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ख्यात
बांकीदासरी ख्यात
[३९६-४०६ ३९६ भेळा हुआ मता घणी हाथ आयी च्यार कोस ताई तुरकारी कतल किवी.
कूपो भीव सवळसीहोत काम आयो । ३९७. महाराज अजीतसिंघजी जाळोर थका तेजसिघ आईदानोतनू हरजी दिवी.
जगनाथ आईदानोतनू आहोर दिवी। ३९८ दिली खीवसी भडारीनू महाराज अजीतसिंघजी लिखियो-गुजरातरा सोवारी
खिलत पहलां तोनू हवै नै उजीणरा सोबारी खिलत दोय घडी पछै भगतणके
तो माहारो आछो लागे भगतण जैसिंघजीरो नाव दियो हो । ३९९ धायभाई बखतराय १, नानगराय , खेरड़ो दलेलसिघ ३, कहाहनीराय ४,
मे च्यार ही अजीतसिघरा चाकर अड़सीजीरा धावनिया ढेरिया हा। ४०० बगड़ीरो धणी अरजुसिघ प्रतापसिंघोत अजीतसिंघजीसू वदळियो उदैसिंघ
लखधीरोत वदळियो पालीरो घणी । ४०१ आ खवर सूराचदरा डेरा महाराज अजीतसिघजी पाय चैत वद २ महाराज
सूराचंदसू चढिया -- चैत वद ५ सवा पहर दिन चढिया, जोधपुर पधारिया.
सूराचंदसू जोधपुर कोस १२० । ४०२ फर्रुखसियर महाराज अजीतसिघजीनू गुजरातरो सूवो दियो जद भंडारी विज
राज सूवै रहियो पछै महमदसाह अजीतसिंघजीनू गुजरातरो सूबो दियो जद रुघनाथ आडो बैठो, अनोपसिंघ सूवै रहियो अभैसिंघजीन गुजरात महमदसाह
दिवी जद रतनसिंघ सूवै रहियो। ४०३ महाराज श्रीअजीतसिंघजी नागोर मधि पधारिया जद राव इदरसिघजी,
कंवर गोपाळसिंघजी हैदरावादको नवाबनू जग मुलमुलक जिणरै सामल हुता। कपावत प्रतापसिंघजी ककडावरा धणी भावसिघजी रो पोतो तिण नागोर
सभाळियो हजूर राजी हुवा. नजराणो ले वाला पधारिया। ४०४ महामाया हिंगळाज प्रसादात छत्रपति महाराजाधिराज महाराजा श्री अजीत
सिघ देव विजयते भानु तेज स्वरूपेण मही-मध्येषु राजते-जै आखर अजीत
सिंघजीरी महोरमे। ४०५ देवळियारा धणीरी वेटी कल्याणकवर महाराज अजीतसिंघजीनू परणायी.
आ मुई जद इणरी छोटी वहन अनोपकवर महाराज अजीतसिंघजी देवळिय
पधार परणिया। ४०६ देवळियै सीसोदिया रावल हरीसिंघरा वेटा कुवर प्रिथीसिंघरी बेटी कल्याण
कंवर महाराज अजीतसिंघजी देवलिय पधार परणिया ।