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________________ ८६८-७८१]: राठौडारी वातां सामा आया कह्यो-मोनू कुण मारसी ? जद काधळोत लालसिघ तारमिघनू मारिया। ८६९. तारासिंघजीरी बेटी गजसिंघजी परणायी . उमेदसिंघ रावराजारा बेटा सरदारसिघजीनू परणायी। सूरतसिंघोत गजसिंघोत ८७०. नव दुर्गारा नव मदिर महाराज सूरतसिघजी कराया वीकानेर । ८७१ सवत १८८५रा चैत सुद ८ वीकानेर सूरतसिंघजी देवलोक हुवा सवत १८८५ रा चैत सुद १४ उदैपुरमे राणो भीमसिंघजी देवलोक हुवा । ८७२ वीकानेररी हदमें गाव परमारसररो धणी परमार माधोसिंघ तिणरा भाणेज तीन महाराज सूरतसिंघजीरा कुवर तीन – रतनसिंघ १, मोतीसिघ २, लिखमीसिंघ ३ । वीकानेररा राजा काम आया ८७३ लूणकरण वीकावत ढुसियै गाम काम आयो जैतसी लुणकरणोत काम आयो रायसिंघ कल्याणमलोत बुरहानपुर देवलोक हुवो. छतरी तापी उपर है वर्ष तिहत्तररी ऊमर हुई सूरसिंघ रायसिंघोत दिखणमें सहर आभीरी जठ देवलोक हुवो राजा करण सूरसिंघोत औरगाबाद देवलोक हुवो राजा अनोपसिंघ करनसिंघोत आदूणी देवलोक हुवो . दिखणमें आदूगी अनोपगावमे छतरी है पदमसिंघ करणसिंघोत कोकणमे काम आयो। फुटकर ८७४ वीकानेररो राजा मूनरो नाम ले सोझवळीरा नाम कहावै । ८७५ वीकानेर लक्ष्मीनारायणजी धूड्डजी औ सेन साळिग्राम है। ८७६ वीकानेर राजाजीरै सेवामे करडमे करनीजीरी मूरती रहै करनमहलमे सेवा हुवै पाछो करड निजसेवामे थापित हुवै । ८७७ वीकानेर पुस्तकसाळामें अक देवी विराज है । कांधलोत राठोड़ ८७८ खाटी काधळजीके बाधी वीका। ८७९ वीका वीकानेर दमोडी काधळा राठानू मार कांधळजी जमी दावी . वीकानेरसू अस्सी कोस उतराधनू धमोरो गाव जठ काधळजी ठाकुराई बाधी। ८८० काधळ रणमलोत हसार काम आयो। ८८१ चूरूरा काधळ वणवीरोत है।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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