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________________ वांकीदासरी ख्यात [६१२-६२६ ६१२. दुरगदास आसकरणोत केलियारै घरै सरण रह्यो। ६१३ दुरगदास आसकरगोतरी बेटी विनैकवरवाई सलूबररा धणी रावत केसरीसिंघनू परणायी दूजी वेटी दुरगदासजीरो कुसळवाई । ६१४ दुरगदास १, तेजकरण २, अणदकरण ३, रतनकरण ४ । ६१५ दुरगदास आसकरगोनरी वेटी विनैकवर सलूंवर रावत केहरसिंघजीनू ... ... 'दोहितो रावतलालजी। ६१६ दूजी बेटी राजवाई साटोले उमेदसिंघजीनू परणायी। ६१७ करनोत रतनकरणरी वेटी धनवाई कुरावड कुवर जालमसिंघ उरजणसिंघोतनू परणायी दोहितो रावत जवानसिंघ । ६१८ वहामीरो धणी करनोत रतनसिंघ जिणरी बेटी धनवाई कुरावड़ जालमसिंघ उरजणसिंघोतनू परणायी . उण वाईरो वेटो रावत जवानसिंघ। ६१९ रतनसिंघजीरी बेटी दूजी राजवाई साटोलै उमेदसिंघनू परणायी। ६२० तुरकाणीमे दुरगदासजी जूनै वाहरमेड़ रहै जद झामररा जाट सारा _वाहड़मेर गाव कवास धान नीपज्यो जद जितो हासलरो धान वाहडमेररा घणीने देता इतो ही ठाकराँ दुरगदासजीनू देता हा। ६२१ उदैपुर राणा जैसिंघजीरै नै कवर अमरसिघजीरो अमेळ हुवो . कवर उदपुर वैठो राणाजीनू उदैपुरसू काढ दिया . दस हजार रुपिया खरचीरा मेलिया सगा विवरा सनचार लिख मेलिया महाराज दुरगदासजी वगेरा उमरावांनू मेलिया इकलिंगजीरै देवरै कवरनू राणारा पगां लगायो कवर सागररी पैला गयो नै राणाजीनू उदैपुर वैसाणिया । ६२२ वूदीरा राव अनिरुधिसि वजीर नै हाडा दुरजणसिघजीरे आपसमे अमेळ हुवो दुरजसिंघजी वाहर नीसर बूदीरो विगाड करता हुता . दिखणसू इण हीज काम पातसाहमू सीख किवी। ६२३ राव अनिरुतिघजी बूदी आया नै दुरगदास आसकरणोत अनिरुघसिघजीरै पगा दुरजणसिंघजीनू मेलिया मेळ कराय दियो। ६२४ राणाजी सादड़ी दुरगवास आसकरसोनू पटै दिवी ही दुरगदासजी नव वहिन-बेटिवारा व्याह सादडी किया चारणातू त्याग दे जस लियो । ६२५ उदैपुर अमरसिंघरा घोड़ा लारै दुरगदास आसकरणोतरो घोडो चित्र बीचमें । ६२६. अस्सी बरस तीन महीना अट्ठाईस दिन, इत्ती ऊमर दुरगदास आसायतरी हुई।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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