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________________ वांकादासरी ख्यात [१०९६-११०७ १०९६. तुळा रूपारी पाच हुई जिणरी विगत – रूपारी तुळा १, राणाजीरी राणी परमारजी किवी रूपारी तुला १ ऊदावतजी टूक तोडारो राजा राम सिंघ भीमरो जिणरी मा नूतै आया उवा कीवी रूपारी तुळा १ सौदै वारट केहरीसिंघ खीमराजोत कीवी रूपारी तुळा १ पुरोहित गरीवदासरै वेट किवी। १०९७ सोनारी तुळा दोय – अक पुरोहित गरीवदास किवी अक राणै राजसिंघजी कीवी, आवधा सूधा तुळा बैठा । १०९८ वूदीरो रावराजा भावसिंघजी ज्यारो प्रधान सावतसी सौनू तो लै आयो च्यार घोडा, २०००) रुपया हाथीरा, ३५०० ) रुपया रोकड़ टीकारा।। १०९९ राजा रायसिंघ भीम अमरसिंघोतरो जिणरी मा नूतै आयी छै घोड़ा निजर किग, २०००) हाथीरा निजर किया। ११०० रामपुरसू नूतो आयो घोड़ा च्यार, हाथी अक संदरूप, रुपया १५०००) रोकड़ नूतो। ११०१ हीरै टोकडिय राणा राजसिंघजीनू बकाय राजसिंघजीरा कुवर सुरताण सिंघजी सिरदारसिंघजी राणाजीग हाथसू मराया। ११०२ पछै कुवर भीमसिंघजीनू राज देणो तेवडयो नै राणाजीनू कुवर जैसिंघजी-नू चूक तेवडायो साह दयाल नूरपुरीमें हीरारो चाकर राणाजीस् मालम कीवी राजसिंघजी कुपित कर व हीरानू मरायो हीरो मामधीहो कहीजै है। ११०३ उदैपुरमू आय राणा राजसिंघरो कवर औरंगजेवरा पगां लागो दरगाह आया. जद पातसाह भारी सरपाव मोती दिया, राणानू सिरपेच जडाऊ भेज्यो । जैसिंघ राजसिंघोत ११०४. राणा जैसिंघजी घाणेराव पधारिया जद आडावळामे कोठारिया वड़ जठे डेरा किया रावत केहरसिंघजी केळवाडारी स्याहजी साथ हुतो। संग्रामसिंघ अमरसिंघोत ११०५ राणो सग्रामसिंघ अमरसिंघोत कोठारियारो राव वखतसिंघजी ज्यारो भाणेज। ११०६ राघो हरी पागियो दिखणी अड़सीजी फौज सामल हुतो पटैलसू राड़ हुई जद। ११०७ राणे अडसीजी कोठारियै डेरा क्यिा अमरचद वडवान फुरमाया - विना हांसल चुकाया श्रीजी द्वारै रसत मोल गयी उदैपुरसू सो श्रीजीद्वारासू
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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