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१४६४-१४७९] कछवाहारी वातां
[ १२७ १४६४ जैपुररो राजा सदा रामानुजरो तिलक करै गोविंद-देवजीरै मदिर जावै
जद माधव सप्रदायरो तिलक करै गोकुळचद्रजी १, मदनमोहनजी २, गोकळनाथजी ३, आरै मदिर जावै जद वल्लभकुलरो तिलक कर. सिव
. सकती, गणेसरै दरसण जावै जद छव तिलक करै । १४६५. वेस्यारी, भाडांरी चौथाई जैपुर राज्यमें लिरीजै आ रीत जैसिंघजीसू बंधी.
उण चौथाईरो पईसो वार-तिहुवार वेस्यावानूं दिरीजतो. राजरै हराम हुतो। १४६६. आंबेर थाप-उथापरा धणी खगारोत नाथावत है सेखावत नरूका नगारारा
चाकर है। १४६७ आबेर सात उमराव जिके साता किलेदार है किलेदारी उतरै नही । १४६८. ढूढाड़में बारहे कोटडिया है जिके लिखीजै है नाथावत १, खगारोत २, . सुरताणोत ३, कल्याणोत ४, कुभाणी ५, पूरणमलोत ६, बळभद्रोत ७,
सिव ब्रह्म-पोता ८, पचारसोत ९, वाकावत १०, भारमलरा ११ । १४६९. वांडी नदीरो उगवणो तट तो राजावतारो, आथमणो सेखावतरांरो। १४७० जैपुररा सारा उमराव जैपुर राजारी खिदमतमे रहै, उणियारै राव राजा
रहे। १४७१. नगरसू उठ रावत ईसर गोडोन वसायो । १४७२. राजावत सग्रामसिंघरै पाच बेटा हुवा – गजसिंह १, विजैसिंघ २, अणदसिंघ ३,
रूपसिंघ ४, हिम्मतसिंघ ५ ।। १४७३ कछवाहो राजावत फतेसिंघ मूळी कहीजतो मूल नक्षत्रमे जनमियो हो '. तिणसूं वरवाडा वगेरै ठिकाणा राजावत फतै सिंघोत है । १४७४. वरवाडै राजावत मोहनसिंघोत विक्रमादितजी हुलकर मल्हारावसू आछो
'लड़ियो जद महाराज माधोसिंघजी राव पदवी दीवी । १४७५, विक्रमादीतरो जवाहिरसिंघ, जवाहरसिंघरो रामसिंघ, रामसिंघरो सलामत
सिंघ हमें वरवाडै भलो दातार है। १४७६. धुलारा राजावत दुरजसिंघोत । १४७७. नराणारो धणी खगारोत भोजराज पातसाही चाकर दिखणमे गढ नळदुर्ग
जठे काम आयो। १४७८ गीजगढ़ ठिकणो ढूढाडमे चापा सामसिंघ देवीसिंघोतरो। १४७९. खाचरियावासरा सिरदाररै पहला रामगढ हो, खाचरियावास ढूढाडरो है ।