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________________ २०५२-२०६८] सिखारी, जोगियांरी वातां । [ १७१ २०५२. पिंडारारी बाईस ढाल हुलकररै तावीतमे हुती खरडारी राडमें हैदराबा दियानू लूटी पिंडारा धनाढय हुवा । सिख २०५३ गुरु नानगरै बहन हुई नानगी। २०५४ चमार तेगबहादुररै सामल माराणो उणरा सिख रैदास कहावै रैदास गुरदे पास । २०५५ मिरासी नाम मरदानो तेगवहादुररै साथ माराणो, जिणरा मिरासी मर। दानारा पथरा सिख रवाबी है सिख हजारीरो माल उणानू दैवै । २०५६ चडाळ तेगबहादुररै साथ काम आयो उणरा सिख रगरेटा कहावै रगरेटा गुरुदा बेटा। २०५७ लाहोररो राजा सिख रणजीतसिंघ जिणरै दोय कपू तिलगारा, मेक कपू गोरखियारो, अक कपू हिदुस्तानियारो, जुमले च्यार कपू। २०५८ सिखारी हाल दस लाख बदूक है । २०५९ सिख मसीतमे ग्रथसाहब पधराय मसीतनू मसूगढ कहै सेवापथी सिख दया वत विसेस' हुवै, सबकी सेवा करै, दुखीकी विसेस सेवा करै भीख न माग वडी वट नै आजीवका करै। २०६०. गुरु नानकरा भेखमे अकाली हरामजादा हुवै । २०६१ सिख सिखनू कहै - मुडितका विसवास न करणा। २०६२ सिख चक्रवर्ती हुसी – ग्रथसाहब कहै है । २०६३ सिखारै ग्रथसाहवमें कहै हे - चवदै सौ वरस ताई सिखरो प्रताप वधबो करसी। २०६४ चक्दै सौ वरस सिखारो राज रहसी - यू सुणीजै है। जोगी २०६५ द्वादस गुरू, द्वादस शिष्य, जुमलै चौबीस कापाळिक हुवा है । २०६६ उगरभैरव कापाळिकरै नै शंकराचार्यरै विवाद हुवो है। २०६७. जोगी गरीबनाथ सिववाडी आयो भागढभूतड थका रहै कहै हमीर पतर पुरो जिणकू सिववाडीका राज दै। २०६८ अक दिन चापै पेटियो गरीबनाथजीनू दियो आं कह्यो तू सिहवाडीरो मालक हुसी आ वात सुण रणधीर सिववाडी माहेसू चापानै काढ दियो. ओ नगर जाय रावळ वीदारी चाकरीमे रह्यो ।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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