें मीर वीजडनै मारियो । २३६४ वीजडरो बेटो मीर अबदल्ला, सोभदाररी बेटी परणियो अबदल्लारो मीर गुलाम, सोहराबरै परणियो। मीर सोहराबनू फतैअली मिलवानू तेडियो - इण चूक तेवडनै फतैअली कनै आवण लागो सोराब जद बैरी फतैअलीरी मा सोराबनू कहायो-मीर वीजडनू चूक हुवानू किता वरस हुवा तोनू याद है के नही ? औ समाचार सुण पाछो सोराब वावडियो फतैअलीसू मिलियो नही । २३६५ Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६ ] बांकीदासरी ख्यात [ २३६६-२४०७ २३ε६. सोराव फकीर कहावै, कागदामे फकीर लिखीजै है जईफ है कडप करावे नही सलूक कितावा सुण हैं, आदल सखी जिसू | २३९७ सोरावरै च्यार भाई, पाचवो आप ओक भाई मीर सोरावरो ऊमरकोट काम आयो हो मीर सोरावरा मुलकसू दिखण हैदरावाद आश्रमणो सिंधुरो दरिया पचनद मिल हुवो जिकै उत्तर दाऊद- पोहरा, पूरव जेसलमेर । पालणपुर २३१८ हयातखारै वसरा विहारी पालणपुररा धणी । २३ε६. पालणपुररो दीवाण कमालुद्दीखा, जिणरै वेटो पीरोजखा पीरोजखारो करमखा पातर-जादो पालणपुर दीवाण हुवो जिण धधवाडिया दुवारकादासनू खासो घोडो दियो गुजरात पधारता अभैसिंघजीरा डेरा पालणपुर जद । २४०० दीवाण पीरोजखारो वडो वेटो फतैखा पालणपुर दीवाण हुवो । नागौर २४०१ सन ७८५ ममसखा विजढुलमुलकरो बेटो गुजरातसू नागोर आय मालक हुवो । कालपी २४०२ काळपी मुसळमान काम आया ज्यारी चौरासी गुमटी है । २४०३ जवन कहै -प -पाच पीर जो काळपी जुझनै मरता तो काळपी मक्को हुतो । लखनऊ २४०४ लखनऊरो नबाब गाजूरदी हैदर जहापना कहावै सात करोड रुपियारो मुलक लखनऊ हेटै हुतो आघो मुलक अगरेजा अपणाय लियो साढी तीन क्रोडरो मुलक वजीररं रहतो । २४०५. हस्तरजाखा हैदरवेगखा आसहोलारै मुखतार हुता तासीन १, अपरीन २, इलयास तीन खोजा मनीजता आसउद्दोलारै । हैदरावाद २४०६ हैदरावादरा नवावर नव क्रोडरो मुलक हो क्रोड रुपियारो मुलक अगरेजा mrat आठ कोड रुपियारी पैदासरो मुलक हैदरावादरा नवावर है । २४०७. बहराई छव हैमारी नागपुर हेट ही, दस हेंमारी हैदरावाद हेट हुती हम मारी हैदरावाद हेट है । Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४०८ - २४२२ ] फिरंगियांरी वातां [ १६७ २४०८. हैदरावाद मीर आलम तीन लाख रुपिया लगाय भारी तळाव करायो सहरमें जळरो पुर हो गयो । २४०६ कनकरी १, भेळचपुर २ पठाणारे पटै है हैदरावादरा नबाबरा दियोड़ा । २४१० हैदरावाद मीर आलम वजीर हो उणरो भाई मीरसाह टीपूरो वजीर हुवो । २४११ घोडोर, परेडी, आंसरे - अ किला हैदरावादरा नबाब कनासू सतारारं धणी लिया । टीपू २४१२ टीपू आपरा देसरो धंन परायै देस जावण देतो नही सिपाह वगेरा इणरा अमलमे हीज रहता । F [ फिरंगी ] २४१३ अग्र ेज १, पुर्तगीज २, विलदेज ३, फरासीस ४, फिरगी ५, डीगमार ६, गुरजी ७, इस्काटलैड ८, जरमनी ε, चिलबी १०, कुतबी ११, उसी १२औ बार टोपी निसारारी । २४१४. चीणा पटणरा नबाबनू अगरेज किंग करनाटक कहता. पछे उणरो राज खोस लियो । २४१५ आगै सूरतमे च्यारारो अमल हुतो नबाबरो १, अगरेजरो २, गायकवाडरो ३, पेसवारो ४ । २४१६ पटैल गवालेर तोडियो जद पापन साहब फिरगी पटेलसू जग कियो । २४१७. अगरेज कपतान मिस्टर आन स्काट साहब नै वगलरामरै मोलविया दोनू मिल हफत अकलीम किताब वणायी जिणमें कहे है कितीक जमी झडा हेट, कि पहाड हेट, कि बरफ हेटै, कि खारमय, कि आधारा माहे, कि जळ हेट, कि बळियोडी है | २४१८ पूरबमे गगारै तट किलकत्रासू बारह कोस उलदे जाच चौडो सहर बसायो फरासीसा फरासडागो सहर बसायो दोनू सहरा अधकोस वीच है । २४१६ पहला लालमडी सहर हो गगारै तट महा काळी देवी विराजै जठे सहर कलकत्तो अगरेजा वसायो । २४२० नेघडालन साहब नीमचरी छावणी मुवो । २४२९ मिसटर मटकलबरो छोटो भाई तामस मटकलब । २४२२ इफ अवरगेस नाम गवर जेलरो, व्यासजी जिणसू मिळिया । Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८ ] बाकीदासरी ख्यात [ २४२३-२४३४ २४२३ फरासीस मरियमनू माने, अगरेज ईसानू मान फरासीस कहै जमीसू आछी वसत प्रगट हुई उण वसतरी तारीफ नही, जमीरी तारीफ है । २४२४ अगरेज कहें सीपसू मोती प्रगट हुवै सीपनू चीर मोती लोक लियै तैरी ऊपर काड्या पवन ऊपर है इणनू पायदार मत जाणो मास खाणो ईसे कितावमे कह्यो है नही नै थे सरब जतुआरो मास खावो सो क्यो ? ओ प्रश्न कियो अगरेज उतर दियो - कासमीरियारै धरमरी कितावामें त्रियारे माथै पाग बाधणी न कही है, पिण कासमीरमे सरदी बहोत, इण कारणसू प्रथम अक औरत पाग बाधी, पछै देखादेखीसू सारी कासमीरणिया पाग वाधी, हर्मं देसातरमे रहै जिकेही कासमीरणिया पाग वाधै है, परपरा ठेरायी, यू फिरगमे सरदी बहोत जिणसू हकीमा मास खाणो अगीकार कियो, अब देसातरमे ही फिरगी मास खावै है । २४२५ अगरेज अक अजमेर छावणी हुतो व्यापारी सो महा झूठो हो अक चाकूरै मोलरा पचास रुपिया कहतो दूजा चाकुवा जिसा उणरै चाकू हुता । २४२६ अक कुत्तारा मोलरा हजार रुपिया करतो ओ अगरेज. दो सै रुपिया तो घणा जगा धामिया हुता । २४२७ जैपुर अगरेज रहतो असटरजी जिणगे अक हाथ टीपूरी राडमं गोळासू वढ गयो हो । २४२८. अगरेज कहै - छोटा मछनू मोटा मछ गिळ जावै, छोटा मछन् क्या सुख हुवा | २४२६ फिरगमें डूक पदसू वडो पद किंगरी है । २४३०. तुरमनामो अगरेजारे वाजो हुवै । २४३१. वाजा जितरा फिरगमें इता वाजा और विलायत में नही । २४३२ अगरेज हुडीनू बिल है । २४३३ अगरेजांरं वीवी मेम साहब कहावै । २४३४. फिरगण बीबी मुतसद्दी अगरेजनू अगीकार न करें, जगी अगरेजनू अगीकार करै । Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [प्राचीन इतिहासरी वातां ] नंद २४३५. पाटलीपुत्र पुरै राजा नवनद हुवो (? हुवा) ज्यारी लक्ष्मी दानाभावात् गगा तीरे पीत पाखाण हुई अजू है। २४३६ जैनरा न थामे कह है नव ही नद श्रेणकरा वसमे जनमिया। २४३७ राजा नदरा ठावा आदमिया वनमें पाटळा व्रखरी डाळ बैठा पखी नीळ टाच, जिणरा मुखमें विना उद्दम किया लटा पडै, जिका देखिया हा. विचारियो - अठ सहर वसावज तो इण सहररा लोकनू आपहीनू रजक मिळे. पछै सहर [वसायो] पटणो कहै मुसळमान अजीमाबाद कहै । विक्रमादित्य २४३८ विक्रमार्कनू अगनी वेताळ दोय सोनारा पोरसा दिया था जिणसू जगन अन्हण (२) कियो हो । २४३६ विक्रमार्क सहज दानविधि आरतियानू हजार, जिणनू वतळावै उणनू दस हजार, वाणी सुण हस तिणन लाख, जिणरी विक्रम तारीफ फुरमावै उणनू क्रोड सोनइया दिरीज । २४४० गळीमें पडियो अन्नकण जिणनू गजसू उतरि विक्रम माथै मेलियो जद अन्न - धिष्ठानको लक्ष्मी वर दियो तेण वरेण माळवै दुर्भिक्ष्याभाव । २४४१ सू गळीमे पडियो धानकण गजसू उतरियो विक्रम माथै धरियो. धान देवतारो वर हुवो माळवामे दुकाळ पडै नही । विक्रमादित्यनू राजा साळवाहण मारियो कठईक लिखै - समुद्रपाळ जोगी, जिण मारियो केई कहे विक्रमार्कनू साळवाहण मारियो, कोई कह समुद्रपाळ जोगी मारियो । [धार्मिक वातां] वैदिक धर्म २४४३ गगाजीरै वाहण कर्म, जमनाजीरै वाहण मच्छ । २४४४ नमखार मिश्रमें सर्व तीरथ आया, पुसकर प्रयाग न आया. अक गुर, अक राजा, तीरथारो जिणसू । २४४५ अरबुदवासी भील मरि नळ हुयो, भीलणी मरि दमयती हुई, सन्यासी मरि हस हुवो। Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २००] वांकीदासरी ख्यात [२४४६-२४६२ २४४६ राजा सागर पुत्रासू घापो नही । २४४७. रामचद्र दस हजार वरस राज कियो। २४४८. पुराण लिखे है - आनै ग्यानवापीरो जळ आगला जुगांमे कासीमे लोक पीवता आमें ग्यानलिंग प्रगटी लोक त्रिभग हो जातो। २४४६ पुराणमें कळपातर मान. पूरव मीमांसामे होणहार मान. वेदातमे ईश्वरेच्छा मान । २४५०. वेदातमे वावन मत है ज्यामें अद्वैतवाद प्रवळ है । २४५१. अद्वैतवादी चक्रवर्ती कहावै । २४५२ सोयगकार यथा सोय देवदत्त । २४५३. नैयायिक भनित मान सव्दनू । २४५४. सेय दीपज्वाळा स्मद स्यात् दीसै न तु वास्तव । २४५५ मीमांसक वैयाकरण सव्दनू नित्य माने । २४५६. न्यायरा प्राचीन पडितोरा मतमे नै आधुनिक पडितारा मतमे फरक है । २४५७. दक्षिणात्याका न्याय, मैथिलूका न्याय, बंगालियूका न्यायमे कही-कही फरक है। २४५८ वनमे आठ वरसरो खोडो ब्रामणरो डावडो आयो उण समै सिविकारूढ समाज समेत कुमारळ भट्ट उण वनमे आय निसरिया, इण डावडासू पूछियो गाव अठासू नेडो है के दूर है ? जद ओ बोलियो - हू वालक छु , खोडो छ , वकरिया वित्त है, दिन किंचित आय रह्यो है, गाव अति नेडो है जिणसू अजे वनमें खडो छ, अकलस लोक ईश्वरने जाण है, मोनू वनमें खडो देख गाव अति नेडो जाण लेणो. इण डावडान कनै राख पढाय भट्ट प्रभाकर नाम दियो इणरो कुमारळ भट्ट। २४५६ कवीर सवत पनरासमे हुवो, दादू पहला सौ वरसा पातसाह सिकदरनूं परचो दियो। जैन-धर्म २४६०. जिनागममे कह है - सत्रुजा ऊपर दस कोड मुनिराज काती सुद १५ सीधा । २४६१. सारी तीरथामें आमाक श्रेष्ठ तीरथ है। २४६२. जिन प्रतिमा जिन सरावी, कही जिनागम मांहि । ये जाके दूखन लगे, वदनीय सो नाहि ।। Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [२०१ २४६३-२४८३] भौगोलिक वातां २४६३. धुलेव रिखभदेव केसरियानाथ कहावै सोळ जणा फरासी पंखारा चाकर है। २४६४. दोय जणा दोय पंखा फरासी सासता धुलेव रिखभदेवजीरै चलायवो करें । २४६५. बीइंद्रिया त्रीइद्रिया प्राणी कहावै । २४६६ पचेद्रिया जीव कहावै । २४६७. नख भूत कहावै. अन्य सत्त्व कहावै । २४६८. अक घडीरी साठ पळ, पळरा साठ उपपळ जिन मते । २४६९ अक वरसरा तीन से चौपन दिन मानै जिनमते । २४७० जिनमते पाच बरसरो जुग मान । २४७१ भरत चक्रवर्ती आपरी हाथरी मूदरीरा माणकमें आदीस्वररी प्रतिमा खुदायी. नाम उणरो माणिक्य स्वामी दक्षिण देसमे कुलापाक नगरी जठे अज्य विराज सुवर्णद्वय पुरुष प्रसादात् विझक जगत अनृण कियो। २४७२ सैणक मरता पुत्र माथै कोप कियो जिणसू पहली नरक गयो चौरासी हजार वरस नरक में रहसी। २४७३ घर आगण आयो उठे। श्री सैणक महाराज ॥ २४७४ राजा सप्रति माळवेस्वर हुवो। २४७५ सौलै हजार मुगटबध राजा सेवा करता सप्रतिरी । २४७६. सवा कोड जिनर्विव कराया राजा सप्रति । [भौगोलिक वातां राजस्थान २४७७ जोधपुर ईदगाह दिखण तरफ है, उत्तरनू पहाड है जिणसू । २४७८ मडोवरमे भैरू विराजे है । २४७६ परमार भवसेन राजारी बेटी सेजळदेवी हुती सोजतमें सेजळरै नामै सोजत सहर बसियो हो। २४८० लाडणू डाहळिया रजपूत वसायो डाहळिया पछै जोहिया मालक हवा. जोइया कनासू मोहिला, मोहिला कनासू रावजी मालदेवजी लाडणू ठिकाणो लियो। २४८१ वडला जातरा जाटा ओ गाव वसायो जिणसू वडलू नाम प्रगट हुवो। २४८२ वडलू पहाडीरी गुफामे भूतेस्वर विराज है, नदवाणा ब्रामण सेवा कर है। २४८३. मेडतै चतुर्भुजजीरा मदिर कनै मदिररा कोट माहे सोनगरो सूरजमलजी पूजीज है चतुर्भुजजीरै भोग लागोडो थाळ सूरजमलजीरै भोग लागै, पछ ओ थाळ ठाकुरजीरा रसोवडा दाखल हुवे ।। Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०२] चांकीदासरी ख्यात [२४-४-२४६६ २४८४ गुडामे सोनार ठगारा सगसू ठग-विद्या करै है। २४८५ गुडारो ठग महमदियो करणाटक माहेसू साडी तीन मण सोनो लायो हुतो सोजतरा डेरा वडा महाराजरै पगा लागो अस्सी मोहरा नजर किवी गडा __ छोड वात वसियो आठवारा सिरदार सिवसिंघजीनू मनवार किवी हुती ।। २४८६ थेटू ठगारा घर वगडीमे हुता जैतावत सूरजमल वगड़ीसू गुडा वमियो जद ठगारा घर साथै ले गयो। २४८७ वगडीसू ठग देवगढ जाय वसिया घर इग्यारे सिरयारी जाय वसिया। २४८८ गाव धारवी कोटडारो है । २४८६ आगै ठठारो मारग कोटडा होय निसरतो लाग्वारो माल वहतो. दाण कोटडारा धणीर घणो आवतो। २४६० आगे बापडाऊ नामै गाव हुतो उण जायगा नवो वाहडमेर बसियो दोय कुवा तीस पुरस घणो पाणी, मीठो पूठन भाखर छ भाखर निरु खो छै जूनो वाहडभेर जठे पहाड है गढ छै भाखररै आधोफरै भाखररी गिरद वार्ड कोस पररै छै भाखरमे गढमे कुवा, तळाव, झरणा, वावडी घणा छ भाखर निपट सझाडो छै थोहर, बोर, गूदी, गागडी, लोकस, गूगळ निपट सझाडो छ। २४६१ वाहडमेरथी पचीस कोस वाळेतो, पचीस कोस नीवळो, तीस कोस ऊमरकोट, वाहडमेरथी कोस छव विसाळो, तीस पुरस, मीठो पाणी, त्रणो । २४६२ कोटडो गढसू भाखरी ऊपर कुवा गढमे छै, तीस पुरस मीठो घणो पाणी अक कुवो गावमे है। २४६३ फळोधी किरडारो जोहड जठे नाना प्रकाररी सुगध आवै लोक कहै इणमे पोसता रहे है। २४६४ वाळारा पाणीसू महेवा मे गेहू हुवै ज्या गेहूवारी साखमें पाणीरो हासल हाथी वाळीसै लियो वैडारो धणी । २४६५ भूरीघाट ऊपर पाबूजीरो थान है अठै माडरो नै मालाणीरो काकड है । २४६६ गुडा हेटै वाडमेर हेटै केईक गाव सूराचदरा, केईक सोढा दाविया । २४६७ सूराचदरा गाव २७ सासण, ५०० सूराचदरा धणीरै सूराचदरा गाव पाच सौ सत्ताईस । २४६८ डैराठरसू अधकोस ऊपरै ठिकाणो जोधो है उठे मधु राज करता, ओ मधुरो राजसथान हो हमे जोधो सूनो है । २४६६ वीकमपुर कनै लूडीरो हैडर कहीजे है ऊ विक्रमादित्य गाया, भैसा, साढा, छाळियासू भिळायो आपरो पण राख लियो । Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५००-२५१५] भौगोलिक वातां [२०३ २५०० सिवाणे गढ सीह लको है, सरापियल जायगा है ओ किलो कडतोडो है जिणसू राजवियारै रहण योग्य नही ।। __ २५०१ सिवाणारो खेडो पहला पोरवाळा वसायो. मुसळमानारा वासमे सोनाणारा पत्थररो जिनमदिर नै आथूणो भाखरी हेट सिवाणारो सिंदूरियो पत्थर जिण रचित पारसनाथरो मदिर, जुमलै दोनू जिनमदिर सिवाण । २५०२ गाधो तेरारोप छाड परा गया पछै जाळोरीरो गाव वाघरो जठासू वाघरेचा ओसवाळ आय सिवाण वसिया। २५०३ भीनमाल नगर रतन महेसदासोतरै समै स्वप्न देनै श्री वराहजी प्रथी बाहर आया। २५०४ जुजाळासू गुसाईंजी सेघाळ प्रगटिया भाखर माथै मदिर है सेखलासू खिरजा प्रगटिया मीठो नेवज चढे भैसा चढ गुसाईंजीनू गुसाईंजी घोडे असवार रहै. आ मूरत देवळमे गोगादे गुसाईंजीनू पूजै । २५०५ जेसळनेरसू खाडाळ पश्चिमनू है । २५०६ खाडाळसू आथमणा वरूरा मदिर है कुत्ता घणा राखै गाया, भैसा, साढियारी वार चढे जद डोर माहसू कुत्ता काढ देवै कुत्ता दौड आपडनै धाडैतारा घोडा ज्यारा अडकोस पकड लै पछै घोडा चढिया मैहर आवै वारू पर वनमे अक जाळ है उण जाळ कनै वारूरा भाटियारै नै वारूरा मैहरारै सत वडा झगडा हुवा है, सैकडा मानस माराणा है । २५०७ ऊटडिया महादेवसू बारह-बारह कोस चौतरफ हर वरस सुगाळ रहे । २५०८ बीकानेरीमे कोडमदेसर तळाब है, गाव नही है। २५०६ काकरोळीरा गुसाईजी ज्यारा सेवक आनू पूज, और गुसाईजीरा बाळकनू न पूजै हरिरायजीरै घररा सेवक हरिरायजीरै वसरा गुसाई ज्यानू पूजे, दूजा गुसाइयानू न पूजै गोकुळेमजीरा सेवकही इण हीज प्रकाररा है । २५१० उदैपुर आथमणो पीछोळो है, उगवण सहर वस है पीछोळारी पाळ रडो है, माटी नहीं है रडा माथै राणाजीरा महल है। २५११ कलाळियो पीछोळारो अंक देस । २५१२ जगमदिर जगनिवास पीछोळ मे रडो जिण ऊपर राण जगतसिंघजी कराया। २५१३ राणोजी जगमिदरा जावै सारी असवारीरो लोक चटकमा मोरचा पीछोळामे हगै पीछोळारो पाणी सहर पीवै । २५१४ उदेपुर माछळारै आकार छोटो गर है - उत्तरनू पूछ दिखणनू मूडो ऊ माछळो मगरो कहावै । २५१५ वधेरै वराहजीरो मदिर वेगमरै धणी रावत व. मेघ करायो । Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०४] वांकीदासरी ख्यात [२५१६-२५३३ २५१६ भीलवाडो मेवाडरो जठारा भील माथारा केस खुलियां झगडो कर, पीठ लारै ऊभी भीलड़िया बोले - धीरो पाखरिया । २५१७ मेवाडी गाव दूधुवो जठे वालो वघेरामे रावत मेरो। २५१८ तोडासू च्यार कोस पहाड ऊपर वनासरा दरहछवाळ नाडी ऊपर सिसोदिया रायसिंघ भीम अमरसिंघोतरै महल कराया, गाव वसियो जिणरो नाव राजमहल । २५१६ ईदावाटीमे धूताबर गाव चीमड विराजै खाडो देवळ वडो देवळ है। २५२० इंदावाटीमे गाव दूगर माता दुगाय भाखरमे विराजै है हाल तक। २५२१ जागळी नामे भील राठोड राजान वेटी परणाय आव दियो राठोड कनासं आबू गोहिला लियो दोय सै वरस गोहिलारै रही गोहिला कनातूं परमारा लियो परमारा कनासू प्रीतू देवडै लियो। २५२२ अवायजी अक सिरोहियो दरवाजो है । २५२३ अवावजीरी सेवा करै उदबर जातरा वामण । २५२४ दातारा धणीरी दुकान अवायजीरा पगा है घ्रतादिक वस्तु यात्री उण दुकानसू खरीदै । मालवा २५२५. मालवै सहर रुणीजो जठ देवडा मोक्ळोतरो राज है, भोजकराव वाजै आ माडवारा पातसाहरा चाकर हुता। गुजरात २५२६ गुजरात मे वडा-वडा तळाव है। २५२७ हडियारो घाट १, मडोळोररो घाट २ सतवासरो घाट ३, मरदानारो घाट ४, घोडा घाट ५, इत्यादिक त्याहीरा घाट है ? २५२८ आवारो पेड, महुवारो पेड, रायणरो पेड, आमलीरो पेड, गुजरातमे करसणी थीत गिणै । २५२६ गुजरातमे गरवो गावै - वेगळो रहे वरणागिया रे, वरणागियो रसियो। २५३० महतारी गरवारी तुक अक वार कहै, दूजी त्रिया दोय वार कहै । २५३१ गुजरातमे रोवणनू रडनो कहै । २५३२ गुजराती काकानै काचा कहै । २५३३ गुजराती आपरी त्रियारो जार होण आवै विणनू कहै - च्यार रुपिया आलसै तो अमानी बेर दोय सेर सोनो पहर तुमारे पास आवस, रुपियामे दोय सेर सोनो घसावस नही ? Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५३४-२५५५ ] भौगोलिक वातां [२०५ २५३४ कुणबी गुजरातमे हाड माडे, मनोती कर, करसण करै, सालवी पणो कर, छेसाई पणो करै। २५३५. गुजरातमें पालीसूको बदर कहावै । २५३६ डंड, मुड अर डाम - द्वारकानाथरी यात्रारो वर्णन । २५३७ कोरी न नाल मुल द्वारका ।। २५३८ वेचराजीरा चरणा कूकडा है ज्यानू मिन्नी न मारे । २५३६ पावानी पटराणी भवानी काळिकारै लोग गरवा रियै । २५४० डभोईरो भलो तळाव है तेलरो भलो तळाव है वडनगर, वीसळनगर वडा तळाव है। २५४१ डभोई सहरी पच महालामे है । २५४२ नादोल राउपीपळा अक घर है। २५४३ राधणपुररो परगणो वढियार कहिये आबूरो पाणी वढियारमें लावै इण पाणीसू गेहू चणा सेवज हुवै अर वढियारमे आबूरा पाणीरो हासल लियो राव अखैराज भालो पाण। २५४४ आलीराजपूर १, उदैपुर २, वारियो ३ - अ ठिकाणा चहुवाणारा गुजरातमे । २५४५ आली मोहण राठोडारा ठिकाणा आ ठिकाणासू नजदीक है । २५४६ सवत १७१६ भावनगर वसियो । २५४७ गुजरातजी नटवरजी वाळा ब्रजरायजीरा पुत्र ब्रजभूखणजीरै खोळे ब्रजभूखणजी गुजरातमे काकोजी कहावै । २५४८ नीमाणियासू ब्रजभूखणजी, ब्रजरायजी, रुधनाथजी पालणपुर सेरखा दीवाण भूतडी गावमे खोसिया। २५४६ गोरखमढी प्यारनाथजीरा घरमे बासणी गिरनारी है। २५५० पाटणमे वैजनाथ वाबू वडो धनवान है, वत्लभकुलरो सेवक है। २५५१ रेलत कूचरो नाम लुणावडा कनै वीरपुर वसती है जठे हाजी मोहमद दरियाईरी वडी दरगा है हजारा ज्यारतनू आवै है। २५५२ नवसारी १, घणदेवी२ - औ परगना कोकण सूरत विच-ज्यामे लारला दिना गायकवाडरो अमल हुतो। २५५३ मही वडी नदियामे गिणीजे है । २५५४. अमदावाद वाभियारो वधायोडो काकरियो तळाव वडो सरोवर है । २५५५ अमदावाद चवदै दरवाजा है इत्ता ही दरवाजा सूरत है । Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०६ ] बाकीदासरी ख्यात [ २५५६-२५७५ २५५६ सायपुररो, खेडारो, अमदावादरी दिली-दरवाजो, वडो दरियो दरवाजो, समतोडियो दरवाजो, कळूपुररी दरवाजो इत्यादीक चढे दरवाजा अमदावादरा है | २५५७ अमदावादरा आठ दरवाजा मात्ररमती नदी वह है अमदावाद जुर्म - महजी नरो ast कमठो है | २५५८ ममोई दरवाजो, वरियागे दरवाजी इत्यादीक चवदे दरवाजा सूरतरा है । २५५६ वरिया परिया दोय वडा सहर है सूरत कनै । २५६० हमें माडवें रजपूतारो राज है । २५६१ ईडररी ह्दमें सावळिये भील मावळियो सहर बनायो । दक्षिण - २५६२ गुजरातमू दिखण ऊची है । २५६३ पडरपुरमे प्रथम परचाधारी नामदे छोपो हुवो । २५६४ कोकणम खानदेसमें वगलाणानू वांगलाण कहै । २५६५ देव पूजामे ही विरामण तमाखू वाटियोड़ी सरव दिखणरा विगमण तमाखू सूघै । २५६६ मूळा १, मोठा २-अ दोय नदी पूना हेटे वह है । २५६७ दिखणमे भीम नदी भीम सकरी कहावै । २५६८ कृष्ण वेणी कृष्णा कहावै । २५६६. दक्षिणमें वेदारण तीर्थ है । २५७०. इकावरेस्वर पृथवीरा लिंग १, जबुकेस्वर जळ-लिंग २, त्रिण मळय वहेलिंग, काळास्थि वायु-लिंग ४ चिदवरेस्वर आकासलिंग ५, चिदवरेम्वर द्वितीय नाम सभापती । २५७१. कावेरीरै तट पाच वडा सिवरा थान है - पंचनद १, कुभको २, मध्यार्जुन ३, मायुर ४ स्वेताणय ५ । २५३२. वाळार्क १, सिंघार्क २, तरुणा ३, वाघार्क ४, सिघार्क पिंगळस्वामी कहै । २५७३. जैक सिंघलदीपमें कुवो है उणमें नर-नारी झाकै जद माहेसू काकरा चालिया आव जाणजे कोई मनुस्य माहेसू काकरा चलावै है | २५७४. हैदरावादमं गुजरातियारो पुरी कारवान कहावै. कैई गुजराती वणिक जैनी, कैई वैमनव है. केसोमदनू क्रोड़ीमल वगेरे ठावा आदमी हुता । २५७५. मसीलम लक उमरतुल उमराव असतु जहा प्रमुख छाईस मसीलमुलकनू हैदरावाद नवाव दिया । Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५७६-२५६३] भौगोलिक वातां [ २०७ २५७६. मोहार बधार बराडरा सूबा माहे छ, लारला वरसा वधाररो धणी गोड भीमेस्वरजी ज्यारी बेटी वेगमरा धणीरो छोटो भाई सकतसिंघजी परणियो हो। २५७७ नर्मदारो अंक देस धारा-क्षेत्र है जठ वाणनाथ सिव नीसरै है, रेवाककर । २५७८ नर्मदा माहेसू नीसरी कावेरी जिका कुवा कहावै पुराणमे । २५७६ हुसगावाद हडिया गाम सत वास प्रमुखाकै थाटू लसकर उतरते है । सिंध २५८० सिधमे माथैलो मैहरारो वतन है । २५८१ मीर वाह, नसीर वाह, कतूर वाह, वहराम वाह, इत्यादीक वाह सिंधमे है । २५८२ मुराद गजै वाह चलायो सो मुराद वाह कहायो सिधमे । २५८३ मुराद गजो वेवै भव जद फकीरणीनू इण कह्यो- हमकू दवा कीज इण कह्यो घोडा सियाररो मालक हुसी फेर कह्यो - दवा करो इण कह्यो फीरोज जग हुसी इण कह्यो-फेर दवा करो जद फकीरणी कह्यो फासीसू थारी मोत हसी।। २५८४ खैरपुर मीर सोराब वसायो । २५८५ खुदावादनू महमद वसायो । पंजाब २५८६ बहावळपुरसू आवी मुलक सरू हुवा कसमीर ताई सीसमरा वृक्ष उठ बहोत - घणा छाया है। २५८७ वगपुर १, हसपुर २, सामपुर ३, मुलतानपुर ४-अ च्यार नाम च्यार जुगरा है मुलतानरा। २५८८ मुलतानरा किलारै च्यार दरवाजा है-रेडी १, सीरवी दूजो २, खिदरी तीजो ३, दे चौथो ४। २५८६ केसोपुरी मुलतानी जैमल बट आबादानी । २५६० केसोपुरी मुलतानी जीवता मुलतानमे समाध लिवी रामतीरथ है जठे। २५६१ पीर वहावुलहकरो रोजो मुलतानरा किलामे पीर साह कुल आलमरो ही - रोजो मुल्तानरा किलामे है। २५६२ मुलतानरा किला माहसू रणजीतसिघरे हाथ धन घणो आयो । दिली २५६३. दिलीमे राजा आरपुरो, लालपुरो, जसवतपुरो, जैसिघपुरो, वीठलपुरो इत्यादीक । Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०८ ] बांकीदासरी ख्यात [ २५६४-२६१६ दिली २५६४ दिली सहर मैना वाहर पठाणारी करायोडी ईदगा है, साहजीरी करायोडी ईदगा है, महम्मदसाहरी करायोडी ईदगा है, दिलीसू दिखण तरफ जुमलै तीन ईदगा हदीसमे कहँ है ईदगा सहर उत्तर तरफ करावणी ईगा दिखण दिस है उत्तर दिस जमना आयी जिण कारणसू । २५६५ लाट समसुद्दीन मुतसल दरगाह कुतुवसाह मुतसल, समीप 1 २५६६ सुई प्रमुख सजातीय वारह वसतां मिलियोडी दरजन कहावै दिलमे । २५६७ दिलीनू आगरैरा रणवासमे जोगमायारो थान हुतो पका कुडमे सिवलिंग जिसी सभ उठाऊ जोगमायारो सरूप है । पूर २५६८. फतेपुर पातसाह् अकवर वसायो । २५६६ मय दाणवरो वसायोडो मकान, मेरट । २६०० गणमुकतेस्वरनू गढमुकतेम्बर लोक कहै । २६०१. काळपीरा वावन पुरा है । २६०२ व्रदावन हे जमना सोभा घणी दे, गगा कासी हेटै सोभा घणी दे । २६०३ तिल भडेस्वरी १ सूल टकेस्वर २, प्रयाग राजेस्वर ३, अ तीन सिव प्रयाग व कनै है | २६०४ सध्यावट हेट हणूमान पौढे है, वडी मूरत है । २६०५ वेणीमाधव प्रमुख चव माधव है प्रयागे । २६०६. सरस्वतीकूपरो जळ लाल है प्रयागे । २६०७ लोपा मुद्रा ढोय देवी प्रयागे । २६०८ मणिकर्णिकेस्वर सिव मणिकर्णिका विसै । २६०० कर्दमेम्वर सिवकाम्या । २६१० दुर्गेम्वर सिवकाम्या | २६११ केदारेश्वर काम्या | २९१२. कुमार राज विनायक कासी समीपे कपिळ समीप | २६१३ कासीमे उदैपुरा राणारी करायोडी जायगा खालसैपुरो वाजै है | २६१४ वूदी रावजीरा करायोडा महल कासीमे राजमंदिर कहावै हाडारो वगीचो कासी है | २६१५ कासीमे कछवाह मान महल करायो, उवै मानमदिर कहावे । २६१६ सेहरमाह् जवन पूरवमे जवनेद्र हुवो जिणरा आतकसू कासी मूनी हुई । विरामण विस्वेस्वररो लिंग जमी ऊडी खिण भडार दियो पाछे किताईक वरमा दिग्वणसू विरामणां देसन्थ रामेस्वर भट्ट वेटा नारायणभट्ट सहित Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६१७-२६३१ ] भौगोलिक वातां [ २०६ स- कुटुम्ब कासी आय वसियो जवनरी कन्यानू जवख लागो हुतो सो नारायण भट्ट काढ दियो जवनेंद्रनू रिझाय इण कासी वसावणरो आरभ कियो कासी-वासी जमीदार कासी तेडिया कह्यो- सारा अठै आय वसो, जवनेद्र आपोरी रछिपाल करसी पर्छ कासीमे वस्ती होण लागी डूब परपरासू कासी मे वसै है उवै कासी डजाड हुवाही कासीमे रह्या उवारा कहणासू विस्वनाथ रो लिंग बाहर थापवा जमी देखी सिवलिंग नही पायो जद कासी - वासी तीन दिन अनसन ले बैठा सिव सप्रेम आज्ञा किवी-ऊ लिंग कैलास गया और रैवास कर आणि उठे स्थापित करो यू-ही-ज कियो । २६१७ वैद्यनाथ सिव वैजनाथ कहावै । २६१८ भूलनारो उत्मव ठाकुररो बगाली विसेस करै हजारा रुपिया खरच करै । २६११. जलापानात् अंक वा दोनू चरण व्रसब- गळ-स्थूळ हुवै बगालियारै । विलायत २६२० कधार खुरासाणरी हदमे है, काबुल हिंदरी हदमे है । २६२१ विलायतमे खातून जन्नतरो नाम आख मीचने लेवे । २६२२ कमरकोहसू नील नदी चाल रूमरा समुद्रमें मिले । २६२३ अमरीके वरसन नवी दुनियारो नाम है | २६२४ नवी दुनियामे उत्तरनू अगरेज है, दिखणनू इसपेन है । विविध स्थानांरी प्रसिद्ध वस्तुवां मगरबमे होय, जगवार मे होय, मिसरमे होय, २६२५ खुटिया लखनऊको, गटा कनोजको पेडा मथुराको ओळा सिकदराका अदभुत हुवै है । २६२६ अभ्रक कपूर लोबान कृष्णागुरु प्रमुख यवनारै देसासू हिन्दमे आवै । २६२७ कासी पीतळ प्रमुख धातु मारवाडसू सिधमे जावै । २६२८ वीकानेररा जोहडरी घोडिया हमेसा जगळमे चरै हिरणिया ज्यू । २६२९ जेसळमेर भूरो पत्थर सावटू कहावै नै भूरै पत्थरमे घोळासा चाढा हुवै सो वीछियो कहावै खरळ वीछियारी आछी हुवै । २६३० जैसळनेर वाडोरो वाग जठै मिसरी नामै आंबो है घणा मीठा मोटा आवा लागे केतकी इण वागमे है । २६३१ वीकमपुररी हदमे सुगनी आछा है उठे गायारो राव जिसो दूध है । Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१०] वांकीदासरी ख्यात [२६३२-२६४८ २६३२. कछमे चितराणा अगियारा ऊट आछा हुवै है । २६३३ सिंधरी तमाखू नव सेर विकै १) री, जठे माळवण सेर विकै । २६३४ आवा मुळतान आछा हुवै । २६३५ गुजरातमे चद्रकळा साडी उमदा हुवै धनवतारी त्रिया ओढे । २६३६ पावागढरो पाखाण गुजरातमे है इण पत्थर सिवाय और खाणरो पत्थर नहीं। २६३७ सूघणी तमाखू पूनै अति चोखी हुवै है पाच रुपिया सेर विकै । २६३८ काफरी बदूका दुरपलारी दिखणमे बोह मोली ठावा बहादुरा कनै पावै । २६३६ पाच सेर घास पाच सेर दाणो उजवकारो घोडो आठ पहरमे खावै अकमे सौ कोस जावै । २६४० मरकव यवन देसा वाहण हुवै सो नित सौ कोस जावै घोडासू ही मजबूत हुवै है रुमयोडो कान, आवाज गधारै सरीसी । प्रसिद्ध गीत २६४१ ब्रह्म-मूहूर्त समै लाखो फूलाणी गवीज दोय घडी दिन चढिया धनासरीमे वाघो कोटडियो, तीसरै पोर सामैरीमे रिडमल, रातरो सोढो महदरो गीत गवीजै। २६४२ दोय घड़ी रात लारली रहै सो ब्रह्म-मुहूर्त. इण वेळा विभास वेळावळमे लाखों फूलाणी गवीज - प्रह लाखो सु विहाण । २६४३ दोय घडी दिन चढिया धनासरीमे कोटडियो गवीजै । २६४४ सामहरीमे दुपहरी पछै रिडमल गवीजै । २६४५ जेही मावत जनमियो, लाखणसी सोनल्ल । गागणियाणी जेहीरै मावत वेटो हुवो लाखो फूलाणी सोनल अपछुरारी कूख जनमियो । २६४६ पच्छमरा गावा वीद चवरीसू परणीज उतरै जद, चारणारै रीत है, लाखो फूलाणी गवीज, रुपियो गायक पावं ऊ लाखाणीरो रुपियो कहावै । प्रसिद्ध व्यक्ति और वस्तु २६४७ जाम तमाईची नूरी गवीजै, हीर-राझो गवीज, पनो ससुई गवीज, मिहर सोहणी गवीजै, मूमल महदरो गवीजे, मारवी ऊमर गवीजै सिधमे । २६४८ नूरी मीर वहररी वेटी, जाम तमाइची घरमें पाली हीर-राझारा गीत जोग कहावै तमाइची नूरीरा गीत कामेमन कहावै । Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६४६-२६६४] भौगोलिक वातां [२११ २६४६ विरामणरै बेटी हुई जोतिसिया कह्यो इणरो पत मळेछ हुसी जद सिंदूकमे घाल दरियामे वहाय दिवी आगै धोबी वडो धनवान हो उण पाळ मोटी किवी नाव ससुई दियो केचमे बलोचामे जातहोत वसमे पनो होत हुवो, जिण केचसू आण ससुई परणी। २६५० भैसारो चरावा वाळो मिहर कहावै सिधमे मिहरसू सनेह हुवो सोहणीर । घडो भागो तो घोलियो, भरगो जान घडीह । उणो मझा अमी चव, कर दरियाव दडीह ॥ २६५१ जैसळमेर पर मूमलरी मेडी है - काकनै ऊपर मूमल, सूमल, सहजा में तीन वहना है । प्रसिद्ध गढ़ २६५२ आमेर १, गवाळेर २, चितोड ३, चापानेर ४, भाभेर ५, माडव ६, सालैहर ७, माल्हेर - अ वडा गढ है । २६५३ चहुवाणा सातल सोमरै घर जनम हुवो गढ सिवाणैरो। २६५४ जाळोर सोनगरा कान्हडदे घर जनम हुवो। २६५५ रणथभोर चहुवाण हठीला हमीररै घर जनम लियो । २६५६ चितोड राणा अडसीरै घर जनम हुवो। २६५७ सिहोर गोहिलार घर जनम हुवो। २६५८ जेसळमेर दूदा तिलोकरै घर जनम हुवो। २६५६ गागुरण खीची अचलदासर घर जनम हवो। २६६० अकबर चितोड लियो जद राणारै घर जनम हुवो। २६६१ सिवाणो कला रायमलोतरै घर जनम हुवो । प्रसिद्ध हाथी-घोड़ा २६६२ श्रीकलस हाथी सिधराव जैसिंघरै, दळवादळ आसफुदोलार, श्रीप्रसाद नैपालरा राजार, जसतिलक उदयपुर, फतै मुमारख जोधपुर - अ हाथी वडा कारणीक हुवा। २६६३ पाबूरै घोडी काळवी, बहलिमारै पीवळी, दूदा जसहडोतरै रीमी, सागणर वैरवोर, भोजरै बोळी, वीरमरै समाध, वैरसी रायपाळोतरै ताजण, वालणरावरै हिरणी-इत्यादिक अग्यारै घोडी जग-जाहर हुयी। प्रसिद्ध राजा, वादसा, मंत्री आदि २६६४ हैदराबाद मसीरुलमुलक १, नागपुर देवजी बापू २, पूनै सखाराम बापू ३ - तीनू वडे मत्री भये है । Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१२ ] वांकीदासरी ख्यात [ २६६५-२६८० २६६५ सितारो १, मलैवार २, हैदरावाद ३, श्रीरंगपट्टण ४ औ च्यार राज श्रीस छक हुता लारला वरसा । २६६६ श्री रगमे टीपू, सितारै भोसळो राजा, मलैवार रामराजा, हैदरावादमे वतगान हजरत मुडा पातसाह नवाव । २६६७ आसामरो मालक १ नेपाळ पती २ रणजीतसिंघ लाहोर - पती ३ - औ हिंद अहढ अकलीममे वडे जोर है । २६६८ इण जमानामें चीणरा पातसाहरो ने असतवोलरा पातसाहरो वडो जोर है लसकर खजानो जर रुपियारो पातसाह असतवोलरो मालक । मुसलमान २६६९ साह अव्वास ईरानरो पातसाह १, अवदुल्ला उजवक तूरानरो पातसाह २, अकबर हिंदरो पातसाह - तीनू ओक वक्तमें हुवा ! २६७० ख्वाजा हाफिज, अत्तार