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________________ १२६] वांकीदासरी ख्यात [१४४७-१४६३ १४४७. राजा सवाई जैसिंघजी वैरागणियानू परणाय मथुरामें, वृदावनमें वैरागपुरो वसायो। १४४८ विवाह करम जान करमादी करता देख हित राधा वर लेलियानू बंदावन माहेसू सवाई जैसिंघजी काढ दिया हा । १४४९ सवाई जैसिंघ हाडा महाराव भीमसिंघजीनू भीमडो कहनो। १४५०. पछै गोपाळसिंघ भदावररो जिणरो वेटो भदोरियो राजा जिण कनै अठार लाख रुपया ले सतारै गयो। १४५१. पर्छ सवाई जैसिंघजीरा लिखण वाजेराव उजीण आयो. उजीणरा सोवेदार नागर ब्राह्मण छवीला वहादुर, दया वहादुर ज्यां दोनानू मार मालवा सतारा. लारै घालियो। १४५२. दीपसिंघ कुभाणी पुसकरजीमें महाराज जैसिंघजीरै हाथरो संकळपरो जल ले रतनवारो सासण नागल जवत हुवोडो वहाल करायो । १४५३ गगवाण राजाधिराजरै नै सवाई जैसिंघरै राड हुई जद सेरसिंघजी कुसळ-. सिंघजी राजा जैसिंघजीरै काम आया। १४५४. जैपुररो राजा माधोसिंघजी हाथरी दसही आळियामे वीटियां राखता, आ राणाजीरी चाल। १४५५ जिलायरा राजावतजी राम-सरण हुवा माधोसिंघजी काण करावण आया.7 राघवसिंघ सभामें नाला मारिया । १४५६ तुवरावाटीरो गांव मांवड़ो मडोली जठ जाटरै जग हुवो कछवाहांसू । १४५७. धुलारो धणी दलेलसिंघ रथसूं उतरतो हो गोळारी लाग रज-रज हो गयो। १४५८ बार हजार घोड़ो जाटर कनै हुतो कछवाहासू जग हुवो जद । १४५९. सवत १८२४ जाटसू कछवाहां राड कीवी । १४६०. मालपुरारो गाँव इंदोळी झगड़ो हुवो लखुआ आगे राजा प्रतापसिंह भागो जैपुररो धणी। १४६१ हकीम पैदरुसजीनू आगरासू महाराज जैसिंघजी आणिया जैपर. वां फिरंगीरो दारू काढियो। १४६२. जैपुररो राजा पाट वैसे जद मैणो तिलक करे १४६३. आवेरमें मुदे मानका केकान केकानरा पोता पारीक पुरोहित कछवाहारा
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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