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वांकीदासरी स्यात
[१५३-१५८ १६१८ रा चैत सुद ५ रावजीरा साथसू लडाई किवी . फतै मिरजारी हुई, रावजीरा उमराव काम आया ज्यारी विगत-राठोड देईदास जैतावत१, राठोड महेस पचाइणोत करमसिंघोत २, मागळियो वीरमदेव ३, राठोड भाखरसी डूगरसिघोत ४, ५, राठोड गोडद राणावत ६, राठोड अमरो रायावत ७. राठोड जैमल तेजसिंघोत ८, राठोड भाण भोजराजोत रूपो ९, राठोड महेस घडसीहोत १०, राठोड पूरणमल प्रथीराजोत ११, राठोड भाग्व रसी जैतावत १२, गठोड ईसरदास राणा अखैराजोतरो १३, राठोड तेजसी सीहावत १४, राठोड पतो कूपो महराजोतरो १५, राठोड महमो रामावत १६, राठोड अमरो आसावत १७, राठोड़ अमरो रामावत १८, राठोड अचळो भाणोत १९, राठोड सागो रणधीरोत २०, राठोड ईसरदाम घडसीहोत २१, राठोड रायसिंघ घडसीहोत २२, भाटी तिलोकसी परवत आणदोतरो २३, राठोड हमीर ऊदावतवालो २४, राठोड भीम दूढावत वालो २५, राठोड अखो जगमालोत २६, काक चादावतरो २७, राठोड जैतमाल पचायणोत मेडतियो २८, भाटी पीथो अणदोत २९, राठोड राणो जगनायोत ३०, साखलो तेजसी भोजावत ३१, राठोड प्रिथीराज ३२, सिघण अखैराजरो ३३, चहुवाण जैतसी ३४, वीरम दूदावतरो ३५, मागळियो देदो ३६, राठोड रणधीर रायमलोत ३७, जगमालजीरो चाकर आसामी ३८ आरा रजपूत छव काम आया मिरजारो साथ घणो
काम आयो खेत मिरजार हाथ रयो मेडतो लियो। १५४ रावजी कवर चंद्रसेणजीनू मेडत देवीदासजी कन मेलियो राठोड प्रथीराज
कूपावत १, सोनगरो मानसिब अखैराजोत २, राठोड सावळदास ३ और ही
उमराव कूवरजीरै सायै मेलिया, दोय हजार घोडा साथै मेलिया। १५५ रावजी कह्यो-वेढ करणरो ढव हुवै तो वेढ कीज्यो, नहीं तो देवीदासजीन
लेनै उरा आवज्यो अ मेडते गया पातसाही फौज सबळी देखी आ
डेरा पाछा किया, देवीदासजी मुरड मालकोटमे पैठा। १५६ मगला मालकोट घेरियो राठोड सावळदास उदैसिंघोत मगला साथै पडियो.
चाकर खाटमे घाल ले निसरिया मुगल लारै चढिया च्यार कोस माथै
आय पडिया सावळदास भली भात काम आयो।। १५७ मालकोट घेरो मुगल नित ढोवा करै रावजी नित देईदासजीनू लिखै-थे
तो थारो नाव करो हो पिण म्हारी ठाकुराई खोवो हो। १५८ सवत १६१८ ग फागण वद घेरो लागो मालकोटरो वुरज ओक सुरगसू
उटियो . मुगल हल्ला ऊपर हल्ला करै जद जैमलजीसू सरफुद्दीन बात