फरीदुद्दीन, मौलाना रूमी वगैरै अक सदीमे हुवा । २६७१ सतरजरी रामत, केसारो कळप, पचाख्यान ग्रन्थ अ नौसेरवारै वकत तीन चीजा हिदसू ईरानमें गयी । - प्रसिद्ध कवि और लेखक २६७२ काळीदास नामै पडित तीन हुवा है अक काळीदास विक्रम आगे, जो भोज आगे, तीजो काळीदास वळे हुवो हैं । २६७३ कविरमरु कविरमरुः । २६७४. उत्तरराम चरित्र नाटक राजा भोज व भवभूती दूना मिले कियो । २६७५ पुरसोतमदेव पुरसोतमपुरीरो राजा जिण नवा सिलोक वणायनै गीतगोविंदरी अस्टपदियार अत धरिया, च्यार सौ सिलोक भागवतरा अध्याय आदि अत धरिया । २६७६ अब्दुर्रहमान जामी मसनवी ऊपर टीका किवी । २६७७ खडियै तेजसी भोपतोत मुजाण रासो वणायो है जिनमे सुजाणसिंघजीरा परवाडा है । इतिहास २६७८ तवारीख साहबुद्दीनी, तवारीख नासिरुद्दीनी, तवारीख अलाउद्दीनी, तवारीख फीरोजसाही, तवारीख अफगानी । २६७६ तैमूरनामो, जफरनामो, तैमूररी तवारीख हैं । २६८० तवारीख अकवरसाही, अकवर-नामो, तवकात अकवरी, इकवालनामो जहागीर, जहागीर नामो, जहागीर आप बणायो, तवारीख साहजहानी तवारीख Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६८१-२६६६ ] फुटकर वात [ २१३ आलमगीरी, तवारीख कासमीरी, तवारीख बहादुरसाही, जिणमे गुर्जरेस, मालवेस, सिंघुपति, मुलतानपति, दिखणरा पातसाह ज्यारो हाल है । २६८१. इतिहास पुराणाभ्यां वेदार्थ-निर्णयो भवति । विविध २६८२. सौ सुरंगामे अक सपूत ने सौ कुमेतामे अक कपूत । २६८३. सुरग रग पायदार है । २६८४. सुर्ख १, सफेद २, रग दोनू ही होय सो करडो रंग कहावें । २६८५ स्याह चमर, स्वेत चमर, स्याह - स्वेत चमर हुवै है । २६८६. सुरह गायरी ग्रीवा इण गायसू लावी हुवै. वैळं ही लाबी छं सुरह गाय इण गायसू १३ लाख चमर प्रमुख देसासू हिंदमें आवे है । २६८७ घनेरियो पछी कबूतर जिसो हुवै लाल पग हुवै, पाखा लावी हुवै, दिनरो दिखायी न देवें, रातरो वोले, सवदवेधी बदूक चीडननू मारै, उणरी पाखवा, उणरो मास वा रुधिररो चीथरो पाणीमे उकाळ त्रियानू पाया सूवा रोग हरै । २६८८ विहारी, गूदडियो, कागदी तीन जातरा नीबू । २६८६. हीगमे, किसतूरीमें मेळ हुवै इसो और चीजमे न हुवै । २६६० राळनू रायाल कहै यवन रायाळनू गाळे जद सोमलरी वास आवै धुवामे रायाळ घाले वडो जतन आखियारो राखने सोनार । फुटकर वाता २६६१. ईसवर निरकुस है, चाहे स करें । २६६२ खुदा इरादो कर अक चीजको, पैदा करें असबाब उसको । २६६३ खुदा तालारी पातसाही वे जवाल है । २६६४ अंतजादुल मुलक । २६९५ ईस्वरमे सतसाधन फोडा मिल जावणो ओ काम आछो नही । २६६६ पच वकारसू पडित पूज्य होय - सुवपु करि, वित्त करि, वाणी करि, विद्या करि, विनय करि । २६६७ जाहल इलम विन सोभै नही, पातसाह अदल विन सोभै नही । २६९८ असील विद थकोही लोगारी अदब वजावै, कमीना आडै दिनही अदब वजा नही | २६६६ पातसाह को आलैकम सलाम आध 1 साह Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१४ ] वांकीदासरी ख्यात उण कह्यो - आलैकम, वजीर को - आधे फकीर । पातसाह ! इण को - कहो, वजीर | काजी कह्यो - अधे राजी ! उण कह्यो - काजी | [ २७००-२७१६ २७०० थाढो पाणी पीनै खुदारी सुकरगुजारी न करें जिणनू परलोकमे खुदा सजा दे । २७०१ पोसाक, धन, पुत्र, त्रिया दुनिया नही है, खुदानू न जाणनो आ दुनिया है । २७०२ वलकी घोडै न चढणो, वासतो न पहरणो, मैदारी रोटी न खाणी, जवन कह तीन चीजा अ अगीकार किया वदो मौत वीसर जावे । २७०३ सूरज यू न कहै मै सूरज नू जगत उणनू सूरज कहिनै वादै है | २७०४. आपमे दूसण हुवै सो दूसण औरमे काढिया बदो निरदूसण हुवै नही । २७०५ तू वडाई न पावै जित्तं वडांरी ठोड वैस मत । २७०६. उठ मत जो उठने चाले तो सनै सर्ने चाल । अक पग हेटै हजार जीव जा है । २७०७ वाकरो कहै मै काटा खाधा जिणरो गळो करीजै है, सदा खीर खाड खावे ज्यारो काई हाल होसी ? २७०८ न दखल होहिंगा विच वहिस्त वहिस्त के दयूस | २७०९ जहान तव कामो फलक यार बाद जहां आफरीन त निगाह दार वाद । २७१०. हकीम सिकदरनू कहै गुपत्दान है, असमानसू आवै जिका आफत गुपत- दानरा पुण्य प्रभावात मिटै । २७११- गुपतदानसू खुदा प्रसन होय । २७१२ स्त्र वस रकपण ही भलो, नहि पर बस रगरोळ । वर पोतानी पातळी, नही परायो घोळ | २७१३. सोगात पत्र नेलणो, जाय मिलणो, तारीफ करणी, मदत करणी प्रगट मंत्री । २७१४ दिलसू भलो चाहिवो, दिलरी प्रीत - गुप्त मैत्री । २७१५. आपरो नही जिणनू आपरो मित्र जाणनो आ नादानगी है. कुळक्षयकार कुळागार कहावै । २७१६ वहादुरी, सखावत, आदली - अ तीन गुण अवस्य पातसाहमे चाहिजै | Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७१७-२७४१ ] फुटकर वातां २७१७ नेक सिरदार ज्यानू लाजम है आप जिसा आदमी कनै राखे । २७१८. राजा पातसाह कनै खुसामद गोय अवस्य रहै, आ कनासू खुसामदगोय दूर होणरो उपाय ही नही - अबुलफजल कहै । २७१६ मालिकनू लाजिम है चाकर चाकरीसे वेपरवाह होय जाय इत्तो चाकरांनू न देणो । २७२२ वित्रादीव व्यसनी होय ज्यासू दामोपाय करणो । २७२३. भय उपजाय भेद उपाय करणो । २७२४ रणमाल सो राजासू रूसै । 