________________
८३१-८४०] राठौडारी वातां
७५ ८३१ मेडतियो केसोदास सुरताणोत नवाबनै मार आगरै रायसिघ कल्याणमलोतरै
डेरै आयो इण वाघ ठाकुरसिंघोतरै डेरै मेल दियो वाघ केसोदास भेळा
काम आय यवनासू जग करियो । ८३२
आ दोनारा माथा कटाय आगरारे दरवाजे बधाय पातसाह जाबतानू चौकीदार राखिया. पछै नारणोत वळभद्र राजा रायसिंघजीरा कह्यासू दोनारा माथान
जमनारै तट दाग दियो। ८३३ पछै मेडतियो केसोदास सुरताणोत आगरामे नबावनूं मार बाघरै सरण आयो.
वाघ केसोदास पातसाहरा सीखासु जग कर काम आया आरा माथा आगरारै दरवाजै टाकिया पातसाहरा हुकमसू माथा ऊपर चौकी बैठी पर्छ नारणोत वळभद्र माथानू दाग दियो जमनारै तट प्रिथीराजजी कह्योभाई जिके कहीजे वलभद्र जो.... ।
राव कल्याणमल जैतसीहोत ८३४ राव कल्याणमल जैतसिंघोतरा बेटारी विगत - रायसिघ १, प्रथीराज २,
सुरताण ३, रामसिंघ ४, गोपाळदास ५, भाण ६, राघवदास ७, अमरो ८ । ८३५. बीकानेर राव कल्याणमलरै बेटारी विगत - रायसिघ १, प्रथीराज २,
सुरताण ३, रामसिघ ४, गोपाळदास ५, भाण ६, राघवदास ७, अमरो ८ । ८३६ राठोड प्रथीराज कल्याणमलोतरै हसाररी बावनी पटै हुती हमै प्रथीराजोत
उठ हीज रैवै है। ८३७ स० १६३८ रा वैसाख सुद ३ सोमवार प्रथीराज कल्याणमलोत रूपक वेल नामे वणायो।
राजा रायसिंघ कल्याणमलोत ८३८.. ... . विक्रमाख्यनृपस्य पुत्र श्री लूणकर्णोऽपि न लूणकर्ण ।
श्रीजैत्रसिंहोऽहित नागसिंह कल्याण नल्लोऽखिलशत्रुगल्य ।
श्रीराजसिंहस् तनुजोऽस्य राजा, विराजते धर्म-पथस्य गोप्ता ॥ ८३९ राजा रायसिंघजी वारट सकरनू सवा कोड दीवी जद पाडसर साजनसर
दोय गाव ताबापतर दिया वीकानेररा। ८४०. दूहो राजा रायसिंघ कहै
करमचद करसो किसू, अन धन जोड अपार ।। नवी जग खाटो नही, ले जासो की लार ॥