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वांकीदासरी ख्यात
[५६५-५७३ जैसलमेररै रावळ भीव रतनू घरमदास उवण गाव दियो. नरो जिणनूं कोटडियारा राणा भैरवदास कनै मेलियो वचन दे भैरवदास भीव कने आगियो भीव भैरवदासनू मारियो वडियाडारो नाम जेसलमेर
हेटे घाळियो। ५६६ कोटडियो जैसो १, राजसी २, नरहर ३, मेघराज ४, भाखरसी ५. भाखरसीरी
वेटी गोमावाई खीची गोवर्धनजीनू परणायी। ५६७ खीमा १, वासाडा २, दोट ३, फळसूडिया ४, कसूवली ५, धारविया ६ - मैं
खापा राठोडी महेवामे है धारवियो गाव कोटडारो है । ५६८ वापडाऊर ठिकाणे राठोड भीमै रतनावत वाढमेर वसायो ।
जैतावत ५६९ राठोड अखैराज रणमलोत सीधल चरडान मार बगड़ी लीवी. चरडालीरो
थान कोटडी माहे है. पहला सांझ समै चिराक चरडाजीरै थान ले जावै पर्छ वगड़ीरा सिरदार आगै चिराक आणे. अजै आ रीत है ।
अकवररा दळ उळटिया, है घट आया हाल ।
छोटी छोटी लातणी, मोटी कीधी माल ॥ ५७० पचायण अखैराजोतर जैतावत वगेरै नव वेटा हुवा । ५७१. वगडीरा सिरदार उरजसिंघजीनू महाराज अजीतसिंघजी मरायो मेवाडमे
सगतावतारा गांवामे उरजणसिंघजी मुवा पछै पहाडसिंघ जनमियो बीकमकोहर मामालमें दरवाररा डरसू भटियाणीजी पहाड़सिंघजी बैठा वेटानू लेने देवगढ गया पहाडसिंघजी देवगढ मोटा हुवा ठाकर राघोदास आगे
मनाणा। ५७२. उरजणसिंघजीरो वडो वेटो सामसिंघ जगावतारै गांव वहमाली परणियो
हुतो सो ऊ वहमाली जाय वसियो. वहमालीसू वेगम गयो. उठ महाराज
अजीतसिंघजी जहर देय मरायो। ५७३ रामसिंघ उरजणसिंघरो भाई जिणनू चूक कराय घाटामें मरायो. अजीतसिंघजी
जैतारण कनै फूलमाल जठारो दाहिमो सलेमावाद फरसरामदेवजीरो शिष्य नाम टीकमदास जिण आपरी वणायी साखां अक दिन फरसरामदेवजीन सुणायी जद आ कही-तू तो तत्तवेत्ता हुवो जदसू तत्तवेत्ता कहायो. टीकमदास