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________________ १०७-११६] राठौडारी घातां उरळी चारो राइका, म्हारा भालारी छाह । - ।। जो जासी तो आणसू, बाबा मेहारी बाह ॥ १०८ सेखोजी गागोजी एक दिन झरणामे भीर वाट जळछाटारो खेल कियो भाजणरी दोनानू परत बोले-बोले भारी हुवो जद सेखोजी धूसल करणो विचारियो आ खवर पाय रावजी गागोजी सेखाजीनू कह्यो-वरड ऊगी जिण जमीमे उवा थाहरी, भुरट जिणमे ऊग उवा म्हारी सेखाजीरै परधान ऊहड़ हरदास आ वात मानी नहीं। दूहो-अक वचन हरदास, ऊहड मन आण नही । गाँगौ मगळो ग्रास, के सेखै सौ सामठो ।। १०९ सेखैजी नागोरी खान दोलतियो जिणनूं मारवाड माथै आणियो गागोजी फौज ले सामा गया सेवकी वेढ हुई. दरिया जोरा हाथी फौजार आगे हो रावजीरा हाथरो तीर लागो ऊ भागो दोलतियो ही भागो . सेखो काम आयो देईदास निसरियो सवत १५८६ रा मिगसर सुद १ आ वेढ हुई. पचास पठाण काम आया हाथी दोलतियारा घणा लूटाणा रावजीरो उमराव किसनो चापावत पूरै लोहै पडियो रजपूत पाच आपरा काम आया इणनू रावजी थुनाडो दियो घावा उपडियो दिना पनरा रामसरण हुवो। ११० सेखा सूजावतरै वसरा राठोड मुसलमान हुवा हाडोतीमे नाहरगढरो धणी नबाब वाज है। १११ चाँद-बावडीपू राव गागोजी तीर चलायो हो सू गोळमे जाय पडियो है । ११२ सीकरी राणा सागारी हार हुई जद साराही कही- राव गागो सामल · होतो तो राणारी फतै होती । ११३ सवत १५८८ रा जेठ सुद ५ सुरगवास कियो रावजी श्री गागजी । ११४ सवत १५८८ रा जेठ वद ५ राव गागोजी देवलोक हुवा । . ११५ राव गागाजीरी राजलोक सीसोदणी उत्तमदे राणा उदैसिंघरी बहन पीहररो नाव पदमावती ज्या पदमसर तळाव करायो जोधपुर। ११६ राव गागोजी देवलोक हुवा जद सीसोदणीजी पीहर हुता पाच पोहर सत रहियो भाई उदैसिंघ बळण न दिवी पछै चित्तोड जूहर हुवो जद जूहरमे बळिया ।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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