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________________ ३ वांकीदासरी ख्यात [३३२-३३९ रूपसी 3, वारट जसो वेणीदासोत, सोनगरो वीरमदे, कछवाहो स्यामसिंघ राजावत, राठोड हरीराम लखमावत, मुहतो सांवळदास रूपमीरो, पडिहार धनराज, थोरी भूरियो, दमामी गुणो। औरगजेव साहसुजा सामो गयो महाराज जसवतसिंघजी माथ हुता छान साहसुजामू मिलिया साहमुना कह्यो म्हे भाई भाई काले साथै जोधपुर पवारो. औरगजेवरै नै साहमुजारै जग हुवो पातमाही लसकररा डैरा लूटने महाराज मारवाडनू पधारिया मारगमे पातसाही सहर मालू लूटिया । ३३४ साहसुजानू जीत पातसाह दिली आय रायसिंघनू जोधपुर लिख दियो महा- राजा सामी फौज मेली रायसिंघनू मारवाडमे आवण न दियो आ वात सुण औरगजेव मनमे कोप कियो। ३३५ हुरमखानो लूट इकवीस पालत वीज वाहणरा भरि महाराज डेरे बाणी। ३३६. राठोड रणछोडदास गोइददासोत महाराजा श्रीजसवतसिंघजीरी तरफसू नेवोजी अधम और गोइडराय साहजादा मुहम्मद मुअज्जिमरी तरफसू राजगढ सिवा कनै गया सिवै सिवारी मा रणछोडदासजीरे हाथ सिवारो वेटो संभाजी बरस ११ में महाराजरो बोल ले सूपियो।। ३३७ काती मुद ३ रा राजगढसू सिवै विदा किया तीनस असवार संभाजी साय राठोड़ रणछोडदासजीनूं घोडो सिरपाव दियो दुगदुगिया न लिवी. अक घोड़ो, अक सिरसाव, अक दुगद्गी खोजा अवमनू दियो, इतरो ही समाधान गोइदरायरो कियो. मिगसर वद ५ रवि ओरगावाद आया संभानू महाराजरा पावा लगायो मिगसर वद ६ सोम महाराज साहजादासू मुलाजमत करायी तरै पाच हजारियांमें सभानू भो राखियो, सिरपाव दियो पाचहजारीरो मनसब दियो महाराजरी कचहडी नजदीक संभारो डेरो हुवो। मिगसर वद १२ रवि साहजादै सभानू विदा कियो घोडा २, कपडो, दुगद्गी१, पुणचियारो जोडो १ सभाजीनू इत्ता दिया कटारी जड़ावरी १, दुगद्गी अंक ७२००) री, थान नव कपड़ो सेवान भेजियो. राठोड रणछोडदास गोइददासोत संभाजी मार्थ भेजियो दिन आठ सभाजी औरगाबादमे रह्यो ३३९. महाराज श्रीजसवतसिंघजी लाहोररा डेरा सवत् १७२३ रा पोस वद ८ राठोड श्रीआसकरणजीन मया कर देम सूबो दियो इत्ती चीजा हजुर इनायत किवी-योनारी माकत घोडो १, सिरपाव वामो १, बवारारो हकम किरो पंचोळी केसरीसिंघजी आमकरणजी मिल मारवाडरो काम करै । ३
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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