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________________ १९६७-१९७९] चंहुआणांरी वाता [१६५ १९६७ झाला जालमसिंघरो दादो माधोसिंघ झालावाडमे वढवाण ठिकाणो है जठासू सावर सगतावता कनै आयो सावररै धणी मोडी नावै गाव दियो सायद मोडी माधोसिंघरी, वतै न ऊजड थाय । १९६८ छोटी धांगड मुहरा सगतावत ज्यारो भाणेज झालो जालमसिंघ। . १९६९ पछै कोटारा महारावजीनू बेटी परणायी कोटै नानतो ठिकाणो पटै पायो. सायद माधो अटक न ऊतर, माधो कटक न जाय । बेटी साट वेगडो, घर बैठो घर खाय ॥ १९७० झालो जालमसिघ कोटासू जाय राणा अडसीजीरै चाकर रह्यो जद सगता वतारो ठिकाणो गाव चीताखेडो पटै पायो। . १९७१ उजैण माह राडसू झालो जालमसिंघ भागो मैदपुरमे दिखणिया पकडियो पछै ईगाळियै त्रवकजी छोडाय कोटै पोचतो कियो। १९७२ वढवाणरा धीरै बेटो हुवो नाम जालमसिंघ दियो आ वात सुण राजा जालमसिंघ कोट वेराजी हुवो - मो बैठा जालमसिंघ कवररो नाव वढवाण दिरायो सो अनुचित काम कियो। १९७३. बडवो मुसलमान जिणरी बेटी झालै जालमसिंघ खवास किवी. वा जवारण कहावती उणरो बेटो गोरधनदास । १९७४ हुलसार, हुलसाररै सीमाल, सीमालरै वाघल, वाघलरै जैतसी, जैतसीरै हरो, हरारै गैनो, गैनारै मेलो, मेलारै सिखरो, सिखरारै कीतो, कीतारै करण, करणरै भादो, मादारै पतो, पतारै केसोदास । १९७५ हुलसार १, सीमाल २, वाघुल ३, जैतो ४, हरो ५, गैनो ६, मैलो ७, . सिखरो ८, कीतो ९, करण १०, भादो ११, पतो १२, केसोदास १३ ।। १९७६. हल करण कीताउत बडी वेढमे काम आयो। गोड १९७७. गोडारै कुलदेवी नारायणी केळमे विराजै है केळा गोड न -खावैः केळारा पानरा दोनामें जीमै नही। १९७८ लाखण गोड भाट हुवो जिणरै वशरा लाखणोत भाट गोडारा व्रतेसरी। १९७९- करसाण जातरो ढोली गोडारो व्रतेसरी। . . . .
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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