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६६३-६६९ ]
राठौडारी वातां ६६३. हुळ रायसळ रामावत जैमलजीरो उमराव बारै गांवासू गाव फालको पटै
पावै, प्रथीराज जैतावत मेडत रणभोम पड़ियो जैमलजीर हाथ रहियो।। ६६४ हुळ रायसळरो भाणेज प्रिथीराजजी जिणसु आ भाणेज माथै छाया किवी.
जैमलजी रिसाणा, हुल रावजीरै आय वसियो । ६६५ अकबररी मा मक्का वगेरै मका-सरीफ ज्यारी ज्यारत करण गयी पातसाह
मिरजा सरफुद्दीननु साथै मेलियो. अक पीर विलायतमें जिणरी ज्यारत सुहागवती करै, विधवा न करे. ज्यारत करण वासतै विधवा अन्य पुरखसू अवध करि निका पढ लै उण पीररी ज्यारत करणनू अकबररी मा मिरजा सरफुद्दीन साथ निका पढी. दिली अकबररी मा पाछी आयी. जद आ वात सुणी अकबर फुरमायो - आगै तो सरफुद्दीन हमारा चाकर रहा, अब हमारा बाबा है। आ बात सरफुद्दीन किणीकै पास सुण लिवी. जठै हुतो जठासू वीठळदास जैमलोतनू साथ ले भागो सो मेडतै आयो जैमळजीनू कह्यो- म्हारा कबीला नागोरमे है सो मगाय लेणा जद जैमळ आपरै बेटै सादूळनै नागोर मेलियो. सादूळ न.गोर गयो, उठासू निरजारा कबीला ले मेडतानू रवान हुवो दोय सौ घोडासू नागोररो आमल आ पडियो सादूळ झगडो कर काम आयो मिरजारा कबीला मेडते आया सादूळ चाळीस आदमियासू खेत रह्यिो। जैमल विचारियो-पातसाहमू करी, हमै अठै रहणो नही जद भाई-बेटान कह्यो-माणस लेनै थे वबनोग्मे जावज्यो, हू सरफुद्दीननू पोछावणनै जाऊ छू जैमल सिरोही ताई मिरजारै साथै गयो पछै नागाण आय मातारो दरसण
कर मेवाडमें गयो। ६६८. राणाजीसू मिलियो . वधनोर, करैडो, कोठारियो-औ ठिकाणा राणाजी जैमलन
दिया सवत १६२४ रा चैत वद ११ अकबर चितोड़ लियो जद दोय सौ आदमियासू जैमल राणारै काम आयो।।
वीरतणे घर वीर, दोय णोपी हुई वाण ।
राव अहिरपुर राखियो, इक उदियापुर राण ॥ ६६९. मेडतियो सारगदे वीरमदेओत बोबली दिसा गयो हो तैसू मामलो हुवो जठ
सोळकिया मारियो. छोटा भाई माडण समेत उण वैरमें जैमलजी सोळकियार परणिया . चादै वीरमदेओत चितोड मार्य नारायणदास सोळकीनू मारियो।