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________________ १८६७] देवड़ारी वातां [१५७ रावनू लिखियो- भीलवाड़ा माथै जाऊ छु, सोर, सीसो मेलावसी राव' मेलियो पछै हजार सवारासू चढिया सवत १७२० पोस वद १२ घडी अक रात पाछली थका सिरोही आयो. रामा भैरवोतरो पोतरो साथ रामारो मेलियोडो सारा जिणसा लिया थका सिरोही पोळमे बैठा, हडबडाट सुण जाळीमे मूढो काढ रावजी पूछियो- साथ किणरो? जद नारखान परबतोत बोलियो - साथ कवर उदैभाणजीरो है राव' कह्यो अठी कठी जावो हो? परबतोत कह्यो - कवरजीरा हुकमसू आवा हा, राव' कह्यो - लालै म्हासू आ विचारी, कोई रामजीनै सदै सोदै नाहरखान कह्यो- रामजीरो पोतरो साथै है सारो साथ महलरै चीगिर्द फिरियो महलरै नीसरणी लागोडी राव ऊची खैच लिवी महल। किंवाड आडा जडिया जिणसू रावनू मार सकिया नही. पछै रावरा सारा माणस उण घरमे घालिया राव आडो ताळो जडियो ऊपर महोर छाप दिवी. कवर उदैसिंघन दूजा महलमे कैद कियो सूतो हो जठै हीज ताळो दे महोरछाप किवी पछै रामजी तिरवाडी, भगोतीदास पटणी हुजदार हुता सो यानू कैद किया, आपरी तरफरा नव' हुजदार खडा किया रावजी सात दिन धान न खायो उदैभाण विचारियो - रामो भैरवोत रावन मरण न दै जिणसू कैदमे हीज बैठा राखणो ठोड-ठोड कागद लिखिया ज्यांमे लिखियो - जमीमे भोमिया, ग्रासिया धध मचायो, रावजी देसरी निगै राखै नही, जिणसू पाचा ठाकुरा मोन चाटी भोळायी है सो ह करु छु पर्छ सवत १७२० रा माह बद ८ टीकारो महोरत हुतो सो रामो टीको होण दियो नही यू करता महीनो डोढ बतीत हुवो जद राणाजीनूं चूक तेवडियो घोडा पाच ठाकुरान दिया नै कडो जण पीठन हजार रुपिया देस राम भैरवोतनू, साहवखान परवतसिंघोतनू, ठाकुरसी चीवानू, उदैसिंचनू, उगरानू साठ सिरपाव दूजानू दिया आढो रुपो, आढो भीमराज दुरसावतरो, आसियो सुरताण मेघराजरो, चाचाळो देदो – मैं चारण च्यार ज्यानू सिरपाव' दियो, भाट सहसमलनू सिरपाव दियो सारा ही सलाम किवी हसमरो डोढो रातब कियो. रोज रुपिया ३००) भुजाईरा लागै सिसोदिया नाहरखान' दुरजण सालोतनू घोडो-सिरपाव दे मठाड थाणे मेलियो। १८६७. सीसोदियो साहबखान परबतोतनू राणैजीरा सारा समाचार लिखिया जद घोडो सिरपाव पाछा फेर पिंडवडै गयो. देवल वाघानै घोडो- सिरपाव दिया, नगारारी जोडी दिवी, डूमाणी गाव वधारै दियो जद रामो भैरवोत वेराजी हवो - मो बरोवर देवळरो समाधान कियो ठोड - ठोडरा कागद रामाजीनू आया - रावजीनू बाहर काढो. रामाजीरी ठकुराणी राडधरी.
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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