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________________ १२८] वांकांदासरी ख्यात [१४८०-१४९१ १४८० मनोरपुररो घणी सेखावत लूणकरणजी ज्यांरो छोटो भाई रायसलजीनें मेक गाँव दियो. रायसलजी पातसाहरी चाकरी लागा दिलीरै पातसाह वारहहजारी मनसब दियो गयसलजीन । सेखावत रायसलजीरै बारा बेटा जिणमे पांच निरवस गया, सातारो वंस रह्यो । १८८२ गिरधरजी १ भोजराजजी २, लाडखानजी ३, ताजखानजी ४, हमीरमलजी ५, फरमरामजी :, हररामजी ७ - आ सातारो वस रहयो। १८८३ निरमलजीरा सेखावत रावजीका बाजे निरमलजी रावजी कहाणा सीकर रावजीरा है। १४८४ लाडखानजी, ताजग्वानजी औ पातसाहरा दिया नाम है । १४८५. खडेलारो राव सेखावत केहरसिंघजी नवाव अवदुल्लाखासू जग कर काम आयो-जद साथ नव चारण काम आया ज्यामे दोय वारट, दोय नगरीरा काम आया । १४८६ खडेले राजा केहरसिंघ अबदुल्लाखा नवावसू जग कर काम आयो. इण साथ नव चारण काम आया १४८७ सीकररा घणीरी पीढिया - रायमल १, निरमलराव २, गंगाराम ३, सामराम ४, जसवतसिंघ ५, दोलतसिंघ ६, सिसिंघ ७, चांदसिंघ ८, देवीसिंह ९, लिछमणसिंघ १० । १४८८ सेखावत सिवसिंघ सीकररो धणी जिण नवाव कनासू फतैपुर लियो वीकारो भाणेज सेखावत सादोजी जिणनू मासीरै धणी जूजणूरै घणी दिवाणजी पुत्र कर राखियो दिवाणजीर पुत्र नही जिणसू जूजणू सादाजी अपणायी। १४८९ सेखावत सिसिंघ फतैपुर लियो जिण ठाय फतैपुररो नवाब कयामखानी जानी साहब तीन महीना सीकर लडियो, सीकर छूटी नहीं। १४९० सेखावत सादा महाराज वखतसिंघजीरी तावीतमें रामसिंघजीस झगडो हवो जद गाव रिया डेरा सेखावातांनू खवर आयी- क्यामखानी गुड पाखर फतैपुर आया, मदत करण वेगा आवज्यो, हाल तो म्हे गंतिया छै. जद कुवर चांदसिंघ सिवसिंघोत नै किस सघ सादावत दोनू पांच हजार लोक ले चढिया क्यामखानी भागा सेखावता वटका कर वगाय दिया। १४९१ तीस हजार सिपाही ले पठाण भो. चढ मुरतजाखां दिलीसू खिलत ले . ढूंढाड़ माथै आयो. सीकररै धणी सेखावत देवीसिंघ भायानू साथ ले खाटू
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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