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________________ वांकीदासरी ख्यात [ १६३-१७२ १६३. आ वेढ हुवा पर्छ मेडता माथै रावजी कटक कियो नही । १६४. सवत १६१९ रा काती सुद १५ राव मालदेजी देवलोक हुवा. इण राड हुवा पछ आठवै महीने राव मालदेजी देवलोक हुवा । १६५ राव चदरसेणजीरै भाइयासू अणवणत रही जिणसू मेडतारो नांव न लियो। १६६ सरफुद्दीन दिली गयो जैमलरो वेटो वीठळदास मेडतारी जागीरी मुजाब घोडा रजपूत ले पातसाह अकबररी चाकरीमे गयो । १६७ साभर १ सोजत २ मेडता ३ खाटू ४ वधनोर ५ लाडणू ६ रायपुर ७ भाद्राजूण ८ नागोर ९ सिवाणो १० लोहगढ ११ जेखळ १२ वीकानेर १३ भीनमाल १४ पोहकरण १५ वाढमेर १६ रैवासो १७ कासली १८ जोजावर १९ जोळी २० लारणो २१ नाडोळ २२ फळोधी २३ साचोर २४ डीडवाणो चाटसू २६ फतैपुर २७ अमरसर २८ समेईगाम२९ खावड ३० वणवीरपुर३१ टूकटोडो ३२ अजमेर ३३ जाजपुर ३४ उदैपुर ३५ भारादो ३६ - इत्ता ठिकाणा राव मालदेजी लिया। १६८ : संवत १६१९ रा काती मुदी १२ जोधपुर राव मालदेजी देवलोक हुवा । जोधपुर, सोजत, पोहकरण राव चद्रसेनरै, फळोधी स्दैसिघरै, सिवाणा रायमलरै रह्या। राणियां और संतान १६९ उमादे भटियाणी रावळ लूणकरणरी बेटी जिणनै सवत १५९३ रा वैसाख वद ४ राव मालदेजी जैसलमेर जाय परणिया । सवत १५९५ अजमेर माहे रूसणो हुदो। सवत १६०४ रामकवरनै देसोटो हुवो जद साथे गया। सवत १६१५ रा काती सुद १५ रावजी लारै वळी। केळवै रायजीरी वसी माहे । १७० , कछवाही लाछळदे, भटियाणी उमादे-आ दोना रावजी मालदेजी लारै सत कियो, मेवाडरे गांव केळवै। उमादेजी लाछळदेरो बेटो राम जिणनू स्राप दियो । १७१ सरूपदे झाली मोटा राजारी मा जिण तळाव करायो सवत १६१५ माह वद ५ प्रतिस्टा किवी नाव सरूपसागर लोक वहूजीरो तळाव कहै । १७२. सरूपदे झाली चंद्रसेणजीरी मा चंद्रसेणजीनै स्राप दियो- "तै मोर्ने राजरा वंदोवस्त वासतै रावजीसू वळण न दिवी सो थारो राज मत रहे जो रावजी लारै मतमे न बळी ।"
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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