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________________ ३६४-३७४] राठौडारी वातां ३६४. कछवाही अतिरगदे वीरसिहरी बेटी सवत् १७०६ रा. जेठ सुद ८ परणिया खंडेले जाय मेडताथी। ३६५ कवर प्रथीसिंघ राजा जसवतसिंघ राजा गजसिघोतरो दिली देवलोक हुवो. राठोड जुझारसिघ दलपतोतरो जिणरी हवेली कनै दाग पडियो। ३६६ कवरजी प्रथीसिंघजी जसवतसिंघोत दिली देवलोक हुवा राठोड जुझारसिंघ दळपतोत जिणरी हवेली कनै दाग दिराणो गोडजी सत कियो सत करता फुरमाया-महाराजसू मालम कीजो आगर महाराज गजसिंघजी माथै जायगां करायी · · म्हारै ही जायगा करावै। ३६७ कवरजीरै थडै सेवा करणनै व्यास सोभो रहियो। ३६८ गोडजी सत करता फुरमाया-महाराजसू मालम कीजो माहरै अठ जायगा करावै महाराज गजसिंघजी माथै आगरै जायगा करायी जिसी। ३६९. कवरजीरै थडै व्यास सोभो सेवा करणनू रह्यो। ३७० दळथभणजी नरूकारा भाणेज महाराज जसवतसिंघजीरा बेटा। ३७१ हिंगळाजजीसू रिधसिधपुरी सन्यासी हररामपुरीरो चेलो काबुल आयो. मालम करायी, पांच वरस मै हिंगळाजरा चरणा तप कियो, माईरी अग्या हुई समाध लेनै जसवतसिंघरै कंवर होय, नवकोटीरो राज कर; जैसू मोनै समाध दिराडो. महाराज ठावा आदमी मेल समाध दिराडी, भडारो करायो इण कह्योराणी जादवके पेट आऊगा, महाराज हमारा मुख न देखै, म्हे महाराजका मुख न देखू सवत १७३५ रा भादवा वद ९ सन्यासी दुपहररी समाध काबलमे लिवी बभूतरो गोळो, माल १, पोयी १ सूपी कडो-हू माग लेसू । अजीतसिंघ ३७२ दिली सरदार दुरगादासजी वगेरा पेमोरसू आया ज्या कनै तीन सौ च्यार सौ लोक हुतो ज्या माथै तीस हजार घोडो ले सीदी आयो। ३७३ दुरगादासजी दिलीसू आपरी वसी साथ ले विखारी त्यारी करी. सिरोही वीसलपुर गया। हो - दुरगो लड़यो दिली दळा, जद आयो जोधार । ___ वासै ले माणस वसी, विखो कियो तिण वार ॥ ३७४. असूदखा अजमेर जिणसू सोनग वीठळदासोत सिसोदियो भीवसिंघ राणा राजसिंघरो बेटो जिणारी मारफत वातचीत करी - म्हारो गोर की जद राजाजीरा बेटार नै सोनगजीर मुनमवरी वात ठहरती ही सवत १७३८
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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