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________________ १६४ ] वांकीदासरी ख्यात [ १९५४-१९६६ १९५४ चावडो रावळ आसो जिगरी लुगाई वाघेली उघळ नै राव मालदेजीरो बेटो . गोपाळदासजी हेडर जाय रह्या जिगरा घरमे बैठी । तुंमर १९५५ तुवर चद्रवसी ज्यारी साख नव - जनवारीअट १, चांद २, लवो ३, डाणा ४, कळपा ५, भमर ६ - इत्यादिक । १९५६. यजुरवेद माध्यदिनी साखा, पच प्रवर यग्योपवीतरा, व्याघ्रपद गोत्र, चील कुळदेवी खेजडी सहित आसोज सुद ८ ₹ दिन पूजीजै तुवरारै । १९५७ खतान जातरो ढाढी, सीवोरो जातरो भाट, श्रीमाळ जातरो पुरोहित तुवरारै ॥ १९५८ दिलीमडळमे तुवरारी चौरासी है गाव दोयसी गहलोतारा दिलीमडळमे है. राणो नरपतसिंघ उठै हुवो हमै ओक राणो वाजै, दूजा गहलोत चौधरी वाजै । अरजुणवंसी १९५९ डूगरपीठामे नूरपुर सहर है उठारो राजा चंद्रवसी है अरजुणरा वसमे निसाण झडामे कपिरो चिह्न मांडीजै । कठोछ १९६० चद्रवसी सुसर्मा राजा जिणनू पाडव पकूडियो आ कथा महाभारतमे है. सुसर्मारा वसज खत्री कठोछ कहावै है ज्वाळाजीरै राजा कठोछ है । १९६१ ससारचद कठोछ ज्वाळाजीरो राजा जिणरा निसाण झडामें त्रिसूळरो चिह्न महुवै। १९६२. सहसारचदरी गादी सहसा रचदरो बेटो अनिरुधचद्र हमे है । झाला ( मकवाणा ) १९६३ मारकडे मुखर वसमे हुवा जिणसू मकुआणा कहाणा । १९६४. उत्तरमे कुतळपुर जठै राज कियो किताईक पीढी. उठासू उठ करांटा ठिकाणी जठे राज कियो पछै केहर मकुआाणो गुजरातमे आयो केहर देहर पाळवण गूजरखड आया आसापद है । १९६५ वाकानेररो घणी झाळो राजा कहावै. धागधडे झालो महाराणी कहावै. नीवडी वढवाणरो घणी झालो ठाकुर कहावै । १९६६. हेम झालारै राजधानी धागधड़ी ह्हेल वदनी ।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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