2 २७२० कुलीन, क्रितग्य, साधु, कार्यार्थीसू सामोपाय करणो । २७२१ नृपरो भ्रत्य हुवै, बाघव हुवै, अत पुरचारी सेनापति हुवै वो जिणसू दामोपाय करणो । [ २१५ २७३०. अकसौ वरस जीवै सो बाणूं क्रोड सास लेवें । २७३१ गीतायां 'पडिता समदर्शिन' न तु 'सम-वर्त्तिन' । राजा सोरणमाल विधूस ! २७२५ नीत - सास्त्ररो रहस्य अंक पादमे कह्यो - लाभादल्पतरो व्यय । २७२६ दुनिया मकररूप है मकरसू वस होती है । २७२७ तू बिना वतळाया सभामे बोल है सो दातवसोलंसू सुखन मोतीनू फोर्ड है । २७२८ ईखरा करसण सिवाय करसण नही, हाथरा वणज सिवाय वणज नही । २७२६. सुदर तो दाता नही, दाता तो नहिं सूर । सैद फतामें तीन गुण, सुंदर, दाता सूर ॥ २७३२ मुरगी आण, मुरगा खाव । २७३३ मीर बहर मुहाणो नै माछी माही फरोस - अं नांव कीररा सिंघमें । २७३४ लसणियारो नाव अनुलहीर है, अनुलहूर नही । २७३५. सिकम पेटनूं कहें फारसी । २७३६ खुर्द छोटा है, कला वडानू है । २७३७ खिलवत गोसे वैसणो । २७३८ जिलवत चोर्ड वैसणो । २७३६ निक्कार धिक्कार अक अरथ है । २७४० देवदत्तस्य गुरो कुल देवदत्तगुरु कुलम् । I २७४१ पाणीपतरा मारगमें अक सिपाह राहजनारै हाथ मारियो गयो । सो लारला वरसा बोलतो - अ सिपाह सिरोही तलवार मत राखज्यो, राखै तो दोय राख इणनू सिरोही तरवार दगो दियो जाणीजे है । Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [२७४२-२७४८ २१६] वांकीदासरी ख्यात वात, दूहा, श्लोक आदि २७४२ गीत वीरा रस तणो न भावे वरणण, नह भाव मोनू जस - गीत । गरज नही म्हारै गीतारी, गढवा ! काय सुणावै गीत ? मोद मचे कर चढिया माया, माथा - पच नह मोद मचै । रच थारा घरकांरा रूपग, रूपग म्हारा काय रचै ? खोटी हुवै, किसू गुण खोले, गाठ वांधिया राख गुण । वणियो तू कायवरो वकता, कायब - स्रोता अठ कुण ? आखर बावन करे अकठा, ते कागळ लिख कीना त्यार । लापरपणो कियो तो लडसू , चिडसू दियू न कोडी च्यार । २७४३. फूला ! थारो फूलिय, वळोवळी जस वाग । तू सिध पुरख महत ते, भारथिया सिर भाग । २७४४ डाढी डाढाळाह, चांपा चहराडी नही। की तिल - तिल काळाह, दुजडा मुहडै देदउत ॥ २७४५. तूट नीर तळावडा, खूट आकां खीर । भाणू वन पावै भुटो, नगियो पालर नीर ॥ २७४६. भोजन देहि, राजेंद्र ! घृतगाकसमन्वितम् । माहिप च शरच्चंद्रचंद्रिकाधवलं दधि ॥ २७४७. धिक् धिक् गक्रजिता प्रबोधितवता, किं कुभकर्णेन वा । २७४८ पंचागत्पचवाणि सप्तमासान् दिनत्रयम् । भोजराजेन भोक्त्तव्यं.... ..... ........... ..... ..... . . . Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७४१-२७६६] शेप रयोडी, अस्पए और अधूरी वातां [२१७ शेष रयोडी, अस्पष्ट और अधूरी बातां २७४६ सायजादो अक डोळीसू आयो, जिणनू तीन सलाम कर कतुह सेरा विछायत माथै बैठा। २७५० अंक कागद वाच आप फुरमायो - ठाकुरजी दाढी वाळारो मूडो नही दिखावै । २७५१ गुजराती नटणी उमेदी जिणरी जात वडगूजर दे उमट अचळसिंघ घरमे घाली। २७५२ गूजरारी नटणी उमेदीनू उमट अचळसिघ खवास किवी जात बडगूजर दिवी। २७५३ झामर राड हुई जद सूरजमलजी हरीसिवजी खाटूरो धणी, वातारो धणी इत्यादिक पहोर दिन चढिया काम आय गया सेख वगैर समसत ताप खाय रह गया फेर जग कीधो नही । २७५४ झामर राड हुई जद सारा सिरदारारी असवारीमे देसी घोडा हुता उवा खता किवी। २७५५ रणमल वीलवै हुवो खावडिया वीलवो छोड गराब वसिया। २७५६ रेवासागररै सनान जाता पीपळा दसरावारो प्रबन्ध दीठो जिणसू आने भाई भावनगर दसरावारो वडो उच्छव ठरायो चारणा-भाटारो समाधान आछी विध है। २७५७ वहेडारा धणी राणावत ज्यारी वसावळी लिखते-१ राणो प्रतापसिघ, २ चतुर भुज, ३ महासिंघ, ४ रामसिंघ, ५ अनोपसिघ, ६ सिरदारसिघ, ७ उदैसिघ, ८ वीरमदे, ६ विसनसिघ, १० दौलतसिंघ, ११ हेम राणो धणी है। २७५८ सवत १५११ वैसाख वदीमे नीम दिराणी । २७५६ जफर यार फीरोज जग । २७६० वारू भुटो नगो। २७६१ सीराजी लुझा परीरूहा । २७६२ सैफ सू घोट तरवार । २७६३ हदीक तुलई कालीम।। २७६४ रतवती गदला नेछ गुजरै गत तत्रैव मृत । २७६५ भीवसिंघ कह्यो-प्रतापसिंघजीरे हथाहरी बेटीरा म हाडो व आनै कुळको पडदायतरो रथ खडावसू । २७६६ धीराजी बेटो सिवमिंघ सहर जूनागढरा नबावरो हाल देवेजी गुडळवारधो लियो गोपालजी कामेतीरी सलाडी ।। Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१] वाकीदासरी ख्यात [२७६७-२७७६ २७६७ नवमा नद नाईसू घर वस रहियो पर्छ न रहियो । २७६८ लिज महासतीरी कोर दरोतरा लोक थळरा सोवै पाण पर मुख कोई विख घर बता न करै। २७६६ काळाउवा वड तळाई जठ पोळ माथै चूडोजीरो करेहे सी अजू पुलके ले नहीं। २७७० नेमसुख खवासनु रुको राजा अजबेसादूळ दियो जिणमे अति निर्लज्ज समाचार। २७७१ साडा सोडारा मूसा मालारा ! २७७२ आपो आपी जद बोडा जाळोर भेळायो । २७७३ सूजो मूजो हाथी तोगो वाजीसामे सपूत हुवो। २०७४ जीवसिंघ पाहाड दिली राज कियो । २७७५ गाव नजीणरी वेटी राणी रूपादे वाजा परमारा भिळे नदी गोमती राणे । २७७६ वखतावरसिघ वडारो भाई रामसिंह । Page #233 -------------------------------------------------------------------------- _