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________________ ७४ वांकीदासरी स्यात [८१७-८३० ८१७ आग हुती जिका सिणगार चोकी ढवायनै नवी करायी. डोढीरो बारणो दिखण दिसामें करायो जोधपुररी रय्यतन घणो दुख दियो रावजी अनीत वरतायी सोनगजी वगेरैरो क्यूही वटै नही सिरदार छाड दुरगादासजी कनै गया आ कह्यो-नागोरी तरहदार है, हू तो पहलांमूं ही जाण गयो, हम सारा थोक भला करसा । बीकानेर वीको जोधावत ८१८ वीको जोधावत जागळूरा साखळारो भाणेज । ८१९. राठोड वीका जोधावतरा वेटारी विगत-लूणकरण १, घड़सी २, वीसो ३, नरो ४ । लूणकरण वीकावत ८२० ढुसियो गाव नारनोळ कनै है जठे लूणकरण वीकावत काम आयो । ८२१. उरजण सतावत वीका जोधावतरै काम आयो मोहिळ मारियो । ८२२. सावत उरजणरो वीकानेररा लूणकरणरै काम आयो । जैतसी ८२३ वीकानेरसू सात कोस ऊपर सोहुवो गांव है जठ वीकानेररो धणी राव जैतसी लूणकरणोत कूपा महराजोतरै हाय रह्यो । ८२४ ठाकुरसी जैतसिंघोत गयी भोमरो वाळणहार हुवो वीकानेर । ८२५ राठोड ठाकुरसी जैतसीहोत लूणकरणोत जैतपुरंसू जाय तेलीसू मिल निसरणियां लगाय राठा कनैसू भटनेर लियो। ८२६ ठाकुरसी भटनेररा तेलीरो दिल हाथ लेनै मूतरा रस्सारी नीसरणीसू तेरह सौ जणांसू भटनेररै किळे चढियो भाटियांनू मार काढिया भटनेर अपणाय लियो । ८२७ ठाकुरसीजी जैसलळमेर परणिया हुता । ८२८ - वीकानेरिय कल्याणमल जैतसिंघोत आपग छोटा भाई ठाकुरसी जैतसिंघोतनू जैतपुर ठिकाणो दियो। ८२९ ठाकुरसीरो बाघ अकवर आगं कुत्ता ज्यू वाघनूं पकड़ आणियो। ८३०. ठाकुरसीजीरै वेटो वाघजी हुवो. अकवररी आग्यासू वाघसू वाथिया पडण कमर वांधी वाघ कुत्ता ज्यू हुय गयो. पातसाह घणो राजी हुवो।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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