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________________ ७०८-७१६] राठौतारी वाता म्हारो पेट दूखै है पछै ऊदावत टळ परानू चालिया लोका आनू क ह्यो. हू आईज वात वाछतो थो, ओ अवसाण तुरकानू मारि धर चाड धणीरी चाड गऊरी चाड पुसकरराज माथै मरणरो पुसकरराज मोनूं हीज दियो. सो पुसकरराज म्हारी अरज मानी, घोडो लावो राजसिंघजी घोडै सवार होय कह्योपुसकर । अक म्हारी हमै आ अरज, आपरा पाणीरो दरसण करि म्हारी लोथ पडै पर्छ सरस्वतीरा नाळसू वेढ सरु हुई, ब्रह्मघाट माथै जाता लोथा माधोदासोतारी पड़ी। ७०९ माधोदासोत राजसिघजी वगेरै नव सिरदार पुसकरजीरा ब्रह्मघाट माथै काम आया तहवरखासू जग करीनै । ७१० आलणियावासरो धणी ईसरोत विजैसिघ छोटो भाई राजसिघ विजैसिंघजी मवा पछै विजैसिंघजीरी ठकूराणी बजरगदेजी मरदानी पोसाक कर सस्त्र बाध घोडै चढती तुरकाणीमे वडो डको रह्यो। ७११. चमाळीस गाव आलणियावासरा नै चारसू ढूढाडरी अजारै दोन ठिकाणा लिया. सारो राज-काज बजरगदेजी हाथा करता । ७१२ आलणियावासरो चमाळीसो वान हो बजरगदेजीरै सात बरस छोड रह्यो, पछै बेटो हुवो। ७१३. दुरगदासजीरै पटै मेडतो जद आलणियावासरा चमाळीसारा रुपिया भरो मैं नटिया पछै मेडतासू बजरगदेजी चढिया रियारी नदीमे वेढ हुई दुरगदासजी भागा वजरगदेजी जीता दोय कोस दोरी दुरगेस । ७१४ देवराजसिंघ आनू कळक दे मारिया ने बजरगदेजीरो बेटो ही मारियो. बज रगदेजी कह्यो-मोन थे झूठो कळक दे मारी है तो राजसिंघ | थारो नास होय, जो तै साचो कळक दे मोनू मारी है तो थारो तार ही बिगडजो मती। ७१५. गाव माजी नागोररो तारकीनजीरा मुजावरारै पातसाहरो दियो हुतो उठ विखामे माधोदासोत मेडतिया सरण हुता । मेड़तिया (कुड़की) ७१६ वीरमदे १, जैमल २, माधोदास ३, सुंदरदास ४, गोपाळदास ५, प्रतापसिघ ६, अचळसिंघ ७, कुसळसिघ ८, सिरदारसिंघ ९, सेरसिंघ १०, अमानसिंघ ११, सादूळसिंघ १२, मेडतिया कुडकीग धणियारी पीढिया।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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