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________________ ४२७-४४०] राठौडारी वातां ४२७ मोकळसररै धणी वाढ उदैराज अभेसरी आग्यासू कोटनादरा धणी भाटी फतै सिघ समरावतनू मारियो अभेसरी आग्यासू जद गुडारो राणो सूरजमल भाखरसिघोत उदैराजरी मदत आयो हो। ४२८ उदराज खीवराज अखैराजोतरो सूरजमल भाखरसी साहिबखान ठाकुरसी ईसरदास उदैराज राणो सूरजमल मासियाळ भाई हुतो। ४२९ सेरसिघ मेडतिया अहमदावाद जावता मारगमे कोळियानू घोडा दिया उवै दारू पीवण आया हा दारू साथ नही जिणसू वात उवारणनूं सेरसिघजी घोडा कोळियानू दिया. कुसळसिघजी महाराज अभैसिघजीसू मालम किवीसेरसिघ' • सिघोतरा घोडा मारगमे खोस लिया कूपै कनीराम वात हुई ज्यू मालम किवी दरवारसू घोडा सेरसिघ सामा मेलिया ७५० । ४३० अहमदाबाद भदर मायै अभैसिघजीरी फोज हल्लो कियो जद सेरसिघ निराट आछो हुवो जीवरखो भदर वाजै गुजरातमे। ४३१ मेडतिया सूरजमल सिरदारसिघोत वखतसिंघजी कनासू महाराज अभैसिघजी माग लिया गुजरातमे। ४३२ अजमेररै गाव' नामसू महाराज अभैसिघ ईसरीसिंघजीरै मिळाप हुवो जद भडारी जैपुरसू उठ जोधपुर आयो । ४३३ नागोरसू धाय पुसकरजी स्नान करणनू आयी जद महाराज अभैसिघजी फुरमाया-तू अजमेर आव, हू तो आगै छातीरो ढीब भराणो है सू हू फोडू राजाधिराजरा भयसू आ अजमेर न गयी। ४३४ बीकानेरसू पधार अभेस पुरोहित जगूनू मदनरूपजीनू फरमाया कै माहो माहरी ईरखा छोड अकमत होय राजकाज करो, हमै म्हारा सरीररी सगती घटी है। ४३५ महाराज अभैसिंघजी मिनख मारणरी सोगन पुसकरजीमे छानै लिवी थी। ४३६ अभैसिंघजीन राजाधिराज कपटी कहता। ४३७ जिण सराबसू मासरी बुध भिजोय साधा सराबरो वडो ही पियाक छक जावै उण सरावसू सीसी भर दिलीरै पातसाह महाराजा अभैसिंघजीरी हजूरमे भेजी __महाराज अक घडी सारी सीसी पी लिवी। ४३८ अभेसनू गलीच विजय हू जवरनू नागोरी राम नप कहता । ४३९ अभेसनू गलीच फते हु ज धरनू नागोरी राघव सदूळ कहता। ४४० अभैसरी आण काढता।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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