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४५४-४६७ ]
राठौsi adi
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४५४ जद नरूकीजी कहायो - हम तो टीकारी सामगरी लिराय लेणी पर्छ ऊ
हाथी उदैपुरसू नाठो जद नरूकीजीनू कहायो - अमको हाथी उदैपुरसू मंगाय दो जद नरूकीजी,
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४५५ उवैही राणा है, हाथी लडाईरो मेलसी नही जद राम फुरमाया - माटी मुवो तो पण राडरो मछर मिटियो नही ।
४५६ जोधमल भडारीरं गळं दोवडरो टेपो देनें गुजवर कटी ले लिवी उवा विजियानू दिवी राम नृप ।
४५७ महाराज ईसरीसिंघजीरी बेटी कछवाहीजी १, झळायरा राजावतजी २, चावडजी ३, जाडेचीजी ४ - महाराज रामसिंघजीरं औ च्यार राणी । ४५८. चावडीजी, राजावतजी, जाडेवीजी, कछत्राहीजी - औ च्यार राणिया महाराज रामसिंघजी रै |
४५९ झिलायरा राजावत ज्यारं मनीजता " महाराज ईसरीसिंघजीरी बेटी कछवाहीवजीरो आध कम हुतो ।
४६० झिलायरा राजावनजीरो मान हुनो. काही जीरो मान नही हुतो रामरं । ४६१ माधवेसरा राजावतानू कहिनै राजाव जीनू जहर दियो ।
४६२ माधवेस झिलायाळातू कह्यो - यारी बेटीनू जहर दे मारो तो म्हारी भतीजीरो मान करें महाराजा रामसिंघजी ।
बखतसिंघजी
४६३ राजाधिराज नागोर लियो जद चवदै हजार घरारी बसती हुती ।
४६४ राजाधिराज नागोर पधार पहला पचोळी लालानू दिवाण कियो पर्छ धायरा कह्यासू सिंधवी सायमलनू दिवाण कियो पछै इण मुवा इणरो बेटो अमरचद दिवाण कियो अमरचदनू मार सिंघवी फलैचदनू दिवाण कियो ।
४६५ महाराज अभैसिंघजीनू जळाजळी देण राजाधिराज नागोर समस तळाव पवारिया टेगण चढिया किताईक कह्यो - राजाधिराज पाळा है, किताईक कह्यो - राजाधिराज टेगण सवार है ।
४६६ महाराज अभैसिंघजीनू जळाजळी देण राजाधिराज नागोरमे समस तळाव है। जठै पधारिया टेगण सवार हुया किताक कह्यो - आप पाळा मत पधारो किता लोगा कही - टेगण चढ समसराजाधिराज पधारिया ।
४६७. महाराज बखतसिंघजी जेसळमेर परणीजण पधारिया जद रावळ अखैसिंघनू को - सिंघरै मिया थाहन मामलो दियो है कन दियो है। ? रावळजी