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________________ ७३ . ८०६ ८०५-८१६] राठौडारी वातां जोधपुर गढ सजियो-चापावत सोनगजी, उदैसिंघजी जैतावत परतापसिंघजी, सूरजमल ऊदावत, जोधो मुकददास, कूपावत हरिसिंघ, बालो प्रयागदास, ऊहड भगवानदास, किलेदार ईदो रुघनाथ, पुरोहित अखैराज-इत्यादीक घणी आसामिया मिलनै गढ सजियो।। इद्रसिंघजी जोधपुर आया विसटाळा फेर ललपत करी साच-झूठ करी पट्टारो लालच दिखाय पातसाहरो जोर दिखाय गढसू सोनगजी वगेरा सिरदारांनू उतार आप गढ चढिया पछै सोनगजीरै डेरै कुंवरनै मेलियो। ८०७ इदरसिघ रामसिंघोत पातसाह ओरगजेबसू कोल कियो हो-मोनू जोधपुर दीजै, जोधपुर जाय राठोड सतरै कुवधी है ज्यारा माथा काट अठै मेलस्यू । हो- इद्रसिंघ सोनग कनै, दीनो कवर पठाय । । पख भाद्रव सुद पचमी, बरस छतीस ताय ।। ८०८ इदरसिघजी गढ ऊपर गया जद डोढी ताई इदरसिंघजी सामा आया। ८०९ सवत १७३६ रा भाद्रवा सुद ७ मगळवार राव इदरसिंघजी जोधपुररै गढ टीको लियो पछै राम भाटीनू चूक कर मरायो । ८१० रावजी अजमेर पातसाहरा पावा गया राठोडारी जोरावरीरा समाचार मालम किया । औरगसा अजमेर गढ, आयो दूजी वार । जससुणिया जसराजरा, जुडिया सौ जोधार । ८११. नाथावत व्यास देवदत्त सोजतरै गाव हतो जठै रावजी आदमी मेलिया उवा जाय देवदत्तनू कह्यो-रावजीरो हुकम है, बेडी पहर लै, व्यास बेडी पहरी नही , वाजनै काम आयो जगतमें रावजीरो अपजस हुवो। ८१२ नागोररा राव रामसिंघजी इदरसिंघजीरै खास परवाना ऊपर लक्ष्मी दामो दररो नाम लिखीजतो। ८१३ इदरसिंघ नागोररो कोटवाल रूघो मोहिळ कियो विणजारी छती रूघारी खवास जिणरा घाघरारा नाडा मोहर वाधी रहती। ८१४ पातसाह उदैपुर माथै गयो दहवारी भेळी कूपावत उग्रसिघ काम आयो. राणो राजसिघ नास पहाडा गयो । ८१५ राव इदरसिंघजीनू वधनोर थाणे पातसाह मेलिया। ८१६ सत्यानद सन्यासीरा दुखसू रैत नागोररी दिळी जाय पुकारी इदरसिंघजीरो मनसब जबत कियो औरगजेब जद कूपावत प्रतापसिंघ भावसिंघजीरो पोतो कवर मोहकमसिंघन ले दिल्ली गयो नागोररी साहिवी पगा राखी ।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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