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________________ ५५७-५६४] राठौडारी वातां कीजो उठासू गाव खरीग जेसळमेररा रावळरी घोडियां ही उठे पावै. सू रावळजी चांप कही जूहीज कियो इण वाडी जाय रणधीरनू मार सिववाडी ले लिवी वीदै रजपूतान कही-म्हारै कह्या बिना रणधीरनू मारियो, मोनू मू दिखावजो मती बै सातवीसी घोडा ही चापारै वास वसिया । ५५८ आगै पहाड माथै परमारारो करायोडो पक्को कोट हो अक कोट मांहे बाधियोडो कुवो हो, अक कोट नीचे पहाडरी जडा बाधियोडो कुवो हो पछै परमारा माथै भाटी सीध देवराज कटक मेलियो जद ओ कोट पड़ाय नाखियो वेरा बुराय दिया चाप ऊदावत सिववाडीसू जाय आगला कोटरी नीम ऊपर तीन पडकोटा कराया, तीन दरवाजा तीनू कुवा उघडिया नाव कोटडो दियो राज-ठोड कोटडो कियो। ५५९ 'नवलखा-दुरग-नरेस' वाधा कोटडियानू कह्यो-जिणसू जाणीजै है नवलखो दुरग कोटडानू कहे है। ५६० 'वाघ कुअरा-वीद' वाघा कोटडियारै कुअर सोढी ठकुराणी हती। ५६१ पीपा राईकारा बेटा-पोतरा साढारो दूध पीधो मेहरो बेटो घूटलवाळे पग समेट सूतो पछै नेतसी भाया भडो सहित साढारी वार चढियो कोटडिया रामाजी मारनै साढा पाछी आणी ते नोर तळे पाणी पाय दोड़ कराय राईकानू दूध पायो उण समरा हीडोळा-- साढो लोप सो इतरो, गाधी साइरी साध । चड्ढि महीरा नेतसी, रातो तरगस बाध ।। नळी कटाड नीळी, लप घी अमापियो खाय। हाथ-वैतर आतर, अ कोटडिया जाय ।। खेतो पूछ नेतसी, नीलो घोडो काय । ग्या ईडररी चाकरी, दियो ईडरर राव ।। ५६२ कितीक पीढिया कोटडै राणो दुरजणसाळ हुवो जिणकनसू रावळ अखैसिंघ कोटडो ले लियो दुरजणसाळ सीवाणरी नाळ जाय रहियो कोट नरेडो रावळ जेसलमेर पडाव नाखियो। ' ५६३. सवत् १८२१ रावळ मूलराजजी दुरजणसाळनू कोटड़ो दियो पेसकसीरा रुपिया ठरायने । ५६४. फौज जोधपुररी कोटडा माथै आयी उठासू हाकम आण दुरजणसाळ कोटडा मांयसू जेसलमेररो हाकम काढ दियो उण दिनसू सीव जोधपुररा मुसद्दी हाकम रहियो।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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