SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 204
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १९०] चांकीदासरी ख्यात [२३२२-२३३१ २३२२ हुमायू सिंघसू राव मालदेजीरो बुलायो फळोवी चिराई आयो वात दगा भरी देखी उमरकोटन गयो पछै सिंध लाघि ईरानमे इसपाहन गयो । २३२३ ईर, नरै पातसाह खधार गजनी कावुलमे बदखसां हुमायूरो अमल कराय दियो । २३२४ गुजरात घघ विण सौ देस लडि-लडि लिया सेरसाह । २३२५ काळिजररै गढ लागो सेरसाह उरड़ आघो गयो गढ माहला हल्लारै वखत सोररा होका उपरसू नाखिया नीचे सार हुतो सू आरा पडनासू भभकियो सोरसू वळ सेरसाह मुवो। २३२६ सेरमाह साचो, सीळवत, आदिल, नेक, नीतवत, खबरदार अवलियो रैतरो पीहर, सिपाहरो मित्र, चाकरा ऊपर मिहरवान वडो पातसाह हुवो । २३२७ । पाट इसलामसाह बैठो बडो पातसाह हुवो सो देस वारे पजवनमे रह्या. इण मुवा इणर पाट इणरो बेटो गढ गवालेर बैठो पछै इण डावड़ारो मामो सेरसाहरो भतीज नै जमाई सो इसलामसाहरा वेटानू मार गादी बैठो जिणसू दिली, लाहोरमे से रसाहरा भतीजजवाई पातसाह होय बैठा पूरबरा ठोड-ठोड जुदा-जदा पठाण आप मत हवा जद पातसाह हमाय सोळे वरसरो विखो काढ दिली ऊपर आयो. सिकंदरसाह जंग करण आयो. सो जगमे घणा पठाण मराय भागो । २३२८ हुमायूं दिली आय तखत वैठो कितोईक कनलो देस जबत कियो सिकंदर साह लाहोररा पहाडामें पैठो इण ऊपर साहजादो अकवर नै बहरामखा हुवा जाय लाहोर लिवी पहाड़ां ऊपर चलाया उण समै पातसाह हुमायू दिली पुराणीरा कोटरी मैडीतूं पडि मुवो आ खबर लाहोर पहोची कला नोरमे अकबर तखत बैठो। २३२९ दिलीमे सूवै उमराव हुमायूरा हुता। २३३० गवाळेर मवारजसाह अदली पातसाह हतो तिणरै सारो चलण वाणिया हेम ढूसररो हुतो तिको वडो दातार, जूझार सिरदार हुतो तिण वडी-वडी लडाया करी पठाण जेर किया मवारजसाह दुखी हुतो जिणसू वडो सामान करि दळ वळ करि हेमू ढूसर दिली ऊपर आयो । २३३१ दिलीतूं अकबररा ऊमराव दळ ले हेमु सामा आया युद्ध हुवो आखर हेमू जीतो अकवररा उमराव हुमायूरी लोथ ले, पातसाहरा कबीला ले, अकबररी तरफ चालिया हेमू दिलीमे अमल कियो मवारजसाहरै पूत नही हो नै आप चाकर नही हुतो जिणसू हेमू ढूसर दिली तखत बैठो राजा विक्रमाजीत कहायो ओ खिताव पायो ।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy