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________________ ११० वांकीदासरी ख्यात [ १२२९- १२३६ १२२९ पहला भाटियारी राजधानी लुद्रवै हुती भाटी साळवाहणरै टीकै भोजदेव बैठो भारी जैसळ दिल्ली फोजा आणी भोजदेवनू मार लुद्रवै धणी हुवो. जैसळ लुद्रवै कोट करावण लागो जद ब्राह्मण नाव इसो अक सौ बीस वरसरी ऊमरमे तिण जैसळतू कह्यो - म्हारा खेत कनै रडो है, जठै श्रीकृष्ण गदासू पाणी प्रगट कर पाडवानू पायो नै कह्यो कलूमे म्हारो वस इण ठोड रहसी, सो तू उठे कोट कराय जेसळ वात मानी गदासू कूप कृष्ण कीनो जिण कूप ऊपर सिला हुती सो दूर कीवी और वधायो. नाव दियो जैसळो कूवो गढ अठ करायो गढरो नाव दियो जैसलमेर । १२३० जैसळ १, काल्हण २, लूणकरण ३, चाचिग ४, तेजराव ५, जैतसी ६ । वडो रावल १२३१ भाटी जैसळरो कालण भाटी काल्हणरै वेटा दोय हुवा - लूणकरण १ सीहड २. लूणकरणरो चाचिग, चाचिगरो तेजराव, तेजरावरो वडो रावल जैतसी । १-२३२ जैतसी ऊपर दिल्लीरी फौज आयी बारह वरस विग्रह रह्यो जैतसी रावळ विग्रहमे मुवो पर्छ मूळराज जैतसिंघोत रावळ हुवो । १२३३. मूळराज रावळरै आगे राणो रतनसी हुवो आगे जैसलमेर आ मरजाद हुती रावळरा मूडा आगे ओक राणो रहै । १२३४ रावळ मूळराज ऊपर तुरकांरी फोज आयी घेरो गढरै लागो घेरासूं जैसळमेररा गढरो सामान खूटो जद रावळ मूळराजरो कंवर देवराज और राणा रतनसीरो कवर घडसी दोय जणा तो औ नै जणा तीन दूजा जुमलै पांच तुरकानू अमान सूपी जैसळमेररा गढरा दरवाजा खोल मूळराज रतनसी काम आया । १२३५ मूळराज रतनसीनू मार तुरक परा गया. जैसळमेररो गढ सूनो पडियो जद रावळ मालो जैसलमेर आपणावण आपरी फोज मैली फोज उठे गयी सामान भार जिनसा खजानो प्रभातरो गढ माथै चढाय दियो नै राव मालारा भडां कह्यो - कपडा धोय आप साझरा गढ माथे जासा मोमत्तो मन वोवर घवै लागा । १२३६ वडा रावळ जैतसीरै वारह वरस घेरो रयो जद भाटी जसहडरा वेटा पाच दूदो १, तिलोक २, आसकरण ३, सीधण ४, वागण ५, ज्यांनूं जुगतसू घेरा मायसू काढिया हुता ओक जणो दम खीच मड़ो वणियो हो ने चार जणा
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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