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________________ ૮૨ बांकीदासरी ख्यात [ ९०३-९१२ वीरसिंघजी ज्यांरै "बहादुरसिंघजी ९०३ सूरसिवजी हाथा चीरो लियो - बंदोवस्तमें हीज रह्या वेटा अमरसिंघजी कीरकेर्डो छोटा बेटा सूरतसिंघजी ' किसनगढ राज वावियो भाटियाँरी साखलारी, जोइयांरी, मोहेलारी, राठारी जमी वीकानेर हेठे दीवी । 57 बहादुरसिंघ ९०४ किसनगढरा राजा बहादुरसिंघजी लवाणरा वीकावतारा भाणेज हुता । ९०५. हिन्दुस्थानी मुसलमान और मरहठा मुजरो सलाम करता जद वहादुरसिंघजी माथै हाथ लगावता | 2 ९०६. वहादुरसिंघजी नागोरी धमाको खवामे रहतो लोहरी मूठ लोह रातै नाळरी तरवार गलडवै रहती अधोडीरो गलडवो रहतो. नव पलारो मीथों रहतो दम पलारो लवायचो रहतो जाडी पीडिया ताई काछ रहती । ९०७ महाराज वखतसिंघजी जोधपुर ले सिणगारचौकी विराजिया जद घाघळ कनैसू चवर ले वहादुरसिंघजी चवर करण लागा देवीसिहजी चाप अरज कीवी - बहादुरसिंघजीरी निगाह कीजै जद राजाधिराज वहादुरसिंघजीरो हाथ पकड वहादुर सिंघजीने बैठाया । ९०८ गाजूदीनखा नबावरे सामा कोस महाराज वहादुरसिंघजी पधारिया किसनगढ दीचाणखानामे गाडी मायँ गाजू दीनखा बैठो, बिछायत मायै बहादुरसिंघजी वैठा महाराज चत्ररी हाथ मे लीत्री जद गाजूदीनखा पाल दिया । ९०९ महाराज वहादुरसिंघजी फुरमावता - गाजूदीनखा सरीखो सहूरदार जावनी भासा मे प्रवीण दीठो नही । 1 ९१० सवत १८३८ बहादुरसिंघजी देवलोक हुवा जद विरदसिंघजी चाळीस वरसमे हुता, प्रतापसिंघजी २१ वरसरी वयमें हुता । ९११. किसनगढ राजा वहादुरसिंघजी पाच वेटी- गुलावकवर नरखररा राजानूं परणायी १, अखैकुवर बूदी अजीतसिंघजीनू परणायी २, रूपकवरबाई जेसलमेर रावळ मूळराजजीनू परणायी 3, वार्ड ओक उदैपुर राणा अड़सीजीनू परणायी ४, बाई ओक देवळिये दिवाण सावतसिंघजीनूं परणायी ५ । विड़दासंघ ९१२ किमनगढ विदभिघजीरै च्यार वेटी हुई - येक उदैपुर राणा अडसीजीर कुंवर हमीरसिंघनू परण यी १, जेक जेसळमेर रावळ मूळसजजीरा कुवर रावजीनू परणायी २, ओक वणहडै राजा हमीरसिघजीनूं परणायी ३ |
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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