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२४६३-२४८३]
भौगोलिक वातां २४६३. धुलेव रिखभदेव केसरियानाथ कहावै सोळ जणा फरासी पंखारा चाकर है। २४६४. दोय जणा दोय पंखा फरासी सासता धुलेव रिखभदेवजीरै चलायवो करें । २४६५. बीइंद्रिया त्रीइद्रिया प्राणी कहावै । २४६६ पचेद्रिया जीव कहावै । २४६७. नख भूत कहावै. अन्य सत्त्व कहावै । २४६८. अक घडीरी साठ पळ, पळरा साठ उपपळ जिन मते । २४६९ अक वरसरा तीन से चौपन दिन मानै जिनमते । २४७० जिनमते पाच बरसरो जुग मान । २४७१ भरत चक्रवर्ती आपरी हाथरी मूदरीरा माणकमें आदीस्वररी प्रतिमा खुदायी.
नाम उणरो माणिक्य स्वामी दक्षिण देसमे कुलापाक नगरी जठे अज्य
विराज सुवर्णद्वय पुरुष प्रसादात् विझक जगत अनृण कियो। २४७२ सैणक मरता पुत्र माथै कोप कियो जिणसू पहली नरक गयो चौरासी हजार
वरस नरक में रहसी। २४७३ घर आगण आयो उठे।
श्री सैणक महाराज ॥ २४७४ राजा सप्रति माळवेस्वर हुवो। २४७५ सौलै हजार मुगटबध राजा सेवा करता सप्रतिरी । २४७६. सवा कोड जिनर्विव कराया राजा सप्रति ।
[भौगोलिक वातां
राजस्थान २४७७ जोधपुर ईदगाह दिखण तरफ है, उत्तरनू पहाड है जिणसू । २४७८ मडोवरमे भैरू विराजे है । २४७६ परमार भवसेन राजारी बेटी सेजळदेवी हुती सोजतमें सेजळरै नामै सोजत
सहर बसियो हो। २४८० लाडणू डाहळिया रजपूत वसायो डाहळिया पछै जोहिया मालक हवा.
जोइया कनासू मोहिला, मोहिला कनासू रावजी मालदेवजी लाडणू ठिकाणो
लियो। २४८१ वडला जातरा जाटा ओ गाव वसायो जिणसू वडलू नाम प्रगट हुवो। २४८२ वडलू पहाडीरी गुफामे भूतेस्वर विराज है, नदवाणा ब्रामण सेवा कर है। २४८३. मेडतै चतुर्भुजजीरा मदिर कनै मदिररा कोट माहे सोनगरो सूरजमलजी
पूजीज है चतुर्भुजजीरै भोग लागोडो थाळ सूरजमलजीरै भोग लागै, पछ ओ थाळ ठाकुरजीरा रसोवडा दाखल हुवे ।।