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________________ ८९५-९०२] राठौडांरी वातां रातै पूछ कमो वड रावत , ___ कल्लै मुख धोळे केवाण ॥ ८९५ सवत १६७१ जेठ सुद ८ राजा किसनसिंघजी काम आया । ८९६. किसननू छोड नह जाय किरतो । ८९७ किमनसिंघजी उदैसिंघोत ज्यानू सोनगिरै उदै रतनसिंघोत राजसिंघ कूपावतरै प्रधान मारिया वळूदरि धणी जगनसिंघजी व सूरसिंघजीसू मालम किवी । ८९८ राजा किसनसिंघोत उदैसिंघोतरै बेटा च्यार हुवा-सहसमल १, भारमल २, हरिसिंघ ३, जगमाल ४ भारमलजीरो वस रह्यो तीन निरवस गया । ८९९ सहसमल १, भारमल २, हरिसिंघ ३, जगनाथ ४ - अ च्यार बेटा राजा किसनसिंघरै, सहसमल सात वरस राज कियो । ९०० हरिसिंघ, सहसमल, जगमाल-आरो वस रह्यो नही । रूपसिंघ भारमलोत ९०१ राठोड रूपसिंघ भारमल किसनसिंघोतरो सवत १७१४ घोळपुर राड हुई दारा सिकोहरै नै औरगजेब मुरादबग सरै जठे काम आयो साहजहारी तरफ. वडो डील हो। ९०२. रूपसिंघ भारमलोत पातसाहजी...... 'सू जागीर पावै जिणरी विगत .५०,०००) परगनो किसनगढ ८२,५००) परगनै अराई ३५,०००) सलेमावाद २५,०००) बाघल सीदरी. १८,८४६॥ परगनै अजमेररा गाव ६८,७५०) परगनै हमनपुर खोहरी ५७,५००) पटी इदाणारी परगनै नागोररी - १,८७,५००) परगनो नैणवाय ५४,४०३।। परगनो जीडोतो पखळास २०,१४७०) परगनै पीपळाज. २,००,०००) परगनै माडळगढ. २,००,०००) परगनै अकबरावाद ९,९९,६४७०) री कुल जागीर ।
SR No.010598
Book TitleBankidasri Khyat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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