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________________ २६१७-२६३१ ] भौगोलिक वातां [ २०६ स- कुटुम्ब कासी आय वसियो जवनरी कन्यानू जवख लागो हुतो सो नारायण भट्ट काढ दियो जवनेंद्रनू रिझाय इण कासी वसावणरो आरभ कियो कासी-वासी जमीदार कासी तेडिया कह्यो- सारा अठै आय वसो, जवनेद्र आपोरी रछिपाल करसी पर्छ कासीमे वस्ती होण लागी डूब परपरासू कासी मे वसै है उवै कासी डजाड हुवाही कासीमे रह्या उवारा कहणासू विस्वनाथ रो लिंग बाहर थापवा जमी देखी सिवलिंग नही पायो जद कासी - वासी तीन दिन अनसन ले बैठा सिव सप्रेम आज्ञा किवी-ऊ लिंग कैलास गया और रैवास कर आणि उठे स्थापित करो यू-ही-ज कियो । २६१७ वैद्यनाथ सिव वैजनाथ कहावै । २६१८ भूलनारो उत्मव ठाकुररो बगाली विसेस करै हजारा रुपिया खरच करै । २६११. जलापानात् अंक वा दोनू चरण व्रसब- गळ-स्थूळ हुवै बगालियारै । विलायत २६२० कधार खुरासाणरी हदमे है, काबुल हिंदरी हदमे है । २६२१ विलायतमे खातून जन्नतरो नाम आख मीचने लेवे । २६२२ कमरकोहसू नील नदी चाल रूमरा समुद्रमें मिले । २६२३ अमरीके वरसन नवी दुनियारो नाम है | २६२४ नवी दुनियामे उत्तरनू अगरेज है, दिखणनू इसपेन है । विविध स्थानांरी प्रसिद्ध वस्तुवां मगरबमे होय, जगवार मे होय, मिसरमे होय, २६२५ खुटिया लखनऊको, गटा कनोजको पेडा मथुराको ओळा सिकदराका अदभुत हुवै है । २६२६ अभ्रक कपूर लोबान कृष्णागुरु प्रमुख यवनारै देसासू हिन्दमे आवै । २६२७ कासी पीतळ प्रमुख धातु मारवाडसू सिधमे जावै । २६२८ वीकानेररा जोहडरी घोडिया हमेसा जगळमे चरै हिरणिया ज्यू । २६२९ जेसळमेर भूरो पत्थर सावटू कहावै नै भूरै पत्थरमे घोळासा चाढा हुवै सो वीछियो कहावै खरळ वीछियारी आछी हुवै । २६३० जैसळनेर वाडोरो वाग जठै मिसरी नामै आंबो है घणा मीठा मोटा आवा लागे केतकी इण वागमे है । २६३१ वीकमपुररी हदमे सुगनी आछा है उठे गायारो राव जिसो दूध है ।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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