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________________ ११२७-११३८ ] गहलोतांरी वातां ११२७ वीकानेररा राजारी बेटी रायसिंघजी वणहडारो राजा परणियो । ११२८ रायसिंघजी वणहडा कनै राजपुर वसायो उजैण घावा पडियो, मारगमे मुवो । १०१ वणहडारो राजा रायसिंघ ११२९. जगमालोत राणावत रतनसोत जोधा औ आठ उमराव वणहड़ासू अढाई कोस गाव बामणियो जठारा जोधारी भोम पैला वणहडामे हुती । ११३० ओसवाळ डागळिया खीवसरा वणहडे कामेती है । ११३१ ओसवाळ वरढिया वणहडै कामेती है, भडारी कहावे । झाला ११३२ सादडीरो राजा झाला जिणसू राणोजी राणो लिखे दूजारा नगारा देवारीमे न वजै छै इणरो नगारो ईकरको दहवारीसू जगन्नाथरायजीरा मंदिर ताई वजतो जाय, छत्र चमर ही उडता जावे । वेदळो ११३३ वेळा घणी राव रामचदजी जिणनू राणजी वीडो छै सीकरो दियो इण वेदळा पट्टी निजर कियो राणजी फुरमायो तबोळीनू लावो, सजा कर करो छव सीकारो बीड़ो क्यो वणायो आ खबर पाय तबोळीरा राव रामचदजीरा घोडारै सरणै गयो रावजी तबोलीरो गुनो माफ करायो । ११३४ वेदळे आबा औ पहाड सजळ है सिकार राजनू उढे घणा है आरासरी अवाय कहावै । कोठारियो ११३५ चूडावत जगै सीधावत चहुवाण ठाकुरनू बहिन परणाय कोठारियो आपर पटै हो सो परो दियो, मदारियो आपरै राखियो । ११३६ चूडावत जगो सीधावत वागडमे चहुवाण मारियो । ११३७ सहर सूरत में राणो प्रताप गोसरे हियो विखामे उमरावा कुवरा समेत सूरतरा सूबैदारनू मार घोडा चलाया राणारा हाथरी बरछीसू सूबेदाररा अग रही कोठारियारं राव जायने आणी ऊ दिन दसरावारो गाहणा समेत सिरपाव राणोजी कोठारियारा घणीनू दियो । जिणसू हर दसरावै राणोजी दसरावारो सिरपाव गहणा समेत कोठारियारा रावनू वगसै । ११३८ कोठारियारो धणी कुरब वेदळारा धणीनो दिराणो है राणाजीरा दरवारसू ।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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