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________________ ૬૮૬૬ वांकीदासरी ख्यात [ २२७२-२२८४ २२७२. सेख हमीदुद्दीन रेहानी १, सेख हमीदुद्दीन खोही २, सेख हमीदुद्दीन खालिस ३, सेव हमीदुद्दीन मुवैलिस ४, सेख हमीदुद्दीन कासालेस ५ - यां हमीदारी रैलत नागोरमं हुई सेख हमीदुद्दीन नागोरीरी रैलत दिलीमे हुई जवन कहै सातू हमीदारी रेलत नागोरमे होती तो नागोर खुर्द मक्को होय जातो । २२७३. खाजाजीरै चौरासी सागिर्द ज्या माह तरकीनजी गिणीजै सारासू छोटा । २२७४ खाजैजी सुलतान, सुलतान तारकीन कहि वतळाया अरथ पातसाह त्यागियूका । २२७५ खाजैजी जमान सहित नमाजमे रजू होते जद तारकीनजी इमाम होते नमाज गुजरा मरवा दवा मागि ऊचो जोवते जद अरसको काग़रो साराकै नजर आवतो ओ भेद पाय खाजैजी सुलतान तारकीननू कह्यो - तुम हमको ठगे सो हम आपका सागिर्द न किया आप हमारे सागिर्द होय ने फेर कह्यो - तुमारी औलाद अर हमारी ओलादकै परसपर परणीजणा परणावणा होहिगा । २२७६. खाजाजीरा पोता नै खाजा जीरा मुजावर सारा सीया होय गया हमै आगे च्यार वारी हुता । २२७७ गुजरातमे तुरकिया वोहरा सारा सीया है मुसलमान कहें - सीयारै मुकर दोलत होय, सुन्नी फतैन सीव होय । २२७८ इलवरस्याई रमूलस्यारी गादी हिनीफस्या, हिनीफस्यारी गादी फिदाहसन, फिदा मनसू खलना कीवी रावराजा वखता वरसिघ । २२७९ पातसाह लोदी वहलोलखा जिण मुलतानमे मोलवी सेख यूसफनूं बेटी परणाय दिवी ने कह्यो - वन्य भाग म्हारी बेटीरो जिणरै इसो विद्यावान भरतार | २२८० मित्रमे लकारी सइयदारी मानता विसेस है । २२८१ अमान हजरत अघासकू लखनऊरो नवाव विमेस मानै । महदी २२८२ पूरवमे जीवणपुर सहर जठै महदी हुवो नवीअत महमद ऊपर खतम हुई. व वलायत महूदी ऊपर खतम हुई । २२८३ महदवी कहै - कुराणमे आयत है महमदकी रैलतसूं नव से पाच वरसां महूदी दावो करनी । २२८४. कितावमे महदी कहँ - जिण दुनिया मे महमदनू भेजियो उणरो भेजियोड़ो हू ही दुनियामे आयो छू ।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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