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________________ ४४ चांकीदासरी स्यात [४६७-१७९ कही - मिया म्हा कनै मामलो लै जिसा है महाराज फुरमाया अठ म्हारी फौज छव माम रहण दो तो मियानू अवजी मसका वाथ आणा । ४६८ सेरसिंघ मेड़तियो काम आयो जद राजाधिराजरै साळो कुंवर सिरदार भाज गयो उणनू चाकरीमू गजाधिराज दूर कियो । ४६९ सवत १८०८ महाराजा बखनसिंघजी जोधपुर लियो मोकमसिंघ १, दोलत सिघ २, लालसिघ ३, दोनू चापावत सूरजमल दुरजसिंघोत जोधो ४, महेचो सिरदारसिंघ कानसिंघोत ५, भाटी महेमदास ६, करनोत जैतकरण महकरणोत ७, धायभाई देवकरण ८, भाटी सुजाणसिंघ ९, इत्यादिक गढ जोधपुररो राजाधिराजरी निजर कियो । ४७० जोधपुर पधार राजाधिराज फुरमायो - अभैकरणजी मसार नही जद निणगारचोकी म्हारो आवणो हुवो। ४७१ सत्तावन गाव झाडोदरा फतैपुररा नवावरा महाराज वखतसिघजी दवाया । ४७२. जासनु जास याची - राजाधिराज जोधपुर ले फुरमायो - महि राजवी है ज्यानू वाहर काढ आवो, रजपूतारै परणाय देसा मारै वंसरा अजीतसिंघोत जोधा वाजसी। ४७३. राजाधिराज गुजरातसू पधारिया पछै धावड वडिदास तुरत हीज चलियो । ४७४ प्रथम सवत १७९२ दिली पधारिया राजाधिराज दूसरै फेरै सवत १८०४ दिली पधारिया । गगवाणारा गोरमे, सेल धमाधम खाय, भोळी नणदळ है हाथ्यारै हौदै वखतो मारू जग करै । ४७५ नाय जी महागजसू राजाधिराज आपरै नै माधोसिंघजीरै विचै मसजत माथै वैसाया। ४७६ राजाधिराज दिखण माथै जावणरी कमर वाधी किवी जद उजीणरै मुकाम सिरदार उठ गया हा मु . राजाधिराज देवलोक हुवा । ४७७ सिंघरो मिया नूर महमद बोलियो-हिया माहलो नादरसा आज मुवो । ४७८. राजाधिराजरी मृत्यु सुण लखनऊरो धणी , नवाव मसूरअलीखा कह्यो - दिलीरो जोर घटियो, दिखणरो जोर वधियो हमै । ४७९. राजाधिराज दिखण माथै चढिया जद उजैण इदौररै मुकाम सिरदार उठ गया आतकसू ।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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