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________________ १९२] वांकीदासरी ख्यात [२३४५-२३५४ २३४५ खानखानारी अरज कसमीर आयी गुजरातरो मालक मुजफ्फर गुजराती चाळीस हजार सवा रारो धणी जगमे पकड कैद कियो है सेख इब्राहीमखा सीकर वाळनू अठै मेलसी सो ओ सूबो उणनू भोळायनै हू दिखण माथै जाऊ। २३४६ च्यार गुजरातरा उमराव ज्यानू मै वचन दिया है सो उवानू नवाजस कीजै. जाम' खगार १, ऊदो २, जगन्नाथ ३, साहिमखा ४. आप दिखणरा हाथी मगाया सो दुरस्त पिण प्रतीत वाळा हाथी - महावत अठ मेलजे साथ हाथी मेल देमू । २३४७ पातसाह अकबर वेराजी हुवो खानखानासू जद खानाखान राव कल्याणरै सरण वीकानेर आयो हुतो। २३४८ अकवर कसमीरमे जद खवर मक्कारी हज करण मुसळमान जाता हा हिंदसू ज्यान वलोचा लुटिया. आ वात सुणता ही अकवर नाक सळ घालियो तीरै मार वफादार राजा वीरवल बलोचां माथै विदा होतो हुवो। २३४९ नीराह १, विजो २ वगेरै च्यार ठिकाणा जवर बलोचारा वडा पहाड़ारा घेरमे राजा वीरवल फोज ले गयो पहाडारा घाटा भाजिया बलोचानू मारिया पकडिया, गाव लूटियो फोज धनसू अभरी हुई फतै कर पाछी वली बलोच पहाडा चढिया. घाटा वद किया मारगमे खाडा खणिया फोज ले वीरवल घाटामे आयो जद तीर, गोळी, गोफणासू पत्थर वलोच' लावता हुवा भाठारी लाग वीरवर मुवो सिपाह वेसुमार माराणो आ बात सुण अकबर राजा टोडरमलनू जैस दे नै विदा कियो इण बलोचारो देस ले लियो बलोचारा ठिकाणा तोड़िया। २३५०. तिरीह १, विजोर २, किकली ३, दतोर ४-अ च्यार ठिकाणा बलोचारा जैस वडी फोज, तीराह, तरवारा, आछी घडीजै है । २३५१. मिरजो सरफुद्दीन अलवर किलेदार हुतो, अकवररो उमराव आवेररा राजारा भाईवेटा दोय सरफुद्दीन पकडिया। २३५२. घोसारा डेरा भगोतसिंघजी, जैमलजी, जगमालजी, आसकरणजी वगेरे सात कछवाहा पातसाह अकबररा पगा लागा। २३५३ माहम नगा नामा अकवररी धाय जिणरी मारफत सैभररा डेरा कछवाहा अकबरनू डोळो दियो। २३५४ दोय वडी नोवत, दोय वडी देग रकवाई घडियाल, सोनारी पीलसोज, रुपारा किंवाड चितोडसू आण अकवर अजमेर ख्वाजजीरै भेट किया।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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