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वांकीदासरी ख्यात
[४२०-४२६ . ४२० चापावत करण राजसिंघोत १, मेडनियो भोमसिंघ कुमळसिंघोत २, पुरोहित
केसरीसिंघ ३, जोधो हरीसिंघ जोगीदामोन ४, धावल भगवानदास ५ । ४२१ ठाकर अभैकरणजी पूरा लोहा पाडिया महाराज डेरा मोरचासू अळगा हुता.
सो आ खबर आयी तिण सायत श्रीमहाराज अभैसिंघजी वखतसिंघजी अमवार होय कटकरी अगाडी नाई पधारिया. इतै अरज मालम हुई, राड़ हो चूकी जद घोडा चलायासू मिया मिया पूर उठ राखी आगे तो पाचल ऊभो रह्यो चौडै आयो नही जद दोन साहिब ईसवररो नाम ले नै लटता तोपखाना सामा घोडा उठाया सो तोपखाना लोप तरवारा भीळिया. अक पहोर झीक वागो मियारै साथ मनमवदार हायियारा सवार हुता जिके इता काम आया-आबद अलीखा १, जमलुदीखा २, सइयद कायम ३, पठाण तरीनखा ४, सेख अलैयार ५, थानसिंघ ६, दुरजसिंध ७, अकहजारी ८. तीनस सिपाही नवावरा और काम आया नवावरा इतरा घायल हुवा-सेख मुजायद १, सेख जमादी अलीखा २, आगा महमदरो वेटो ३. और सिपाही पनरै से घायल हवा. नवाबरो तोपखानो खोस लियो नवाव भाज मेक मसीतर
ओलै उभो रह्यो महाराजरी असमानी फनै हुई। ४२२. महाराज वखतसिघरै बीस तीर लागा ज्यामे तीन तीर तो च्चार आगळ बैठा
दीजा मिलहमे रह्या गोळी अंक, गोळो अक लागो श्रीरामजीरा प्रतापसू
खैर हुई असवारीरा घोडारै दस तीर लागा अंक भाटकै लागो। ४२३. नवाव नास सैर माय गयो दूजे दिन सेख मुजायदनू वात गरै महाराजा
अभैसिंघजी कनै मेलियो कह्यो-महाराजा फुरमावै सू करू दरवार फुरमाया-तोपखानो सारो छोड जा यूहीज हुवो मवत् १७८७ आसोज सुद
१२ महाराजरो झडो रुपियो अहमदावादमे । ४२४ राजाधिराज जग कियो पर्छ महाराज अभैसिंघ जेसिघरै सुलह हुई. हरमाड़ासू
कूच कियां पछै जिता रुपिया जैसिघजीर खरच पड़िया उता देणा किया महाराज अभैसिघजी उवां रुपयामें भडारी रतनसिघनू नै भंडारी मनरूपनू
ओळ में सूपिया। ४२५ हरमाडासू कूच हुवो पछै जिता रुपया जैसिघरै खरच पड़िया उवै देणा कर
भडारी रतनचदनू अभैसिघजी ओळमे दियो। ४२६ अभैसिघजी वखतसिघजी गुजरात पधारिया जद कुहोहणर वणी उगरै अजवेस
झाडीमे वोळावो कियो तमक वाणा कोळी ।