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________________ १९९१-१९९८] प्रकीण राजपूत वंश [१६७ हटायो कासीरा कोटमे घालियो. पछै पीरां हल्लो कियो कासीरो कोट भेळण जद वरानरी तिरिया ‘दासिया नगन कागर माथे चढी. पीरारै सनमुख हुई. पीरा पीठ फेरी कासीरो किलो पडियो. जमी भेळो हुवो. वरान परियह सहत दटि मुवो. कासीरी वसती विगड गयी। तिरहुत १९९१ वारै पुसकर तिरोहितमे राजा सिवसिंघ वणायो जळ तळजीरी हुवो. तळाव घोडा दोड अक कोसरी गिरदमे वणायो उणमे कमळा नदी आय पड़ी। १९९२ तिरोहितरै राजा सिवसिघ औराकी घोडार अॅड लगायी, ताजणारी दिवी, डोर काढी. घोड़ो सिवसिघनू ले भागो सो आज आवसी । नेपाल १९९३ गणेसप्रसाद, भैरूप्रसाद, विष्णुप्रसाद इत्यादिक हाथियारा नाम नेपाळरै राजार। नेपाळ माथै चीणरो लसकर आयो हो जिणरो पार नही हुतो- नेपाळरा कहै । मुसळमान रजपूत १९९४ परमार १, पडिहार २, खीची ३, तुवर ४, सोळकी ५, भुट्टा ६, सम्मा ७, जोइया ८, दहिया ९, मोहिल १०, जझा ११, चहुवाण १२ -- इत्यादिक रजपूत मुसळमानामे है वरसिंघ भाटी मुसलमान हुवा ज्यारा घर , पूगळमे है । १९९५ जैतमाल राठोड मुसळमान हुवा ज्यारा घर छै-सात नागोरमें है। १९९६ वाघेलो वेट दहियो देसोत दीठो नहीं । जाट १९९७ कछवाहासू जग कर जाट जवारसिघ अठारै दिन अलवर रह्यो जद अलवर जाटरै हुती। मराठा १९९८ दिखण डभोळथी सूरत खुसकीरै राह कोस १३० तठी सिवा दिखणीरो चाकर नैमूजी जादोराय तीन हजार असवार पाच हजार पाळा ले साथै नै सवत १७२० रा माह वद ५ सूरत मारी पाच' दिन रह नै गाव लूटियो, वाळियो पचास लाखरी मता ले गयो केईक अधकी कहै छै ।।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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