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________________ ५७३-५८५] राठौडारी वातां जैतारण आय भूतारै थातकमें वसिषा लोका कह्यो अठै भूत रहै है, आप अठ मत रहो. या साखी सुणायी. गूदी गोयदरायकी, आंगण रही वणाय । आये संत अनतके, भूत गये सव भाज ।। उण दिनसू जैतारण द्वारो बांयो। ५७४ वगडीमू विगडी सं वाता। ५७५. वगडी जैताजी जैतापोळ करायी। कुंपावत ५७६. महाराज अखैराजोतरै पुत्र कूपो हुओ सिवराव चडूसू महाराजजीरै रेणरो नाव कढा लियो. कूजी वाईरो व्याव आछो कियो जद माडै ही नाव प्रसिद्ध हुवो। ५७७ कूपा महराजोतर वेटारी विगत-प्रथीराज १, राम २, प्रतापसिघ ३, माडण ४, तिलोफसी ५, महेस ६, उदैसिंघ ७, ईसरदास ८, तेजसी ९ । ५७८. प्रथीर.जोतारी भोम चापडामे माडणजीरा आसोप तिलोकजीरा धणले महेसजीरा कटाळि सिरोपारी उदैसिंघोत वसी, सीवा, चेळ'वस, ईसरदासोत माहडू चाडावळ. तेजसीहोत ईडररी धरतीमे है रामाठा चादेळाव रामावत । ५७९ सवत् १५५९ रा मगसर सुद १० कूपा महराजोतरो जनम संवत् १६०० काम आयो । ५८० तेजसी कूपावत अमुतियां सीधलां मारियो तेजसी कूपावतरा वैरमें माडण कूपावत सीधल सीहो मारियो संवत् १६२७ माडण कूपावत सीवल सीहो भाडावत मारियो । ५८१ कनीराम रामसिघोत माथ सूरज आवतो जद गामतरै जावतो । ५८२ आसोप दळपत कनीरामोत तळावरी पाळ ऊपर ब्रगलो करायो जिराणा भूमसू नेडो ओ वगलो करायो पछै अक वरस दलपत जीवियो। ५८३ आसोप रगसाळमे नाहरसिंघ राजसिंघोत गळियोडा अमलसू बकडिया भराया दासियानू कहीने ठकुराणियानू तेडी बेटा बेटिया सहित । ५८४ - पत्तो कूपावत देईदास जैतावत भेळो मेडतं काम आयो । ५८५ पातारो हमीर रतन रतनरै बेटा तीन हुआ-मालो १, कलो २, जैमल ३. पातानू बारह गावसू चोटाळो हुतो चोटाळासू जाय करणू वसायी ।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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