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________________ वांकीदासरी ख्यात [ २६३-२७५ २६३ ओ हाथी राजा मान महाराज सूरजसिंघजीर मेलियो ओ हाथी पछ महाराज सूरजसिंघजी उदैपुरमे साहजादा खुरमनै दियो । २६४ ओ हाथी राजा मान राजा सूरजसिंघजीरी निजर कियो किताईक वरसा पर्छ ओ हाथी उदैपुरमे माहजादा खुरमरी निजर सूरजसिघजी कियो। २६५ चतुरभुज सेवा राणा प्रताप प्रनापीतरो जिणनू सवत १६६९ सिवाणारो गाव फरमावस गावा छवसूं बरस अक रह्यो जोधाणनाथ दियो।। २६६ सवत १६७१ उदैपुर राणाजीरी मुहिम महाराज सूरजसिंघजी सार्य हुता राठोड प्रथीराज वलूओत वैर दहियो मोवणदास राव रतन हाडारो चाकर घरे जावतो मारियो इतरा सिरदारा मिल ज्यारी विगत-राठोड़ पिरागदास मानसिंघोत काम आयो प्रथीराजजीरी भीरा, नरहरदास भागोत, चापो वीठळदास गोपाळदासोत । २६७ धाधल पचायण मूरसिंघजीनू जहर न दियो, आप पियो । २६८ पचायणरै ईसरदास, ईसरदासरे मनोहरदास, मनोहरदासरै वैटा तीन-अक गोवददास जिणरा फैरू, दूजो उदैकरण जिणरा साल, तीजो केसवदास जिणरा मोकळावस । २६९ संवत १६७६ रा मुकल पक्खमे दिखणमे महिकररा डेरां सूरजसिंघजी देवलोक हुवा। २७०. सवत १६७६ रा भादवा सुद दिखणमें महकररै थाणे सूरजसिघजी देवलोक हुवा।। राणियां और संतान २७१ महाराज सूरजसिंघजी लाहोररा डेरा कछवाहा दुरजणसाळरी बेटी सोभाग देजी परणिया पीहररो नाम किसनावतीवाई।। २७२ सवत १६८० रा फागण मुद ९ गोधूळीक सावै परवेजनू परणायी । २७३ सेखावत दुरजणसाळरी वेटी क्सिनावतीबाई सासरारो नाम सोभागदेजी ज्यारा वेटा महाराज गजसिंघजी सवत १६५३ रा काती सुद ८ जनम लाहोरमें हुवो। २७४ बेटी वाई मनभावती साहजादा परवेजनू परणायी, कछवाहा दुरजणसाळरा दोहिता महाराज गजमिघजी। २७५. महाराज सूरजसिंघजीरो राजलोक डूगरपुररा रावळ सहसमलरी वेटी पीहररो नाव जसोदा, सासरारो नाव सुग्तागदे ज्यारो वेटो सवळसिंघजी । संवत १६६४ रो जनम सवत १७०३ रा फागण वद ३ राम कह्यो ।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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